![Photo of Summer festivals: गर्मियों में इन खास तरह के फेस्टिवल से गुलज़ार रहती हैं भारत की ये जगहें by Pooja Tomar Kshatrani](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2059001/TripDocument/1652599078_het_hemisfestival_in_ladakh_is_dit_jaar_op_11_en_12_juli_wil_je_er_ook_bij_zijn_van_30_juni_tot_23_juli_is_er_een_groepsreis_gepland_maar_deze_reis_is_ook_goed_individueel_te_plannen_https_layurtravel_nl_reizen_rondreizen_rondre_image5.jpg)
बेशक मई-जून महीने की गर्मी बाहर निकलने से रोकती है लेकिन घूमने-फिरने वालों के लिए ये बहुत बड़ा चैलेंज नहीं होता। तो अगर आप भी इस गर्मी में घूमने का साहस रखते हैं तो एक नज़र डालें यहां। जहां होने वाले अनोखे फेस्टिवल में शामिल होकर आप कर सकते हैं भरपूर एन्जॉय। वैसे यदि आप इस बार छुट्टियों के लिए किसी ऐसी जगह जाना चाहते हैं,जहां आप घूमने के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों की संस्कृति से भी रूबरू हो सकें और अपने आपको थोड़ा धार्मिक रंग में भी सरोबार करना चाहते हैं, तो हमने आपके लिए एक ऐसी ही सूची तैयार की है जिसमें कई राज्यों के फेमस फेस्टिवल और त्यौहारों का विवरण है। इनमें से अपनी मनपसंद जगह चुनकर आप घूमने के साथ फेस्टिवल का आनंद भी ले सकते हैं।
1. माउंट आबू समर फेस्टिवल, राजस्थान
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राजस्थान के एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू में समर फेस्टिवल का आयोजन होने जा रहा है। माउंट आबू गर्मियों में देश-दुनिया के सैलानियों के आकर्षण का बड़ा केंद्र होता है। हर साल मई और जून के महीने में समर फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। इस बार 13 मई से 15 मई तक इसका आयोजन होगा।
माउंट आबू में आयोति समर फेस्टिवल लोक और शास्त्रीय संगीत का पर्व है। यह राजस्थान के आदिवासी जीवन और संस्कृति की झलक देता है। तीन दिन के इस फेस्टिवल में कई सांस्कृतिक और पारंपरिक झलकियां देखने को मिलेंगी। इसकी जानकारी राजस्थान टूरिज्म ने स्वदेशी सोशल मीडिया मंच, कू ऐप के अपने आधिकारिक हैंडल के माध्यम से दी है, जिसके बाद कला प्रेमियों का उत्साह दोगुना हो गया है।
खास बात यह है कि माउंट आबू में यह समर फेस्टिवल हर साल बुद्ध पूर्णिमा के दौरान आयोजित किया जाता है, जिसकी शुरुआत एक भव्य गाथागीत के साथ होती है। इसके बाद मंत्रमुग्ध कर देने वाला लोक नृत्य होता है। इस फेस्टिवल के दौरान नक्की झील में बोट रेस और पूरे माउंट आबू में जुलूस का भी आयोजन किया जाता है।
2. मोआत्सु महोत्सव, नागालैंड
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कृषि से जुड़ा ये फेस्टिवल नागालैंड की एक जनजाति द्वारा मनाया जाता है। जिसमें डांस, गाने के साथ ही शादी-ब्याह जैसे कार्यक्रम भी होते हैं। सबसे खास होता है सांगपांगतू। जिसमें पुरुष और महिलाएं नए-नए कपड़ों में तैयार होकर आग के किनारे बैठकर मीट और वाइन का आनंद लेते हैं।
