गुरु गोरखनाथ के भक्तों के लिए खुशखबरी, यूपी का अग्रणी पर्यटन केंद्र बनेगा बुंदेलखंड का गोरखगिरि

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फोटो सौजन्य अमर उजाला

Photo of गुरु गोरखनाथ के भक्तों के लिए खुशखबरी, यूपी का अग्रणी पर्यटन केंद्र बनेगा बुंदेलखंड का गोरखगिरि by Hitendra Gupta
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गुरु गोरखनाथ के भक्तों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। बुंदेलखंड में महोबा स्थित गुरु गोरखनाथ की तपोस्थली गोरखगिरि उत्तर प्रदेश का अग्रणी पर्यटन केंद्र बनेगा। नाथ संप्रदाय के प्रणेता गुरु गोरखनाथ के सपनों को साकार करने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखगिरि पर्वत पर मंदिर, बाजार, रोप-वे, धर्मशाला, ध्यानकेंद्र बनवा रहे हैं। इसके साथ यहां गुरु गोरखनाथ की एक बड़ी भव्य प्रतिमा भी स्थापित होगी। इस पर करीब 25 करोड़ की लागत आएगी। करीब दो हजार फीट ऊंचे गोरखगिरि पर्वत पर सिद्ध बाबा मंदिर है। यहां गर्भगृह में गुरु गोरखनाथ की खड़ाऊं-चिमटा रखा हुआ है।

Photo of Mahoba, Uttar Pradesh, India by Hitendra Gupta

गोरखगिरि पर्वत पर और भी कई मंदिर हैं। पर्वत के मुख्य द्वार पर शिवतांडव की प्रतिमा विराजमान है। शिवतांडव में एक विशाल मंदिर, पार्किंग और यहां आने वाले पर्यटकों की सुविधा के लिए दस दुकानें बनाई जाएंगी। रास्ते में लाइटिंग की व्यवस्था होगी। मदनसागर में खखरामठ के पास से रोप-वे तैयार होगा। सिद्धबाबा मंदिर के पास ध्यानकेंद्र बनाया जाएगा। इसके साथ ही यहां के छोटे-छोटे मंदिरों को भी विकसित किया जाएगा।

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गोरखगिरी पर्वत एक बहुत ही खूबसूरत स्थल है। बताया जाता है कि गुरू गोरखनाथ कुछ समय के लिए अपने सांतवें शिष्य सिद्धो दीपक नाथ के साथ इसी पर्वत पर तपस्या की थी। उन्हीं के नाम पर इस पर्वत का नाम गोरखगिरी पड़ा। यहां हर पूर्णिमा को गोरखगिरि पर्वत की परिक्रमा की जाती है। यह भी कहा जाता है कि इसी पर्वत पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने माता सीता और लक्ष्मण के साथ वनवास काल का कुछ समय गुजारा था।

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महोबा प्राचीन समय में बुंदेलखंड की राजधानी था। यह वीर आल्हा-ऊदल का नगर है। पहले गांव-गांव में आल्हा-ऊदल का नाटक खेला जाता था। यहां काफी समय तक चंदेल और प्रतिहार राजाओं ने शासन किया। प्राचीन काल में इसे महोत्सव नगर के नाम से जाना जाता था, जो बाद में बदल कर महोबा हो गया। महोबा अपने उत्तम गौरा पत्थर हस्तकला के लिए प्रसिद्ध है। हस्तकला में इस्तेमाल होने वाला गौरा पत्थर सफेद रंग का पत्थर होता है जो इसी इलाके में पाया जाता है। इसके साथ ही धातु से कारीगरी करने में महोबा के शिल्पकारों का कोई सानी नहीं है | तांबा, पीतल, जस्ता और लोहे से बनी कलाकृतियां काफी पसंद की जाती हैं।

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यह शहर पहाड़ियों और घाटियों पर स्थित मंदिरों के लिए जाना जाता है। महोबा गोरखगिरी पर्वत के साथ विश्व प्रसिद्ध खजुराहो, ककरामठ मंदिर, प्राचीन सूर्य मंदिर, चित्रकूट और कालिंजर के लिए प्रसिद्ध है। यहां हिंदू से साथ जैन और बौद्ध तीर्थ स्थल भी हैं। यह इलाका अपनी वास्तुशिल्पीय विरासत, तीन झीलों रहिला सागर, मदन सागर और कीरत सागर के साथ दो कुंडों राम कुंड और सूरज कुंड के लिए भी प्रसिद्ध है। गोरखगिरि पर्वत में कई तरह की जड़ीबूटियां मिलती है। यहां आकर आप किसी हिल स्टेशन को भूल जाएंगे। यहां के ऊंचे पर्वत, झील, कुंड, मंदिर और हरियाली आपका मन मोहने के लिए काफी है।

कैसे पहुंचे-

गोरखगिरी पर्वत महोबा से करीब 2 किलामीटर की दूरी पर है। महोबा ट्रेन और सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं। यहां आप रेल या बस से आसानी से आ सकते हैं। महोबा से नजदीकी हवाई अड्डा खजुराहो करीब 55 किलोमीटर दूर है।

कब पहुंचे-

गोरखगिरि घूमने का सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी का है। इस दौरान यहां का मौसम काफी खुशगवार होता है।

-हितेन्द्र गुप्ता

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