क्या करें जब गोवा घूमने के सारे प्लान फेल हो जाएँ ? लक्षद्वीप बहुत महँगा है और बाली हमारी पहुँच के बाहर है? तो ऐसे में आप गोकर्ण जाने का प्लान बना लें ! गोवा के बदले ज्यादा शांत कही जाने वाली यह जगह हाल ही में पर्यटकों की चहल-पहल का अहम हिस्सा बन गयी है।
खूब सोच-समझकर जब मैंने और मेरे दोस्त ने गोकर्ण जाने का फैसला किया, तो हमें लग रहा था कि हम गोवा की चहल-पहल को मिस करेंगे लेकिन इस बार हम थोड़ी शांति चाहते थे। फिर क्या हुआ, चलिए बताती हुँ :
अगले 4 दिनों के लिए ढ़ेर सारी उम्मीद के साथ, हम थोड़े थके हुए और थोड़ी नींद के मारे, गोकर्ण पहुँचे।
हम लोग हरि प्रिया रेजीडेंसी में रुके थे और हम थोड़ा हैरान थे कि ये बिल्कुल पर्फेक्ट जगह थी।क्योंकि शहर के बहुत करीब, सड़क के एक कोने पर बना यह होटल बाहर से देखने में बहुत आकर्षक नहीं है। हम बस साफ कमरे और साफ बाथरूम की उम्मीद कर रहे थे और हमारी किस्मत अच्छी थी।!
एक छोटी सी झपकी के बाद, हम यहाँ की सबसे लोकप्रिय बीच - ओम बीच की ओर बढ़े! इस तट का नाम ओम बीच इसलिए रखा गया है क्योंकि इसका आकार पवित्र चिन्ह ॐ जैसा है।
जैसा कि आमतौर लोकप्रिय तटों के साथ होता है, मैंने भी यही सोचा कि यहाँ बहुत भीड़ होगी लेकिन दोपहर के धूप का आनंद लेने वाले कुछ ही पर्यटकों को देखकर मुझे खुशी हुई। खूबसूरत और शांत, यह बीच, ऊँची - नीची पथरीली चट्टानों का एक शानदार नज़ारा पेश करता है। अगर आपको भूख लगी है तो यहाँ के सुकून भरे परिवेश में बहुत सारे बढ़िया कैफ़े हैं । वाटर स्पोर्ट्स में यहाँ की बनाना बोट राइड और सर्फिंग का मज़ा ज़रूर लें।
हमारे पहले दिन के लिए हमने इतना ही प्लान किया था क्योंकि हम थक भी गए थे और ईमानदारी से बताएँ तो दूसरे तटों पर जाने लिए आलसी भी हो रहे थे।
हमारा दूसरा दिन भरपूर उत्साह और ऊर्जा के साथ शुरू हुआ। लॉज में पेट भर नाश्ते के बाद, हमने अपने दिन की शुरुआत अंशी नेशनल पार्क से करने का फैसला किया। यह पार्क देश के सबसे लुप्तप्राय पार्कों में से एक माना जाता है। पक्षियों की 200 से भी अधिक प्रजातियों इस पार्क में हैं जो पक्षी प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं।
यहाँ के घने जंगल में सबसे पहले जो महसूस होता है, वह है ठंड । चूंकि यह जगह घूमने के प्रसिद्ध जगहों की सूची में ज्यादा जानी-मानी नहीं है इसलिए जंगल में चलने वाले रास्तों को अच्छी तरह से मार्क नहीं किया गया है। इसलिए इस प्राकृतिक वास में चलते समय आपको बहुत सावधान रहने की ज़रूरत है। अगर आप यहाँ दुर्लभ पक्षियों को देखना और लगातार उनकी चहचहाहट की धुन में मस्त होना चाहते हैं तो यहाँ घूमने के लिए कम से कम दो घंटे का समय रखें। अगर आपके अंदर का वन्यजीवी उत्साह बाहर आ जाये तो पास ही में एक गेस्टहाउस भी है। हम तो थोड़े से चलने पर ही काफी संतुष्ट थे और दोबारा से ओम बीच ना जाकर यहाँ आने के फ़ैसले पर भी गर्व कर रहे थे।
हमारा अगला पड़ाव पेरेडाइज़ बीच था।इसलिए कि एक तो इस बीच का नाम ही बहुत प्यारा है और दूसरा मुझे बहुत भूख लगी थी। इस तट को फुल मून बीच के रूप में भी जाना जाता है, और यह जगह ओम बीच से भी ज्यादा शांत है और पर्यटक भी बहुत कम हैं। यहाँ तक पहुँचने के लिए, आपको या तो नाव लेनी पड़ेगी या जंगल के रास्ते से जाएँ। हमने तो नाव को चुना। क्योंकि हमें भूख लगी थी, याद है ना ?