संगीत और लोक नृत्य मोकोकचुंग यहां के आदिवासी लोगों द्वारा किए जाते हैं। यहां रहने वाले 17 कबीलों में एओ ट्राइव नाम का एक कबीला हैं और इसी कबीलें में मोत्सु त्यौहार को विशेष रूप से मनाया जाता हैं। यदि आप नागालैंड की जनजाति संस्कृति, विशेषकर एओ जनजाति के बारें में जानना चाहते हैं, तो आपको इस त्यौहार पर अवश्य जाना चाहिए। यह त्यौहार मई के पहले हफ्ते में मनाया जाता है। इस बार यह फेस्टिवल हो चुका है पर आप अगली बार इसे देखने जरूर जाएं।
वैसे आपको बता दें कि इस फेस्टिवल को मनाने के इन लोगों के अपने कुछ रूल भी हैं जैसे कि एक बार आप इनके कबीले में यह फेस्टिवल मानाने आ गए तो त्यौहार खत्म होने से पहले बाहर नहीं जा सकते। यह नियम उन लोगों के लिए है जो यहां घूमने आए है। नागालैंड में देश विदेश से लाखों पर्यटक घूमने के साथ साथ मोत्सु त्यौहार देखने के लिए इकठ्ठा होते हैं।
3. त्रिशूर पूरम महोत्सव, केरल
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केरल के प्रमुख त्योहारों में से एक है त्रिशूर पूरम। जिसमें खासतौर से भगवान शिव की पूजा होती है। त्रिशूर पूरम महोत्सव अप्रैल के महीने में केरल के प्रसिद्ध मंदिर वड़कुंकनाथ में मनाया जाता है। साल में एक बार मनाए जाने वाले इस त्योहार को देखने देश-विदेश से लोग आते हैं। 36 घंटे की लंबी पूजा के दौरान शानदार आतिशबाजी होती है। इतना ही नहीं यहां पर रंगों, संगीत और भक्ति का एक अनोखा संगम देखने को मिलता है। इस दौरान करीब 50 सजे-धजे हाथी ड्रम की आवाज पर थिरकते हुए सड़कों पर निकलते हैं। जो अद्भुत दृश्य होता है। इस वर्ष त्रिशूर पुरम का त्योहार मंगलवार, 10 मई - बुधवार, 11 मई को मनाया गया था।
4. धुंगरी मेला, मनाली
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हिडिंबा देवी के जन्मोत्सव पर हर साल 14 से 16 मई तक इस मेले का आयोजन होता है। तीन दिनों तक मनाए जाने वाले इस उत्सव के दौरान मनाली का नज़ारा बहुत ही खूबसूरत होता है। इस दिन जुलूस निकाला जाता है जिसमें सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां शामिल होती हैं। स्थानीय लोगों द्वारा लोक नृत्य किया जाता है। मनाली ही नहीं आसपास के गांवों में भी बड़ी ही धूमधाम के साथ ये त्योहार मनाया जाता है।
डूंगरी मेले में शामिल होकर आप मनाली की अनोखी संस्कृति की झलक देख सकते हैं और साथ ही जायकेदार खानपान के भी मज़े ले सकते हैं। कई तरह के स्नैक्स फेस्टिवल सर्व किए जाते हैं। हर एक गांव के अलग-अलग देवी-देवता होते हैं। इस दिन गांव के लिए उन्हें अच्छे से सजा-धजाकर रथयात्रा निकालते हैं।
फेस्टिवल में खास तरह का इंस्ट्रूमेंट होता है जिसे करनाल के नाम से जाना जाता है को बजाने की परंपरा है। फेस्टिवल में यहां के लोकनृत्य और लोकगीत को एन्जॉय किया जा सकता है। गाना गाने वाले लोग एक सर्कल में बैठकर कुल्लू नाती लोकनृत्य के लिए तरह-तरह की धुनें निकालते हैं। घंटों तक चलने वाले कुल्लू नाती में ग्रूप में लोग डांस करते हैं।
5. ऊटी समर फेस्टिवल, तमिलनाडु
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ऊटी तमिलनाडु का बहुत ही खूबसूरत हिल स्टेशन है और समर फेस्टिवल के दौरान तो ये और भी खूबसूरत हो जाता है। जिसमें गुडालूर का स्पाइस शो, कोटागिरी के नेहरू पार्क का वेजिटेबल शो, गर्वनमेंट रोज़ गार्डन का रोज़ शो, कुन्नूर के सिम पार्क का फ्रूट शो और ऊटी के बोटेनिकल गार्डन का फ्लॉवर शो सबसे खास होता है।
