कुमाऊँ उतराखंड में देखने लायक खूबसूरत हिल स्टेशन

Tripoto
Photo of कुमाऊँ उतराखंड में देखने लायक खूबसूरत हिल स्टेशन by Dr. Yadwinder Singh

कुमाऊँ उतराखंड का एक भाग है| कुमाऊँ में न सिर्फ उतराखंड बल्कि भारत के खूबसूरत हिल स्टेशन है | नैनीताल से लेकर रानीखेत, अल्मोड़ा, कौसानी, मुनस्यारी आदि खूबसूरत हिल स्टेशन देखने के लिए मिलेगें | इस पोस्ट में हम कुमाऊँ के खूबसूरत हिल स्टेशनों के बारे में जानेंगे|

कुमाऊँ उतराखंड

Photo of कुमाऊँ डिवीजन by Dr. Yadwinder Singh

नैनीताल
उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में नैनीताल भारत का मशहूर हिल स्टेशन है | नैनीताल जिले को झीलों का जिला भी कहा जाता है कयोंकि भारत में सबसे ज्यादा झीलें इस क्षेत्र में मिलेगी| नैनीताल की समुद्र तल से ऊंचाई 1936 मीटर है| नैनीताल के रमणीक स्थान पर सबसे पहले नजर 18 नवंबर 1841 ईसवीं को अंग्रेज़ अधिकारी बैरन की पड़ी थी| यह अंग्रेज अधिकारी इसकी खूबसूरती देखकर मंत्रमुग्ध हो गया था| उसने इसकी खूबसूरती के बारे में अंग्रेज शासकों को बताया| अंग्रेजों ने नैनीताल को शहर के रूप में विकसित करना शुरू कर दिया| नैनीताल संयुक्त प्रांत की ग्रीष्मकालीन राजधानी भी रहा है| तीनों तरफ से पहाडों से घिरा हुआ बीच में  झील🚣 नैनीताल को बेएंतहा खूबसूरत बना देती है| नैनीताल रानीखेत से 60 किमी, अल्मोड़ा से 68 किमी, दिल्ली से 322 किमी, लखनऊ से 401 किमी दूर है|
नैना पीक - यह जगह नैनीताल से 6 किमी दूर है| समुद्र तल से नैना पीक की ऊंचाई 2611 मीटर है| इसको चायना पीक भी कहा जाता है| आप इस जगह पर पैदल चल कर भी जा सकते हो| नैना पीक से हिमालय की चोटियों का शानदार दृश्य दिखाई देता है|
टिफिन टाॅप - पिकनिक मनाने के लिए यह जगह बहुत ही सुंदर है| नैनीताल से इस जगह की दूरी 4.5 किमी है| इस जगह से भी बहुत खूबसूरत नजारे दिखाई देते हैं| यहाँ पर आपको अच्छे रेस्टोरेंट भी मिल जाऐंगे|

Nainital

Photo of Nainital by Dr. Yadwinder Singh

नैनीताल में घुमक्कड़

Photo of Nainital by Dr. Yadwinder Singh

नैनी झील- तीन तरफ से पहाडों में घिरी नैनी झील की खूबसूरती बेमिसाल है| नैनीताल शहर इस झील के चारों तरफ फैला हुआ है| जब भी कोई टूरिस्ट नैनीताल आता है तो सबसे पहले नैनी झील🚣 ही जाता है| इस खूबसूरत झील टूरिस्ट को पहली नजर में ही आकर्षित करती है| आप इस खूबसूरत झील में बोटिंग भी कर सकते हो| नैनी झील के एक किनारे पर नैना देवी का प्राचीन मंदिर बना हुआ है जिसकी वजह से नैनीताल को यह नाम मिला है|

नैनी झील

Photo of नैनी झील by Dr. Yadwinder Singh

नैनीताल का चिड़िया घर बहुत सुन्दर है| यह ऊंचाई पर एक पहाडी़ पर बना हुआ है| आपको यहाँ हिमालय में पाऐ जाने वाले वन्य जीव और पक्षियों को नजदीक से देखने का मौका मिलेगा| मैं अपनी वाईफ और बेटी के साथ यहाँ पर आया था| अगर आपके साथ फैमिली भी जा रही है तो आपको इस चिड़िया घर में जरूर आना चाहिए| बच्चों को यह जगह बहुत पसंद आऐगी|

