कुमाऊँ उतराखंड का एक भाग है| कुमाऊँ में न सिर्फ उतराखंड बल्कि भारत के खूबसूरत हिल स्टेशन है | नैनीताल से लेकर रानीखेत, अल्मोड़ा, कौसानी, मुनस्यारी आदि खूबसूरत हिल स्टेशन देखने के लिए मिलेगें | इस पोस्ट में हम कुमाऊँ के खूबसूरत हिल स्टेशनों के बारे में जानेंगे|
नैनीताल
उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में नैनीताल भारत का मशहूर हिल स्टेशन है | नैनीताल जिले को झीलों का जिला भी कहा जाता है कयोंकि भारत में सबसे ज्यादा झीलें इस क्षेत्र में मिलेगी| नैनीताल की समुद्र तल से ऊंचाई 1936 मीटर है| नैनीताल के रमणीक स्थान पर सबसे पहले नजर 18 नवंबर 1841 ईसवीं को अंग्रेज़ अधिकारी बैरन की पड़ी थी| यह अंग्रेज अधिकारी इसकी खूबसूरती देखकर मंत्रमुग्ध हो गया था| उसने इसकी खूबसूरती के बारे में अंग्रेज शासकों को बताया| अंग्रेजों ने नैनीताल को शहर के रूप में विकसित करना शुरू कर दिया| नैनीताल संयुक्त प्रांत की ग्रीष्मकालीन राजधानी भी रहा है| तीनों तरफ से पहाडों से घिरा हुआ बीच में झील🚣 नैनीताल को बेएंतहा खूबसूरत बना देती है| नैनीताल रानीखेत से 60 किमी, अल्मोड़ा से 68 किमी, दिल्ली से 322 किमी, लखनऊ से 401 किमी दूर है|
नैना पीक - यह जगह नैनीताल से 6 किमी दूर है| समुद्र तल से नैना पीक की ऊंचाई 2611 मीटर है| इसको चायना पीक भी कहा जाता है| आप इस जगह पर पैदल चल कर भी जा सकते हो| नैना पीक से हिमालय की चोटियों का शानदार दृश्य दिखाई देता है|
टिफिन टाॅप - पिकनिक मनाने के लिए यह जगह बहुत ही सुंदर है| नैनीताल से इस जगह की दूरी 4.5 किमी है| इस जगह से भी बहुत खूबसूरत नजारे दिखाई देते हैं| यहाँ पर आपको अच्छे रेस्टोरेंट भी मिल जाऐंगे|
नैनी झील- तीन तरफ से पहाडों में घिरी नैनी झील की खूबसूरती बेमिसाल है| नैनीताल शहर इस झील के चारों तरफ फैला हुआ है| जब भी कोई टूरिस्ट नैनीताल आता है तो सबसे पहले नैनी झील🚣 ही जाता है| इस खूबसूरत झील टूरिस्ट को पहली नजर में ही आकर्षित करती है| आप इस खूबसूरत झील में बोटिंग भी कर सकते हो| नैनी झील के एक किनारे पर नैना देवी का प्राचीन मंदिर बना हुआ है जिसकी वजह से नैनीताल को यह नाम मिला है|
नैनीताल का चिड़िया घर बहुत सुन्दर है| यह ऊंचाई पर एक पहाडी़ पर बना हुआ है| आपको यहाँ हिमालय में पाऐ जाने वाले वन्य जीव और पक्षियों को नजदीक से देखने का मौका मिलेगा| मैं अपनी वाईफ और बेटी के साथ यहाँ पर आया था| अगर आपके साथ फैमिली भी जा रही है तो आपको इस चिड़िया घर में जरूर आना चाहिए| बच्चों को यह जगह बहुत पसंद आऐगी|
रानीखेत उतराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में समुद्र तल से 1850 मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ है| रानीखेत से आप हिमालय के खूबसूरत पर्वत श्रृंखला को देख सकते हो| इन पर्वतों की चोटियाँ दिन में सुबह दोपहर शाम को अलग अलग रंग की मालूम पड़ती है| रानीखेत के बारे में नीदरलैंड के राजदूत रहे वान पैलेन्ट ने एक बार कहा था "जिसने रानीखेत को नहीं देखा, उसने भारत को नहीं देखा|"
रानीखेत का नाम कैसे पड़ा- ऐसा कहा जाता है कि सैकड़ों वर्ष पहले कोई रानी अपनी यात्रा पर निकली हुई थी | इस क्षेत्र से गुजरते समय वह यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य से मोहित होकर रात्रि विश्राम के लिए रुकीं| बाद में उसको यह स्थान इतना अच्छा लगा कि उन्होंने यहीं पर अपना स्थाई निवास बना लिया| तब इस जगह पर छोटे छोटे खेत थे, इसीलिए इस स्थान का नाम रानीखेत पड़ गया| अंग्रेजों के शासनकाल में सैनिकों की छावनी के लिए इस क्षेत्र का विकास हुआ| अभी भी रानीखेत कुमाऊँ रेजिमेंट का मुख्यालय है| इसी वजह से रानीखेत का क्षेत्र काफी साफ सुथरा है|