इस साल यह 20 मई से 24 मई के बीच मनाया जा रहा है। यहां के बगीचों में आप कई किस्मों के गुलाब और ऑर्किड के फूल देख सकते है। ऊटी फ्लावर शो में फूलो से बानी मूर्ति, कलाकृतियों, शिल्पकलाओं का प्रर्दशन किया जाता है जो देखने में बिलकुल जीवंत लगती है। यह पर्यटकों के द्वारा काफी पसंद किया जाता है।
6. गंगा दशहरा, उत्तराखंड और उत्तर-प्रदेश
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पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा भागीरथ की तपस्या, अथक प्रयास और परिश्रम से इसी दिन गंगा ब्रह्मा जी के कमंडल से निकलकर शिव की जटाओं में विराजमान हुई थी और शिव जी ने अपनी शिखा को खोल कर गंगा को धरती पर जाने की अनुमति दी थी। इसलिए गंगा के धरा अवतरण दिवस को गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है। इस साल गंगा दशहरा जून 9, 2022 दिन बृहस्पतिवार को मनाया जाएगा।
7. हेमिस उत्सव, लद्दाख
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इस त्यौहार का आयोजन लद्दाख के सबसे बड़े बौद्ध मठ हेमिस गोम्पा में किया जाता है। ये त्यौहार गुरु पद्मसम्भवा के जन्मदिवस पर उनको सम्मान देने के लिए मनाया जाता है. भगवान पद्मसम्भवा तिब्बत के तांत्रिक बुद्धिज़्म के संस्थापक है। कहा जाता है कि उन्होंने बुरी आत्माओं से लोगों को बचाया था। इसीलिए इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार भी कहते हैं।
हेमिस फेस्टिवल में लोग खूब रंग-बिरंगे कपड़े पहनते हैं और चेहरे पर मुखौटा लगाते हैं उन्हें पहचानना मुश्किल होता है और यही इस फेस्टिवल की विशेषता है। यहां लोग ढोल, झांझ और सींगों की थाप पर लामाओं द्वारा किया जाने वाला पारंपरिक मुखौटा नृत्य करते है जिसे चाम के नाम से जाना जाता है। उनकी पोशाक भी काफी सुंदर होती है ये लोग पारंपरिक लंबे गाउन पहनते हैं। मुखौटे और टोपी भी पहनते हैं।
हेमिस फेस्टिवल को गुड़ लक के रूप में भी देखा जाता है। कहते है की जो इस त्यौहार को अच्छे से मनाते हैं वे हमेशा खुश रहते है और हर बुरी बला से बचते है, उनका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। इस दिन वहां सभी तिब्बती जश्न के मूड में होते है और सभी लोग एक साथ मिलकर डांस करते है और कई कल्चरल प्रोग्राम करते हैं। इस फेस्टिवल में आपको जोश, मस्ती, तिब्बती इतिहास देखने को मिलेगा।
प्रसिद्ध हेमिस गोम्पा चारों तरफ से पहाड़ो की चट्टानों से घिरा हुआ है। इसका आयोजन जून या जुलाई महीने के आस-पास दो दिनों के लिए किया जाता है, इस बार यह 8 -9 जुलाई के बीच है।
8. बोनालु उत्सव, तेलंगाना
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बोनालु या महाकाली बोनालु एक हिन्दू त्यौहार है जिसमें येल्लम्मा या देवी महाकाली की पूजा की जाती है| यह त्यौहार देवी की कृपा के बदले दिए जाने वाले धन्यवाद के तौर पर मनाया जाता है|
कुछ महिलाएं यहां खूब सजकर मिट्टी के घड़ों में दही-गुड़-चावल का मिश्रण रखकर काली माता की पूजा करती है। इन घड़ों को सजाने में भी वह काफी मेहनत करती है। हर कोई अपने घड़ों को दूसरे से सुंदर बनाना चाहता है और यही इस त्यौहार का आकर्षण भी होता है कि कैसे लोगों ने सिन्दूर, हल्दी और फूल पत्तियों का उपयोग करके अपना घड़ा सजाया है। इन घड़ो को बोनम कहा जाता है। बोनम के साथ देवी को साड़ी और चूड़ियां भी चढ़ाई जाती हैं। यहां माता से अच्छे स्वास्थय,अच्छी फसल, खूब अच्छी बारिश और बीमारियों से बचाएं रखने की प्रार्थना भी की जाती है। तेलंगाना अपनी संस्कृति के साथ ही घूमने के लिए भी बहुत अच्छा है।
