Kampil या Kampilya या कम्पिल जी यह सब इसी क्षेत्र के नाम है फिलहाल वर्तमान में इस पौराणिक स्थल को कम्पिल कहा जाता है जो की उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में है , कम्पिल का सम्बन्ध रामायण , महाभारत से है इसके अलावा यह जैन धर्म के 13वी तीर्थंकर भगवान विमलनाथ जी की जन्म स्थली है , यह स्थल अनेको पौराणिक धरोहरों को समेटे हुये है निसन्देह यह एक अति पावन स्थली है , काम्पिल्य नगर बौद्ध धर्म स्थली संकिसा से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर है |
यह पवित्र क्षेत्र हिन्दू धर्म के लिए भी खास है और जैन धर्म के लिए भी कहा जाता है की सैकड़ो साल पहले यहाँ गंगा नदी बहती थी हालाँकि अब गंगा यहाँ से थोड़ी दूरी पर बहती है लेकिन Kampil में एक बूढी गंगा नाम से छोटी सी जलधारा है |
Kampil Ke Bare Me
कम्पिल को जैन धर्म के लोग इतना अधिक मानते है कि वे लोग इसका नाम भी बड़े सम्मान से लेते है और जैन अनुयायी इस क्षेत्र को कम्पिल जी कहते है यह तीर्थ स्थल जिला फर्रुखाबाद में है यहाँ से बदायूं भी ज्यादा दूर नहीं है , वैसे तो कम्पिल एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल लेकिन फिर भी यहाँ विकास नहीं है न ही पर्यटन के दृष्टिकोण से इस क्षेत्र पे किसी ने ध्यान दिया है जबकि पौराणिक काल में इस स्थल का बहुत महत्त्व था , पांचाल प्रदेश का एक जाना माना नगर था काम्पिल्य परन्तु आज यह एक गाँव बनकर रह गया है |इस तीर्थ स्थल का सम्बन्ध चारो युगों से है यहाँ कपिल मुनि का आश्रम है जिसका सम्बन्ध सतयुग से है फिर यहाँ मौजूद द्रौपदी कुण्ड और श्री कालेश्वर नाथ मंदिर का सम्बन्ध द्वापरयुग से है इसके बाद त्रेतायुग का देखे तो श्री रामेश्वरनाथ मंदिर कम्पिल में है जिसका सम्बन्ध त्रेतायुग (रामायण काल ) से है और कलयुग की बात करे तो कलयुग का सम्बन्ध 11 मंजिला श्री राधाकृष्ण मंदिर से है यही नहीं कम्पिल जैन धर्म का एक अति पवित्र स्थल है क्यों जैन धर्म के 13वी तीर्थंकर श्री विमलनाथ भगवान के चार चार कल्याणक यहाँ हुये थे |आइये अब जान लेते है Kampil कैसे आया जाय यहाँ कहा रुका जाय , कब आये यहाँ पे और यहाँ के समस्त पौराणिक धार्मिक स्थलों को जाने -
कम्पिल कैसे पहुचे
यह जगह वैसे तो फर्रुखाबाद जिले में आती है लेकिन यहाँ से मैनपुरी , एटा , बदायू भी पास में ही है तो हम आपको बताते है फरुखाबाद से कम्पिल जी आने का रास्ता देखिये आप या तो अपनी गाड़ी रेंट पे ले ले या फिर सरकारी बस से या फिर प्राइवेट बस से कायमगंज आ जाइये जो की फर्रुखाबाद की जानी मानी जगह है फिर कायमगंज से कम्पिल सिर्फ 10 किलोमीटर है और तमान साधन उपलब्ध है | अगर कुछ जगहों से कम्पिल की दूरी की बात की जाए तो आपको बता दे फर्रुखाबाद से यह