नैनीताल चिड़िया घर में घुमक्कड़

Photo of गोविंद बल्लभ पन्त उच्चस्थलीय प्राणीउद्यान by Dr. Yadwinder Singh

रानीखेत उतराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में समुद्र तल से 1850 मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ है| रानीखेत से आप हिमालय के खूबसूरत पर्वत श्रृंखला को देख सकते हो| इन पर्वतों की चोटियाँ दिन में सुबह दोपहर शाम को अलग अलग रंग की मालूम पड़ती है| रानीखेत के बारे में नीदरलैंड के राजदूत रहे वान पैलेन्ट ने एक बार कहा था "जिसने रानीखेत को नहीं देखा, उसने भारत को नहीं देखा|"
रानीखेत का नाम कैसे पड़ा- ऐसा कहा जाता है कि सैकड़ों वर्ष पहले कोई रानी अपनी यात्रा पर निकली हुई थी | इस क्षेत्र से गुजरते समय वह यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य से मोहित होकर रात्रि विश्राम के लिए रुकीं| बाद में उसको यह स्थान इतना अच्छा लगा कि उन्होंने यहीं पर अपना स्थाई निवास बना लिया| तब इस जगह पर छोटे छोटे खेत थे, इसीलिए इस स्थान का नाम रानीखेत पड़ गया| अंग्रेजों के शासनकाल में सैनिकों की छावनी के लिए इस क्षेत्र का विकास हुआ| अभी भी रानीखेत कुमाऊँ रेजिमेंट का मुख्यालय है| इसी वजह से रानीखेत का क्षेत्र काफी साफ सुथरा है|

कुमाऊँ रेजिमेंट मयुजियिम रानीखेत

Photo of रानीखेत रेंज by Dr. Yadwinder Singh

झूला देवी मंदिर रानीखेत

Photo of रानीखेत रेंज by Dr. Yadwinder Singh

हेड़ाखान मंदिर - रानीखेत से 6 किलोमीटर दूर यह जगह बहुत रमणीक है| यहाँ पर साधु हेड़ाखान का मंदिर बना हुआ है| यह जगह पिकनिक के लिए बहुत बढ़िया है|
शीतलाखेत- रानीखेत से 35 किमी दूर यह जगह बहुत खूबसूरत पर्यटन स्थल में विकसित हो गया है| यहाँ से हिमालय के खूबसूरत दृश्यों को निहारना बहुत अच्छा लगता है| ऊंचाई पर होने की वजह से यहाँ का नजारा बहुत दिलकश लगता है|
सुरर्ईखेत - यह जगह एक सुंदर मैदान के कारण लोकप्रिय है| यह जगह पहाड़ के शिखर पर बनी हुई है| यहाँ से द्वाराहाट, त्रिशूल, पांडु खोली, दूनगिरि आदि पहाड़ों को देख सकते हो|
रानीखेत कैसे पहुंचे- रानीखेत आप बस मार्ग से ही पहुँच सकते हो| रानीखेत अल्मोड़ा से 50 किमी, नैनीताल से 59 किमी, कौसानी से 62 किमी और दिल्ली से 381 दूर है| रानीखेत का नजदीकी एयरपोर्ट पंतनगर है जो रानीखेत से 119 किमी दूर है| अगर आप रेलवे मार्ग से रानीखेत जाना चाहते हैं तो आपको काठगोदाम रेलवे स्टेशन तक जा सकते हैं| काठगोदाम रेलवे स्टेशन से रानीखेत की दूरी 84 किमी है| रानीखेत में आपको रहने के लिए हर बजट के होटल मिल जाऐंगे|

