बद्रीनाथ की पावन धरती पर बद्रीनाथ धाम के पट इस सीजन के लिए खुल गएं है, तो देर किस बात कि जान लीजिए इन जगहों को और यहां पर जरूर जाएं..🏔
भगवान विष्णु को समर्पित बद्रीनाथ के वर्तमान मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य द्वारा 1200 साल पहले, प्राचीन बद्रीनाथ मंदिर का पुनरुद्धार करके बनवाया गया था। चार धामों में से एक यह हिन्दुओं की आस्था का एक अभिन्न हिस्सा है। बद्रीनाथ में कई पर्यटक आकर्षण हैं जो आपकी यात्रा को यादगार बना देते हैं। तो आइये चलें फिर.......🚙🏞
बद्रीनाथ मंदिर से लगभग 45 मिनट ट्रेक करके भगवान विष्णु की वास्तविक चरण पादुका बिंदु के दर्शन एक गुफा में करें.
जैन धर्म का बहुत सुंदर और प्रतिष्ठित मंदिर है अष्टापद जैन मंदिर, जरूर देखें।
बद्रीनाथ मंदिर से बिल्कुल नजदीक एक प्राकृतिक सल्फर युक्त गर्म पानी का सोता है जो अलकनंदा में मिलता है। इस कुंड में स्नान करके त्वचा को लाभान्वित करने वाले अनुभव का आनंद लें।
बद्रीनाथ-माना रोड पर बद्रीनाथ से निकलते ही इस हेलीपैड से पहाडियों के बीच ऊपर उठते और नीचे उतरते हेलिकाप्टर की कलाबाजियां देखें. भारतीय सैन्य बलों की क्षमता देखें।
नीलकंठ चोटी के ग्लेशियर से निकलने वाली ऋषि गंगा नदी को बलखाते हुए नीचे अलकनंदा में मिलते हुए देखिए। यहां कुछ देर रुककर इस नदी में गिरती उर्वशी धारा के जल-प्रवाह की ध्वनि को सुनिए।
बद्रीनाथ से 2 किमी की दूरी पर अलकनंदा किनारे स्थित इस स्थान पर अपने मृत और पूर्वजों के पिण्ड दान के लिए लोग आते हैं
यहां आप बद्रीनाथ में रुकने के लिए, खासकर परिवार के साथ यहां आपको अच्छी सुविधाएं मिल जाएंगी।
बद्रीनाथ से नीलकंठ के ट्रेक पर ऋषि गंगा नदी के साथ-साथ चलते हुए समुद्रतल से करीबन 4 किमी की ऊंचाई पर बर्फ से ढके पहाड़ों, सर्दियों में जम जाने वाली नदी और बहुत ही सुंदर नजारे देखिए।
नर और नारायण पहाड़ों के बीच बद्रीनाथ टाउन बसा हुआ है।
तो आइए अब जानते है माना में स्थित पर्यटक आकर्षणों के बारे में-
बद्रीनाथ से बस 15 मिनट यानी लगभग 5 किमी दूर, 3200 मीटर की समुद्रतल से ऊंचाई पर स्थित है, भारत का आखिरी गांव माना ! ये छोटा सा गांव अपने आप मे देखने के लिए इतनी जगहें और कहानियां समेटे है कि आपको निराशा तो बिल्कुल नहीं होगी। यहां पर इन स्थानों को जरूर विजिट करें-
माना जाता है कि अपनी स्वर्ग यात्रा के दौरान पांडवों में से भीम ने द्रौपदी को सरस्वती नदी पार कराने के लिए एक बहुत बड़ी चट्टान को नदी के आरपार रखकर एक पुल बनाया था और आज भी वही चट्टान सरस्वती नदी के आरपार एक पुल की तरह रखी देखी जा सकती है।
मान्यता है कि वेदव्यासजी ने चार वेदों की रचना यहीं पर की थी। पौराणिक काल को महसूस करने यहां जाएं।
माना से 50 किमी लंबा माना पास का रास्ता आपको दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल रोड पर एसयूवी और मोटरबाइक की सबसे रोमांचकारी राइड करने का सपना पूरा कर सकता है। इसके लिए आपको SDM, जोशीमठ और ITBP से परमिट लेना पड़ेगा।
अतुलनीय सुंदरता लिए वसुधारा जलप्रपात को देखने माना से लगभग 2 घंटे (9 किमी) का ट्रेक करें। इसकी नदी घाटी के विहंगम दृश्य आपको तरोताजा कर देंगे।
माना पास या माना ला के रास्ते मे ये एक शानदार झील पड़ती है, जिसे देखने का सौभाग्य कुछ ही लोगों को मिल पाता है।
4600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस प्राकृतिक झील और ग्लेशियर को देखने के लिए आपको कठिन चट्टानी पगडण्डियों पर चलना पड़ेगा।
यहां सरस्वती नदी का उद्गम होता है, जो आगे जाकर केशवप्रयाग में अलकनंदा में मिल जाती है।
गणेशजी जी ने यहां, गणेश गुफा में बैठकर वेदव्यास जी की बतायी हुई महाभारत लिखी थी।
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