देवभूमि के नाम से पहचाने जाने वाले इस राज्य में भारत की सबसे ऊँची पर्वत चोटियों में से कुछ तो हैं ही, साथ ही भारत की कुछ सबसे बड़ी नदियाँ भी यहीं से निकलती हैं | हर साल ढेर सारे सैलानी उत्तराखंड में तीर्थ यात्रा करने तो आते ही हैं, साथ ही यहाँ के टूरिस्ट स्पॉट्स पर घूमने भी आते हैं |
उत्तराखंड घूमने के लिए मेरे पास एक हफ़्ता था | इस एक हफ्ते में मैने हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून और मसूरी घूमने की सोची | मगर मसूरी में मुझे लंडौर और धनौल्टी के बारे में भी काफ़ी कुछ सुनने को मिला था, तो मैं इसके बारे में जानने भी निकल पड़ा |
ज़िंदगी के इस रोमांचक सफ़र पर मैं मुट्ठी भर रुपयों के साथ निकल पड़ा |
मैं दिल्ली से हरिद्वार पहुँचना चाहता था, जिसके लिए मैंने देहरादून शताब्दी बुक करवा ली थी | रात को बंगलुरू से दिल्ली के लिए हवाई जहाज़ में निकल लिया था ताकि दिल्ली पहुँच कर रात को होटल में ना रुकना पड़े |
अगले दिन मैं देहरादून उतर आया | यहाँ से दिल्ली की बस पकड़ी और फिर दिल्ली से बेंगलोर आ गया | चार दुकान की चाय हो या रोकबी मैनर की कॉफ़ी, यादें दिल में ज़रूर रहेंगी और फिर मूड हुआ तो ज़रूर आऊँगा उत्तराखंड के मशहूर शहरों और गाँवों की सैर करने |
पहला दिन
हरिद्वार: एक प्राचीन नगर
गंगा किनारे बसे इस प्राचीन शहर में आपको ठहरने के लिए कई बजट होटल मिल जाएँगे | यहाँ के मशहूर हर की पौड़ी घाट पर शाम 6.30 बजे गंगा आरती शुरू होती है, मगर शाम 4 बजे से ही श्रद्धालु यहाँ जमा होने लग जाते हैं | बढ़िया सी जगह देख कर घाट पर सीढ़ियों पर अख़बार बिछा कर बैठ जाइए और भजन व मंत्रोच्चार के साथ होने वाली आरती का आनंद लीजिए | बाद में अख़बार को कचरे के डिब्बे में डालना नहीं भूलें | हरिद्वार में आज भी वही पुराना अहसास ज़िंदा है |
घूमने लायक जगहें : हर की पौडी, भारत माता मंदिर, चाँदी देवी मंदिर, बड़ा बाज़ार, भिंगोदा कुंड, दक्ष महादेव मंदिर, मनसा देवी मंदिर और चिल्ला वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी
दूसरा दिन
ऋषिकेश - योगा नगरी
हरिद्वार से ऋषिकेश सिर्फ़ 20 कि.मी. दूर है, मगर बस से जाएँगे तो एक डेढ़ घंटा तो आराम से लग जाएगा | मैं हमेशा से योग नगरी मैं आना चाहता था | चाहता था कि यहाँ कुछ समय बिताऊँ, योग करूँ, गंगा आरती देखूँ | और आज मौका मिल ही गया | शाम को त्रिवेणी घाट पर सूरज डूबने के साथ ही पंडित आरती की तैयारी करना शुरू कर देते हैं | श्रद्धालुओं की भीड़ नदी में सिक्के फेंकती है और बच्चों की टोली सिक्के निकाल लाती है |
कहाँ घूमें : त्रिवेणी घाट, बंजी जम्पिंग के लिए जम्पिंग हाइट्स, रिवर राफ्टिंग, लक्ष्मण झूला, राम झूला, बीटल्स आश्रम, स्वर्ग आश्रम, शिवपुरी
चौथा दिन
देहरादून : उत्तराखंड की राजधानी
ऋषिकेश में दो दिन रहने के बाद मैनें चौथे दिन सुबह जल्दी ही देहरादून की बस पकड़ ली | ऋषिकेश से 45 कि.मी. दूर देहरादून तक बस टिकट सिर्फ़ ₹40 की है मगर पहुँचने में 2 घंटे ले लेती हैं | देहरादून पहुँच कर मैंने सर्दियों के कुछ कपड़े खरीदे, आलू पराठे खाए और यहाँ के मशहूर टूरिस्ट स्पॉट पर घूमने निकल पड़ा | यहाँ से मुझे मसूरी निकलना था |
