घुमक्कड़ को छोड़ो, हर शख्स का एक ख्वाब होता है कि वो जीवन में एक बार बर्फ के फाहे में ज़रूर खेले। वो पहाड़ की चोटी पर खड़ा हो तो दूर-दूर तक बर्फ के अलावा कुछ और ना दिखाई दे। हर कोई चाहता है कि वो बर्फ के गोले बनाकर फेंकें, बर्फ पर चलकर देखे कि पैर कितने धंसते हैं और उसी बर्फ पर पसरकर उस अनुभव को हमेशा के लिए समेट ले। अगर आप घुमक्कड़ हैं और आपकी बकेट लिस्ट में अभी भी बर्फ वाली जगह खाली है तो आपके लिए ‘उत्तराखंड का स्विजरलैंड’ कहा जाने वाला हिल स्टेशन औली परफेक्ट रहेगा।
औली देश के सबसे फेमस हिल स्टेशनों में से एक है। इसे भारत के सबसे अच्छे स्कीइंग स्थलों में से एक माना जाता है। औली उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के चमोली जिले में स्थित है। औली की ऊँचाई समुद्र तल से 3,000 मीटर है। औली एक बुग्याल है, बुग्याल यानी के हरे-भरे घास के मैदान। लेकिन सर्दियों में ये जगह पूरी तरह से बर्फ से भर जाती है। औली से कई पर्वत श्रृंखलाएँ दिखती हैं। इसके अलावा यहाँ कई प्रकार की एडवेंचर्स एक्टिविटीज़ भी होती हैं।
औली पहुँचने के लिए रोपवे का सफर
औली के बारे में हर किसी ने सुना होगा। ये जगह चारों तरफ से पहाड़ों से घिरी हुई है। इन पहाड़ों की ऊँचाई करीब 20 हजार फीट से भी ज्यादा है। यहाँ सेब और देवदार के पेड़ बहुत सारे मिलेंगे। जिसके कारण यहाँ की हवा में ताज़गी बनी रहती है। यहाँ पहुँचने के लिए आपको जोशीमठ आना होगा। जोशीमठ से औली आने के तीन रास्ते हैं। पहला रोपवे के जरिए, जिसमें आपको ऊँचाई से पहाड़ और दूर-दूर तक के खूबसूरत नज़ारे देख पाएँगे जिसमें आने-जाने का किराया ₹1000 होता है। दूसरा रास्ता बाय रोड है जो करीब 16 कि.मी. का रास्ता है। इसमें आप अपनी गाड़ी या टैक्सी बुक करके जा सकते हैं। तीसरा रास्ता पैदल का रास्ता है, जो करीब 8 किमी. का है। ये रास्ता गाँवों में से होकर जाता है।
मुझसे अगर पूछा जाए तो रोपवे का रास्ता सबसे बढ़िया रहेगा। इतनी खूबसूरत जगह को ऊँचाई से देखने का अनुभव ही कुछ अलग होता है। ये रोपवे करीब 4 कि.मी. लंबा है। गुलमर्ग के रोपवे के बाद ये एशिया का सबसे लंबा रोपवे है। इस जानकारी के बाद तो पक्का इस रोपवे से ही औली जाना बनता है। रोपवे में जिसका पहला अनुभव होगा, वो ज़रूर इस सफर के लिए उत्साहित होगा। रोपवे का धीरे-धीरे आगे बढ़ना, आपकी खुशी को जाहिर करने लगता है। इसमें डर और खुशी का मिला-जुला अनुभव होता है। जब ट्रॉली सबसे ऊँचे पाइंट पर पहुँचती है तो दूर-दूर तक पहाड़ ही पहाड़ दिखाई देते हैं। आसमान को छूते पहाड़ और नीचे घने जंगल दिखाई देंगे।
इसी रोपवे के सफर में आपको हाथी पहाड़ भी दिखाई देगा। वो देखने में हाथी की तरह दिखता है इसलिए उसे हाथी पहाड़ कहते हैं। उसके दाईं तरफ एक और पहाड़ दिखाई देगा, जिसे क्वीन हिल कहते हैं। वो पहाड़ कुछ-कुछ रानी के मुकुट के तरह ही दिखाई पड़ता है। उसके आगे बढ़ते हैं तो आपकी बर्फीली पहाड़ियों में सबसे ऊँचा पहाड़ दिखाई देगा। वो दूध से नहाया हुआ पर्वत, नंदा देवी है। ये सभी नज़ारे इस रोपवे के सफर में ही मिल सकते हैं। हो सकता है कि ये आपको थोड़ा महंगा लगे, लेकिन जब आप ये नज़ारे देखेंगे तो इन पैसों के खर्च होने का मलाल नहीं होगा।
बर्फ का मज़ा
