राजस्थान का नाम सुनते ही सभी के मन मे सीधे बात आती है- रेगिस्तान ,कम पानी ,ऊँट और पी. के. फिल्म मे दिखाए गए गली मोहल्ले.... । हां लेकिन जो यात्री एक बार यहा घुमक्क्ड़ी करले फिर वो जान लेगा कि उपरोक्त चीजे केवल कुछ ही जिलों तक सिमित है।यहां अलग अलग जिलों मे कुछ दिन बिताने के बाद आपको पता लगेगा कि यहां नदी ,झील ,झरने ,जंगल ,अभ्यारण्य ,रेगिस्तान ,किले ,महल ,एडवेंचर एक्टिविटीज आदि हर एक चीज मौजूद हैं। यही कारण हैं कि विदेशी पर्यटकों को भारत मे राजस्थान बहुत ज्यादा भाता हैं।
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हम बात करने जा रहे हैं राजस्थान के 'कश्मीर' यानी उदयपुर जिले मे स्थित उस खूबसूरत झील की जहाँ आप झील के साथ साथ कई सारी अन्य खूबसूरत जगहों का भी आनंद ले सकते हैं। झीलों की नगरी ' उदयपुर ' मे आने वाले हर पर्यटक इस शहर के पास की तो कई खूबसूरत झीले घूम लेते हैं जैसे फतेहसागर झील ,पीछोला झील ,दूधतलाई आदि। फिर काफी पर्यटक इन झीलों को घूमने के बाद मे उस खूबसूरत झील को भी इन्ही के प्रकार की एक झील समझ कर यहां नहीं जाने की भूल कर बैठते हैं। हालाँकि ये शहर से कुछ अधिक दूरी पर स्थित हैं लेकिन यकीन मानिये यहां जाकर ,शहर से बाहर का शांत वातावरण और सुकून पाकर सारी थकान मिटा देंगे।
आज तो चलते है इस खूबसूरत ' जयसमंद झील ' के एक छोटे से टूर पर -
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उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले मे स्थित '' गोविन्द वल्लभ पंत सागर '' के बाद भारत की दूसरी बड़ी कृत्रिम झील जयसमंद झील ही है। जयसमंद झील उदयपुर शहर से लगभग 45 किलोमीटर दूर ,जयसमंद नामक गांव मे स्थित है। दिसंबर सुबह की कंपकंपाती ठंड मे अरावली की गोद मे स्थित इस क्षेत्र मे पहुँचते ही हमने एक पान की केबिन वाले से झील का रास्ता पूछा और साथ ही साथ वही से एक पहाड़ी के ऊपर दिखाई दे रहे महल का भी रास्ता पूछा। उसने हमको आराम से पूरा गाइड कर दिया। उसके बताये अनुसार हम वहा के भीड़ भाड़ युक्त मुख्य बाजार मे पहुंच गए और एक दिशा पट्टिका देखी जिस पर जयसमंद झील के लिए दिशा निर्देश था। उस दिशा मे मुड़ते ही रास्ता एक पहाड़ी के ऊपर घुमावदार रोड की तरफ जाता हुआ दिखा। हम उस पहाड़ी के घुमावदार रास्ते पर हो लिए ,एक बार के लिए मुझे लगा कि शायद हमने दिशापट्टिका गलत देख ली और सोचा की ये रास्ता उस महल की तरफ जाता होगा। लेकिन कुछ ही मिनटों मे हमने खुद को एक बड़े पार्किंग क्षेत्र के पास पाया। जहां काफी सारी टूरिस्ट गाड़िया खड़ी थी। कुछ खाने पीने की केबिन लगी हुई थी। काफी टूरिस्ट भी दिखाई दे रही थी। ये घुमावदार सड़क तो अभी और ऊपर जा रही थी ,पर हमारा डेस्टिनेशन तो यही था।
पार्किंग से ही झील का गहरा नीला पानी दिखाई दे रहा था। अंदर जाने के लिए पहले दरवाजे के पास से ही टिकट लेना था ,टिकट काफी सस्ता था। दरवाजा एक बड़ा झालीनुमा तरीके का था जिसके ऊपर शेर ,बन्दर ,हिरन की आकृतिया बनी हुई थी और लिखा था 'जयसमंद वन्य जीव अभ्यारण'। यह पढ़ कर मैंने काउंटर पर पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि ये जो सड़क ऊपर जंगल की तरफ जा रही है वहा अभ्यारण भी बना हुआ है ,जहा जीप सफारी का आनंद भी हम ले सकते है। खेर ,सबसे पहले तो हम इस खूबसूरत झील पर आनंद उठाते हुए पर्यटक को देख कर अंदर जाने का ही मन बनाया।
झील का नीला पानी ,उसके आसपास एक दो पर्वत और इसका फैला हुआ अनंत विस्तार ,आपको थाईलैंड या गोवा की याद दिला देगा। झील के करीब जाने के लिए कई खूबसूरत' सीढिया बनी हुई है ,जिनके ऊपर कुछ छतरिया और संगमरमर के हाथी यहा की खूबसूरती पर चार चाँद लगाते है। इसी किनारे बनी पगडण्डी पर एक प्राचीन शिव मंदिर भी स्थित है। उदयपुर की सबसे शाही होटल मे से एक होटल 'जयसमंद आइलैंड रिसोर्ट ' भी यही मौजूद है।कई फिल्मों की शूटिंग्स भी यहा पर हुई हैं।
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मनोरंजन के लिए यहा आप नाव मे बैठ कर झील के बीच मे स्थित टापू के करीब तक जा सकते है। यहा 3 मुख्य टापू को मिला के लगभग 11 टापू बने हुए है। सीढ़ियों पर बैठ कर एक तरफ आप खूबसूरत नीली झील ,दूसरी ओर घना जंगल को निहारते शहर की भगदड़ से दूर खुद को सुकून भरी शान्ति मे पाएंगे।इस झील से भी पहाड़ पर बना महल देखा जा सकता है ,जो कि शायद हवा महल या रूठी रानी का महल कहलाता है।
इस झील का निर्माण 17वी शताब्दी मे महाराजा जयसिंह ने यहां पानी की कमी को दूर करने के लिए करवाया था। इसके उद्घाटन पर उन्होंने अपने वजन के बराबर सोना यहा के लोगो मे वितरित किया। उन्ही के बचपन के नाम पर इस झील को 'ढेबर झील ' भी बोला जाता हैं। तब से अभी तक यह झील आस पास के गावो और आदिवासी क्षेत्रों मे जलापूर्ति करती हैं। साथ ही साथ इस झील की मदद से मत्स्य उत्पादन एवं कृषि को भी बढ़ावा मिला हैं।
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यहा पर करीब दो घंटे गुजारने के बाद हमने अभ्यारण जाने का सोचा ,जहा हम पेंथर ,हिरन एवं कई दुर्लभ पक्षियों को देख सकते थे। परन्तु समय की कमी से हम वहा नहीं जा पाए। लेकिन कई यात्रियों का मानना हैं कि इस अभ्यारण्य और रूठी रानी के महल का अनुभव अपने आप मे विशेष हैं। क्योकि झील के किनारे ,महल के अंदर और अभ्यारण की जीप सफारी तीनो के दौरान आपके आनंद के भाव अलग अलग होंगे।
कुल मिला कर झील ,अभ्यारण और महल इन तीनो चीजों का आन्नद एक ही दिन मे उठाने के लिए उदयपुर के पास यह एक काफी अच्छी जगह है जो एक पर्यटक या प्रकृतिप्रेमी को कभी निराश नहीं करेगी।
- ऋषभ भरावा
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