![Photo of बिहार के वैशाली में है दुनिया की सबसे पुरानी संसद: राजा विशाल का गढ़ by Hitendra Gupta](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/838133/TripDocument/1624549376_vishal_garh_1.jpg)
आज जो हम हर बात में प्रजातंत्र और लोकतंत्र की बात करते हैं उसे सबसे पहले दुनिया को बिहार ने दिया था। बिहार के वैशाली को दुनिया में पहला गणराज्य माना जाता है। वैशाली का लिच्छवी गणराज्य विश्व का प्रथम गणतंत्र माना जाता है। यह आठ छोटे-छोटे राज्यों का संघ था और यहां सारे बड़े फैसले सामूहिक रूप से लिए जाते थे। ईसा पूर्व 6-7 सौ साल पहले वैशाली लिच्छवी गणराज्य की राजधानी थी।
![Photo of वैशाली, Bihar, India by Hitendra Gupta](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/838133/TripDocument/1624549407_vishal_garh_2.jpg.webp)
वैशाली में हुई खुदाई से कई ऐतिहासिक भग्नावशेष बाहर निकले हैं। एक भग्नावशेष लिच्छवी गणराज्य के राजा विशाल का है। प्राचीन काल में महाभारत के समय ईक्ष्वाकु वंश के राजा विशाल के नाम पर इस इस जगह का नाम वैशाली पड़ा था। राजा विशाल ने इस जगह पर एक किला बनवाया था, जो अब खंडहर हो चुका है। 81 एकड़ में फैले इस किले को राजा विशाल का गढ़ कहा जाता है। इसे प्राचीन संसद भवन का अवशेष माना जाता है।
![Photo of Fort of King Vishal, Basarh, Bihar, India by Hitendra Gupta](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/838133/TripDocument/1624549419_vishal_garh_3.jpg.webp)
![Photo of Fort of King Vishal, Basarh, Bihar, India by Hitendra Gupta](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/838133/TripDocument/1624549420_vishal_garh_4.jpg.webp)
अशोक स्तंभ के पास का यह स्थल एक टीलानुमा है। इसकी परिधि एक किलोमीटर है। इसके चारों तरफ दो मीटर ऊंची दीवार है और इसके चारों ओर 43 मीटर चौड़ी खाई है। बताया जाता है कि पहले इसका आकार 480 मीटर लंबा और 230 मीटर चौड़ा हुआ करता था। यहां एक विशाल और भव्य भवन था। यहां इस राजा विशाल के गढ़ यानी संसद भवन में 7707 संघीय सदस्य यानी सांसद या गण हुआ करते थे। समय-समय ये सभी 7707 सदस्य एकसाथ एकत्र होकर राज्य के विभिन्न विषयों पर चर्चा या बहस किया करते थे।
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राजा विशाल का गढ़ के पास करीब ढाई हजार साल पुराना एक कोरोनेशन टैंक यानी एक सरोवर है-अभिषेक पुष्करणी। बताया जाता है कि इस गणराज्य में जब भी कोई नया शासक या प्रतिनिधि चुना जाता था तो इसी सरोवर के पानी से अभिषेक कराया जाता था। इसके साथ ही राजा विशाल इस अभिषेक पुष्करणी के जल को हाथ में लेकर प्रतिनिधियों को आशीर्वाद दिया किया करते थे।
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यह स्थल अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में है। एएसआई ने यहां राजा विशाल के गढ़ की खुदाई स्थल के पास एक पार्क का निर्माण कराया है। यहां रोज सैकड़ों पर्यटक आते हैं। पार्क के चारों ओर सड़क का निर्माण भी कराया गया है, लेकिन पर्यटकों की सुविधा की यहां काफी कमी है। अगर यहां सुविधा और संपर्क पर ध्यान दिया जाए तो पर्यटकों की संख्या काफी बढ़ सकती है।
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देश-दुनिया के पर्यटकों के लिए अब भी यह स्थल अनछुआ- अनजान सा बना हुआ है, जबकि भगवान महावीर की जन्मस्थली होने के कारण यह जैन धर्म के लोगों के लिए एक पवित्र स्थल है। इतना ही नहीं भगवान बुद्ध के कारण यह बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी प्रमुख तीर्थ स्थल है। भगवान बुद्ध ने यहां काफी समय बिताया था और अपना आखिरी उपदेश दिया था।
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दर्शनीय स्थल
राजा विशाल का गढ़ के पास अन्य दर्शनीय स्थलों मे अशोक स्तंभ, विश्व शांति स्तूप, बौद्ध स्तूप, अभिषेक पुष्करणी, बावन पोखर और कुंडलपुर है।
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कैसे पहुंचे
यह स्थल सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां आप पटना, हाजीपुर और मुजफ्फरपुर से आसानी से बस या टैक्सी से आ सकते हैं। ट्रेन के आने के लिए आपको 30 किलोमीटर दूर मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन या फिर 41 किलोमीटर दूर हाजीपुर जंक्शन आना होगा। नजदीकी हवाई अड्डा पटना करीब 65 किलोमीटर दूर है।
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कब पहुंचे
वैसे बिहार में सर्दी और गर्मी दोनों काफी ज्यादा पड़ती है। इसलिए यहां फरवरी से मार्च और सितंबर से नवंबर के बीच आना सही रहता है। बरसात में कोल्हुआ के आसपास बाढ़ का पानी आ जाता है। इसलिए बारिश में आने से बचना चाहिए।
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