रानीखेत

Photo of हैडाखान आश्रम by Dr. Yadwinder Singh

अल्मोड़ा कुमाऊँ का खूबसूरत शहर है| अल्मोड़ा कुमाऊँ की राजधानी भी रहा है| अल्मोड़ा को राजा कल्याण चंद ने बसाया था| अल्मोड़ा में आप नंदा देवी मंदिर, गोलू देवता मंदिर चिताई, कटारमल सूर्य मंदिर और कसार देवी आदि जगहों को देख सकते हो| अल्मोड़ा में रहने के लिए आपको हर बजट के होटल मिल जाऐंगे|

Photo of अल्मोडा by Dr. Yadwinder Singh

चोकौरी - कुमाऊँ के बागेश्वर शहर से 46 किमी दूर| चोकौरी एक खूबसूरत जगह है जो हिमालय के खूबसूरत दृश्यों के लिए मशहूर है| यहाँ का सनसेट देखने लायक है| टूरिस्ट यहाँ पर मुनस्यारी जाते समय एक रात के लिए रुकते है| यहाँ पर रहने के लिए कुमाऊँ मण्डल विकास निगम के टूरिस्ट रैसट हाऊस के एलावा बहुत सारे होटल भी मिलेगें जहाँ आप रुक सकते हो|

chakori

Photo of Chaukori by Dr. Yadwinder Singh

कौसानी
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में अलमोड़ा से 52 किमी दूर एक खूबसूरत हिल स्टेशन है कौसानी | कौसानी की खूबसूरती लाजवाब है | कौसानी एक छोटा सा हिल स्टेशन है कुमाऊँ का | यहाँ आपको नैनीताल की तरह भीड़भाड़ नहीं मिलेगी | कौसानी समुद्र तल से 6201 फीट की ऊंचाई पर बसा हुआ है| कौसानी से 25 किमी पहले का पहाड़ी रास्ता भी बहुत दिलकश है | कौसानी एक ऊंची पहाड़ी पर बसा हुआ है इसके दोनों तरफ उतराई है | कौसानी अपने हिमालयन वियू के लिए प्रसिद्ध है | अगर आप को कुदरत के करीब भीड़भाड़ से दूर किसी शांत जगह पर दो तीन दिन बिताने हो तो कौसानी बहुत बढ़िया जगह है | काठगोदाम से चलकर अलमोड़ा होते हुए कौसानी आने वाली सड़क ही कौसानी के चौराहे पर पहुंच जाती है | कौसानी के बीच बना हुआ चौराहा ही इस हिल स्टेशन का माल रोड़ है जहाँ आपको रोजमर्रा की सभी चीजें मिल जाऐगी| कौसानी की आबादी कोई 250- 300 ही होगी | कौसानी को आप पैदल ही घूम सकते हो |
हमारे होटल वाले बहुत अच्छे थे| इस होटल में रहने का फायदा तो यह था कि आप कुदरत की गोद में शांत वातावरण में रह सकते हो | यहाँ रहने के बाद आपको पहले ही खाने के बारे में बताना होगा| कौसानी वहाँ से दो किमी दूर है तो होटल वाले ताजी सबजी और सामान आपके आर्डर के हिसाब से ही लेकर आऐंगे| मेरी बिटिया रात को दूध पीती है कभी सुबह दो बजे , तीन बजे और सोने से पहले तो होटल वालों ने पास के गाँव से एक किलो दूध मंगवा दिया | अगले दिन सुबह हम होटल में आलू के परांठे और चाय के साथ ब्रेकफास्ट करके सुबह दस बजे के आसपास कौसानी घूमने के लिए निकले |
अनासक्ति आश्रम कौसानी
यह जगह कौसानी की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है| इस जगह का संबंध महात्मा गांधी से जुड़ा हुआ है| 1929 ईसवीं में जब महात्मा गांधी जी भारत यात्रा पर निकले थे तो कौसानी दो दिन के लिए आए थे| कौसानी की खूबसूरती उनको इतनी पसंद आई वह यहाँ 14 दिन रुक गए| कौसानी में ही गांधी जी ने अनासक्ति योग नाम की किताब की रचना की| इसी के नाम पर इस जगह पर अनासक्ति आश्रम की सथापना की गई| हम सुबह सुबह ही कौसानी के चौराहे से ऊपर जाती हुई सड़क पर चलते हुए अनासक्ति आश्रम के पास पहुंच गए| आश्रम की दिख बहुत सादी और दिलकश है | यहाँ पर अजीब सी शांति थी | मेरी बेटी आश्रम के गलियारे में अपने छोटे छोटे कदमों से दौड़ रही थी| हमने इस आश्रम के दर्शन किए | यहाँ की शांति, सादगी और सुंदरता को महसूस किया| इस आश्रम में गांधी जी से संबंधित तसवीरें और किताबों को संभाल कर रखा गया है| एक घंटा इस खूबसूरत जगह पर बिताने के बाद हम अपनी दूसरी मंजिल की ओर बढ़ गए|
सरला बहन आश्रम कौसानी
अनासक्ति आश्रम से वापस आते समय उसी सड़क पर एक और जगह बनी हुई है जिसका नाम सरला बहन आश्रम है | इसको लक्षमी आश्रम भी कहा जाता है| इस आश्रम को महात्मा गांधी जी की अनुयाई कैथरीन हिलमन ने बनाया था| वह लंदन छोड़ कर 1931 ईसवीं मेंक्ष भारत आ गई थी | वह गांधी जी के विचारों से बहुत प्रभावित थी | उन्होंने अपना नाम भी सरला बहन रख लिया था | कौसानी में आश्रम की सथापना का उद्देश्य कुमाऊँ की लड़कियों को आतम निर्भर बनाना था | हमने इस अद्भुत जगह की यात्रा भी की | इस जगह पर सरला बहन की तसवीरें लगी हुई है जिसपर उनके बारे में जानकारी दी गई है| यह जगह सचमुच कमाल की थी | इसके बाद हमारी अगली मंजिल भी एक संग्रहालय ही था |
सुमित्रानंदन पंत संग्रहालय कौसानी
सुमित्रानंदन पंत जी हिंदी भाषा के बहुत मशहूर कवि थे| उनका जन्म कौसानी में हुआ था| जहाँ उनका पुराना घर बना हुआ है| सरकार ने अब उनके घर को संग्रहालय में तब्दील कर दिया है| कौसानी के चौराहे से ऊपर की तरफ जाती हुई सड़क पर जाकर नीचे उतर कर एक छोटी सी गली में उनका घर बना हुआ है| हम भी सरला बहन संग्रहालय देखने के बाद सुमित्रानंदन पंत जी के घर पर पहुँच गए| पंत जी की किताबें और उनकी जिंदगी से संबंधित चीजें संभाल कर रखी हुई है| 20 मई को हर साल उनके जन्म दिन को यहाँ पर मनाया जाता है|