इस बीच पर कोई वाटर स्पोर्ट्स तो नहीं हैं , लेकिन तैराकी के लिए यह एकदम सही है ! असंख्य कैफे और बेहद खुश मेज़बान आपको यहाँ बेहद स्वादिष्ट मछली का स्वाद देने का वादा करते हैं ! वाह, यहाँ का खाना बहुत ही गज़ब है।
यहाँ समय इतनी जल्दी बीत जाता है कि कब अँधेरा हो गया पता ही नहीं चल पाता। हालांकि यह तट बहुत सुरक्षित है, फिर भी आखिरी नाव जाने का समय पूछ लेना बेहतर होगा क्योंकि हमारी नाव तो छूटते-छूटते बची।
यदि आप यहाँ रात बिताने के मूड में हैं, तो आप किसी मेज़बान से हट खोलने के लिए कह सकते हैं! इस बीच पर जब तक आसानी से लकड़ी मौजूद है और रात को रुकने में पुलिस को कोई समस्या नहीं है, तब तक बॉनफायर की अनुमति भी मिल जाती है। फिर भी लंबे समय तक यहाँ रहने की योजना बनाने से पहले स्थानीय लोगों से पूछना सबसे सही रहेगा।
ढेर सारी मस्ती और पेट भरने के बाद हम ख़ुशी के साथ अपने लॉज में वापस चले गए!
तीसरे दिन की सुबह एक अजीब सी उदासी हो रही थी क्योंकि यह लगभग मेरा आखिरी दिन था! तो आप में से जिन लोगों ने गोकर्ण में 5 दिनों से कम रुकने की योजना बनाई है, वे ज़रा फिर से सोच लें । हालांकि यहाँ वास्तव में कुछ करने को नहीं है, किन्तु यह बहुत ही सुंदर और शांत जगह है।
एडवेंचर के शौकीनों के लिए, गोकर्ण में एक स्कूल भी है जो आपको सर्फिंग सीखने में मदद करता है। कई विकल्पों के साथ,यहाँ आप अपने लिए 7 दिनों से कम समय के लिए भी एक कोर्स चुन सकते हैं। दूसरे लोग जो पूरी तरह आलस और विश्राम में अपना समय व्यतीत करना चाहते हैं वह मायूस ना हों क्योंकि उनके लिए यहाँ मसाज पार्लर और स्पा भी हैं।
पारंपरिक तेल मालिश और उपचार के अलावा , इनमें से कुछ योग भी सिखाते हैं या छोटे योग सत्र आयोजित करते हैं। आप मेरा विश्वास करें, उनके सुंदर बगीचों में ध्यान करते हुए एक दोपहर बिताना बेहद शांत करने वाला अनुभव है! और हाँ, जैसा कि आप लोगों ने अनुमान लगा लिया होगा, लॉज के पास ही बने एक सेंटर में छोटी सी मालिश और मैडिटेशन करने के बाद, हम गोकर्ण बीच की ओर चल पड़े ।
शहर के बहुत करीब स्थित, यह एक जाना-माना बीच है। इसकी लोकप्रियता के कारण, यहाँ काफी भीड़ थी और हमने आगे जाने से पहले थोड़ी देर रुकने का फैसला किया।
लेकिन थोड़ी देर का रुकना 3 घंटे के भोजन में बदल गया जो कि सबसे मज़ेदार अनुभव था - वैसे भी गोकर्ण में कहीं भी जाने की जल्दी में कोई भी नहीं है! यह तट बहुत बड़ा है इसलिए आप अपने लिए किसी शांत जगह भी ढूंढ सकते हैं या भीड़ के बीच में भी आनंद ले सकते हैं, यह सब आप पर निर्भर है।
उसके बाद हमने हाफ मून बीच पर जाने का प्रोग्राम बनाया। गोकर्ण के सभी बीच एक दूसरे के काफी नज़दीक हैं।
आप चाहें तो ट्रेक के जरिए भी एक तट से दूसरे समुद्र तट तक पहुँच सकते हैं। अगर आप ट्रैक करना चाहते हैं, तो शहर की बहुत सारी दुकानें आपके लिए यह व्यवस्था कर सकती हैं।
हाफ मून बीच
