पहाड़ों की सात बड़ी रेंज भारत में मौजूद हैं, इसलिए दुनिया भर के पर्वतारोहियों को भारत आकर्षित करता है। चाहे हिमालय के पहाड़ हों, या फिर हो बात हों पूर्वोत्तर के पहाड़ों की, भारत इस मामले में तो बहुत धनी है। यही पहाड़ घुमक्कड़ों, एडवेंचर प्रेमियों और दूसरे यात्रियों को हर साल बुलावा भेजते हैं।
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ये हैं भारत के 30 हिल स्टेशन, जोआपको एक सच्चा पहाड़प्रेमी बना देंगे।
1. येलागिरी, नहीं आए तो पढ़ लो
तवांग या लेह की ही तरह ये हिल स्टेशन भी हरियाली से भरा हुआ है। ऊँटी जितना नहीं, लेकिन फिर भी दक्षिण के प्रसिद्ध हिल स्टेशनों में आता है।
बस इसका कम प्रसिद्ध होने का कारण लोगों की नज़रों में जगह ना बना पाना है। इन अनछिपी जन्नतों की जानकारी आपको शायद ही कहीं मिले। यहाँ आए हैं तो पुंगानूर झील और पार्क ज़रूर घूमने जाएँ।
2. हाफ़लांग, कुदरत का छिपा ख़ज़ाना
भारत का अनमोल हिल स्टेशन। वैसे भी पूर्वोत्तर में देखने के लिए नज़ारे कम थोड़े ही हैं। लेकिन इस वाबस्ता सी जन्नत के बारे में कम ही लोग जानते हैं। यहाँ की आकर्षक जगहों में एक आती है हाफ़लोंग झील। यहाँ से जो सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा है वो है गुवाहाटी और दीमापुर का, लेकिन आप अगर ट्रेन से आना चाहते हैं तो दीमापुर या लुमडिंग उतरिए। असम का स्वाद है यहाँ, बादल और फ़ॉग के बीच में आपका मूड अपने आप ही बन जाएगा।
बाक़ी हिल स्टेशनों से दूर असम का हाफ़लांग हिल स्टेशन ज़्यादा हरा भरा मालूम पड़ता है। यहाँ पर हाफ़लांग झील के लिए समय ज़रूर निकालें, जो यहाँ देखने के लिए सबसे आकर्षक जगह है। कई व्यूपॉइंट हैं, लेकिन सब एक दूसरे से दूर-दूर। यहाँ रोड और ट्रेन से आना मेहनत वाला काम है, जो मैं देखो पहले ही बता दे रहा। लेकिन साफ़ सड़कें और नज़दीकी एयरपोर्ट आपका सफ़र आसान बना देते हैं।
3. इदुक्की के घने जंगलों में खो जाइए
इस हिल स्टेशन को देखकर आपको दुनिया के बेवकूफ़ होने का सबूत मिल जाएगा। इतनी प्यारी जगह, फिर भी पर्यटकों से दूर। हरे भरे घने जंगलों के बीचों बीच से गुज़रती हुई आपकी गाड़ी जो नज़ारे आपको देगी, दिल वाह वाह करेगा। दक्षिण भारत के गिने चुने क़रामाती हिल स्टेशनों में इसका नाम कुछ दिनों बाद आप सुनने लगेंगे। बस थोड़ा सा बच के रहिएगा यहाँ के जंगली जानवरों से।
कहीं आपको मिलेंगे झूमते मचलते मस्ती में चलते हुए हाथी, तो कहीं दूसरे जंगली बाघ और सियार। और हाँ, इनके बीच यहाँ की झील और बाँध देखना मत भूल जाना, नहीं तो ट्रैवल देवता का पाप चढ़ता है। यहाँ ठहरने के लिए सरकार ने लॉज की व्यवस्था कर रखी है, जिसका मौक़ा आपको भी उठाना चाहिए।
4. कैलिम्पोंग के पहाड़ अब हैं और पास
