बंगाल घूमना चाहते हो और इस सीक्रेट डेस्टिनेशन के बारे में पता तक नहीं है

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Photo of बंगाल घूमना चाहते हो और इस सीक्रेट डेस्टिनेशन के बारे में पता तक नहीं है by Rishabh Dev

हर कोई शुरू से ही घुमक्कड़ नहीं बनना चाहता होगा, कोई भी आवारा होकर नहीं घूमना चाहता होगा लेकिन जब वो घूमता है तो उसे अपनी जिंदगी के मायने समझ आने लगते हैं। उसके बाद शहर की बिजी और बोरिंग लाइफ बेकार लगने लगती है और बार-बार कहीं दूर निकल जाने का मन करताा है। अगर आप भी उन लोगों में से हैं जिनको शहर में ज्यादा दिनों तक रहना अच्छा नहीं लगता है। इसलिए हर बार किसी नई जगह पर सुकून और एहसास की खोज में निकल पड़ते हो तो मेरे पास आपके लिए एक ऐसा ही खूबसूरत डेस्टिनेशन है, गढ़ पंचकोट। अपने आपमें इतिहास को संजोए बंगाल की धरती का ये खजाना हर घुमक्कड़ की बकेट लिस्ट में होना चाहिए।

पश्चिम बंगाल अनगिनत अनछुई और खूबसूरत जगहों का ठिकाना है। ऐसा इसलिए है क्योंकि घुमक्कड़ों ने अपने आपको सीमित दायरे में बांध लिया है। वे ऐसी जगहों पर जाते हैं जिनके बारे में उनको अच्छे से पता होता है। वे नहीं खोजते नई जगहें, जहाँ बाद में और लोग आ सकें। पश्चिम बंगाल का गढ़ पंचकोट भी ऐसी ही जगह है। गढ़ पंचकोट में आपको प्रकृति और इतिहास का बढ़िया तालमेल मिलेगा। यहाँ चारों तरफ पहाड़ और हरियाली है तो कुछ ऐतहासिक जगहें भी हैं। जिनका इतिहास भी इस जगह की तरह ही गुमनाम है। ऐसी गुमनाम जगह की यात्रा आपको जरूर करनी चाहिए। पश्चिम बंगाल की ये जगह आपको निराश नहीं करेगी।

गढ़ पंचकोट

पश्चिम बंगाल का गढ़ पंचकोट पश्चिम बंगाल के पुरूलिया जिले में आता है। ये जगह पंचेट लेक और पंचेट पहाड़ी की तराई पर बसा हुआ है। गढ़ पंचकोट का अर्थ है पाँच तरफ से दीवारों से घिरा हुआ। कभी ये जगह देव राजवंश का हिस्सा हुआ करती थी। पंचकोट को दामोदर शेखर ने बसाया था। दामोदर शेखर ने ही किले को बनवाया था। 18वीं शताब्दी में मराठा बारगी ने गढ़ पंचकोट पर हमला कर दिया और हर जगह तोड़ फोड़ कर दी। उसी हमले में इस महल को भी जर्जर कर दिया। जिसके निशान आपको आज भी देखने को मिलन जाएंगे। कोलकाता से 270 किम. दूर ये जगह आज छोटी-सी जगह है। गढ़ पंचकोट वीकेंड के लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन है, खूबसूरत होने के बावजूद यहाँ कम ही लोग आते हैं।

क्या देखें?

गढ़ पंचकोट खूबसूरत पहाड़ी और हरियाली से घिरा हुआ है, कुछ ऐतहासिक जगहें भी है जिनको देखने के लिए बंगाल के गढ़ पंचकोट जरूर आना चाहिए।

1- किला

इतिहास हमेशा हमें कुछ जानने के लिए प्रेरित करता है। किसी ऐतहासिक जगह को देखकर उस समय के शासन और राजा के बारे में अंदाजा लगाते हैं। गढ़ पंचकोट में एक बहुत पुराना किला है। किले का ज्यादातर हिस्सा तोड़ दिया गया था लेकिन कुछ हिस्सा उस समय के आर्किटेक्चर का अंदाजा लगाया जा सकता है। ये किला आर्किटेक्चर की तीन अलग-अलग शैलियों का बना हुआ है, पंचरत्न, जोर बंगला और पिरहा। ये किला आज जरूर देखने में छोटा लगता है लेकिन जमाने में ये भव्य हुआ करता था। गढ़ पंचकोट आएं तो इस किले को जरूर देखें और समझने की कोशिश करें उस समय की कला और खूबसूरती को।