हाफ मून बीच एक छोटी सी चट्टान के ज़रिए ओम बीच से अलग होती है। गोकर्ण के बाकि सभी तटों की तरह, यह बीच भी कम भीड़-भाड़ वाला लेकिन बेहद खूबसूरत बीच है। गोकर्ण में आकाश के रंग हर पल बदलते रहते हैं।ऐसा लगता है मानों किसी म्यूजिक की धुन पर नाच रहे हों ! बीच की खूबसूरती का नशा ही कुछ गज़ब है। और हाँ, यह उन कुछ तटों में से एक है जो आपको यहाँ सही कीमत पर पर रात बिताने की अनुमति भी देते हैं।आप यहाँ कैंप भी लगा सकते हैं और ज्यादातर पर्यटक इस की तैयारी भी कर रहे थे। चारों ओर पूछने के बाद, पता चला कि आप यहाँ से भी कैंपिंग का सामान लेकर कैंप लगा सकते हैं, लेकिन शहर से कैंपिंग गियर लेना ज्यादा अच्छा है क्योंकि यहाँ थोड़े महंगे हैं।
लॉज में वापस जाने से पहले, बिना अगले दिन का इंतज़ार किये, हम आधी रात तक इस बीच पर रिलैक्स करते रहे।
सुबह उठते ही सबसे पहले मैंने अपनी कैब को तीन घंटे की देरी से आने को कहा। हम गोवा के लिए दोपहर को रवाना होने वाले थे, लेकिन मैं अभी तक इस जगह को अलविदा कहने के लिए तैयार नहीं था। वैसे भी अगले दो दिन जो गोवा में बिताए जाएँगे वो इतने मज़ेदार नहीं होंगे।
एक भी पल बर्बाद किये बिना, हमने येल्लापुर जाने की योजना बनाई। गोकर्ण से लगभग डेढ़ घंटे की दूरी पर, येल्लापुर के अद्भुत लालगुली वाटरफॉल्स हैं ।
जाने से पहले, हमने गेस्ट हाउस के लोगों से अनुरोध किया था कि वह हमारे लिए खाने - पीने का कुछ सामन पैक कर दें और मुझे खुशी है कि हमने ऐसा किया।
लालगुली फॉल्स
हालांकि पिछले कुछ वर्षों में लालगुली जलप्रपात काफी लोकप्रिय हो गया है, फिर भी यहाँ खाना ढूंढना थोड़ा परेशानी भरा हो सकता है। इस झरने की शुरूआत काली नदी से होती है और इसका दृश्य आँखों में बसाने लायक है। आप लोग भी यहाँ कोई शांत-सा पिकनिक स्पॉट ढूँढ़कर अपनी दोपहर बिताएं !
चूँकि हमें वापस जाने की जल्दी थी, इसलिए हमने जल्दी से अपने स्नैक्स खाए और गोकर्ण वापस चल पड़े।
अफसोस की बात है कि चार दिन कब पूरे हो गए पता ही नहीं चला।इसलिए मैं यहाँ फिर से आने वाला हूँ!
यहाँ कैसे पहुँचा जाए?
हम दिल्ली से यात्रा कर रहे थे। हवाई मार्ग से पहुँचने का सबसे अच्छा तरीका है गोआ के डैबोलिम हवाई अड्डे पर पहुँचकर, वहाँ से गोकर्ण जाने के लिए बस (सबसे उचित) या टैक्सी लें। वह आपको लगभग 5 से 6 घंटे में गोकर्ण पहुंचा देते हैं।
‘गोकर्ण बीच’ सबसे प्रसिद्ध तटों में से एक है, विशेष रूप से यहाँ का स्थानीय भोजन और सी-फ़ूड काफी स्वादिष्ट है। अगर आप गोकर्ण से आगे भी घूमने के मूड में हैं, तो इस जगह को अपनी लिस्ट में ज़रूर शामिल कर लें। हालांकि यहाँ ज्यादा पर्यटक नहीं आते लेकिन बर्ड वाचिंग, प्राकृतिक सौंदर्य, स्वादिष्ट भोजन, शांति तथा आलस भरे विश्राम के लिए इससे अच्छी कोई जगह नहीं।
आप भी अपनी यात्रा के किस्से यहाँ बाँटें।
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