सिलिगुड़ी से महज़ साढ़े तीन घंटे का सफ़र और आप पहुँचोगे भारत के नए नवेले हिल स्टेशन कैलिम्पोंग में। हो सकता है साढ़े तीन घण्टे का ये सफ़र आपको भारी लग रहा हो, लेकिन दावा है ये सफ़र आप साल भर के प्लान को एक पल में सफल कर देगा। यहाँ आने पर दाएलो जाना सबसे बढ़िया मौक़ा होगा, क्योंकि यहाँ से भारत की सबसे ऊँची चोटी कंचनजंघा के पहाड़ आपको हैलो बोलते मिलेंगे। बस शर्त ये है पहले हैलो आपने बोलना है। इसके अलावा डॉ0 ग्राहम होम स्कूल देखने लायक है जहाँ से पूरी पहाड़ी का नज़ारा एक नज़र में देखा जा सकता है। दार्जलिंग और गंगटोक तक की टैक्सी भी यहाँ से मिलती हैं, जिनका सफ़र तो फिर आपको पता ही है। नहीं है तो बता देंगे, सब्र करो थोड़ा।
6. सर्द पहाड़ों पर बसा श्रीनगर
जम्मू कश्मीर गर्मियों की छुट्टियों में घूमने के लिए सबसे उम्दा टूरिस्ट स्पॉट है। ख़ूबसूरत झीलें, उनमें तैरते हुए शिकारे और सामने बर्फ़ में शरमाते हुए पहाड़, उत्तर भारत में कश्मीर कुछ ऐसे ही बयाँ किया जाता है।
यहाँ के कई बड़े बाग़ों में आज भी मुग़लों की निशानियाँ मिलती हैं। ट्यूलिप के फूलों का एक बड़ा सा बाग़ श्रीनगर में है जिसकी छटा पर कई फ़िल्मों तक की शूटिंग हुई है। अप्रैल के महीने में यहाँ पर ट्यूलिप उत्सव का आयोजन भी होता है।
7. नैनीताल में पहाड़ों की ठंडी छाँव
उत्तराखंड के पहाड़ों पर स्थित नैनीताल भारत के सबसे बढ़िया हिल स्टेशन की लिस्ट में आता है। अपने गहरे दर्रों और नैनी झील के कारण लोगों के बीच हमेशा से ही आकर्षण का केन्द्र रहा है नैनीताल।
किसी ज़माने में जब अंग्रेज़ों का यहाँ शासन हुआ करता था, तो अंग्रेज़ अपनी गर्मी की छुट्टियाँ बिताने यहाँ पर आया करते थे। वहीं नैनी झील के सामने बैठकर अपने दिन गुज़ारने वाले अंग्रेज़ जब से गए, तब से ये जगह हमारे लिए घूमने के बढ़िया अवसरों में एक हो गई। जो भी पर्यटक यहाँ आते हैं, यहाँ के मॉल घूमने ज़रूर जाएँ, बढ़िया रेस्तराँ और होटलों की लम्बी लिस्ट होती है।यहाँ, बाज़ार और दुकानें भी अपने प्रियों के लिए सामान ख़रीदने के लिए बेहतर हैं। नैनी झील पर बोट पर बैठे कि नहीं, भूल ना जाना, ये मौक़ा सबको नहीं मिल पाता। नैनीताल हमेशा से ही पर्यटकों से घिरा रहने वाला हिल स्टेशन है और लोकल लोग तो ख़ैर इस जगह से प्यार करते ही हैं। अपनी प्रेमिका या फिर परिवार के साथ समय बिताने के लिए बेहतरीन टूरिस्ट स्पॉट है यह। यहाँ घूमने के लिए आप नैना देवी मंदिर, गोविन्द वल्ल्भ पन्त चिड़ियाघर, टिफ़िन टॉप कैफ़े, खगोलीय वेधशाला जा सकते हैं, नैनी झील तो फिर अपनी ही है। ढेर सारे होटल और ठहरने की जगहों के कारण आपको यहाँ रुकने की दिक्कत नहीं होगी।
8. मनाली हिल स्टेशन और अनगढ़ शान्ति
