भारत की संस्कृति और विविधताओं को सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता और इतना ही विविध है हमारा खान-पान। गुजरात का खमण-ढोकला हो या बंगाल का रसगुल्ला, यह अपने-अपने क्षेत्र की पहचान बन चुके हैं। इसी तरह देश के विभिन्न शहरों में कुछ ऐसी खाऊ गलियां हैं जिन्होंने व्यंजनों को एक नए स्तर पर पहुंचाया है। यह महज़ गलियां नहीं हैं, बल्कि स्वाद के दंगल के ऐसे उस्ताद हैं जो अच्छे-अच्छे पहलवानों को मात दे दें। यक़ीन मानिए ये तंग गलियां खान-पान के शौक़ीन लाेगों के लिए ये किसी जन्नत से कम नहीं है।
पराठे वाली गली, पुरानी दिल्ली
चांदनी चौक के पराठे वाली गली किसी परिचय की माेहताज नहीं। गरमा-गरम देसी घी के पराठों की महक अनायास ही लोगों को यहां खींच लाती है। इन दुकानों की शुरुआत 1872 में हुई थी और यहां शुरु मंे 16 से 20 दुकानें हुआ करती थीं, जिनमें से आज 4 से 5 दुकानें ही बची हैं। दिलचस्प बात यह कि इन दुकानों के मालिक एक ही परिवार से ताल्लुक रखते हैं और परिवार की पांचवीं से छठवीं पीढ़ी दुकानंे चला रही हैं। पराठों के साथ सीताफल का साग, केले की चटनी, आलू की सब्जी व पांच तरह के अचार होते हैं। यहां आलू, दाल, पनीर के अलावा नींबू, केला, बादाम, मिर्ची, रबड़ी आदि सहित क़रीब 35 प्रकार के पराठे मिलते हैं जिन्हें तवे पर कम और कढ़ाई में ज़्यादा बनाया जाता है।
चटोरी गली, जयपुर
राजस्थान की ऐतिहासिक राजधानी न सिर्फ़ अपने भव्य महल और किलों बल्कि खान-पान के लिए भी जाना जाता है। बापू बाज़ार के लिंक रोड के ठीक सामने वाली इस गली में खरीदारी के लिए भी बहुत कुछ है। यहां गोलगप्पे, छोले-भटूरे, फालूदा, छोले-टिक्की और तरह-तरह के पेय लोगों के पसंदीदा है। यहां के अलावा जयपुर में 50 किस्म की कचौरियां, एम.आई.रोड की लस्सी और जौहरी बाज़ार का घेवर हर दिल अज़ीज़ है।
खाऊ गली, मुम्बई
मुम्बई में कई खाऊ गलियां हैं और हर गली अपनी अलग ख़ासियत लिए हुए है।
जैसे घाटकोपर की खाऊगली डोसे के लिए प्रसिद्ध है जिनमें आइसक्रीम डोसा और चीज़बर्स्ट डोसा ख़ास हैं। इसके अलावा पानीपुरी, सैंडविच, मसाला कोल्डड्रिंक और पावभाजी यहां की शान हैं। बांद्रा स्थित कार्टर रोड खाऊ गली में विभिन्न स्ट्रीट फूड का अपना ही मज़ा है। इसके अलावा महिम, एसएनडीटी लाइन, खारघर की खाऊगलियां भी प्रसिद्ध है।
सराफा बाज़ार, इंदौर
दिन में जेवरों की चमक-धमक और रात में स्वादिष्ठ व्यंजनों की ख़ुशबू आपको लुभा ले तो समझिए आप इंदौर में हैं। रात गहराते ही यहां के सराफा बाज़ार में खान-पान की दुकानें सजने लगती हैं जिनकी रौनक देर रात तक रहती है। भुट्टे का कीस और गराड़ू का स्वाद मालवा की ही देन है। इनके अलावा सराफा में मालपुआ,300 ग्राम वज़नी जलेबा, खोपरा पेटीस, रबड़ी-गुलाबजामुन, 10 फ्लेवर की पानी पुरी, कांजी वड़ा, दही बड़ा, पेठा, चाॅकलेट और फायर पान शहर को मध्यभारत की खान-पान राजधानी बनाता है। पारम्परिक व्यंजनों के अलावा चाइनीज़ से लेकर दक्षिण भारतीय लज़ीज़ व्यंजन यहां मिलते हैं।
भुक्खड़ गली,अहमदाबाद
अहमदाबाद की इस गली में आपको देश और दुनिया के बेहतरीन व्यंजनों का स्वाद चखने को मिलेगा। यहां आपका यह भ्रम ज़रूर टूट जाएगा कि गुजराती लोग हर चीज़ में चीनी डालकर खाते हैं। यहां आपको तीखे, खट्टे और मसालेदार लज़ीज़ व्यंजन चखने को मिल जाएंगे। चाइनीज़, स्पैनिश, लैबनीज़, थाई के अलावा वन स्लाइस पिज्जा, तंदूरी मोमोज़ और फलाफल प्रसिद्ध हैं।
कचौड़ी गली, वाराणसी
यहां अधिकांश दुकानें कचौड़ी की हैं इसलिए इसका नाम कचौड़ी गली पड़ गया। पहने इस मोहल्ले का नाम कूचा अजायब था। कहते हैं कि मुस्लिम शासन के रईस अधिकारी अजायब के नाम पर इसे यह नाम मिला था। कचाैरियों के अलावा बनारसी मिठाइयां, पान, बनारसी चाट, लौंग लता प्रसिद्ध है। दूध को चीनी के साथ उबालने के बाद रातभर आसमान के नीचे ओस में रखकर तैयार होती है लाजवाब मलाइयो जो यहां की शान है।