घूमने लायक जगहें: फॉरेस्ट रिसर्च इन्स्टिट्यूट, रॉबर्स केव, टपकेश्वर, सहस्त्रधारा, देहरादून ज़ू, मल्सी डियर पार्क, घंटाघर देहरादून, गुरु राम रहीम गुरुद्वारा
पाँचवाँ दिन
मसूरी : पहाड़ों की रानी
रात को मैंने मसूरी जाने वाली बस पकड़ ली | बस अड्डा प्री-पेड टैक्सी स्टैंड के पास रेलवे स्टेशन के सहारे है | टिकट लाइन में घंटों खड़े रहने के बाद भी बस के स्टैंड पर लगने के बाद ही टिकट मिलती है | सर्दियों के मौसम में मसूरी में सैलानियों की भीड़ भर जाती है और ठहरने के लिए जगह मिलना मुश्किल हो जाता है | इसलिए मैंने बाज़ार से दूर लैंडूर रोड पर एक कमरा बुक कर लिया |
मसूरी में घूमने लायक बहुत जगह हैं, मगर फन्जाबी के मशहूर आलू पराठा और मसाला ओरेंज सोडा पीने, और शॉपिंग करने के लिए 2 कि.मी. लंबी मॉल रोड पर घूमा जा सकता | खा-पी कर मॉल रोड की बेंच पर लेटकर ढलते सूरज को दिन की आख़िरी सलामी दीजिए और आसमान में बिखरे रंगों में खो जाइए |
घूमने लायक जगहें : लाल टिब्बा, केंप्टी फॉल्स, गन हिल, क्लाउड'स एंड, कैमल्स बॅक रोड, झरीपाणि फॉल्स, भट्टा फॉल्स, कंपनी गार्डन
छठा दिन
लैंडूर : पहाड़ियों का सरताज
मसूरी से 2 कि.मी. ऊपर ही एक छोटा सा गाँव है जिसका नाम है लैंडूर | कई सैलानी तो मसूरी आकर भी इस गाँव की खूबसूरती देखे बिना चले जाते हैं | मैंने सोचा क्यों ना ट्रेकिंग करते हुए इस गाँव तक पहुँचा जाए और देखें कि इसे पहाड़ियों का सरताज क्यों कहते हैं |
लैंडूर के रास्ते में आपको सबसे पहले यहाँ का क्लॉक टावर दिखेगा, जहाँ एक कैफ़े भी है | रात को इस कैफ़े में आप खाना खा सकते हैं |
अगर यहाँ से ऊपर चढ़ेंगे तो यहाँ की सबसे चन्गी जगह चार दुकान आ जाएगी | यहाँ की नींबू की चाय और चॉक्लेट वॉफल के तो लोग दीवाने हैं | यहाँ से थोड़ा ऊपर लाल टिब्बा है जहाँ बड़ी सारी भारी भरकम दूरबीन लगी है | यहाँ से भी ऊपर रोकबी मैनर पर जाएँगे तो ढलते सूरज का नज़ारा सारी ज़िंदगी याद रखेंगे | सच कहूँ तो लैंडूर जाना तो बनता है |
सातवाँ दिन
धनौल्टी : बर्फ पर बसा गाँव
इस ट्रिप के आख़िरी पड़ाव के लिए तैयार जो जाएँ क्योंकि अब हम मसूरी से 30 कि.मी. दूर धनौल्टी की ओर निकलेंगे | बस से जाने में एक घंटा लग जाता है, मगर मैंने मॉल रोड से ₹500 दिन के किराए की साइकिल निकलवा ली थी जिससे मैं धनौल्टी की ओर जाने वाला था | रुकते-रुकाते, फोटो खींचते, डगमगाते जाते चाय पीते मैं धनौल्टी पहुँच ही गया | यहाँ आएँ तो साइकिल से ही आएँ, मज़ा आ जाएगा |
घूमने लायक जगहें : ईको पार्क, सुरकंडा देवी टेंपल, देवगढ़ फ़ोर्ट, पोटाटो फार्म, कैमपिंग एंड अड्वेंचर एक्टिवीटीज़ |
अगले दिन मैं देहरादून उतर आया | यहाँ से दिल्ली की बस पकड़ी और फिर दिल्ली से बेंगलोर आ गया | चार दुकान की चाय हो या रोकबी मॅनर की कॉफ़ी, यादें दिल में ज़रूर रहेंगी और फिर मूड हुआ तो ज़रूर आऊंगा उत्तराखंड के मशहूर शहरों और गाँवों की सैर करने |
अच्छा ख़ैरियत
रकसैकडायरी
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