उत्तराखंड के चमोली जिले में एक गाँव है - माणा |
लोग कहते हैं कि इस गाँव में जो भी जाता है, उसके सारे पाप तो धुलते ही हैं, साथ ही वो अमीर भी हो जाता है |
माणा की कहानी
ऐसा माना जाता है कि भारत का आख़िरी गाँव माने जाने वाले माणा में माणिक शाह नाम का व्यापारी रहता था, जो काफ़ी पहुँचा हुआ शिव भक्त भी था | एक बार व्यापार के सिलसिले में आने-जाने के दौरान कुछ लुटेरों ने उसे लूट कर गर्दन काटके मार डाला |
माणिक की भक्ति इतनी प्रचंड कि कटा हुआ सिर भी शिव नाम का जाप करता रहा | ऐसी भक्ति देख कर खुद शिव प्रकट हुए और माणिक के शरीर पर वराह यानी सुअर का सिर जोड़ उसे ज़िंदा किया | साथ ही उसकी भक्ति से खुश हो कर ये वरदान भी दिया कि जो भी माणा गाँव आएगा उसकी ग़रीबी तो दूर होगी ही, साथ ही वो अमीर भी जो जाएगा | उस दिन से माणा गाँव में शिव के रूप मणिभद्र की पूजा होती है |
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कहाँ है माणा ?
माणा गाँव उत्तराखंड के चमोली जिले का एक छोटा सा गाँव है, जिसे भारत का आख़िरी गाँव भी कहा जाता है | ऐसा इसलिए क्योंकि ये गाँव भारत-तिब्बत सीमा से बिल्कुल सटा हुआ है |
हिंदू धर्म के चार धामों में से एक बद्रीनाथ से सिर्फ़ 3 किलोमीटर दूर माणा में व्यास और गणेश गुफा भी है | कहा जाता है कि यही बैठकर वेद व्यास ने गणेश को महाभारत बोलकर सुनाई थी, जिसे गणेश ने अपने हाथों से लिखा था| मगर इसके बारे में बाद में बात करेंगे |
कैसे पहुँचें
माणा गाँव हरिद्वार से लगभग 245 कि.मी. दूर है | हरिद्वार और ऋषिकेश दोनों जगहों से माणा तक के लिए नैशनल हाइवे 58 से जाते हुए रास्ते में बद्रीनाथ और जोशीमठ नाम के बड़े कस्बे आते हैं |
माणा पहुँचने के लिए सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन आपको हरिद्वार में ही मिलेगा | फिर हरिद्वार से लगभग 245 कि.मी. का सड़क का सफ़र | हरिद्वार से माणा के लिए किराए की गाड़ी या पब्लिक बस मिल जाती है |
देहरादून में एयरपोर्ट है, और यहाँ से सड़क के रास्ते से माणा लगभग 319 कि.मी. दूर है |
देखने लायक ख़ास जगहें
व्यास गुफा
माणा गाँव में सरस्वती नदी के किनारे बद्रीनाथ से सिर्फ़ 5 कि.मी. दूर व्यास गुफा है | ऐसा माना जाता है कि महर्षि वेद व्यास ने इसी गुफा में बैठ कर महाभारत के साथ ही 18 पुराण, ब्रह्म सूत्र और चारों वेदों की रचना की थी | इस गुफा की छत भी किताब के पन्नों के आकार में हैं |
भीम पुल
माणा गाँव से थोड़ा आगे भीम पुल आता है जिसकी कहानी और भी दिलचस्प है | कहते हैं कि पांडव अपना राज-पाठ छोड़ कर जब स्वर्ग की ओर जा रहे थे तो वे माणा गाँव से होकर गुज़रे | रास्ते के एक झरने को पार करने के लिए पांडवों में सबसे ताकतवर भाई भीम ने चट्टान फेंक कर पुल बनाया था |
बद्रीनाथ मंदिर
जैसा की बताया, बद्रीनाथ मंदिर माणा गाँव से सिर्फ़ 3 कि.मी. दूर है| बद्रीनाथ मंदिर भी अपने आप में बड़ा रहस्यमय है | कहा जाता है कि 8वीं शताब्दी तक ये मंदिर एक बौद्ध मठ हुआ करता था | फिर आदि शंकराचार्य ने इसे विष्णु मंदिर में तब्दील कर दिया |
तप्त कुंड
बद्रीनाथ मंदिर के थोड़ा नीचे गरम पानी के कई कुंड है | कहते हैं कि अग्नि देवता यहाँ बसते हैं | वैगयानिक रूप से समझें तो पानी गरम होने का कारण यहाँ के पहाड़ों में मिला सल्फर है | बाहर चाहे जितनी ठंड पड़ रही हो, मगर इस कुंड का पानी हमेशा 55 डिग्री सेल्सियस पर रहता है | देश भर से श्रद्धालु इस पानी में डुबकी मारने आते हैं | माना जाता है कि इसमें डुबकी लगाने से शरीर की काफ़ी बीमारियाँ ख़त्म हो जाती हैं |
माणा का और क्या मशहूर है
माणा का लोक नृत्य बाग़ड़वाल भी भारत की संस्कृति का एक अटूट अंग माना जाता है | इस डांस में आदमी और औरत दोनों हिस्सा लेते हैं |
इसके अलावा भारत के पर्यटन विभाग ने माणा को पौराणिक महत्व के चलते 'रूरल टूरिज़्म' यानी ग्रामीण पर्यटन के लिए ख़ास तौर पर चुना है |
अगर आप भगवान में विश्वास ना भी करते हों तो भी माणा घूमने का विचार ज़रूर बनाइए | माणा की कहानियों को "गेम ऑफ थ्रोन" जैसा समझ लीजिए|
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