आप जैसे ही रोपवे से बाहर निकलेंगे आपको एक कैंटीन दिखाई देगी। यहाँ आएँ तो यहाँ के आलू-पकौड़े का स्वाद ज़रूर लें। आपको यहाँ दूर-दूर तक बर्फ ही बर्फ दिखाई देगी। औली में हमेशा से बर्फ हुआ करती थी लेकिन यहाँ आना लेक बनाने के बाद हुआ जो आपको पहाड़ की ऊँचाई से दिखाई देगी, जो एक आर्टिफिशियल झील है। गर्मियों के मौसम में ये पानी से लबालब रहती है और सर्दियों में जम जाती है। आप यहाँ बर्फ के फाहे से खेल भी सकते हैं। यहाँ ठंड इतनी होती है कि आप अपने हाथ ग्लव्ज़ से बाहर निकालने की हिम्मत नहीं कर पाएँगे। पहली बार बर्फ में चलने का और फिसलने का एहसास गजब का होता है। इन एहसासों और अनुभवों के लिए औली बढ़िया जगह है।
जब आप इस बर्फ के बीचों-बीच होंगे तो आपकी ये दुनिया ही कुछ अलग लगने लगेगी। ये बर्फ पहाड़ और ज़मीन से चिपकी हुई नहीं होगी, बल्कि आपको धसायेगी। इसलिए तो कहा जाता है कि जमीन में चलना आसान है, पहाड़ नहीं। यहाँ आपको सिर्फ बर्फ ही नहीं शांति और सुकून भी मिलेगा। यहाँ जब आप आगे बढ़ रहे होंगे तो एक कुलबुलाहट होगी कि और क्या है? तो यहाँ बर्फ के अलावा एक मंदिर है। कहा जाता है कि जब हनुमान संजीवनी बूटी लेने हिमालय जा रहे थे तो इसी जगह पर आराम करने के लिए रूके थे। जब आप यहाँ आएँ तो उस मंदिर को भी देख सकते हैं।
रोमांच का अनुभव
रोमांच के लिए औली में कई प्रकार की गतिविधियाँ होती हैं। इन सबमें यहाँ स्कीइंग सबसे फेमस है। औली के बुग्याल ढलानदार हैं, जो स्कीइंग के लिए मुफीद माने जाते हैं। यहाँ आप स्कीइंग का मज़ा तो ले ही सकते हैं और अगर आपके स्कीइंग बहुत अच्छे से आती है तो रेस में प्रतिभागी भी बन सकते हैं। सर्दियों में औली स्कीइंग करने वालों के लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन बन जाता है। भारत में कुछ गिने-चुने स्की रिसाॅर्टस हैं और औली उनमें से एक है। इसके अलावा आप यहाँ ट्रेकिंग भी कर सकते हैं। बहुत-से ट्रेकिंग रूट ऐसे हैं जो औली से शुरू होते हैं। इनमें आली-गोरसो बुग्याल, गोरसो तल्ली लेक और खुलारा तपोवन एक दिन में पूरे होने वाले ट्रेक हैं।
इन चीजों का रखें ख्याल
अगर आप औली जा रहे हैं तो कुछ चीजों को ध्यान में रखें। सबसे पहले तो जोशीमठ से निकले तो कैश निकाल लें। क्योंकि औली में पैसे निकालने की या एटीएम की कोई सुविधा नहीं है। अगर आप रोड मार्ग से औली जा रहे हैं तो पेट्रोल भी जोशीमठ में ही भरवा लें।क्योंकि औली में कोई पेट्रोल-पंप भी नहीं हैं। मैकेनिक की सुविधा भी जोशीमठ में ही है।
कैसे पहुँचे?
बर्फ के फाहे को देखने के लिए सबसे बेस्ट टाइम नवंबर से फरवरी तक का है। ये वही समय है जब औली में बर्फ गिरती है। दिल्ली से औली की दूरी करीब 380 कि.मी. है। सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट देहरादून हैं। यहाँ आने का सबसे अच्छा रास्ता सड़क मार्ग का है। दिल्ली से आप ऋषिकेश तक बस से आ सकते हैं। ऋषिकेश से आप बद्रीनाथ तक जाने वाली बस ले सकते हैं जो आपको जोशीमठ उतार देगी। जोशीमठ से आप रोपवे या रोड से औली पहुँच सकते हैं।
कहाँ ठहरें?
औली में रूकने के लिए बहुत सारे होटल और रिसाॅर्ट्स हैं। इसके अलावा जोशीमठ में एक रात के लिए ₹300 से ₹500 में बढ़िया-सा कमरा मिल जाता है। अगर आप औली में ही रूकना चाहते हैं तो कुछ होटल और रिसार्ट्स हैं। इनमें एक हिमालयन इको लाॅज एंड कैंपस है, जिसमें एक रात रूकने का किराया ₹2000 है। इसके अलावा इसी बजट में होटल औली डी और होटल द्रोणागिरी भी मिल जाएँगे।
औली को अगर आप अच्छे-से देखना चाहते हैं तो आपके पास लगभग दो दिन का समय तो होना ही चाहिए। इसमें आप एक दिन ट्रेक कर सकते हैं और एक दिन औली को देख सकते हैं। अगर आप जोशीमठ में ठहरते हैं तो आपको ये सफर महंगा नहीं पड़ेगा, लगभग ₹3,000- ₹5000 में आप अच्छी तरह से औली हिल स्टेशन को देख सकते हैं।