दोस्तों जुलाई 2023 में मैंने अपने घुमक्कड़ दोस्त हरजीत सिंह के साथ उजबेकिस्तान कजाखस्तान की यात्रा की थी| हमने एक महीना पहले ही सारी तैयारी कर ली थी| सबसे पहले उजबेकिस्तान का ई वीजा अपने मोबाइल पर ही अपलाई कर दिया था| एक हफ्ते के अंदर ही ई वीजा मुझे मेरी ईमेल पर मिल गया था| फिर दूसरा काम फलाईट बुकिंग का था तो हमने उजबेकिस्तान कजाखस्तान जाने और आने की फलाईट बुकिंग कर दी| 2 जुलाई 2023 को दिन में मैंने लुधियाना रेलवे स्टेशन से दिल्ली के लिए रेलगाड़ी पकड़ ली| इसी रेलगाड़ी में हरजीत सिंह भी अंबाला रेलवे स्टेशन से बैठ गए| नई दिल्ली पहुँच कर सबसे पहले हम गुरुद्वारा बंगला साहिब माथा टेकने के लिए गए| वाहेगुरु से उजबेकिस्तान कजाखस्तान की सफल यात्रा की अरदास की| फिर हम शाम तक दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुँच गए| हमारी फलाईट 2 जुलाई 2023 को 11.45 बजे उजबेकिस्तान एयरलाइंस की थी जिसने 3 जुलाई 2023 को सुबह तीन बजे उजबेकिस्तान की राजधानी ताशकंद पहुंचना था| जब हम दिल्ली पर थे तो बोर्डिंग पास लेने के लिए जब काऊंटर पर गया तो उजबेकिस्तान एयरलाइंस के मेंबर ने मुझे कहा आप इस फलाईट में नहीं जा सकते कयोंकि आपकी वापसी हमारी एयरलाइंस की फलाईट से नहीं है| मैंने कहा मेरे पास सभी टिकट है जाने के आने के होटल बुकिंग है वीसा है तब कया दिक्कत है लेकिन वह मान नहीं रहे थे| हरजीत सिंह को बोर्डिंग पास मिल गया था लेकिन मुझे वही रोक लिया गया| मेरा सामान दुबारा चैक किया गया| मैं रात को आठ बजे उजबेकिस्तान एयरलाइंस के काऊंटर पर था लेकिन 10.30 बजे तक मुझे बोर्डिंग पास नहीं दिया| मुझे लग रहा था शायद आज जहाज़ नहीं चढ़ पायूंगा लेकिन फिर भी मैंने सोचा जब तक जहाज़ उड़ता नहीं मैं यहाँ पर ही रहूंगा| एक ओर लड़का था उसको भी रोक रखा था लेकिन वह वापस चला गया| फिर 10.40 बजे उजबेकिस्तान एयरलाइंस के मेंबर ने मुझे बोर्डिंग पास दे दिया| अब मेरा बोर्डिंग पास लेकर एक बंदा मेरे साथ गया और मुझे कहा गया अगर आप एमीग्रेशन कलीयर कर गए तो आप चले जाना| एमीग्रेशन आफीसर को उस बंदे ने कहा आप इसको देखिए| मैंने अपनी आने जाने की फलाईट टिकट, होटल बुकिंग वीसा आदि सब कुछ दिखा दिया| फिर मुझे बोला गया आपके पास उजबेकिस्तान में दो दिन की होटल बुकिंग नहीं है तो मैंने दो रात की उजबेकिस्तान रेलवे की टिकट उनके सामने रख दी| मैंने उनको कहा उजबेकिस्तान रेलवे की टिकट भी मैंने खुद बुक की है|
मैंने एमीग्रेशन आफीसर को बताया मैं घुमक्कड़ हूँ | पहले पढ़ता हूँ फिर घूमता हूँ और आखिर में लिखता हूँ| मैंने उजबेकिस्तान कजाखस्तान में घूमने वाली जगहों के बारे में भी बताया कि मुझे यहाँ घूमना है| खैर आखिर में मेरी बात बन गई| मैं जहाज में बैठ गया | आधी रात को जहाज दिल्ली एयरपोर्ट से चला और अगले दिन सुबह 3 बजे ताशकंद पहुँच गया| ताशकंद एयरपोर्ट पर एमीग्रेशन में कोई दिक्कत नहीं हुई| पासपोर्ट, वीजा और रिटर्न फलाईट टिकट देखकर पासपोर्ट पर मोहर लग गई| ताशकंद एयरपोर्ट पर ही हमने उजबेकिस्तान का सिम कार्ड ले लिया और कुछ अमेरिकी डॉलर उजबेकिस्तान की करंसी सोम में चेंज करवा लिए| वैसे उस समय हमारे पास 58 लाख उजबेकिस्तान के सोम थे तो बेगाने मुलक में लखपति वाली फील आ रही थी|