हेड़ाखान मंदिर - रानीखेत से 6 किलोमीटर दूर यह जगह बहुत रमणीक है| यहाँ पर साधु हेड़ाखान का मंदिर बना हुआ है| यह जगह पिकनिक के लिए बहुत बढ़िया है|
शीतलाखेत- रानीखेत से 35 किमी दूर यह जगह बहुत खूबसूरत पर्यटन स्थल में विकसित हो गया है| यहाँ से हिमालय के खूबसूरत दृश्यों को निहारना बहुत अच्छा लगता है| ऊंचाई पर होने की वजह से यहाँ का नजारा बहुत दिलकश लगता है|
सुरर्ईखेत - यह जगह एक सुंदर मैदान के कारण लोकप्रिय है| यह जगह पहाड़ के शिखर पर बनी हुई है| यहाँ से द्वाराहाट, त्रिशूल, पांडु खोली, दूनगिरि आदि पहाड़ों को देख सकते हो|
रानीखेत कैसे पहुंचे- रानीखेत आप बस मार्ग से ही पहुँच सकते हो| रानीखेत अल्मोड़ा से 50 किमी, नैनीताल से 59 किमी, कौसानी से 62 किमी और दिल्ली से 381 दूर है| रानीखेत का नजदीकी एयरपोर्ट पंतनगर है जो रानीखेत से 119 किमी दूर है| अगर आप रेलवे मार्ग से रानीखेत जाना चाहते हैं तो आपको काठगोदाम रेलवे स्टेशन तक जा सकते हैं| काठगोदाम रेलवे स्टेशन से रानीखेत की दूरी 84 किमी है| रानीखेत में आपको रहने के लिए हर बजट के होटल मिल जाऐंगे|
अल्मोड़ा कुमाऊँ का खूबसूरत शहर है| अल्मोड़ा कुमाऊँ की राजधानी भी रहा है| अल्मोड़ा को राजा कल्याण चंद ने बसाया था| अल्मोड़ा में आप नंदा देवी मंदिर, गोलू देवता मंदिर चिताई, कटारमल सूर्य मंदिर और कसार देवी आदि जगहों को देख सकते हो| अल्मोड़ा में रहने के लिए आपको हर बजट के होटल मिल जाऐंगे|
चोकौरी - कुमाऊँ के बागेश्वर शहर से 46 किमी दूर| चोकौरी एक खूबसूरत जगह है जो हिमालय के खूबसूरत दृश्यों के लिए मशहूर है| यहाँ का सनसेट देखने लायक है| टूरिस्ट यहाँ पर मुनस्यारी जाते समय एक रात के लिए रुकते है| यहाँ पर रहने के लिए कुमाऊँ मण्डल विकास निगम के टूरिस्ट रैसट हाऊस के एलावा बहुत सारे होटल भी मिलेगें जहाँ आप रुक सकते हो|
कौसानी
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में अलमोड़ा से 52 किमी दूर एक खूबसूरत हिल स्टेशन है कौसानी | कौसानी की खूबसूरती लाजवाब है | कौसानी एक छोटा सा हिल स्टेशन है कुमाऊँ का | यहाँ आपको नैनीताल की तरह भीड़भाड़ नहीं मिलेगी | कौसानी समुद्र तल से 6201 फीट की ऊंचाई पर बसा हुआ है| कौसानी से 25 किमी पहले का पहाड़ी रास्ता भी बहुत दिलकश है | कौसानी एक ऊंची पहाड़ी पर बसा हुआ है इसके दोनों तरफ उतराई है | कौसानी अपने हिमालयन वियू के लिए प्रसिद्ध है | अगर आप को कुदरत के करीब भीड़भाड़ से दूर किसी शांत जगह पर दो तीन दिन बिताने हो तो कौसानी बहुत बढ़िया जगह है | काठगोदाम से चलकर अलमोड़ा होते हुए कौसानी आने वाली सड़क ही कौसानी के चौराहे पर पहुंच जाती है | कौसानी के बीच बना हुआ चौराहा ही इस हिल स्टेशन का माल रोड़ है जहाँ आपको रोजमर्रा की सभी चीजें मिल जाऐगी| कौसानी की आबादी कोई 250- 300 ही होगी | कौसानी को आप पैदल ही घूम सकते हो |
हमारे होटल वाले बहुत अच्छे थे| इस होटल में रहने का फायदा तो यह था कि आप कुदरत की गोद में शांत वातावरण में रह सकते हो | यहाँ रहने के बाद आपको पहले ही खाने के बारे में बताना होगा| कौसानी वहाँ से दो किमी दूर है तो होटल वाले ताजी सबजी और सामान आपके आर्डर के हिसाब से ही लेकर आऐंगे| मेरी बिटिया रात को दूध पीती है कभी सुबह दो बजे , तीन बजे और सोने से पहले तो होटल वालों ने पास के गाँव से एक किलो दूध मंगवा दिया | अगले दिन सुबह हम होटल में आलू के परांठे और चाय के साथ ब्रेकफास्ट करके सुबह दस बजे के आसपास कौसानी घूमने के लिए निकले |
