ट्रेकिंग की दुनिया में नए लोगों के लिए उत्तराखंड में पाँच आसान लेकिन रोमांचक ट्रेक

Tripoto
Photo of ट्रेकिंग की दुनिया में नए लोगों के लिए उत्तराखंड में पाँच आसान लेकिन रोमांचक ट्रेक by Suraj Rawat

हाल के कुछ सालो मे लोगों का रुझान एडवेंचर स्पोर्ट्स , टूरिज्म कि ओर गया है लोग अब अपने काम के साथ दुनिया घूम रहे है। क्योंकि आज काम इतना ज्यादा है कि कुछ लोग इसके कारण मानसिक तनाव और शारीरिक तनाव झेल रहे है ऐसे में एडवेंचर टूरिज्म एक बहुत अच्छी चिकित्सा साबित हो रही है और सभी लोगों को 3-4 महीनो में एक छोटा टूर तो लेना ही चाहिए ।

एक बार फिर से स्वागत है आपका उत्तराखंड सीरिज में , वैसे तो उत्तराखंड मे अनगिनत यात्रा , ट्रेक ओर टूरिस्ट डिस्टिनेशन है जंहा आप जा के अपने आप को फिर से चुस्त दुरुस्त कर सकते हो । पर आज मै आपको देवभूमि के कुछ उन छोटे ट्रेक्स के बारे मे बताने जा रहा हूं जो ट्रेकिंग की दुनिया में नए लोगों के लिए है, तो अगर आपको भी ट्रेकिंग का शौक पनप रहा है तो यह पोस्ट आपके लिए ही है।

Photo of Dehradun by Suraj Rawat

1. नाग टिब्बा

नाग टिब्बा का अर्थ है सर्प शिखर , देहरादून मसूरी के पास निचले हिमालय में सबसे ऊंची चोटी है। यह सबसे अच्छे वीकेंड ट्रेक में से एक है जिसे शुरुआत और अनुभवी ट्रेकर्स द्वारा शुरू किया जा सकता है। पहाड़ी के ऊपर एक छोटा मंदिर स्थापित है, जहाँ से हिमालय की संपूर्ण बंदरपूंछ पर्वतमाला का दृश्य देखा जा सकता है ।

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नाग टिब्बा वसंत और गर्मियों के दौरान कैम्प लगाने के लिए एक आदर्श स्थान है और सर्दियों के लिए सबसे उपयुक्त ट्रेक में से एक है, जब अधिकांश ट्रेक भारी बर्फ के कारण बंद हो जाते हैं। यहां आसानी से पहुंचने के कारण यह भारत में सबसे लोकप्रिय वीकेंड ट्रेक में से एक है।

नागटिब्बा 3025 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और हर साल हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है । प्राकृतिक सुंदरता और एडवेंचर प्रेमियों के लिए एक अच्छा ट्रेक प्रदान करता है । पूरे साल एक सुन्दर मौसम का अनुभव करता है और कैम्प के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है । यह आरामदायक नाग टिब्बा ट्रेक बंदरपंच , स्वर्गारोहिणी , श्रीकांत , गंगोत्री समूह , काली चोटी , केदारनाथ चोटी , दून घाटी और चनाबांग की बर्फ से ढकी चोटियों की विशाल चोटियों के मंत्रमुग्ध कर देने वाले दृश्य देख सकते है । और घास के मैदानों और घने जंगलों की सुंदरता का आनंद ले सकते हैं ।

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पंथवारी गांव से ( 8 किलोमीटर ) नाग टिब्बा बेस कैंप और शिखर तक पहुंचने के लिए ट्रेकर्स के लिए मार्ग है । पंतवारी गांव सड़क मार्ग से मसूरी से 50 किलोमीटर और देहरादून से 85 किलोमीटर दूर है । पंथवारी गाँव से नाग टिब्बा के लिए सबसे छोटा मार्ग है । हालांकि मार्ग थोड़ा जटिल है और इसके लिए एक गाइड की आवश्यकता होती है ।

नाग टिब्बा जाने का सबसे अच्छा समय

जनवरी , फरवरी , मार्च , अप्रैल , मई , सितंबर , अक्टूबर , नवंबर , दिसंबर से शुरू होता है