लोगों की हनीमून की ट्रेन यहाँ आकर रुक जाती है। मैं तो शादी से पहले भी यहाँ आ चुका हूँ, दोस्तों के साथ। पहाड़ बातें करते हैं यहाँ आपसे। एडवेंचर भी भरपूर है यहाँ, साथ में एक शान्ति भी है जो मुझे सबसे ज़्यादा आकर्षित करती है। कुल्लू घाटी स्थित मनाली में आप ब्यास नदी के किनारे समय बिताइए, सारी छुट्टियाँ यहाँ आसानी से पार कर सकते हैं आप। लेकिन घूमने के लिए तो मनाली में ढेर सारी जगहें हैं।
उनमें पहला नाम है यहाँ के खेलों का, स्कीइंग करने दुनिया भर के पर्यटक यहाँ कदम जमाते हैं। सर्दी और गर्मी दोनों मौसम में अलग-अलग खेलों से आप अपना मनोरंजन कर सकते हैं। यहाँ जो पहाड़ की सबसे ऊँची चोटी है, वहाँ पर मिलता है शान्ति का वो अद्भुत सागर, जिसके लिए मैं यहाँ रुक जाने को तैयार हूँ। कुछ लोगों के लिए वो जगह अपने एडवेंचर के लिए भी है। स्कीइंग, स्नो बाइकिंग जैसे ढेरों खेल आप यहाँ आज़मा सकते हैं। एक हडिम्बा मंदिर है और एक मनु मंदिर, दोनों मंदिर ख़ास हैं। तिब्बती मठ में कुछ देर ध्यान करें, सोलांग घाटी और रोहतांग पास भी निकल सकते हैं, दोनों के लिए समय और पैसा खर्च किया जा सकता है। मनाली इसके अलावा प्रेमी प्रेमिकाओं के लिए बेस्ट टूरिस्ट स्पॉट है। कुछ लोग यहाँ से लेह-लद्दाख भी घूमने का प्लान बनाते हैं। मॉल रोड से आपको ख़रीदने की हर चीज़ मिल जाएगी। सबसे अच्छी बात मनाली को बढ़िया बनाती है यहाँ कम किराए में रुकने की व्यवस्था। लग्ज़री होटल भी हैं, जिन्हें भी बुक कर सकते हैं।
9. पहाड़ों की लिस्ट में शिमला को मत भूलना
पहले इस सिमला बोलते थे, आज शिमला बोलते हैं। नाम बदला है, इज़्ज़त नहीं। पहाड़प्रेमी आज भी इसे उसी तिरछी नज़र से देखते हैं, जैसा पहले क्रश को। इसको ना तो कोई पछाड़ने वाला हुआ है, ना होगा। ठण्डा मौसम, हरे पहाड़ में लिपटा हुआ शिमला बार-बार आओ कहकर बुला लेता है। मॉनसून में तो क़यामत ही हो जाती है ये जगह। अंग्रेज़ों की बनवाई बड़ी बिल्डिंगे आज भी वजूद में हैं। क्राइस्ट चर्च की वो चमकती हुई खिड़कियाँ, आज लोगों के लिए लैंडमार्क भी हो गई हैं। वाइसेरेगल लॉज में रुकने का प्लान बनाएँ, टिकट पहले बुक हो जाती हैं। इसके साथ ही कई सारी पहाड़ियों पर भी घूमने का प्लान बना सकते हैं आप। शायद इतनी ख़ूबसूरती के कारण ही शिमला को जन्नत कहा जाता है।
10. ऊटी, दक्षिण भारत का नामी हिल स्टेशन
ऊँटी को दक्षिण भारत में उद्गामंडमलम भी कहा जाता है। गर्मियों के समय में जब दक्षिण भारत तप रहा होता है, तो यही जगह कई लोगों का आरामघर बनती है। ऊँटी का बोटेनिकल गार्डन घूमने लायक जगह है, जिसको ना घूमना मौक़े से हाथ धोना होगा। नीलगिरि पहाड़ों पर डोडाबेट्टा ट्रेक बेहद ग़ज़ब होता है। ऊँटी झील पर बोटिंग के लिए जा सकते हैं आप। बड़े पहाड़, गहरी झीलें और घने जंगल, किसी भी ट्रिप को गुलज़ार कर देते हैं।
