ये घुमक्कड़ जोड़ी घूम चुकी है 193 देश, वो भी फुल टाइम नौकरी के साथ!

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हर कोई दुनिया घूमना चाहता है, लेकिन अक्सर हम किसी न किसी वजह से ऐसा नहीं कर पाते। कभी नौकरी, कभी परिवार तो कभी और चीजों की जिम्मेदारियों की वजह से ये सपना, अक्सर सपना ही रह जाता है। लेकिन प्रसन्ना और संगीता एक ऐसा कपल है जिसने ऐसे किसी भी बहाने को अपने दुनिया घूमने की ख्वाइश के बीच नहीं आने दिया। इसलिए ही तो वो फुल टाइम जॉब होते हुए भी दुनिया के 193 देश घूम पाए!

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श्रेय: प्रसन्ना

इन्होंने अपनी जिंदगी अपने हिसाब से बनाई है जिसमें वो काम भी करते हैं और घूमते भी हैं। कैसे ये कपल ऐसा कर पाता है ये जानने के लिए मैंने प्रसन्ना से उनके इस सफर के बारे में कुछ सवाल पूछे।

आपके लिए भारत और विदेश में घूमना कितना अलग अनुभव था?

इसका जवाब दे पाना मुश्किल है क्योंकि भारत सिर्फ एक देश नहीं है, ये महाद्वीप जैसा है। जब भी आप भारत के अलग-अलग राज्यों में घूमते हैं तो आप ये महसूस करते हैं कि आप कई अलग देश, क्षेत्र और संस्कृति देख रहे हैं। आपके पास सभी तरह के इलाके होते हैं, दर्जनों अलग तरह की भाषा बोलने वाले लोग मिलते हैं, खाना तो सिर्फ एक राज्य से दूसरे राज्य में नहीं बल्कि हर दूसरे इलाके में बदल जाता है और लोग हैं जो अलग-अलग दिखते हैं और अलग तरह के कपड़े पहनते हैं।

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घूमते वक्त जो बात हमें सबसे ज्यादा उत्साहित करती है कि कोई नई जगह कितनी अलग होगी, वहाँ के स्थानीय लोग, भाषा, खाना और दूसरी चीजें कितनी खास होंगी। भारत में आप बस एक राज्य से दूसरे का बार्डर क्रॉस कीजिए और कभी-कभी तो उसकी भी जरूरत नहीं पड़ेगी उसी राज्य में आपको असाधारण और रोमांच से भरा अलग अनुभव मिलेगा।

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घूमने के लिए इतना टाइम निकालने का राज़ क्या है? आपकी नौकरी अच्छी थी या आपकी टाइम मैनेजमेंट स्किल इतनी अच्छी थी कि आपने फुल टाइम जॉब के साथ 193 देश घूम लिए?

वैसे, इन दोनों ही चीज़ों की जरूरत पड़ती है। हर तरह की जॉब में आपको ऐसा मौका नहीं मिलता जैसे टेक इंडस्ट्री में आप अलग-अलग जगहों से काम करते हैं। हम दोनों नई कंपनियों के साथ काम कर रहे हैं तो इसमें कुछ छूट मिल जाती है और हम भाग्यशाली भी रहे हैं कि हमें ऐसे मैनेजर्स मिले जिनकी वजह से ये संभव हो पाया। हालांकि हमारे लिए ये काफी व्यस्त कार्यक्रम हो जाता था - काम पूरा खत्म करना, छोटी सी ट्रिप में कई देशों में घूमना, कई टाइम जोन में ट्रैवेल करना, जेट-लैग झेलना आदि।

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आपको सबसे पहले तो ये समझना होगा कि आप किस तरह के ट्रैवेलर हैं। कुछ लोग थाईलैंड में ही दो हफ्ते बिता देते हैं और कुछ एक हफ्ते में ही पाँच देशों की सैर कर लेते हैं। हम दूसरे नंबर वाले ट्रैवेलर हैं और इसलिए इतने समय में हम काफी सारे देश घूम पाए। हम हर देश में दोबारा जाना पसंद करते हैं और पूरे देश का अनुभव लेते हैं लेकिन पहला लक्ष्य हमारा यही होता है कि हम पहली बार में जल्दी से उस देश के बारे में जान लें, वहाँ के लोगों को और खाने को समझ सकें।

बहुत सारे लोग भारतीय पासपोर्ट पर दुनिया घूमने को लेकर परेशान रहते हैं। आपका अनुभव कैसा था?