• ट्रेक दूरी 8 किमी

• रेलवे स्टेशन- देहरादून रेलवे स्टेशन , 73 किमी

•निकटतम हवाई अड्डा -जॉली ग्रांट हवाई अड्डा देहरादून, 96 किमी

2. खालिया टॉप

खलिया टॉप बर्फीले चोटियों से घिरा एक घास का मैदान(बुग्याल) है, जो 360°दृश्य प्रस्तुत करता है। खलिया टॉप समुद्र तल से 3500 मीटर की आश्चर्यजनक ऊंचाई पर स्थित है और उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में मुनस्यारी के पास स्थित है । यहां की चोटी को जीरो प्वॉइंट कहते है और यहां से अपको हिमालय की सबसे जायदा चोटियां दिखाई देती है।

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राजसी, पंचाचुली, राजरंभा,हर्डियोल,नंदा कोट ,त्रिशूल 1 , त्रिशूल 2,नंदा देवी आदि के अलौकिक सौंदर्य दिखाई देता हैं सर्दियों मे यहां बहुत अच्छी बर्फ़ बारी होती है और नज़ारों की ख़ूबसूरती अधिक बढ़ जाती है । कैंपिंग के लिए भी यह उयुक्त जगह है k m v n का रिजॉर्ट भी उपलब्ध है। घूमने के लिए यहां मुनस्यारी बाजार ,नंदा देवी मंदिर ,बर्थी वॉटर फॉल, आदि है। मुनस्यारी से शुरू होता है दूरी 4 किलोमीटर ट्रेक आसान ट्रेक अवधि 1 दिन ऊंचाई 3500 मीटर ।

सबसे अच्छा समय: जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रैल, मई, जून, सितंबर, अक्टूबर, दिसंबर

•रेलवे स्टेशन टनकपुर (283 किमी ), हल्द्वानी (287)

• निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर, 346 किमी

3. तुंगनाथ चंद्रशिला

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चंद्रशिला जिसका अर्थ है ' मून रॉक ' चंद्रनाथ पर्वत का शिखर है जिस पर पंच केदार तुंगनाथ मंदिर स्थित है। चंद्रशिला की यात्रा चोपता से शुरु होती है । रास्ते में आपको प्राचीन घास के मैदान , चरवाहे , जंगली जानवर , हिमालय के पक्षी और वनस्पति जीवों की दुर्लभ प्रजातियाँ देखने को मिलेंगी । 3.5 किमी की ट्रेकिंग के बाद आप 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ मंदिर पहुंचेंगे । यह दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है । तुंगनाथ पहुंचने पर , मंदिर में माथा टेकें और इसकी पुरानी पत्थर की वास्तुकला को देख के आंनद उठाए । यहां आते ही सारी थकान मंदिर दर्शन करते ही विलुप्त हो जाती है । यहां थोड़ी देर आराम करें और चंद्रशिला पीक के लिए 1.5 किमी का छोटा ट्रेक शुरू करें ।

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चंद्रशिला पहुंचने पर , बर्फ से ढके हिमालय के शानदार 360 - डिग्री दृश्य का आनंद लें यहां से प्रमुख हिमालयी चोटियाँ दिखाई देती हैं : नंदा देवी , चौखम्बा , थलयसागर , केदारनाथ , द्रोणागिरी , चांगबांग , और गढ़वाल हिमालय की कई अन्य शक्तिशाली चोटियाँ दिखाई देती है। यहां रुकने की कोई व्यवस्था नहीं है इसलिए चोपता के लिए वापस ट्रेक करें और एक शानदार रात्रि के भोजन के साथ अपने थके हुए शरीर का इलाज करें ,चोपता की सुंदरता का आनंद लें ।

चंद्रशिला ट्रेक घूमने का सबसे अच्छा समय: अप्रैल, मई, जून, सितंबर, अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर से शुरू होता है

चोपटा ट्रेक दूरी 5 किमी ,ट्रेक आसान है ट्रेक 1 दिन दिन का है ऊंचाई 4000 मीटर है ।

• रेलवे स्टेशन ऋषिकेश , 213 किमी

• हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा , 227 किमी

• रुद्रप्रयाग नजदीकी बस अड्डा (24 किलोमीटर)है ।

4. केदारकंठा

हाल ही के कुछ सालो मे इस ट्रैक ने सबसे अधिक लोकप्रियता पाई है। विंटर ट्रैक के लिए यहां आने वालो की संख्या कई हजारों में है ।

