DEHRADUN में यूँ शुरू हुआ सफ़र
शायद संयोग इसे ही कहते है हम दो दोस्त श्याम को यूंही चाय पीने निकले थे कि अचानक से मन मे ख्याल आया कि कही घूम आते है, पर कहाँ इसका पता नही वेसे तो हमको बाइक से ट्रैवल करने का बहुत शौक था ही तो हमने बाइक से बद्रीनाथ की यात्रा करने का सोच ही लिया। ओर इस तरह हमारा सफर शुरू हुआ।
शुरुआत में हम असमंजस में थे कि ठंड के मौसम में किस तरह से जाएँगे, ऊपर से पहाड़ी रास्ता जिसमे बाइक चलाना बहुत ही कठिन होगा पर कहते है ना अगर कुछ मन मे ठान लो तो कोई भी कार्य मुश्किल नही होता। तो हमने अपनी तैयारी शुरू कर दी ।
अब हमें एक बाइक की ज़रूरत थी जो पहाड़ी रास्तो में सही से चले तो हमने Royal Enfield Classic 350 रेंट पे लेने का निर्णय लिया जो कि हमने DEHRADUN BIKE RENTAL CELEMTOWN से ₹1200/day के हिसाब से ले ली।
बाइक से ट्रैवल करते समय हमें कई बातों का ध्यान रखना होता है क्योंकि रास्तो पर कोई परिस्थिति आ सकती है तो उसके लिए हमें पहले से तैयार होना पड़ता है जिसके लिए हमने बाइक निम्न एसेसरीज एक्स्ट्रा रख ली
1. क्लच वायर
2. रेस वायर
3. स्पार्क प्लग
4.टायर टयूब
5. पंचर किट
6. चैन स्प्रे
यह सब इक्विपमेंट रखने के बाद हम काफी हद तक निश्चिंत हो गए कि कोई भी परिस्थिति आएगी तो हम उससे निपट सकते है। उसके बाद हमने अपनी पैकिंग स्टार्ट की ओर हर तरह का ज़रूरत का सामान लिया जो हमे रास्ते मे तथा बद्रीनाथ में काम आने वाला था। अब हम पूरी तरह तैयार थे बस अगले दिन सुबह होने का इंतेज़ार था।
RISHIKESH- GANGA Kinare
18 नवंबर 2108 सुबह 6 बजे उठ कर हमने अपने जाने को तैयारी शुरू कर दी और ठीक 7 बजे हम देहरादून अपने घर से बद्रीनाथ के लिए निकल गए। चूंकि बद्रीनाथ का रूट ऐसा है कि आपको रास्ते मे अनेक ऐसी जगह मिलेगी जहाँ आप खुद को रोक नहीं पाओगे बिना रुके इसलिए हमने सुबह जल्दी निकलने का निर्णय लिया।
देहरादून से निकलने के बाद हम 1घंटे बाद ऋषिकेश पहुँच गए। ऋषिकेश अपने आप में ही एक प्रसिद्ध टूरिस्ट प्लेस है तो हमने वहाँ रुक के गंगा किनारे बैठ के कुछ समय रुकने का फैसला किया।
ऋषिकेश जो कि एक बहुत ही सुंदर जगह है वहाँ की हर गली में भक्ति है वहाँ पहुच के आपके ह्रदय को एक अलग ही भाव मिलता है। हम राम झूला के नज़दीक गंगा किनारे पे गए वहाँ बैठ के जो आनंद आया उसका विवरण देना मुश्किल है परंतु हम ये तो समझ गए थे कि आगे की जर्नी हमारी बहुत ही खूबसूरत होने वाली है।
लंबा सफ़र होने के कारण हम ज्यादा देर रुक नहीं पाए इसलिए हमने अपने आगे का सफर शुरू किया और निकल पड़े अपनी बाइक ले के पहाड़ों की वादियों की तरफ
ऋषिकेश से निकलने के बाद हम सीधा BYASI में रुके वहाँ हमे खाना खाया।
BYASI वेसे तो बहुत छोटी सी जगह है पर वहाँ से आप पहाड़ो का नज़ारा ले सकते हो खाना खाने के बाद बिना रुके हम आगे की तरफ चल दिये अब हमारी नेक्स्ट डेस्टिनेशन देवप्रयाग थी जिसके बारे हमने बहुत सुना था तो हम बहुत उत्सुक थे वहा पहुँचने को इसलिए अब हमारी बाइक की रफ़्तार भी थोड़ी बढ़ गयी थी।
BYASI से करीब 90 मिनट ट्रैवल करने के बाद हम देवप्रयाग पहुँच गए। देवप्रयाग पाँच प्रयागों में से एक प्रयाग है जो कि बहुत की सुंदर है। देवप्रयाग वह स्थान है जहाँ अलकनंदा ओर भागीरथी नदी का मिलन होता है ओर फिर वो गंगा के नाम से जानी जाती है इन दोनों नदियों का संगम एक बहुत ही सुंदर नज़ारा पेश करता है। कुछ समय यहाँ रुकने के बाद हम आगे बद्रीनाथ की तरफ बढ़ गए।
देवप्रयाग से निकलने के बाद हमारी अगली मंजिल श्रीनगर थी चूंकि बाइक चलाते हुए थोड़ी थकान और ज़ोरो की भूख भी लगने लगी थी तो हमने फैसला किया क्यों ना श्रीनगर में रुक कुछ खाया जाए तो हम वहाँ रुक गए ।
देवप्रयाग से श्रीनगर तक का सफ़र काफी रोमांचक रहा बड़े बड़े पहाड़ो से गुजरती हुई रोड नदियों के किनारे सब जैसे परफेक्ट दिर्श्य हो। पहाड़ों की यह खासियत है वहाँ आपको कभी वीरान सा नहीं लगता सबकुछ हराभरा सुंदर सा प्रतित होता है।
