मसूरी उतराखंड की राजधानी देहरादून से 36 किमी दूर समुद्र तल से 2005 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है| मसूरी की खूबसूरती की वजह से इसको पहाड़ों की रानी भी कहा जाता है| मसूरी को देहरादून की छत भी कहते हैं| हर साल लाखों टूरिस्ट मसूरी घूमने आते हैं| दिल्ली से मसूरी की दूरी 278 किमी है | दिल्ली से बहुत सारे टूरिस्ट मसूरी घूमने आते हैं| मसूरी को विकसित करने का श्रेय अंग्रेज सेना के कप्तान यंग को जाता है| ऐसा माना जाता है 1820 ईसवीं में वह यहाँ आए और इस जगह की खूबसूरती से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने यहाँ अपना आवास बना लिया| इसके बाद अंग्रेजों ने इस जगह को विकसित करना शुरू कर दिया| फिर धीरे धीरे यह एक पर्यटन-केंद्र के रूप में विकसित हो गया|
मसूरी नाम कैसे पडा़??
ऐसा माना जाता है कि काफी साल पहले यहाँ मंसूर के पौधे बहुत ज्यादा हुआ करते थे| इसीलिए इस जगह को मंसूरी कहा जाने लगा जो बाद में मसूरी में बदल गया|
पहाड़ों की बात निराली होती हैं, अब तक पता नहीं कितने हिल स्टेशन देख लिए लेकिन पहाड़ हर बार नयी ताजगी देते हैं, प्रकृति का बहुत सुंदर तोहफा हैं पहाड़, अक्सर साल में दो तीन बार पहाड़ों पर जाना होता हैं, जयादातर हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों की ओर लेकिन अब उतराखंड के पहाड़ों पर भी जाना शुरू कर दिया है, ऐसे खूबसूरत नजारे ही बार बार पहाड़ों पर आने के लिए बुलाते हैं, अक्सर जब लोगों को रात को नींद नहीं आती, टैंशन से धीरे धीरे डिप्रेशन की ओर चले जाते है घर की , सामाज की समस्या से लड़ते लड़ते, फिर नींद की गोलियों से सिलसिला शुरू होता हैं, मन उदास रहने लगता हैं, अंदर ही अंदर रोने को मन करता हैं, एक डॉक्टर होने के नाते ऐसे मरीज रोज आते हैं, दोस्तों मैं उन को भी कहता हूँ आप जिंदगी के झमेलों को तीन दिन तक तयाग कर पहाड़ों पर घूमने जाओ, ऐसी जगह जाओ जो शोर शराबे से दूर हो, जहां बादल अठखेलियां करते हो पहाड़ों पर, कुदरत उतसव मनाती हो, उस जगह पर जब आप कुदरत को इतनी करीब से देखोगे महसूस करोगे तो आपका टैंशन छूमंत्र हो जायेगा, कुछ फुर्सत के पल अपने आप से बातें करने के लिए रखों उस जगह जाकर जहां आप और प्रकृति साथ साथ हो, पास पास हो। यह खूबसूरत दृश्य उतराखंड के मशहूर हिल सटेशन मसूरी के है सितंबर 2018 के, आओ कभी कुछ शामें बिताओ इन खूबसूरत पहाड़ों पर।
मसूरी से 13 किलोमीटर दूर कैम्पटी फाल मसूरी का सबसे बड़ा और सुंदर वाटरफॉल है| इस जगह का नाम मसूरी के सबसे महत्वपूर्ण टूरिस्ट प्लेस में आता है| यहाँ पर 40 फीट की ऊंचाई से जलधारा नीचे गिरती है| कहा जाता है कि 1835 ईसवीं में अंग्रेज शासक जॉन मेकनिन ने इस जगह को विकसित किया| यहाँ पर अंग्रेजों की चाय पार्टी हुआ करती थी| इसीलिए इस जगह का नाम कैम्प टी पड़ा| जिसको बाद में कैम्पटी कहा जाने लगा| ऊंचाई से गिरते हुए इस झरने के नीचे नहाने का अपना ही आनंद है| जो भी मसूरी घूमने आता है वह इस वाटरफॉल पर जरुर आता है|
गन हिल- यह मसूरी की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है| अंग्रेजों के समय में यहाँ एक तोप रखी रहती थी जिसमें प्रतिदिन दोपहर 12 बजे गोला दागा जाता था ताकि लोगों को समय का पता चल सके| इस तोप (गन) की वजह से इस पहाड़ी का नाम गन हिल पड़ा| गन हिल के शिखर तक पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं | एक तो आप रोपवे से जा सकते हो| 400 मीटर की इस दूरी को आप रोपवे में पूरी कर सकते हो| दूसरा आप माल रोड से पैदल चलकर 20 मिनट में पहुँच सकते हो| इसके ऊपर से मसूरी का बहुत खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है|
लाल टिब्बा - मसूरी के पुराने क्षेत्र लंढोर में लाल टिब्बा है| यह मसूरी की सबसे ऊंची चोटी है| यह मसूरी का खूबसूरत क्षेत्र है| यहाँ पर बड़ी दूरबीन🔭 है जिसको 1967 में यहाँ की नगरपालिका ने जापान से मंगवाकर लगवाया था| इस दूरबीन से आप बंदरपूछ, केदारनाथ आदि तक की चोटिया देख सकते हो|
कैमल्स बैक रोड़- ऊंट की पीठ के आकार का होने के कारण इस जगह को कैमल्स बैक रोड कहा जाता है| यह रास्ता 3 किमी लंबा है| यहाँ आप टहल कर या घोड़सवारी का मज़ा लेते हुए जा सकते हो| सूर्योदय का यहाँ से बहुत खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है|
कैसे पहुंचे- मसूरी देहरादून से 37 किमी दूर है| मसूरी के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन देहरादून है| आप देहरादून तक रेलवे मार्ग से आ सकते हो| देहरादून भारत के अलग अलग शहरों से रेलवे मार्ग से जुड़ा हुआ है| देहरादून से आप बस या टैक्सी लेकर आ सकते हो|
रहने के लिए मसूरी में आपको हर बजट के होटल मिल जाऐंगे|