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3800 मीटर की ऊंचाई पर केदारकंठा एक चोटी है यह गोविंद वन्यजीव अभयारण्य उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले मे है । भगवान शिव को समर्पित , केदारकांठा उत्तराखंड में सबसे लोकप्रिय ट्रेक में से एक है , क्योंकि यहां पहुंचना आसान है। केदारकांठा ट्रेक उन पर्वतीय प्रेमियों के लिए एक बेहद खुशी की बात है जो हर उस चोटी पर जाना चाहते है जहा आसानी से जाया जा सकता है। इस ट्रेक को शुरू करना आपके लिए सबसे अच्छे निर्णयों में से एक होगा क्योंकि घूमने वाला रास्ता आपको घने नीले आसमां - चीड़ के जंगलों में ले जाएगा जो जल्द ही घास के मैदानों में खुल जाएगा जो दिसंबर से अपैल तक की ताजा बर्फ बारी हर किसी को यंहा का दिवाना बना देती है यहां से 360°का नज़ारों का नशा आंखो से उतरता नही है। बंदर पूछ, स्वर्गारोिणी, व्हाइटपीक, काला नाग,रंगलाना, आदि यहां इनका भव्य दृश्य दिखाई देता है।

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केदारकांठा ट्रेक अपको प्राकृतिक सुंदरता को देखने और उत्तराखंड हिमालय के दूरदराज के गांवों के जीवन के अनुभव को महसूस करने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है ।

केदारकांठा ट्रेक घूमने का सबसे अच्छा समय: जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रैल, मई, जून, अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर से शुरू होता है ।

• सांकरी गांव ट्रेक दूरी 20 किमी / संपूर्ण ट्रेक आसान है अवधि 5 दिन।

• ऊंचाई सीमा 3810 mtr

• रेलवे स्टेशन देहरादून , 208 किमी

• हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा , 225 किमी

5. दयारा बुग्याल

पीछले कुछ सालो में इस ट्रैक पर जाने वालो की संख्या मे बहुत बढ़ोतरी हुई है इसी कारण यह ट्रैक भी उत्तराखंड में बहुत फेमस हो चुका है और हो भी क्यों ना यह ऑल वेदर ट्रैक जो है यह सभी प्रकार के लोगों के लिए सबसे उपयुक्त जगह है। हिमालय की उच्च चोटियां ,नीला आकाश, हरी और मखमली घास का मैदान , जंगलों के बीच में पैदल पथ मानों आप किसी भीड़ भाड़ वाली जगह से हिमालय कि मनमोहक दृश्य वाली जगह पर आ गए हो।

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घुमन्तुओं और ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए आराम की जगह । गर्मियों में मखमली घास और सर्दियों में जब बर्फ़ की सफेद चादर बिछ जाती है तो यहां का नजारा अद्भुत होता है।। दयारा बुग्याल अपनी सुंदरता से किसी को भी मदहोश कर सकता है। 3340 मीटर की ऊंचाई पर, भटवाड़ी होते हुए बारसू गांव तक सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है वहां से दयारा बुग्याल 9 किमी की पैदल दूरी पर आसानी से पहुंचा जा सकता है।यहां से बंदरपूछ (6,316 मीटर), भागीरथी (6921 मीटर), ब्लैक पीक , द्रौपदी का डंडा, गंगोत्री पीक, जोली रेंज जैसे अन्य और बर्फ से ढकी चोटियां देख सकते हैं

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साथ ही यहां पर नेहरू पर्वतारोहण संस्थान ( N I M) उत्तरकाशी द्वारा सर्दियों मे स्की कैंप का आयोजन भी किया जाता है ।

बुग्याल घूमने का सबसे अच्छा समय: जनवरी , फरवरी , मई , जून , जुलाई , अगस्त , सितंबर , अक्टूबर , दिसंबर

• शुरू होता है रैथल ओर बर्शु गांव से।

• ट्रेक दूरी 9 किमी ट्रेक आसान ।

• अवधि चार दिन ऊंचाई सीमा 1600-3800 मीटर

• रेलवे स्टेशन देहरादून , 192 किमी ।

• हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा , 218 किमी ।

• निकटतम बस अड्डा उत्तरकाशी।

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तो जल्दी मन बनाइए इन जगहों की ट्रेकिंग का ओर निहारें हिमालय को बिल्कुल पास से।

इन सभी ट्रेक की जानकारी ओर उत्तराखंड में ट्रैकिंग करने के लिए आप मुझ से इंस्टाग्राम के माध्यम से जुड़ सकते है @suraj_ra_wat

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( शहरों में अभी हालात काफी हद तक सही है परन्तु अभी भी गैर जरूरी यात्रा ना करें ।आप और आपका परिवार स्वस्थ रहे हमारी यही कामना है)

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