यहाँ पहुँचने के लिए आपको 80 किमी0 दूर कोयंबटूर से ड्राइव कर या फिर बस/टैक्सी से नीलगिरि पहाड़ियों तक आना होगा। शानदार हवाई शामें, मीठी सर्दी में सुगबुगाती दोपहरें और हल्की नारंगी तसव्वुर में इठलाती हुई सुबहें यहाँ का नज़ारा ही कुछ और कर देती हैं। पंछी दर्शन, ट्रेकिंग तो यहाँ है ही, लेकिन यहाँ पर तो होना ही अपने आप में सुखद एहसास है। और हो भी क्यों न, हिन्दुस्तान के टॉप 10 हिल स्टेशन में इसका नाम जो आता है। तस्वीरों के लिए उत्तम, पहाड़ों से लबरेज़ और मीलों लम्बे चाय के बाग़ानों से घिरे इस हिल स्टेशन पर आने वाली गर्मियों की छुट्टी में टिकट बुक कर लें।
11. किसी पहाड़ी की तस्वीर सा रंगबिरंगा है तवांग
हिमालय पहाड़ के वो दिलक़श नज़ारे और उसमें खेलती हुई प्रिस्टीन झील मानो किसी तस्वीर से उठाकर धरती पर पटक दी हैं। किसी ख़ूबसूरत और चर्चित हिल स्टेशन होने के क़ाबिल थी ये जगह, लेकिन इसको पर्यटकों की ना जाने कौन सी नज़र लगी हुई है। लेकिन इसी वजह से आपको यहाँ भीड़भाड़ से आपको रूबरू नहीं होना पड़ेगा। अपने एडवेंचर के शौक़ पूरे करने या फिर शान्ति की खोज में लोग यहाँ पहुँच ही जाते हैं। कैंपिंग भी करने के लिए यह जगह बढ़िया है। गुवाहाटी से कुछ 100 किमी0 ही दूर है यह जगह, जो इसे काफ़ी पर्यटक देता है।
अच्छा, एक और बात, यहाँ आया भूकंप और बन गई एक झील। सच्ची, यहाँ पर शोंगा-सेर झील एक भूकंप के आने से बनी है। आप इसके अलावा पागंग झील पर भी फ़ोटोग्राफ़ी करने निकल सकते हैं। छठवें दलाई लामा का जन्म तवांग में ही हुआ था। आज यहाँ एक मठ भी है। जैंग झरने का आनन्द लेना भी मत भूलना। हो सकता है आपको यहाँ पर ठहरने में थोड़ी दिक्कत हो, लेकिन यहाँ सरकारी गेस्ट हाउस में आपको ठहरने पर ढेरों सुविधाएँ मिल जाएँगी। इसके साथ ही तीन शहरों दिल्ली, कोलकाता और गुवाहाटी से लो लाइन परमिट लेकर ही आप यहाँ की यात्रा पर आएँ।
12. चिखलदरा के हरे भरे पहाड़
चिखलदरा के पहाड़ों के बारे में जानना अगर आपने मिस किया है तो ये बात किसी को मत बताना, लोग आपके ट्रैवलर होने का मज़ाक उड़ाएँगे। शान्ति, सुकून जैसे भारी शब्द यहाँ आकर समझ आते हैं, जो किसी दिल्ली की आलीशान बिल्डिंग में नहीं समझ आते। देखने के लिए बहुत कुछ है यहाँ। गाविलघर क़िला भी है यहाँ जो पर्यटकों का प्रमुख पर्यटन स्थल है। इसके अलावा एक वाइल्डलाइफ़ म्यूज़ियम और वाइल्डलाइफ़ सैंक्चुरी इस जगह को और आयाम देते हैं।
यहाँ पहुँचने के लिए आपको अमरावती आना होगा। अमरावती से आपको किचकदारी, शक्कर झील, गाविलघर क़िला, वाइल्डलाइफ़ म्यूज़ियम, वाइल्डलाइफ़ सैंचुरी जैसी जगहों के लिए बस मिल जाएगी। यह अमरावती से 100 और मुंबई से 750 किमी0 दूर है।
13. शिमोगा, नाम तो सुना ही होगा
