मेट्रो ट्रैन के बारे में तो सब जानते ही हैं दिल्ली ,जयपुर ,चेन्नई जैसे शहरों में चलती हैं। सिटी बस की तरह इन्हे सिटी ट्रैन भी कह दो तो भी कोई बात नहीं। महानगरों के भीड़ भाड़ वाले इलाकों में एक जगह से दूसरी जगह जाने का सबसे तेज तरीका मेट्रो ही हैं (अधिकतर केस में ).... यह ट्रैन आपने जमीन से ऊपर या अंडरग्राउंड चलती देखी होगी। पर क्या आपको पता हैं कि भारत में पानी के अंदर भी मेट्रो चलना शुरू हो गयी हैं ? क्या आपने किया हैं अंडरवाटर मेट्रो में सफर ?
चलो आज इसी की ही जानकारी दे देता हूँ -
6 मार्च 2024 से कोलकाता में देश की पहली अंडरवाटर मेट्रो शुरू हो गयी ,जो हुगली नदी के अंदर चलती हैं। इसी जून में मेरा कोलकाता जाना हुआ था , मुझे पता था कि यहाँ अंडरवाटर मेट्रो चलती हैं।हम सभी साथियों की सहमति बनी और हम निकल लिए इस ट्रैन में सफर करने के लिए। पता चला कि यह अंडरवाटर ट्रैन केवल "हावड़ा मैदान " स्टेशन से "एस्प्लेनेड " स्टेशन के बीच में ही चलती है। "एस्प्लेनेड" मेट्रो स्टेशन काफी प्रसिद्ध मेट्रो स्टेशन हैं ,देश की पहली मेट्रो भी 1984 में इसी स्टेशन तक चली थी (भवानीपुर स्टेशन से )।
हम एस्प्लेनेड स्टेशन पहुंचे और हावड़ा मैदान तक का टिकट लिया जो कि मात्र 10 रूपये प्रति व्यक्ति था। 4 से 5 मिनट के इस सफर में ट्रैन नदी के अंदर करीब एक मिनट तक चली। जैसे ही नदी में ट्रैन ने प्रवेश किया ,खिड़कियों से ट्रैन के दोनों तरफ केवल नीले रंग की लाइट्स दिख रही थी ,जो इस चीज का प्रतिक थी कि हम नदी के अंदर सफर कर रहे हैं।नीले रंग के अलावा आपको अंदर कुछ नजर नहीं आता ,कोई ऐसा अलग सा अनुभव भी इसमें नहीं होता हैं।इसका कारण हैं कि ट्रैन नदी के अंदर बनी एक टनल में दौडती हैं जिसमें बिलकुल पानी नहीं रहता हैं और ना ही कही से आ जा सकता हैं।
यह ट्रैन असल में हुगली नदी के करीब 100 फ़ीट निचे चलती हैं। कोलकाता से हावड़ा जाने के लिए हुगली नदी पर बने हावड़ा ब्रिज को पार करना होता हैं। लेकिन इस सफर में लोग घंटों तक जाम में फंसे रहते हैं। इसीलिए जाम से निजात पानी और ब्रिज पर भीड़ को कम करने के लिए हुगली नदी के एक तरफ से दूसरी तरफ तक यह अंडरवाटर ट्रैन चलाई गई। यह मेट्रो घंटों के सफर को मात्र 5 से 6 मिनट में पूरा करवा देती हैं वो भी मात्र 10 रूपये में।
वैसे तो कोलकाता प्रसिद्ध है मिठाइयों के लिए ,कलाकारों के लिए ,अपने शानदार इतिहास के लिए ,भारत की पुरानी राजधानी होने के लिए , अंग्रेजो के ज़माने की इमारतों के लिए ,लेकिन सही से सोचो तो आवागमन के साधनों के लिए भी कोलकाता प्रसिद्ध हैं।जैसे देश की पहली मेट्रो तो यहाँ चली ही थी ,पहली अंडरवाटर मेट्रो भी यही चली हैं। जैसे थाईलैंड में गए हुए लोग कम से कम एक बार वहां के ऑटो "टूक टूक" में जरूर बैठते हैं वैसे ही कोलकाता घूमने आये यात्री कम से कम एक बार तो यहाँ की विश्वप्रसिद्ध "पीली टैक्सी (The iconic Ambassador yellow taxi) " में बैठते ही हैं।
कोलकाता में जब आप वहां की प्रसिद्ध सड़को से गुजरते हो तो सड़कों पर ही एक तरफ रेल की पटरी भी बनी दिखाई देती हैं ,तो आपको बता देता हूँ कि ये पटरियां ट्राम के लिए बनायीं गयी थी। भारत में TRAM भी कोलकाता में ही चलती हैं। ट्राम असल में रेल की तरह दिखने वाली ,सड़क पर बनी पटरी पर चलने वाली , बिजली संचालित बस होती हैं।फोटो में एक tram आप देख सकते हैं...भारत में ट्राम पहले काफी शहरों में चलती थी पर अब केवल कोलकाता ही ऐसा शहर बचा हैं जहाँ की सड़कों पर ट्राम चलती दिख ही जाती हैं। हालाँकि यह भी अब शायद मात्र 5 से 6 रूट तक ही सिमित हो गई हैं और शायद जल्दी ही बंद भी हो जाए।
खैर ,कोलकाता में काफी कुछ हैं घूमने को ,इसमें "साइंस सिटी" सबसे शानदार जगह हैं ,जिसपर जल्दी ही लिखूंगा। यहाँ की गलियों में मैंने कई तरह के स्वाद चखे वो भी फेसबुक मित्रों के साथ ,जल्दी ही उस फ़ूड टूर के बारे में भी लिखूंगा।
-ऋषभ भरावा