कौसानी के चाय बागान
पूरे कुमाऊँ में सिर्फ कौसानी में ही चाय के बागान मिलते हैं | आप कौसानी को कुमाऊँ का दार्जिलिंग भी कह सकते हो| कौसानी में 208 हेक्टेयर क्षेत्र में चाय उगायी जाती है| आप कौसानी यात्रा पर इन खूबसूरत चाय के बागानों में भी घूम सकते हो| आप कौसानी की लोकल चाय भी खरीद सकते हो|
कौसानी से हिमालय की ऊंची चोटियों को भी देख सकते हो| यहाँ से त्रिशूल पर्वत का बहुत खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है| इस तरह हमने कौसानी में दो रात और तीन दिन बिताए | कौसानी सचमुच बहुत खूबसूरत है इसीलिए महात्मा गांधी ने कौसानी को भारत का   स्विट्जरलैंड कहा था | आईए आप भी कौसानी घूमने के लिए|
कैसे पहुंचे- आपको कौसानी के लिए शेयर टैक्सी या बस काठगोदाम से मिल जाऐगी| आप अपनी गाड़ी से भी कौसानी घूम सकते हो| कौसानी अलमोड़ा से 52 किमी और नैनीताल से 117 किमी दूर है|

मेरी बेटी कौसानी में

Photo of Kausani by Dr. Yadwinder Singh

कौसानी

Photo of Kausani by Dr. Yadwinder Singh

अनाशक्ति आश्रम कौसानी

Photo of Kausani by Dr. Yadwinder Singh

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