पश्चिम के घाटों में बेहद चर्चित नाम है शिमोगा का। आपने भी यक़ीनन सुना होगा। अपनों के साथ समय बिताने के लिए यहाँ जाना बहुत अच्छा विकल्प है। नज़दीक में ही जोग झरना है, और इस मशहूर झरने के पास ही है सबसे ऊँची कोदाचरी चोटी। लेकिन इसके साथ यहाँ के मंदिर और गुफ़ाएँ घुमक्कड़ी का केन्द्र बिंदु हैं। कर्नाटक का यह अकेला हिल स्टेशन है जो आपकी इस लिस्ट में है। मॉनसून के महीनों में तो जोग झरना अपने अलग ही मूड में होता है। इसलिए अगर इस हिल स्टेशन को आप छोड़ रहे हैं तो बहुत ग़लती कर रहे हैं।
जोग झरने के अलावा दूसरा झरना भी पास में है सागर झरना। इसके पास में घूमने के लिए तीन मंदिर भी हैं। यहाँ कई होटल मौजूद हैं जो इस ट्रिप में आपका बेहद ख़्याल रखेंगे।
14. पेल्लिंग के आकर्षक नज़ारे और आप
सिक्किम की राजधानी है गंगटोक, जो ख़ुद में ही सुन्दर हिल स्टेशन है। लेकिन ट्रैवलिंग का कीड़ा हर बार कुछ नया देखना चाहता है। तो वो कीड़ा पेल्लिंग आकर शान्त होता है। फ़ोटोग्राफ़ी के लिए मस्त, ट्रेकिंग के लिए ज़बरदस्त पेल्लिंग हिल स्टेशन कंचनजंघा पहाड़ियों की रेंज में आता है। अन्य आकर्षक जगहों में आप चांगी और कंचनज़ोंगा झरने और पेमायांगसे मठ देखने का प्लान बना सकते हैं।
15. शिलॉन्ग के ख़ासी हिल स्टेशन से मिले कि नहीं
मेघालय के शिलॉन्ग में बसा ख़ासी हिल स्टेशन बेहद लुभावना है। बादलों का दूसरा घर भी बोलते हैं लोग इसे। भारत में प्रसिद्ध इस हिल स्टेशन पर आपको सैकड़ों विदेशियों की भीड़ भी मिल जाएगी। वो इसे पूर्व का स्कॉटलैण्ड बुलाते हैं। अब पूर्व के स्कॉटलैण्ड को छोड़ने का मन तो नहीं बना सकते। जो बात साफ़ है। पारंपरिक संगीत, रॉक म्यूज़िक, लोकल पब, लज़ीज़ मसालेदार खाना इस जगह की अन्य विशेषताएँ हैं। सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा गुवाहाटी का है, जो यहाँ से दो घंटे की बस या आधे घंटे के हेलीकॉप्टर के सफ़र पर पूरा किया जा सकता है। घूमने के लिए दूसरी आकर्षक जगहों में पुलिस बाज़ार और वार्ड झील प्रमुख हैं।
16. हिल स्टेशन की बात हो और पहलगाम ना हो, तो क्या मज़ा
जम्मू एवं कश्मीर में जलस्तर से 7,200 फ़ीट की ऊँचाई पर स्थित है पहलगाम। जन्नत और हक़ीकत यहाँ एक साथ एक दूसरे की बाँहों में रहते हैं। बॉलीवुड फ़िल्मों की शूटिंग होती है यहाँ, घुमक्कड़ मौज मनाते हैं यहाँ, इस जगह की और कितनी तारीफ़ की जाए।
17. मुन्नार, चाय के बाग़ान वाले हिल स्टेशन में मारो गुलाटियाँ
भगवान यहाँ ख़ुद बसते हैं। यहाँ की तस्वीरें कई बार बड़े फ़ोटोग्राफ़रों के इंस्टा पेज पर ख़ूब लाइक बटोरती हैं। शान्त, पहाड़ों से घिरी इस सुन्दर सी जगह पर आपने ख़ूब चाय और कॉफ़ी के बाग़ान देखने हैं। इसके बाद जंगलों की सवारी भी करनी है। मुन्नार घूम आइए, नहीं तो मन मसोस कर रह जाएँगे।
18. प्रेमिकाओं का टूरिस्ट डेस्टिनेशन डलहौज़ी