बोनालु त्यौहार हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से आषाढ़ मास में मनाया जाता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के जुलाई-अगस्त में पड़ता है|
9. साका दावा महोत्सव, लद्दाख
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यह सिक्किम के सबसे बड़े त्यौहारों में से एक है। इस त्यौहार का महत्व इसीलिए भी ज्यादा है क्यूंकि इसे महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है, भगवान बुद्ध को मानने वाले लोग इस दिन भगवान बुद्ध के जन्म, उनकी आत्मज्ञान और इस शारीरिक दुनिया से मुक्ति की स्मृति में उन्हें याद करते हैं और दीप प्रज्वलित करते हैं। इसी वजह से बाद में एक भव्य समारोह का आयोजन किया जाता है।
इस त्यौहार में पूजा पाठ का विशेष महत्व है। इस अवधि के दौरान अच्छे कर्मों और प्रार्थनाओं को किया जाता है। इसे के चलते जानवरों को ना मारा जाये ये उपदेश भी दिए जातें है। जोखांग मंदिर के चारों ओर जप करते हैं। अगर आप बौद्ध धर्म में रूचि रखते हैं और इसके मूल दर्शन को समझना चाहते हैं, तो आप इस त्योहार का हिस्सा बन सकते हैं। महायान बौद्ध धर्म के भिक्षु इन दिनों मठों में मक्खन के दीपक जलाते हैं। जोके देखने में बहुत सुंदर लगते हैं इसीलिए यह भी इस त्यौहार के प्रमुख आकर्षणों में से एक है।
इस बार यह महोत्सव 14 जून को पूरे लद्दाख में मनाया जाएगा।
10. शिमला समर फेस्टिवल, हिमाचल प्रदेश
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शिमला समर फेस्टिवल में बड़ी तादाद में पर्यटक शामिल होते हैं। वे गाने और डांस के साथ खुशियां मनाते हैं। इस दौरान हिमाचल फिल्म फेस्टिवल भी इस उत्सव का हिस्सा होता है। यहां मशहूर गायकों के म्यूजिकल परफॉर्मेंस भी होते हैं। इसके अलावा यहां का मुख्य आकर्षण फोक डांस, फूड फेस्टिवल, फ्लॉवर शो जैसे इवेंट्स हैं। यही नहीं बच्चो के लिए यहां कई रोमांचकारी खेल प्रतियोगिताएं भी आयोजित कराई जाती है। फोटॉग्रफी कॉम्पटिशन, पोस्टर मेकिंग कॉम्प्टिशन और फैशन शो आदि कई अन्य प्रतियोगिताएं भी होती है। शिमला समर फेस्टिवल में ना केवल हिमाचल प्रदेश की कला एवं संस्कृति देखने को मिलती है बल्कि कठपुतली डांस, राजस्थानी कलाकारों के नृत्य और मैजिक शो भी आकर्षण का केंद्र होते हैं।
शिमला समर फेस्टिवल बहुत उत्साह और भव्यता के साथ मनाया जाता है। त्योहार हिमाचल प्रदेश की समृद्ध परंपरा और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने के लिए दूर-दूर से आने वाले राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को लुभाता है। त्यौहार के पूरे दौर के दौरान, पूरी राजधानी शहर रंग, संगीत, मिर्थ और बोनहोमि के कॉर्नुकोपिया से मिलता-जुलता है जो शिमला घूमने का एक और अद्भुत कारण है।
इस साल यह फेस्टिवल 1 जून से 9 जून तक मनाया जाएगा।
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