रोड ट्रिप्स से आपको क्या ख्याल आता है। दोस्त, गाड़ी, दिल चाहता है, ज़िन्दगी ना मिलेगी दोबारा इत्यादि पर क्या आपने कभी अपने फैमिली के साथ रोड ट्रिप किया है। मम्मी, पापा, भाई, बहन, इन सब के साथ भी कभी रोड ट्रिप करके देखिएगा। एक अलग ही मज़ा आएगा। तो फिर इसी मज़े को ढूँढ़ने के लिए हम सब भी निकल पड़े दिल्ली से मुक्तेश्वर। रोड ट्रिप की वजह थी नई नवेली मारुती गाड़ी सिआज़ जो लम्बे रास्ते पर जाने के लिए तड़प रही थी। मुक्तेश्वर, नैनीताल के करीब एक छोटा सा हिल स्टेशन है जो बेहद खूबसूरत है। नैनीताल की तरह यहाँ आपको हज़ारों की तादाद में लोग नहीं दिखेंगे जिसकी वजह से हमने यहाँ जाने का सोचा। उत्तराखंड में बसा यह प्यारा सा इलाका हमें फोटोज़ में तो काफी भा गया था।
यात्रा कार्यक्रम
दिल्ली-ग़ाज़ियाबाद-मीरट-काशीपुर-रामनगर-कालाढूंगी-नैनीताल -मुक्तेश्वर: 330 कि.मी.
यात्रा का समय: 10 घंटे ( नाश्ते के ब्रेक और ड्राइविंग स्पीड पर भी निर्भर)
अब यह ट्रिप दो चीज़ों की वजह से ख़ास था। पहला तो हम नई गाड़ी पर पहली बार इतनी दूर जा रहे थे, दूसरा इस बार मैंने होटल या रिसोर्ट की जगह एक होम स्टे बुक किया था। अब मध्य वर्ग लोगों को होम स्टे का कांसेप्ट थोड़ा अटपटा लगता क्योंकि बाहर कम ही जाते हैं तो होटल में रहने का लुत्फ़ उठाना चाहते हैं। किसी तरह मैंने अपने माँ बाप को मना लिया। सुबह 8 बजे के करीब हम निकल पड़े और हाइवे पर मज़े से गाने चलते हुए कब मेरट पार कर लिया, पता ही ना लगा। पर आगे का रास्ता कुछ ख़ास नहीं था। काफी सारे नए हाइवे बन रहे हैं जिसकी वजह से आने वाले समय में नैनीताल का रास्ता काफी साफ़ हो जायेगा। तो ऐसे ही झूमते हुए हम शाम 6 बजे के करीब मुक्तेश्वर पहुँचे। अब हमें जाना था पंचाचूली हाउस। मैन रोड पर काफी टाइम तक भटकने के बाद वहाँ के ओनर ने हमें रास्ता बताया जो ढलती हुई शाम में थोड़ा खतरनाक लगा क्योंकि सड़क टूटी हुई थी पर किसी तरह हम वहाँ पहुँच गए। पंचाचूली होमस्टे बिलकुल वैसा ही था जैसे फिल्मों में हिल स्टेशन के घर होते हैं। एक बाग, बाग के साथ एक खूबसूरत घर और घर के पीछे खेत। कमल महरा जी जो होम स्टे के ओनर हैं उन्होंने हमें प्रॉपर्टी के बारे में थोड़ा बताया और सबके लिए चाय का इंतज़ाम किया। उनके स्टाफ ने हमारे खातिरदारी में कोई कमी नहीं छोड़ी। ब्रेकफास्ट तो पैकेज में शामिल था पर लंच और डिनर की भी पूरी व्यवस्था है वहाँ पर। अगले दिन का प्रोग्राम बना कर हम रजाई ओढ़ कर सो गए।
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सुबह हम एक छोटी बच्ची की आवाज़ से उठ गए। हमें पता नहीं था कि हम एनर्जी से भरे दो प्यारे बच्चों से मिलने वाले हैं। गार्गी और हर्षिता जो कमल जी के बेटियाँ हैं, वो तो इस होम स्टे की जान हैं। इतनी एनर्जी की चार लोग थक गए पर उनका खेलना कूदना बंद नहीं हुआ। सुबह नाश्ते के साथ परांठे और गार्गी, हर्षिता की हरकतों ने दिन को बढ़िया शुरुआत दे दी थी।
सुबह तैयार होकर हम सबसे पहले निकले भालूगढ़ वॉटरफॉल की तरफ। गाड़ी से उतरकर हमें एक घंटे का लगभग ट्रेक करना पड़ा जो इतना मुश्किल नहीं था पर मम्मी पापा के लिए इतना आसान भी नहीं था। पर वॉटरफॉल देखते ही सबके चेहरे पर जो ख़ुशी आयी, तो ट्रेक करने की थकान एकदम से उतर गयी। चमकता हुआ पानी जो धुप में और ज़्यादा अविश्वसनीय लग रहा था। एक घंटे तक हम वहाँ रुके, थोड़ी तसवीरें खींची और निकल पड़े शिव मंदिर की ओर। इस मंदिर की काफी मान्यता है और इसकी वजह से ही मुक्तेश्वर काफी फेमस है। मंदिर के साथ ही एक पहाड़ी पर थोड़े एडवेंचर स्पोर्ट्स भी होते हैं। आप चाहे ना भी करना चाहें, पर पहाड़ी से जो नज़ारा मिलता है उसकी बात ही कुछ और है। थक कर हम वापिस अपने होम स्टे पर आए।
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अगले दिन फिर, दिन की शुरुआत गार्गी और हर्षिता के साथ खेलते कूदते हुई। नाश्ते के बाद नैनीताल घूमने का प्लान बना। नैनीताल अब भी वैसा का वैसा ही है। वहाँ जाकर पुराने दिनों की तरह मैग्गी खायी और बोटिंग करी। खूब सारी बातें और गानों के बीच यह दिन भी खत्म होगया। गार्गी, हर्षिता और उस खूबसूरत घर से अब अलविदा लेने का वक्त आगया था। मेरे मम्मी पापा ने कभी नहीं सोचा था कि वो होम स्टे में इतना एन्जॉय करेंगे। सोचा तो मैंने भी नहीं था, बस उम्मीद की थी। और देखिए क्या खूबसूरत ट्रिप गुज़रा हमारा।
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आप लोग भी ज़्यादा सोचिए नहीं, बस बुकिंग कीजिये और अपने मम्मी पापा को ले चलिए एक बढ़िया सरप्राइज़ के लिए मुक्तेश्वर, पंचाचूली हाउस में ज़रूर रुकिएगा।