जब हमने सफर करना शुरू किया तो सिर्फ कुछ ही देश थे जो भारतीयों को बीना वीजा या देश में पहुँचने पर वीजा देना की सुविधा मुहैया कराते थे। लेकिन अब 60 से ज्यादा देश हैं जो ऐसी सुविधा दे रहे हैं। वीजा को अलग रख दें तो भारतीयों किसी भी देश में बिना चिंता के घूमन सकते हैं और इसका श्रेय बॉलीवुड की लोकप्रियता को भी जाता है। पहले हमें पूरी डिटेल में समझाना पड़ता था कि हम कहाँ से हैं। लेकिन अब हर कोई भारत को जानता है। नए ट्रैवेलर्स को इससे फायदा मिलेगा, उन्हें दुनिया में कहीं भी भारतीय खाना और म्यूज़िक मिल जाएगा।

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ये वाकई में दिलचस्प है कि दूर दराज की जगहों जैसे अफ्रीका, मध्य एशिया और पूर्व सोवियत संघ के इलाकों में भारतीय फिल्मी स्टार्स, फिल्में (यहाँ तक की टीवी सीरीयल भी) कितने लोकप्रिय हैं। हमें अर्मेनिया और कॉन्गों में ऐसे भी लोग मिले थे जिन्होंने राज कपूर के गाने गाए। तुर्कमेनिस्तान में प्यारी बूढ़ी आंटियों ने मिथुन चक्रवर्ती के डिस्को डांसर गाने पर डांस किया। मोरक्को में नए और युवा फेरीवालों ने मेरी बीवी के लिए शाहरुख खान की फिल्म DDLJ के गाने भी गाए। ये सब एक दम जादुई अनुभव था।

क्या दुनिया घूमना हमेशा से आपका सपना था या समय के साथ ये आपका शौक बन गया?

25 साल की उम्र तक मेरे पास पासपोर्ट नहीं था और मेरा पहला इंटरनेशनल सफर अमेरिका जाना था जहाँ मुझे जॉब की वजह से रहना था। US में रहते हुए ट्रैवेल करना आसान हो गया था क्योंकि फ्लाइट पर हमें कई डील मिल जाती थी। एक बार जब हमने घूमना शुरू किया तो उसके बाद हम नहीं रुके। हमारी पहली ट्रिप सिएटल से लंदन थी। ये काफी मज़ेदार था कि हमें विदेशी लोग, अलग कल्चर, अनजानी जगहें मिल रही थी। हम इसके आदी हो गए थे। जब भी हमें छुट्टियाँ मिलती थीं, मन करता था कि हम ऐसे ही घूमते रहें।

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आप अलग-अलग जगह बीयर पीना पंसद करते हैं। तो आपके इस वर्ल्ड टूर पर बीयर पीने में सबसे ज्यादा मजा कहाँ आया?

इस सवाल का जवाब देना थोड़ा मुश्किल है। मुझे सभी जगहों पर बीयर पीना पसंद है, आप मेरा पूरा कलेक्शन देख सकते हैं। अगर इसमें से मेरी पसंदीदा जगह चुनना हो तो, मैं ओकीनावा को चुनुँगा ये अनुभव मैंने चुरामी एक्वेरियम में लिया था। इस एक्सपीरियंस सबसे मज़ेदार इसलिए था क्योंकि अक्वेरियम में मौजूद स्टिंगरे मछली को भी ये बड़ी पसंद आई, और वो तो जैसे इसके लिए बाहर ही छलांग लगाने वाली थी।

नज़ारा, खाना या किसी जगह का कल्चर - आपके लिए सबसे जरूरी क्या है?

मैं इनमें से कोई एक चीज़ नहीं चुन सकता, हमारे लिए इन सबकी अहमियत है। दो जगहों की बात करेंगे तो चेन्नई का खाना और कल्चर बेहतरीन हो सकता है, लेकिन मैं कभी भी कश्मीर को चुनना पसंद करूंगा क्योंकि वहाँ का खाना गज़ब का है, कल्चर अपनी ओर आकर्षित करता है और देखने लायक शानदार प्राकृतिक नज़ारा भी है।

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क्या आपने इतने देशों में घूमने के दौरान भारतीय को लेकर किसी मानसिकता को नोटिस किया है?

