
मैं घूमने के मामले में काफी सिलेक्टेड हूँ। मुझे समुन्द्र के किनारे पहले पहले बहुत अच्छे लगते थे जब तक समुद्र देखा नहीं था।
काफी जगह घूमने के बाद एक पहाड़ी का मन आखिर में पहाड़ की ओर ही भागा अब घूमक्कड़ी का अधिकतर समय पहाड़ और हिमालय में ही बीतता है।

उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू कश्मीर, लद्दाख,सिक्किम, वेस्ट बंगाल और नेपाल ये सब जगह घूमने के बाद एक राज्य उत्तराखंड के बाद दिल में छा गया वो है अरुणाचल।
अरुणाचल मौसमी घूमक्कडो की पहुंच से काफी दूर है। इसलिये आपको यहाँ शांति और सुकून ढूढ़ने में ज्यादा मुश्किल नहीं होगी।
उत्तराखंड और हिमाचल से अलग यहाँ आपको पर्यटको की संख्या बेहद ही कम नजर आएगी। पश्चिमी अरुणाचल यानी वेस्ट कामिंग और तवांग जिले को छोड़ दिया जाय तो आपको और जगह इक्का दुक्का घूमक्कड़ ही मिलेंगे।


तवांग जाने का रास्ता बहुत ही खूबसूरत और बढ़िया है साथ ही पर्यटकों की पहुंच के अंदर है इसलिये यहाँ साल भर लोग आते हैं।
तवांग जाते समय आप कलाकटांग,शेरगांव, रूपा, बोमडीला, भालूपोंग, नामेरी टाइगर रिज़र्व, दिरांग, सांगती वैली,सेला पास, सेला लेक, जसवंतगड़ वार मेमोरियल, जांग वाटरफॉल घूम सकते हैं।



तवांग से आगे आप चाइना बॉर्डर बुमला पास, संगतेसार लेक ( माधुरी लेक), गुरुद्वारा, साथ ही चोटी बड़ी बहुत सारी झील देख सकते हैं। तवांग में आप भारत की सबसे बड़ी मोनेस्ट्री, बुद्धा स्टेचू, वार मेमोरियल, मार्केट और भी कुछ देख सकते हैं। अगर आप ट्रेकिंग के शौक़ीन हैं तो तवांग में कुछ ट्रेक भी हैं। वेस्ट कामिंग जिले में आप माउंट गोरिचैन और माउन्ट कांगतो के बेस कैंप का बेहद खूबसूरत ट्रेक कर सकते हैं।


मेचुका मेरी नजर में अरुणाचल प्रदेश का सबसे खूबसूरत टाउन है। चारों ओर से पहाड़ों से घिरा मैदान कुछ ऐसा ही है मेचुका। अरुणाचल के शियोंमी जिले में चाइना बॉर्डर करीब बस्ता है ये खूबसूरत शहर। आबादी काफी कम है यहाँ की पहले ये तिब्बत में हुआ करता था।
मेचुका जाते हुऐ सिखो डिड़ो नाम का मनमोहक वाटरफॉल मिलता है। मेचुका से आप चाइना बॉर्डर लमांग और योरलूम की ओर जा सकते हैं। गोम्पा और दोर्जलिंग गाँव भी आप जा सकते हैं।
चाइना बॉर्डर जाते हुऐ गुरुद्वारा जाना न भूलें यहाँ से आगे ही आपको चट्टान पर भगवान हनुमान का चेहरा भी दिखाई देता है। बर्फबारी में ये जगह जन्नत से कम नहीं।
मेचुका जाने का रास्ता बहुत ख़राब है इसलिये यहाँ बहुत कम लोग आते हैं।


चाइना का एक और बॉर्डर और भारत का सबसे ईस्टर्न भाग किबिथु और काहो आप वालोंग के रास्ते ही जा सकते हैं। वालोंग अरुणाचल के अंजाव जिले में है। यहाँ पर आप दोंग ट्रेक भी कर सकते हैं जहाँ भारत का सबसे पहला सूर्योदय होता है।
हेलमेट टॉप, चाइना दर्शन म्यूजिम, लोहित नदी का किनारा कुछ और यहाँ के दर्शनीय स्थल हैं यहाँ के।
वालोंग जाते हुऐ आप दिब्रुगड़, तीनसुकिया, तेजू, वाक्रो हवाई और पशुराम कुंड देख सकते हैं।
मेचुका की तरह यहाँ भी बहुत कम लोग आते हैं यहाँ की रोड 90% अच्छी है।




जन्नत है ये जगह और यहाँ के लोग देवता। यहाँ जाने का रास्ता बहुत ही बेकार है रोड हैं ही नहीं ये मान लीजिये।ब्रह्मपुत्र नदी का इतिहास अगर जानना है तो यहाँ जाना ही पड़ेगा। गेलिंग यहाँ से 24 km दूर एक और अरुणाचल का चाइना बॉर्डर। गेलिंग से 8 km आगे ही ब्रह्मपुत्र नदी भारत में प्रवेश करती है। यहाँ पर ब्रह्मपुत्र को शियांग बोला जाता है। टूटिंग में साल भर में 20 लोग से ज्यादा पर्यटक नहीं आते। मोनेस्ट्री और शियांग पर बना हैंगिंग ब्रिज यहाँ की जान है।






जीरो म्यूजिक फेस्टिवल अरुणाचल का सबसे बड़ा फेस्टिवल है। फेस्टिवल के समय यहाँ बहुत भीड़ होती है।यहाँ का रास्ता पहले बहुत ख़राब था अब अच्छा है। यहाँ एक झील और महादेव का स्वयंभु शिवलिंग भी है।





गलॉ लेक नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा। जुको वैली ( नागालैंड ) के बाद अगर पुरे नार्थ ईस्ट में सबसे खूबसूरत जगह है वो है गलॉ लेक। इंटेनेट में ये आपको ग्लो लेक के नाम से मिलेगी। यहाँ जाने का रास्ता घने जंगल से हो कर जाता है जो कामलांग टाइगर रिज़र्व है। यहाँ जाने के लिए आपको 29 km का ट्रेक करना पड़ेगा। असली मजा जंगल में अकेले ट्रेक कर के जाने का है।