अनासक्ति आश्रम कौसानी
यह जगह कौसानी की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है| इस जगह का संबंध महात्मा गांधी से जुड़ा हुआ है| 1929 ईसवीं में जब महात्मा गांधी जी भारत यात्रा पर निकले थे तो कौसानी दो दिन के लिए आए थे| कौसानी की खूबसूरती उनको इतनी पसंद आई वह यहाँ 14 दिन रुक गए| कौसानी में ही गांधी जी ने अनासक्ति योग नाम की किताब की रचना की| इसी के नाम पर इस जगह पर अनासक्ति आश्रम की सथापना की गई| हम सुबह सुबह ही कौसानी के चौराहे से ऊपर जाती हुई सड़क पर चलते हुए अनासक्ति आश्रम के पास पहुंच गए| आश्रम की दिख बहुत सादी और दिलकश है | यहाँ पर अजीब सी शांति थी | मेरी बेटी आश्रम के गलियारे में अपने छोटे छोटे कदमों से दौड़ रही थी| हमने इस आश्रम के दर्शन किए | यहाँ की शांति, सादगी और सुंदरता को महसूस किया| इस आश्रम में गांधी जी से संबंधित तसवीरें और किताबों को संभाल कर रखा गया है| एक घंटा इस खूबसूरत जगह पर बिताने के बाद हम अपनी दूसरी मंजिल की ओर बढ़ गए|
सरला बहन आश्रम कौसानी
अनासक्ति आश्रम से वापस आते समय उसी सड़क पर एक और जगह बनी हुई है जिसका नाम सरला बहन आश्रम है | इसको लक्षमी आश्रम भी कहा जाता है| इस आश्रम को महात्मा गांधी जी की अनुयाई कैथरीन हिलमन ने बनाया था| वह लंदन छोड़ कर 1931 ईसवीं मेंक्ष भारत आ गई थी | वह गांधी जी के विचारों से बहुत प्रभावित थी | उन्होंने अपना नाम भी सरला बहन रख लिया था | कौसानी में आश्रम की सथापना का उद्देश्य कुमाऊँ की लड़कियों को आतम निर्भर बनाना था | हमने इस अद्भुत जगह की यात्रा भी की | इस जगह पर सरला बहन की तसवीरें लगी हुई है जिसपर उनके बारे में जानकारी दी गई है| यह जगह सचमुच कमाल की थी | इसके बाद हमारी अगली मंजिल भी एक संग्रहालय ही था |
सुमित्रानंदन पंत संग्रहालय कौसानी
सुमित्रानंदन पंत जी हिंदी भाषा के बहुत मशहूर कवि थे| उनका जन्म कौसानी में हुआ था| जहाँ उनका पुराना घर बना हुआ है| सरकार ने अब उनके घर को संग्रहालय में तब्दील कर दिया है| कौसानी के चौराहे से ऊपर की तरफ जाती हुई सड़क पर जाकर नीचे उतर कर एक छोटी सी गली में उनका घर बना हुआ है| हम भी सरला बहन संग्रहालय देखने के बाद सुमित्रानंदन पंत जी के घर पर पहुँच गए| पंत जी की किताबें और उनकी जिंदगी से संबंधित चीजें संभाल कर रखी हुई है| 20 मई को हर साल उनके जन्म दिन को यहाँ पर मनाया जाता है|
कौसानी के चाय बागान
पूरे कुमाऊँ में सिर्फ कौसानी में ही चाय के बागान मिलते हैं | आप कौसानी को कुमाऊँ का दार्जिलिंग भी कह सकते हो| कौसानी में 208 हेक्टेयर क्षेत्र में चाय उगायी जाती है| आप कौसानी यात्रा पर इन खूबसूरत चाय के बागानों में भी घूम सकते हो| आप कौसानी की लोकल चाय भी खरीद सकते हो|
कौसानी से हिमालय की ऊंची चोटियों को भी देख सकते हो| यहाँ से त्रिशूल पर्वत का बहुत खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है| इस तरह हमने कौसानी में दो रात और तीन दिन बिताए | कौसानी सचमुच बहुत खूबसूरत है इसीलिए महात्मा गांधी ने कौसानी को भारत का स्विट्जरलैंड कहा था | आईए आप भी कौसानी घूमने के लिए|
कैसे पहुंचे- आपको कौसानी के लिए शेयर टैक्सी या बस काठगोदाम से मिल जाऐगी| आप अपनी गाड़ी से भी कौसानी घूम सकते हो| कौसानी अलमोड़ा से 52 किमी और नैनीताल से 117 किमी दूर है|