देवभूमि उत्तराखंड की महानता किसी से छुपी हुई नहीं है। हिमालय की तलहटी में बसा हुआ उत्तराखंड अनेकों दिव्य एवं महान मंदिरों का मूल स्थान है। उत्तराखंड में हिंदुओं के परम पावन तीर्थ गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से चारधाम कहा जाता है। इनके अलावा भी उत्तराखंड में कई प्रमुख नगर, मंदिर, नदियाँ और देवस्थल हैं जिनका हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है। हालाँकि देश-विदेश के हिन्दू इन धार्मिक स्थलों की यात्रा करने के लिए उत्तराखंड आते रहते हैं लेकिन कई ऐसे भी धर्मस्थल हैं जो आज भी दुर्गम हैं और जिनके बारे में भक्तों को बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है। इनमें से एक है, भविष्य बद्री जो उत्तराखंड में पंच बद्री कहे जाने वाले तीर्थ क्षेत्रों में से एक है।
पंच बद्री :
बद्रीनाथ (विशाल बद्री) के उत्तर-पश्चिमी भाग में 24 किमी दूर स्थित सतोपंथ से दक्षिण में नंदप्रयाग तक का क्षेत्र ‘बद्रीक्षेत्र’ कहलाता है। इस क्षेत्र में भगवान विष्णु को समर्पित पाँच मंदिर हैं जो सामूहिक रूप से पंच बद्री कहे जाते हैं। बद्रीनाथ या विशाल बद्री प्रमुख मंदिर है। इसके अलावा चार अन्य मंदिर हैं, योगध्यान बद्री, भविष्य बद्री, वृद्ध बद्री और आदि बद्री।
भविष्य बद्री -
कहते हैं कि जब गंगा नदी धरती पर अवतरित हुई, तो यह 12 धाराओं में बंट गई। इस स्थान पर मौजूद धारा अलकनंदा के नाम से विख्यात हुई और यह स्थान बदरीनाथ, भगवान विष्णु का वास बना। वैसे ही उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ से 21 किमी की दूरी पर स्थित है भविष्य बद्री मंदिर, जो कि पंचबद्री में से एक है। भविष्य बद्री उत्तराखंड के पंचबद्री बद्रीनाथ, योग-ध्यान बद्री, आदिबद्री, वृद्ध बद्री में सम्मलित है।
यहाँ पहुँचने के लिए जोशीमठ से 15 किमी तपोवन तक सड़क मार्ग है जिसके बाद धौली गंगा के किनारे स्थित तपोवन के समीप रिंगि गाँव से 5 किमी और सलधार नामक स्थान से 6 किमी का पैदल यात्रा तय कर मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। देवदार के जंगलों के बीच में स्थित भविष्य बद्री मंदिर की शोभा देखते ही बनती है। वहीं जाड़ों में मंदिर का यह सम्पूर्ण क्षेत्र बर्फ से पट जाता है। जो इसे और खूबसूरत बना देता है। भविष्य बद्री मंदिर सालभर भक्तों के लिए खुला रहता है।
मान्यताओं के अनुसार-
इसके पीछे एक कहानी भी हम आपको बता रहे हैं, जो लगभग सच भी हो रही है। जोशीमठ में शीतकाल के दौरान भगवान बद्रीनाथ रहते हैं। हां बद्री रहते हैं, वहीं भगवान नृसिंह की एक मूर्ति रखी है। इस मूर्ति के साथ कुछ अकल्पनीय घटनाएँ हो रही हैं। कहा जा रहा है कि वक्त के साथ साथ इस मूर्ति की एक भुजा पतली होती जा रही है।
इसके साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि जिस दिन ये भुजा बेहद पतली होकर टूट जाएगी, उस दिन नर और नारायण पर्वत एक हो जाएंगे। अब आपको भविष्य बद्री के बारे में भी बता देते हैं। इसके बारे में कहा जाता है कि यहां मंदिर के पास ही एक शिला मौजूद है। इस शिला को अगर आप ध्यान से देखेंगे तो आपको इसमें भगवान की आधी आकृति ही नजर आएगी। कहा जाता है कि जिस दिन ये आकृति साफ साफ दिखने लगेगी, या फिर यूं कहें तो पूर्ण रूप ले लेगी, उस दिन भगवान बद्रीनाथ यहां विराजमान होंगे। भविष्य बदरी के पुजारी कहते हैं कि धीरे-धीरे इस शिला पर भगवान की दिव्य आकृति उभरती जा रही है। इसके साथ ही कहा जा रहा है कि जो हमारे शास्त्रों और पुराणों में लिखा गया है, वो बात भी सत्य होती जा रही है
कैसे पहुंचे-
हालाँकि उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति ही ऐसी है कि यहाँ परिवहन के साधन बहुत सीमित हैं। जोशीमठ के सबसे नजदीक स्थित हवाई अड्डा देहरादून स्थित जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है जो लगभग 268 किमी की दूरी पर है। ऋषिकेश, जोशीमठ का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है जो लगभग 250 किमी की दूरी पर है।