क्षेत्र लगभग 43 किलोमीटर है , वही आगरा से इसकी दूरी मात्र 155 किलोमीटर है , एटा से 70 किलोमीटर , बदायूं से 55 किलोमीटर , मैनपुरी से लगभग 55 किलोमीटर , कानपुर और लखनऊ से लगभग 200 किलोमीटर है , नई दिल्ली से लगभग 276 किलोमीटर है , कासगंज से 77 किलोमीटर है |~ यदि आप हवाई मार्ग से Kampil आना चाहते हो तो आपको बता दे यहाँ का नजदीकी एअरपोर्ट आगरा का है उसके बाद लखनऊ और कानपुर के एअरपोर्ट भी है आप अपने अनुसार जहाँ से उचित समझे आ सकते है |~ यदि आप रेल मार्ग से आना चाहते हो तो आपको बता दे यहाँ का नजदीकी रेलवे स्टेशन कायमगंज है इसके अलावा यदि आपके शहर से कायमगंज के लिए ट्रेन नहीं है तो आप फर्रुखाबाद , आगरा , कानपुर तक आने वाली ट्रेन से तो आ ही सकते हो |~ अब यदि आप अड़क मार्ग से आ रहे हो तो सबसे पहले आप फर्रुखाबाद जिले के कायमगंज आइये फिर कायमगंज से कम्पिल महज 10 किलोमीटर है आपको टेम्पो इत्यादि मिल जायेंगे यह स्थल बहुत ही अच्छी तरह से सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है और यहाँ की सड़के भी अच्छी है तो आपको यहाँ तक आने में किसी' भी प्रकार की कोई भी असुविधा नहीं होगी |इस पावन नगरी में आप पब्लिक साधन जैसे बस टेम्पो से भी आ सकते है और कम्पिल में जो भी पर्यटन स्थल है सभी पास-पास है जिन्हें आप पैदल ही देख सकते है |
कहाँ रुके
मुझे नहीं लगता यहाँ आपको रुकने की जरूरत पड़ेगी बड़े ही आराम से आप एक ही दिन में कम्पिल जी के सभी धार्मिक पौराणिक स्थल देखकर वापसी कर सकते हो फिर भी यदि आप यहाँ रुकना ही चाह रहे हो तो आप कायमगंज में रुक सकते हो जो की यहाँ से पास ही है कायमगंज में आपको एक दो होटल मिल जायेंगे और एक धर्मशाला भी है जिसे अग्रवाल धर्मशाला कहते है यह धर्मशाला साफ़ सुथरी है और यहाँ आपको मात्र 100 रूपये में कमरा मिल जायेंगे बाकि आप ज्यादा ऐशो आराम चाहते हो फर्रुखाबाद या मैनपुरी में रुके , इसके आलावा कम्पिल के जैन मन्दिर की धर्मशाला में भी रुका जा सकता है |
कब जाए काम्पिल्य नगरी
बहुत से लोग जानना चाहते है आखिर Kampil जाए कब तो देखो यह उत्तर प्रदेश में स्थित है जाहिर सी बात है यहाँ गर्मियों में अत्यधिक गर्मी पड़ती है ये जान लो बाकी आप किसी भी महीने यहाँ जा सकते है परन्तु कोशिश करिए कि ज्यादा गर्मी में न जाना पड़े |
Places to visit in Kampil - कम्पिल के प्रमुख पर्यटन स्थल
आइये अब जान लेते है कम्पिल में घूमने की जगह के बारे में -
श्री रामेश्वर नाथ मन्दिर