हम जहाँ भी गए वहाँ बॉलीवुड और योगा जैसी चीजें भारत के साथ जुड़ी पाई। वो दक्षिणी भारत के बारे में कुछ नहीं जानते, वो भारत के हर तरह के खाने को सिर्फ 'इंडियन फूड' बोलते हैं और मानते हैं कि हर भारत में हर कोई योगा एक्सपर्ट होगा। उन्हें ये भी लगता है कि हम भारत में सिर्फ बॉलीवुड फिल्में ही देखते हैं।

अपनी पत्नी संगीता के साथ ट्रैवेलिंग से आपके रिलेशनशिप पर क्या असर पड़ा?

वास्तव में हमारे रिलेशनशिप पर इसका बहुत ही प्यारा असर पड़ा था। हम दोनों को घूमना और नई जगहों पर जाना पसंद है। एक अनजान जगह पर होने और बढ़िया जगहें देखने से हमें एक नई ऊर्जा मिलती थी और हमारा रोमांस फिर से शुरू हो जाता था। शादी के 20 साल और एक दूसरे को जानने के 25 साल बाद भी हमें ऐसा लगता है कि हम हमेशा हनीमून पर ही हैं। हमें अपने आप को #RomanticRoadWarriors हैशटैग देना बहुत पसंद है।

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आपकी ट्रिप में से एक ऐसा कौन-सा अनुभव है, जिससे आपको लगा कि आप अपने सपनों की ज़िदगी जी रहे हैं?

हमने ज़ाम्बिया के साउथ लौंग्वा नेशनल पार्क में एक दिन बिताया जब हमने पैदल चलकर हाथियों को देखने की कोशिश की और तेंदुओं को ढूंढने के लिए लंबी लंबी ड्राइविंग की। शाम के वक्त, अचानक गाइड और ड्राइवर में बहस शुरू हो गई। वो अफ्रीका की में एक अच्छे सर्यास्त अनुभव के लिए सबसे ज़रूरी चीज़, आइसबॉक्स और उसमें मौजूद सामान कैंप में ही भूल गए थे। स्टाफ काफी प्यारा और फ्रेंडली था इस वजह से हमने अपनी मायूसी भी नहीं दिखाई। ये हमारी ट्रिप का आखिरी दिन था और हमारे पास इस शाम में मजे करने का करने का कोई और ज़रिया नहीं था।

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हम पूरी कोशिश कर रहे थे कि हम उदास ना हों तभी हमारी गाड़ी एकदम दाईं तरफ मुड़ गई और ऐसा लग रहा था जैसे कि हम किसी पहाड़ की चोटी पर जा रहे हैं। हम एक खुली जगह में आ गए थे, वो सच में पहाड़ी का एक किनारा था। वहाँ कैंप के दूसरे स्टाफ ने हमारा स्वागत किया और वहाँ उस शाम को एंजॉय करने के लिए सबकुछ था। आप शब्दों में इस अनुभव को बयान नहीं कर सकते।

बैंगनी रंग का आसमान और डूबते सूरज को देखते हुए जहाँ हम बैठे थे, वहाँ पास में ही पानी में दरियाई घोड़ों का झुंड मौज कर रहा था। ये सब बहुत ही शानदार और कभी ना भूलने वाला नज़ारा था। यहाँ तक कि जो ड्रिंक्स को हाथ नहीं लगाता, उसने भी वाइन का ग्लास उठा लिया था, ये वाकई में एक शानदार अनुभव था।

आप को क्या लगता है कि लोग कैसे अपनी नौकरी के साथ ट्रैवल को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना सकते हैं?

अपनी जिंदगी में रेगुलर ट्रैवेल करने के लिए इसे वेकेशन की तरह देखते हुए सिर्फ छुट्टियों तक ही सीमत ना रखें बल्कि इसे अपना लाइफ स्टाइल बनाइए। जैसे कुछ लोग नई जगह पर खाना-पीना और शहर मे घूमना पसंद करते हैं, वैसे ही हम हमेशा नई जगह, कल्चर और नाइटलाइफ को जीना ज्यादा पसंद करते हैं। इस तरह हमने ट्रैवल को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाया है।

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हम मानते हैं कि मैटेरियल चीजों से ज्यादा हमारा अनुभव मायने रखता है। मेरे हिसाब से, ट्रैवेल का अनुभव आपके साथ काफी आगे तक रहता है, बजाय किसी और चीज़ के। मुझे अपने पिछले 2 दशक में खरीदे हुए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज शायद ही याद हैं लेकिन मैं अपने अब तक के सफर के बेहतरीन अनुभव को कभी नहीं भुला सकता। इसलिए हम महसूस करते हैं कि ट्रैवल हमारी जिंदगी का हिस्सा होना चाहिए।

है ना ये कमाल की जोड़ी!

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