अपनी प्रेमिका को मनाना हो तो चुपके से डलहौज़ी की टिकट दिखा देना, फिर जो मुस्कुराहट आएगी चेहरे पर, वो सच में अनमोल है। हिमाचल की धीरे-धीरे अपना नाम कमाती जगह है डलहौज़ी। ब्रिटिश जनरल लॉर्ड डलहौज़ी के नाम पर इस जगह को नाम मिला। इस जगह को आप एक शानदार तस्वीरनुमा जन्नत कह सकते हो, जिसके कोने कोने में भर भर के ख़ूबसूरती की चमक पड़ी है। कुछ हिन्दू मंदिर हैं यहाँ और कुछ स्कॉटिश और विक्टोरियन वास्तुकला के बंगले और चर्च, जिन्हें देखने का प्लान अधूरा छोड़ना बेमानी होगी।
बाक़ी दूसरी जगहों में तिब्बत मार्केट, सरदार बाज़ार और गाँधी चौक हैं। कालाटॉप, पंजपुला, खज्जर और कारलानु घूमने जाएँ। इसके साथ आप लोहाली गाँव को बिल्कुल ना छोड़ें, वो तो यहाँ की शान है।
19. गुलमर्ग के ग़ुलों में रंग भरे बाद-ए-नौबहार चले
गुलमर्ग का मतलब भी यही है, फूलों की घास। किसी क़िताब की ही तरह सफ़े खुलते हैं गुलमर्ग के। गर्मियों में चहचहाता है सूरज, लेकिन अपनी गर्मी से जलाता नहीं। और सर्दियों में पहाड़ों पर गुलज़ार होकर नाचती है दूधिया सफ़ेद बर्फ़ीली चादर। पर्यटकों की टॉप स्कीइंग जगह है ये। यहाँ पर आप दुनिया की सबसे लम्बी केबल कार का आनन्द लीजिए। अगर आपकी आँखें रस पाना चाहती हैं डेज़ी, ब्लूबैरी और ऐसे ही नाज़ुक फूलों का, तो गुलमर्ग एकदम सही जगह है।
आने वाली गर्मी की छुट्टियों पर यहाँ घूमने का प्लान शामिल करें। गोल्फ़ कोर्स का आनन्द लें, एडवेंचर के शौक़ पूरे करें। इस जन्नत को तबीयत से देखने के लिए तो ख़ैर उम्र छोटी है। इसीलिए ये हमारी हिल स्टेशन की लिस्ट का अहम हिस्सा है।
20. चंबा के पहाड़ चमकीले
चम्बा घाटी हिमाचल के सबसे रहस्यमयी हिल स्टेशनों में एक है। भगवान नारायण के सैकड़ों मंदिर इस जगह को भक्तिमय कर देते हैं। लेकिन भक्तिमय होने के साथ उस जन्नत से कम नहीं, जहाँ पर लोग प्रकृति की ख़ूबसूरती देखने आते हैं। चंबा भारत की उन घाटियों में एक है जहाँ आप पहाड़ों के शानदार नज़ारे देखने आते हैं।
यहाँ आने पर आप अखण्ड चण्डी पैलेस और रंगमहल ज़रूर जाएँ। चामुण्डा देवी मंदिर और चम्पावती मंदिर भी बहुत दूर नहीं हैं। चम्बा के इन पहाड़ों पर आकर अपने धार्मिक होने का पूरा लाभ उठाएँ।
21. औली के पहाड़ों की सर्दी का क्या कहना
प्रकृति और शान्ति एक साथ कहाँ मिलती है, औली में। हरे हरे पहाड़ों के बीच दूधिया बर्फ़ और उसमें सर्दियों के खेलों का आनन्द, औली का मतलब ही विंटर स्पोर्टस है। अपने धार्मिक रंग के लिए भी औली को ख़ूब जाना जाता है। पवनपुत्र हनुमान संजीवनी बूटी के लिए यहीं आए थे। गर्मियों के मौसम में पहाड़ों पर जमी बर्फ़ पिघल जाती है और सामने दिखाए देते हैं हरे हरे ख़ूबसूरत पहाड़। वाक़ई औली से कोई सीखे हर मौसम में इतना सुन्दर होना। यहाँ से बद्रीनाथ मंदिर के लिए केबल राइड भी जाती है। इसके साथ ही औली की कृत्रिम झील के दर्शन करना तो बनता ही है।