श्री रामेश्वर नाथ मन्दिर का सबसे महत्वपूर्ण मन्दिर है इस मंदिर का सम्बन्ध रामायण काल से है कहा जाता है की जब प्रभु राम ने लंका पर विजय प्राप्त की थी तो वो इस शिवलिंग को लंका से अयोध्या ले आये थी फिर प्रभु राम ने अपने अनुज शत्रुहन को इस शिवलिंग को स्थापित करने को बोला तो शत्रुहन जी ने इस शिवलिंग को काम्पिल्य में स्थापित किया तो आप कह सकते हो श्री रामेश्वर नाथ मन्दिर में जो शिवलिंग है वो रामायण काल की है |इस शिव मन्दिर में एक सत्संग भवन है जो की बहुत ही सुन्दर बना हुआ है इसके अलावा मन्दिर प्रांगण में ही एक गौशाला भी है इस मन्दिर में कई पुजारी रहते है और अक्सर यहाँ भंडारा चला करता है , सोमवार के दिन तो यहाँ भक्तो का आना जाना दिन भर लगा रहता है , मुख्य मन्दिर जिसमे शिवलिंग स्थापित है वो भी अति सुन्दर है और थोड़ी सी ऊंचाई पर है आप यहाँ अवश्य जाए और शिवलिंग के दर्शन करे |
गीता मन्दिर या राधाकृष्ण का 11 मंजिला मन्दिर या गीता ज्ञान आश्रम
श्री रामेश्वर नाथ मन्दिर के समीप ही एक और भव्य मन्दिर है जो की 11 मंजिला है मतलब इसके 11 खण्ड है और इस मन्दिर को कई नामो से जानते है जैसे गीता मन्दिर या राधाकृष्ण का 11 मंजिला मन्दिर या गीता ज्ञान आश्रम या बड़ा मन्दिर, इस 11 मंजिला मन्दिर का सम्बन्ध कलयुग से ही है , Kampil के इस भव्य मन्दिर के संस्थापक श्री देवनायकाचार्य महाराज जी है |इस विशाल मन्दिर के मुख्य द्वार पे हनुमान जी और भोलेबाबा के मन्दिर है सबसे पहले आप यहाँ दर्शन करे इसके बाद अब आपको 11 मंजिल मन्दिर के 11 खंडो की परिक्रमा करनी है और इसकी शुरुआत आप प्रथम खंड के भूगर्भ में स्थित माता सती के दर्शन से करे उसके बाद प्रथम खंड में आप सत्संग भवन पायेंगे फिर दृतीय खण्ड में आपको श्री राधाकृष्ण मन्दिर के दर्शन करिये फिर अगले खण्ड में आपको श्री नरसिंह भगवान के दर्शन होंगे |इसी तरह आप सती खण्ड में माँ दुर्गा , माँ सरस्वती , माँ दुर्गा की प्रतिमाये पाएंगे फिर और ऊपर आपको श्री रामानुज स्वामी का विशाल खंड मिलेगा और आखिर में आप पाएंगे श्री लक्ष्मीनारायण खण्ड पाएंगे यहाँ आप लक्ष्मीनारायण के दर्शन करे और ऊपर से आप सम्पूर्ण काम्पिल्य नगरी को देखे इतने ऊपर से जब आप कम्पिल गाँव को देखेंगे तो आपको बहुत ही सुन्दर व्यू मिलेगा |
कपिल मुनि का आश्रम
11 मंजिला मन्दिर के बिलकुल सामने और श्री रामेश्वर नाथ मंदिर के बिलकुल पड़ोस में स्थित है कपिल मुनि का आश्रम जो की अत्यन्त भव्य है इसका निर्माण अभी चल रहा है , इस स्थल का सम्बन्ध सतयुग से है क्यूंकि कपिल मुनि सतयुग में थे यह वही स्थल है जहाँ कपिल जी ने तप किया था , कपिल मुनि के आश्रम में एक सुन्दर सा पार्क भी बना है यहाँ भी आप जरूर आये |
द्रौपदी कुण्ड