ताशकंद एयरपोर्ट से बाहर निकल कर हम अपनी अगली मंजिल की ओर चल पड़े|
ताशकंद एयरपोर्ट से हम टैक्सी करके ताशकंद के रेलवे स्टेशन पर पहुँच गए| सुबह का समय था शहर बहुत खाली खाली और साफ सुथरा दिखाई दे रहा था| हमने ताशकंद शहर को घूमने का फैसला वापसी में रख लिया| 3 जुलाई 2023 को ही हमने ताशकंद से समरकंद पहुंचना था| समरकंद जाने के लिए हमने ताशकंद से बुलेट ट्रेन की बुकिंग कर रखी थी | ताशकंद से समरकंद की दूरी 309 किलोमीटर है जिसको बुलेट ट्रेन से हमने ढाई से तीन घंटे के बीच ही कवर करना था| ताशकंद के रेलवे स्टेशन पर कोई भीड़भाड़ नहीं थी सारा रेलवे स्टेशन खाली खाली लग रहा था| हमने कुछ देर के लिए अपनी बुलेट ट्रेन का इंतजार किया| उतने समय में हमने रेलवे स्टेशन पर अपने मोबाइल चार्ज कर लिए| ब्रेकफास्ट भी कर लिया| फिर हमारी बुलेट ट्रेन पलेटफार्म पर लग गई| बुलेट ट्रेन का नंबर देखकर अपने कोच का नंबर देखकर हम अपनी सीट पर जाकर बैठ गए| कुछ ही देर में बुलेट ट्रेन चल पड़ी समरकंद की ओर | हमें बुलेट ट्रेन का सफर करते समय बहुत अच्छा महसूस हो रहा था| बुलेट ट्रेन काफी स्पीड से चल रही थी| उजबेकिस्तान के गाँव खेत पहाड़ आदि बड़ी तेजी से हमारे सामने से गुजर रहे थे| कुछ समय बाद हमें खाने के लिए खाना और कौफी दी जाती है जो हमारी टिकट में ही शामिल थी| खैर इस मजेदार सफर का अंत समरकंद के रेलवे स्टेशन पर जाकर हुआ| समरकंद रेलवे स्टेशन से हम टैक्सी बुक करके अपने होमस्टे पर पहुँच जाते हैं जो हमने पहले ही बुक कर रखा था| थोड़ा आराम करने के बाद नहा धोकर तैयार होने के बाद हम समरकंद शहर को घूमने के लिए निकलते हैं|
समरकंद उजबेकिस्तान के सबसे खूबसूरत और ईतिहासिक शहरों में शामिल हैं| समरकंद पांचवी ईसा पूर्व सदी में बसा था| समरकंद मध्य एशिया के प्राचीन शहरों में से एक है| 329 ईसा पूर्व सदी में समरकंद के ऊपर सिकंदर ने कबजा कर लिया था| सिकंदर ने समरकंद के बारे में कहा कि जितना इस शहर के बारे में सुना था समरकंद उससे भी ज्यादा खूबसूरत है| सिलक रोड़ पर समरकंद एक अहम शहर था जो चीन, भारत और ईरान आने जाने वाले वयापार के रास्ते को जोड़ता था| छठीं शताब्दी से लेकर तेहरवीं सदी तक इस शहर ने अपना सबसे खूबसूरत दौर देखा है| समरकंद के ऊपर अरबी, मंगोल, कजाख आदि बहुत सारे राजाओं ने राज किया है| चंगेज़ खान ने भी 1220 ईसवीं में समरकंद पर कबजा कर लिया था| इसके बाद 1370 ईसवीं में तैमूर ने समरकंद को अपनी राजधानी बना दिया जो अगले 35 साल उसकी राजधानी रही| समरकंद में ही तैमूर का मकबरा बना हुआ है| 1449 ईसवीं तक तैमूर के पोत्र उलुग बेग ने समरकंद के ऊपर राज किया|सोलहवीं सदी के बाद उजबेकी राजाओं ने बुखारा को अपनी राजधानी बना लिया| फिर धीरे धीरे समरकंद की अहमियत कम हो गई| मई 1868 ईसवीं में रुस की सेना ने समरकंद को रुस साम्राज्य में मिला लिया| आज समरकंद उजबेकिस्तान का एक ईतिहासिक और खूबसूरत शहर है| समरकंद में आप रेगिस्तान स्केयर, तैमूर का मकबरा, शाही जिंदा, बीबी खानम मस्जिद जैसी ईतिहासिक जगहों को देख सकते हैं|