आप चाहें तो गर्मियों और सर्दियों, दोनों ही मौसम में इस जगह का लुत्फ़ उठाने आ सकते हैं। ये जगह आपको निराश नहीं करेगी। गर्मियों में दिखेंगे गर्व से लहलहाते हरे पहाड़ और सर्दियों के मौसम में उन पर लिपट जाएगी दूधिया सफ़ेद बर्फ़ की चादर। लेकिन कृत्रिम झील में घूमने का आनन्द सिर्फ़ गर्मियों में ही मिल पाएगा। यहाँ से गुरसो बुग्याल और बद्रीनाथ मंदिर बहुत दूर नहीं हैं। नंदा देवी मंदिर और नीलकण्ठ भी आप एक दिन में घूम सकते हैं। बस प्लान बनाने से पहले मौसम का हाल ज़रूर पता कर लीजिएगा।
गढ़वाल पहाड़ियों की रेंज पर बसा है मसूरी नाम का हिल स्टेशन। प्रेमियों की आरामगाह यहाँ आकर ठहर सी जाती है। देहरादून से महज़ 30 किमी0 दूर मसूरी की पहाड़ियाँ हिल स्टेशनों की रानी कहलाने का कोई मौक़ा नहीं छोड़तीं। हिमालय पहाड़ के वो अद्भुत नज़ारे एक पल में आपको अपना दीवाना बना लेते हैं। यूँ ही हर कोई मसूरी का नाम नहीं जानता।
गंगा और जमुना दो नदियों के बीच दून पहाड़ियों से नाम पाया है देहरादून ने। यही जगह तो हरिद्वार, चार धाम और ऋषिकेश का संगम है। अपने पवित्र माहौल और धार्मिक महत्ता के कारण श्रद्धालु हर साल दर्शन को आते हैं। सुन्दर पहाड़ियाँ, एक हल्का सा ठण्डी मौसिकी वाला मौसम इस जगह को और यादगार बना देता है।
पश्चिम बंगाल के उत्तर में स्थित यह पहाड़ी एक या दो हफ़्तों का समय माँगती है। कंचनजंगा पहाड़ों को देखने का मतलब ही उस मीठी ठण्ड से रूबरू होना है जो पहाड़ों की तरफ़ आपको खींचती है। कुछ छोटे गाँव भी यहाँ दर्शन का स्रोत हैं। अलगारह गाँव देख सकते हैं आप, जो कैलिमपोंग से महज़ 45 मिनट की दूरी पर स्थित है। एक दूसरा गाँव लावा लोलेगाँव भी दर्शन योग्य है, क्योंकि जब भी तापमान गिरता है तो बर्फ़ की फुहारें आपके कदमों तक आती हैं। यहाँ के ज़ायके में टिटोरा नाम की मिर्च और इमली का पाउडर ज़रूर चखें। सेल रोटी, मोमोस और नेपाली आलू दम इस सफ़र में चार चाँद लगा देंगे।
24. दार्जलिंग, लो हम आ पहुँचे यहाँ तक
इसकी ख़ूबसूरती की कहानियाँ हम बचपन से सुनते आ रहे हैं। दार्जलिंग है भी इस लायक। पानी में इठलाते झरने, पहाड़ों के बीच बने घुमावदार रास्ते, इसे भारत के सर्वोत्तम हिल स्टेशनों की सूची में ला खड़ा करते हैं। यहाँ पर ग्लेनैरिस और केवेनटर्स का खाना ज़रूर आज़माएँ। दोनों ही जगहें इतनी स्वादिष्ट हैं कि लोगों की भूख दोगुनी हो जाती है। मेरी बीवी की चार गुनी। इस हिल स्टेशन को घूमने के बारे में अभी भी सोच ही रहे हो तो मैं फिर आपको क्या ही कहूँ।
हिमालय के अनमोल पहाड़ हैं, चाय के बाग़ान हैं, दार्जलिंग वाक़ई ख़ूबसूरत है। और अभी तो यहाँ टॉय ट्रेन भी चलने लगी है। बस उसमें बैठकर ‘कस्तो मज़ा है रेलै मा’ गाते जाना है।
हल्का तापमान और उसमें खिलखिलाते पहाड़, किसी प्राकृतिक सुन्दर तस्वीर की कहानी कहते हैं गंगटोक के ये इलाक़े। गर्मियों के मौसम में यहाँ पर्यटकों का हुजूम पहुँचता है।