कपिल मुनि आश्रम से सटा हुआ है द्रौपदी कुण्ड और इस कुण्ड का सम्बन्ध महाभारत काल से है काम्पिल्य नगर पहले पांचाल प्रदेश का एक प्रमुख नगर था जहा राजा द्रुपद राज्य करते थे पौराणिक कथा के अनुसार राजा द्रुपद के कोई संतान नहीं थी तो उन्होंने कम्पिल में संतान प्राप्ति के लिए हवन किया था और उसी हवन कुण्ड से दो पुत्र प्राप्त हुए थे एक धृष्टधुमन दूसरी द्रौपदी तभी से इस कुण्ड का नाम द्रौपदी कुण्ड हो गया |इस पवित्र कुण्ड में स्नान करना अत्यन्त शुभ माना जाता है तो आप यदि पौराणिक कथाओ को मानते हो तो यहाँ स्नान अवश्य करे |
श्री कालेश्वर नाथ मन्दिर
एक पौराणिक कथा के अनुसार श्री कालेश्वरनाथ मन्दिर का निर्माण महाभारत काल में द्रौपदी और युधिषठिर ने करवाया था इस मन्दिर में जो शिवलिंग है जमीन के अन्दर एक गड्ढ़े में है यहाँ आपको अत्यन्त प्राचीन प्रतिमाये देखने को मिल जाएँगी तो आप इस श्री कालेश्वर नाथ मन्दिर के भी दर्शन जरूर करे |
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जैन धर्म के मन्दिर
जैन धर्म को मानने वालो के लिये कम्पिल का अत्यधिक विशेष महत्त्व है वे लोग इसे कहके पुकारते है और हो भी क्यों न कम्पिल में जैन धर्म के 13वे तीर्थंकर भगवान विमलनाथ जी के चार-चार कल्याणक पूरे हुये थे ये चार कल्याणक गर्भ , जन्म , तप और ज्ञान है इसी वजह से यह स्थल बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है , यहाँ जानकारी मिली की विमलनाथ भगवान की प्रतिमा गंगा नदी के तट से प्राप्त हुई थी इस तीर्थ स्थान पर दो जैन मन्दिर है और दोनों ही एक दुसरे के समीप है , चलिये अब दोनों जैन मन्दिरों के बारे में थोड़ा सा जान लिया जाय |
भगवान विमलनाथ जी का प्राचीन दिगम्बर जैन मन्दिर
काम्पिल्य क्षेत्र का यह दिगम्बर जैन मन्दिर अत्यन्त प्रसिद्ध है इस मन्दिर में पेन्टिंग्स के माध्यम से भगवान विमलनाथ जी की चारो अवस्थाओ गर्भ , जन्म , तप , ज्ञान को दिखाया गया है , कहा जाता है की यह मन्दिर लगभग 1400 साल पुराना है यहाँ गंगा नदी से प्राप्त श्याम वर्ण की प्रतिमा सुशोभित है दिगंबर जैन मन्दिर की शिल्पकला देखते ही बनती है , इसी मन्दिर में धर्मशाला भी है आप यहाँ रुक भी सकते है , इस मन्दिर में ढेर सारी प्रत्तिमाये है |
श्वेताम्बर मन्दिर
दिगंबर जैन मन्दिर के समीप ही बना है श्वेताम्बर जैन मन्दिर जो की अति भव्य है , मूल श्वेताम्बर जैन मन्दिर का निर्माण सन 1904 में हुआ था इस मंदिर की भी शिल्पकला अद्भुत है और यहाँ भी पेंटिंग लगी है जो की जैन धर्म से सम्बंधित है तो आप इस मन्दिर के दर्शन भी अवश्य करे |
निष्कर्ष
समझ में नहीं आता है इतने सारे कम्पिल के पौराणिक मत है भारत सरकार ने भी इसे पर्यटन स्थल मान लिया है फिर भी यहाँ का विकास अभी नहीं हालाँकि रोड वगैरह सब बनी है किन्तु जितना इस स्थल का महत्त्व बताया जाता है उस हिसाब से यहाँ संसाधन कम है महाभारत काल रामायण काल और जैन धर्म से काम्पिल्य का जुड़ाव है तो जाहिर सी बात है यह एक अति विशेष स्थल है अगर आप को कभी भी मौका मिले तो Kampil अवश्य जाये |