चलिये आज आपको घुमाते है हरिद्वार में (Harry Harshit Singh)

Tripoto
31st Jul 2020

आज हम आपको ले चलते है देवी भूमि हरिद्वार जहाँ से पतित पावनि, पाप नाशनि गंगा पर्वतो को छोड़ धरती पर आती है। इस शहर की हवा में सोंधी सी खुशबू है। दूर से दिखते अडिग पर्वत, कलकल कर के बहती पवित्र गंगा, दूर दूर से आए श्रद्धालु और चारो ओर गूंजते गंगा मईया के जय कारे। ये रमणीय दृश्ये आँखों के द्वार से होता हुआ सीधा मन में बस जाता है।

यहाँ हर रोज़ एक त्यौहार होता है। माँ गंगा का त्यौहार!! सूर्योदय के स्नान से लेकर शाम की आरती तक हर एक क्षण एक त्यौहार है। हर रोज़ हज़ारो श्रद्धालु देश के कोने कोने से यहाँ गंगा दर्शन के लिए आते है और गंगा में स्नान कर के जनम जनम के पापों से मुक्त हो जाते है। देव भूमि हरिद्वार में कई अति मनोरम मंदिर व दर्शनीय स्थल है। यहाँ के बाजार बड़े लुभावने है। हर तरफ रोशिनी है, रौनक है। खाने के शौंकीन लोगों को हरिद्वार बिलकुल भी निराश नहीं करता, यहाँ स्वादिष्ट पकवानो की खूब सुन्दर दुकाने सुबह ही सज जाती है।

पूजा की सामग्री व हिन्दू धार्मिक किताबो की भी बहुत सी दुकाने हैं।भारत के हर प्रांत के लोग यहाँ आते है और गंगा जी के पवित्र जल को बोलतों में भर कर अपने साथ ले जाते है। गंगा घाट व बाज़ारो में रंग बिरंगी बोतलों से सजी दुकाने देखीं जा सकती हैं।

दूर दराज़ से आये यात्री गंगा के पावन जल में स्नान कर के अपनी सारी थकान भूल जाते है और हर हर गंगे के जाप करते हुए इस नगरी के मनमोहक दृश्यों को अपने मन में समेट लेते है। सायं काल की आरती का दृश्य बड़ा ही मनोरम होता होता है। श्रद्धालु आरती देखने के लिए गंगा घाट पर बनी सीढ़ियों पर बैठ जाते है। गंगा जल में दिखती आरती की अग्नि की ज्वालायें यूँ लगती है जैसे सेंकडों दीपक गंगा जल में डुबकियां लगा रहे हों।

हर की पौड़ी व ब्रह्म कुंड

गंगा मंदिर के नीचे बनी सीढ़ियों को हर की पौड़ी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है की सागर मंथन के समय के अमृत की कुछ बुँदे यहाँ गिरी थी इसी स्थान को ब्रह्म कुंड कहते है तथा ग्रंथों में यहाँ स्नान करने की बड़ी महिमा कही गयी है। ब्रह्म कुण्ड से थोड़ा आगे अस्थि विसर्जन घाट है।

मनसा देवी मंदिर व चंडी देवी मंदिर

हरिद्वार की शिवालिक पहाड़ियों की बिल्व पर्वत पर स्थित है माता मनसा का यह मंदिर। यह महा शक्ति के उस रूप का है जो सबके मन की इच्छाए पूरी करती है इसलिए उसका नाम मनसा देवी पड़ा है। हर की पौड़ी से कुछ 800 मीटर की दुरी पर मनसा देवी अपने भक्तो की मनोकामनाएं पूरी करने के लिए सुशोभित है। मनसा देवी जाने के दो रास्ते है, एक पैदल यात्रा का और दूसरा उड़न खटोले के द्वारा।

माँ मनसा देवी मंदिरउड़न खटोला (Rope way)

उड़न खटोला की टिकट 233/- रूपये मात्र है। इस टिकट में दोनों देवियों के उड़न खटोले द्वारा दर्शन, उड़न खटोले द्वारा वापिसी, मनसा देवी से चंडी देवी ट्रांसपोर्ट शुल्क तथा चंडी देवी से वापिसी का ट्रांसपोर्ट शुल्क सम्मिलित है।

मनसा देवी मंदिर से 3 कि. मी. दूर स्थित है चंडी देवी मंदिर। यह मंदिर माँ शक्ति के चण्डिका रूप को समर्पित है। चंडी देवी दर्शन के लिए आप पैदल यात्रा कर सकते है या उड़न खटोले में बैठ कर सरे हरिद्वार को देखते हुए माँ के दरबार में पहुंच सकते है। यह मंदिर नील पर्वत की पहाड़ियों पर स्तिथ है। इस पर्वत के पास से बहने वाली गंगा की धरा को नील गंगा कहा जाता है। चंडी देवी के मंदिर से हरिद्वार नगरी का बड़ा सुन्दर दृश्य दिखता है। इन पर्वतों पर माता के जय कारे निरंतर गूंजते रहते है। देवी के इन दोनों ही मंदिरों में दर्शन श्रद्धालुओं की लम्बी कतारे लगती है।

अन्य मंदिर

हरिद्वार में न जाने कितने ही मंदिर है, सबकी अपनी अपनी महिमा है। इन में से कुछ है माया देवी मंदिर जो की माया देवी को समर्पित है, दक्ष महादेव मंदिर , जो भगवान शिव को समर्पित है और कहा जाता है की यही पे दक्ष प्रजापति ने वह यज्ञ किया था जिस में महादेव को आमंत्रित न करने पर तथा यज्ञ स्थल पर शिव का अपमान किये जाने से देवी सती अपने पिता दक्ष पे क्रोधित हो कर यज्ञ की अग्नि में देह त्याग कर दिया था। भारत माता मंदिर जो की आधुनिक युग का एक मंदिर है। यह एक आठ मंज़िला भव्य मंदिर है

Photo of Haridwar by Harry Harshit Singh
Photo of Haridwar by Harry Harshit Singh
Photo of Haridwar by Harry Harshit Singh
Photo of Haridwar by Harry Harshit Singh

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