श्रीनगर में हमने खाना खाया जो कि बहुत ही अच्छा था। उसके बाद हमने अपनी बाइक की हल्की पुलकि सर्विसिंग कराई ओर कुछ देर रुकने के बाद निकल गए।
रूद्रप्रयाग हमारा अगला स्टॉप था पर हम श्रीनगर में लंच कर के आये थे तो हमने यहाँ ज्यादा समय रुकने का फैसला नहीं किया। रुद्रप्रयाग उत्तराखंड का एक डिस्ट्रिक है जो कि काफी ही सुंदर है एक तरफ नदी एक तरफ पहाड़ वाले रास्तो का आनंद लेते हुए हम आगे की ओर बढ़ते गए।
रुद्रप्रयाग से हम सीधा जोशीमठ गए क्योंकि हमें रात होने से पहले वहाँ पहुँचना था तो हम बीच रास्ते में कहीं रुके नहीं हालाकि इस दौरान गौचर, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग, चमोली जैसी प्रसिद्ध ओर सुंदर नज़ारे पेश करने वाली जगह पड़ी थी पर समय कम होने के करण हम रुक नहीं सके तो हमने सोचा यहाँ हम अगली बार घूम लेंगे ।
जोशीमठ पहाड़ो की गोदी में बसा बहुत ही खूबसूरत स्थान है यहाँ मात्र 16 km की दूरी पे औली है जो कि बहुत की प्रसिद्ध है स्किंग ओर अन्य स्नो एडवेंचर के लिए।
चुँकी रात होने लगी थी तो हमने वहाँ अपने रुकने की व्यवस्था की उसके बाद कुछ देर वहा आराम किया बता दुँ की पहाड़ों में बाइक का सफर इतना आसान नहीं होता है पर रास्ते मे दिखने वाले दिर्श्य इतने सुहाने होते है कि उन मुश्किल को इंसान भूल सा जाता है कुछ पल के लिए।
रात को खाना खाने के बाद हम जोशीमठ के मार्किट से अलग एकांत वाले स्थान पे चले गए कुछ टाइम वहा बैठ के पहाड़ो की हवा का आनंद लिया और वापिस आ गए।
जोशीमठ में सुबह का नाश्ता करने के बाद हम सीधा बद्रीनाथ के लिए चल पड़े। सुबह सुबह का वक़्त पहाड़ों में बहुत ही हसीन होता है ठंडी-ठंडी हवा के साथ सूर्य की वो पहली किरण आपके दिल दिमाग को तरोताज़ा कर देती है जैसे जैसे हम बद्रीनाथ की तरफ में बढ़ रहे थे वेसे वेसे हमारी उत्सुकता ओर बढ़ रही थी बाइक से इतना लंबा सफर करना बहुत ही चुनोतीपूर्ण होता है और हमे हमारी मंज़िल अब कुछ ही दूर नज़र आ रही थी।
एक तरफ पहाड़ एक तरफ बहती नदी ऊपर से ठंड का मौसम मानो जैसे एक अदभुत एहसास दे रहा दूर दूर बर्फ से ढकी हुई पहाड़िया अब धीरे धीरे करीब नज़र आने लगी थी। इन सब नज़ारों का आनंद लेते हुए पता ही नही कब हम बद्रीनाथ पहुँच गए चूंकि ठंड का मौसम था तो हर तरह लोगो आपस मे इकट्ठा हो के आग की आँच लेते हुए नज़र आ रहे थे।।
हमे रात बद्रीनाथ में ही रुकना था तो हमने सबसे पहले रूम की व्यवस्था की अपना सामान रखा और अब मंदिर के दर्शन के लिए निकल पड़े।
बाहर सड़क पे निकलने पर हमने पाया वहाँ श्रद्धालुओं की काफी भीड़ थी तथा अलग अलग जगह ओर लोगों ने आने वाले यात्रियों के लिए दूध चाय बिस्कुट का वितरण किया जा रहा था पर पर अभी हमारा मन सिर्फ मंदिर के दर्शन के लिए उत्साहित था तो हम सीधा मंदिर की तरफ चल पड़े
कुछ दूर चलने पर हम मंदिर पहुँच गए बदरीनाथ का भव्य मंदिर जो कि चारो तरफ से गेंदे के फूलों से सज़ा हुआ था तथा उन फूलो की खुश्बू से आसपास का वातावरण महक रहा था बर्फ की पहाड़ियों से गिरा हुआ बद्रीनाथ का मंदिर अत्यंत सुंदर दिख रहा था वहाँ पहुँच के मन को अलग ही शांति मिल रही थी।।
सबसे पहले हमने वहाँ तप्त कुंड में स्नान किया फिर मंदिर में भगवान के दर्शन किए । तप्त कुंड के गर्म पानी में स्नान कर बड़ा ही आनंद आया वहाँ स्नान करने के बाद मानो जैसे ठंड बिल्कुल दूर हो गयी हो।
मंदिर दर्शन के बाद हम आसपास की कुछ जगह में घूमने गए फिर रात को भंडारे में खाना गया और रात भर इधर उधर घूम ओर लोगो के साथ बातचीत कर बिताई।
बद्रीनाथ की यात्रा मेरे लिए बहुत ही सुखद रही और मैने इसका पुर्ण आनद लिया और ऐसी भविष्य में भी अनेक यात्रा करने का मन बनाया
BADRINATH की यात्रा की यादों को हमने तस्वीरों में कैद कर अपने साथ ले आये ओर अगले ही दिन हम वापिस देहरादून के लिए निकल गयी।
यह यात्रा मेरे लिए बहुत यादगार रही।