राजस्थान के मीलों लम्बे रेगिस्तान में एक अलग ही रंग दिखाता है माउण्ट आबू हिल स्टेशन। अरावली पहाड़ियों में स्थित माउंट आबू राजस्थान ही नहीं, हिन्दुस्तान की शान है।
अगर मैं कभी नौकरी से निकाला गया तो अपना मन शान्त करने यहाँ ज़रूर आऊँगा। क्योंकि दूसरी कोई जगह नहीं, जहाँ इतनी शान्ति मिले। धर्मशाला का क्रिकेट स्टेडियम आपको बहुत तस्वीरों में मिलेगा। यही तो ख़ूबसूरती है इस जगह की साहब। पहाड़ों पर रॉक क्लाइंबिग करो, ट्रेकिंग करने निकल पड़ो, एडवेंचर के लिए ढेरों चीज़ें मौजूद है, और क्या बच्चे की जान लोगे।
28. कूर्गः दक्षिण भारत का खुला ख़ज़ाना
हरे घने जंगल, बहता हुआ शान्त पानी, बदहवास भागते हुए झरने कूर्ग को एक सच होता सपना बना देते हैं। कभी यहाँ आने का मौक़ा मिले तो फ़ोटोग्राफ़ी वाला कैमरा ज़रूर लेते आना, यहाँ के अनुभव जिसने क़ैद नहीं किए, वो हर बार पछताया है।
मुंबई और पुणे के हाईवे के बीच पड़ता है लोनावला हिल स्टेशन। ऊपर पहुँचने के लिए आपको टैक्सी करनी पड़ती है जो सफ़र को जल्दी पूरा करती है, लेकिन फिर भी वो सफ़र आपके साथ सालों रहता है। ऊपर पहुँचकर ठण्डी ठण्डी तेज़ बहती हुई हवा में तस्वीरें खिंचाना वाक़ई यादगार नज़ारा होता है। जब भी यहाँ आएँ, तो लोनावला के साथ खण्डाला भी जाएँ। अगल बगल में हैं, भाई-भाई। एक के घर आए और दूसरे से नहीं मिले तो बुरा लगता है। और हाँ, मॉनसून सीज़न बेस्ट है यहाँ आने के लिए।
विशाखापट्टनम से ट्रेन का छोटा सा सफ़र और ये हम रहे अराकू घाटी में। किसी पेंटिंग से कम नहीं है यह जगह, हर तरफ़ फैले हुए हरे रंग के हज़ारों शेड। हैदराबाद और विजयवाड़ा के लोगों के लिए तो बेहद नज़दीक है, कभी भी प्लान बना सकते हैं।
30. पचमढ़ी के रास्तों में क्यों ना खो जाएँ
मिट्टी की सुगन्ध घुल सी गई है यहाँ। पहाड़ भी निहारते रहते हैं आपको, किसी अपनेपन का सा एहसास होता है पचमढ़ी में। जैसे यहीं के हैं हम, बस ख़ुद से मिलने आए हैं। पचमढ़ी छोड़ने का दिल नहीं करता, सोचते हैं कि क्यों ना यहाँ की ही वादियों में हमेशा के हो जाएँ। पचमढ़ी ख़ूबसूरत है, ख़ूबसूरत शब्द से भी कुछ ज़्यादा ख़ूबसूरत।
इन प्रसिद्ध हिल स्टेशनों की सूची है तो लम्बी, लेकिन हर हिल स्टेशन की अपनी कहानी है। इन्हें घूम लिया तो ज़िन्दगी के कुछ सफ़र ऐसे पूरे करते हो आप, जिन्हें जान लेना ही जीवन का सफल हो जाना है। अपने हिसाब से इन हिल स्टेशनों का प्लान बनाइए, हमारी मदद चाहिए तो संपर्क करिए। कहीं शान्त पहाड़ हैं, कहीं भीड़ भड़क्का। कहीं रेगिस्तान में हिल स्टेशन है, तो कहीं पहाड़ों से घिरा है पहाड़। पहाड़ इतना बड़ा है कि आपकी सारी बुरी आदतें अपने में समेट लेता है और आपको देता है एक असीम गहरी शान्ति। जो कभी कम नहीं होगी, कभी भी नहीं। मैं उनसे आपको मिलाना चाहता हूँ। बस चलते रहिए, सफ़र लम्बा है, और ख़ूबसूरत भी।
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