Amazing People of Jamatia Tribe of Tripura

Tripoto
22nd Mar 2021
Day 4

त्रिपुरा यात्रा 4

त्रिपुरा में जनजातियों का खूब वास है और अभी यहां पर 19 जनजातियां रहती हैं। त्रिपुरा लगभग पूरा का पूरा इन जनजातियों के ऊपर ही चल रहा है। इनमें त्रिपुरी वंश, जमातिया, रियांग आदि प्रमुख हैं। हर जनजाति का अपना एक अलग महत्व व अपना एक अलग प्रभाव है। इन जनजातियों की खास बात यह है कि भले ही यह आज कुछ आधुनिक हो गए हो लेकिन इन्होंने अपनी संस्कृति, रहन-सहन, खान-पान बिल्कुल नहीं त्यागा है। यह लोग आज भी अपनी मूल जड़ों से जुड़े हुए हैं। जमातिया जनजाति त्रिपुरा में काफी प्रभाव में मानी जाती है। त्रिपुरा में हमेशा से त्रिपुरी राज वंश के राजाओं का शासन रहा है और जब त्रिपुरी राज वंश के राजाओं का शासन था उस समय उदयपुर त्रिपुरा की राजधानी होती थी। बंगाल की तरफ से लगातार होते आक्रमणों से तंग आकर त्रिपुरी राजाओं ने अपनी एक सेना बनाई। उस समय सेना की जमात को जमातिया कहा जाने लगा। शुरू में जमातिया जनजाति उदयपुर तथा सोनामुरा क्षेत्रों में ही रहती थी, लेकिन आज इनका फैलाव वर्तमान राज्य के दक्षिणी इलाके बिलोनिया व सबरूम तक है। 1930 के आसपास इनकी जनसंख्या लगभग 11000 थी लेकिन आज इनकी जनसंख्या करीब सवा लाख हो चुकी है। जमानिया जनजाति की एक खास बात है कि यह संगठित होकर रहते हैं। इनके संगठित होकर रहने के गुण की वजह से ही इनको सेना का कार्य बहुत अच्छी तरह से निभाया। जमातिया समाज युद्ध के लिए सदा तैयार रहते थे। इनकी संगठित रहने वाले गुणवत्ता का लाभ राजाओं को उग्रवादियों से लोहा लेने में मिला। भारत में अभी पंचायत राज शुरू हुआ है, लेकिन इस समाज में यह पिछले 500 से भी अधिक वर्षों से प्रचलित है। ऐसा इन के इतिहास से पता चलता है। इस समाज की एक सर्वोच्च संस्था या सर्वोच्च व्यक्ति होता है। उसको 'होदा आक्रा' कहते हैं। होदा यहां पर बहुत ही ताकतवर नेता होता है। इस समाज के कोई भी वाद-विवाद, तलाक या अन्य विवादित मुद्दों को सुलझाने के लिए होदा के पास पूरा अधिकार होता है। होदा अपने विवेक और सुनवाई के ऊपर आधारित फैसले से दोषी को सजा भी दे सकता है। जमातिया समाज पहले सिर्फ झूम खेती पर ही आधारित था पर यह अब समतल खेती भी करने लगे हैं। यह समाज 'गडिया बाबा' का बहुत बड़ा भक्त होता है। इस समाज में तब बड़ी समस्या खड़ी हो गई, जब कुछ युवकों ने ईसाई मत अपना लिया। इस बात की बड़ी तीव्र प्रतिक्रिया हुई। तत्कालीन हौदा आक्रा ने निर्णय लेकर उन युवकों को समाज से बहिष्कृत कर दिया। इससे इस समाज में धर्मांतरण का होना कुछ हद तक रुक गया। रोजगार अभी त्रिपुरा के नव युवकों के लिए एक बड़ी समस्या लगती है। यहां के लोग बहुत हद तक टैलेंटेड व स्किलफुल हैं। हाथ की कारीगरी करने में इनको प्रसिद्धि हासिल है। किंतु परेशानी यह है कि बाजार नहीं है। जो भी यह लोग बनाते हैं, उसको बेचने में बड़ी विकट समस्या आती है। ये लोग रबड़ की खेती भी करते हैं और अगर थोड़ी बहुत जमीन है तो मछली पालन भी करते हैं। साथ-साथ कुछ दैनिक कार्यों की मजदूरी करके भी अपनी गुजर-बसर करते हैं। खानपान पूरी तरह से साधारण है। आप कह सकते हैं कि कंदमूल खाकर अपना गुजारा करते हैं। कंदमूल से मेरा आशय यहां पर यह है कि खुद की जमीन या खेत में उगाए गए थोड़ी बहुत सब्जियां या जंगल में साधारण रूप से पाए जाने वाले पेड़ पौधों के सब्जी खाते हैं। हालांकि, पेड़ पौधों या फूल पत्ते टाइप की जो सब्जियां होती हैं वह स्वादिष्ट बहुत होती हैं। इसके अलावा नॉनवेज भी बहुत मात्रा में खाया जाता है जाता है।

खुशकिस्मती से मुझे करीब एक हफ्ता इस समाज के साथ रहकर इनको करीब से जानने का मौका मिला। इस दौरान स्थानीय खाने, चावल से बनती हुई देशी दारू, बाजार, खेती बाड़ी, मेले और पुजा पद्दति का खूब आंनद लिया। और मैं कह सकता हूँ कि ये मेरी घुमक्कड़ी जीवन का सबसे अच्छा व यादगार अनुभव रहा। तब पता नही था कि यूट्यूब पर इनकी वीडियो डालूंगा, किंतु कुछ छोटी छोटी क्लिप्स को जोड़ कर एक अच्छी वीडियो बन ही गई है। यदि आप इनकी रोजमर्रा की जिंदगी की एक झलक देखना चाहते हैं तो इसकी वीडियो मेरे यूट्यूब चैनल पर है, और इस बार आपको चैनल खुद ही ढूंढना पड़ेगा। चैनल का नाम है - Musafir Man

Photo of Amazing People of Jamatia Tribe of Tripura by Musafir Man
Photo of Amazing People of Jamatia Tribe of Tripura by Musafir Man
Photo of Amazing People of Jamatia Tribe of Tripura by Musafir Man
Photo of Amazing People of Jamatia Tribe of Tripura by Musafir Man
Photo of Amazing People of Jamatia Tribe of Tripura by Musafir Man

Further Reads