2- पंचेट हिल

पहाड़ हमें अपनी ओर आकर्षित करता है। गढ़ पंचकोट में पंचेट पहाड़ी है। समुद्र तल से 2,100 फीट की ऊँचाई पर वाली ये पहाड़ी बेहद खूबसूरत नजारा दिखाई देती है। जब आप चढ़कर इस पहाड़ी पर पहुँचेंगे तो आपको दिखने वाला नजारा सुकून देगा। दूर-दूर तक आपको सिर्फ हरियाली ही हरियाली ही नजर आएगी। यहाँ आपका घंटों बैठे रहने का मन करेगा। आप जब इस पहाड़ी से डूबते हुए सूरज को देखेंगे तो आपको ये जगह और भी अच्छी लगने लगेगी। यहाँ आपको लगेगा कि गढ़ पंचकोट आकर कोई गलती नहीं की है, ऐसी खूबसूरत जगह पर एक बार आना तो बनता ही है।

3- पंचेट डैम

अगर आपको लगता है कि डैम कोई देखने की जगह नहीं है तो मुझे लगता है कि आप थोड़ा गलत है। जब डैम नहीं था तो उस पर बहती हुई नदी हुआ करती थी लेकिन रूकी हुई नदी को डैम का नाम दे दिया गया है। नदी का किनारा और आसपास की जगह बेहद खूबसूरत होती हैं। दामोदर वैली में बना ये डैम 22 हजार 234 फीट लंबा और 45 मीटर ऊँचा है। पंचेट बांध 1959 में बनाया गया था। बारिश के बाद यहाँ का नजारा बेहद खूबसूरत होता है। आपको दूर-दूर तक सिर्फ पानी ही पानी नजर आता है। पिकनिक के लिए ये बढ़िया जगह है। गढ़क पंचकोट आएं तो डैम को भी देख सकते हैं।

4- तेलकुपी

जब भी किसी भी जगह पर बांध बनता है तो वो सिर्फ बिजली और पानी नहीं लाता बल्कि हजारों लोगों के घर-जमीन छीन लेता है। पंचेट डैम के पास में ही एक गाँव हुआ करता था, तेलकुपी। जब बांध का पानी छोड़ा गया तो ये गाँव हमेशा के लिए डूब गया। आपको बांध के पास में बहुत सारी पुराने घर और खंडर दिखाई देंगे। ये कोई घूमने के लिए नहीं है लेकिन जब आप गढ़ पंचकोट जाएंगे तो आपको उस जगह के बारे मंे अच्छे-से पता होना चाहिए।

5- बरांती

कम लोगों को ही गढ़ पंचकोट की इस जगह के बारे में पता है। बरांती एक छोटा-सा आदिवासी गाँव है जो बरांती लेक के किनारे बसा हुआ है। यहाँ की खूबसूरत और शांति देखकर आप खुश हो उठेंगे। बंगाल के कितने खूबसूरत होते हैं ये आप देख पाएंगे। यहाँ की हरियाली आपको सुकून देगी। अगर आप गढ़ पंचकोट आते हैं तो बरांती जरूर आएं। इसके अलावा काशीपुर और माइथन बांध को देख सकते हैं।

कब जाएं?

पश्चिम बंगाल की बाकी जगहों की तरह यहाँ का मौसम भी वैसा ही रहता है। गर्मियों में यहां बहुत तेज धूप पड़ती है इसलिए आपको उस मौसम में यहाँ आने की गलती नहीं करनी चाहिए। गढ़ पंचकोट को घूमने के लिए सबसे सही समय नवंबर से फरवरी का है। सर्दियों में गढ़ पंचकोट की अपनी अलग खूबसूरती होती है और तब आप आराम से घूम भी पाएंगे। गढ़ पंचकोट में ठहरने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है लेकिन कुछ रिसाॅर्ट और होटल हैं। जिनमें आप ठहर सकते हैं और आपके बजट को भी नहीं गड़बड़ाएंगे।

कैसे पहुँचे?

गढ़ पंचकोट पहुँचना बहुत मुश्किल नहीं है। कोलकाता से गढ़ पंचकोट की दूरी लगभग 270 किमी. है। आप फ्लाइट, ट्रेन और वाया रोड जा सकते हैं।

ट्रेन सेः अगर आप ट्रेन से गढ़ पंचकोट जाना चाहते हैं तो सबसे नजदीकी कुमारडुबी रेलवे स्टेशन है। यहाँ से आप टैक्सी बुक करके गढ़ पंचकोट पहुँच सकते हैं।

वाया रोडः यदि आप वाया रोड जाने का प्लान बना रहे हैं तो एक तो आप बस से जा सकते हैं या फिर खुद की गाड़ी से एनएच 19 से गढ़ पंचकोट पहुँच सकते हैं।

फ्लाइट सेः अगर आप फ्लाइट से जाने का सोच रहे हैं तो सबसे नजदीकी कोलकाता एयरपोर्ट है। कोलकाता से आसनसोल ओर फिर गढ़ पंचकोट तक के लिए टैक्सी ले सकते हैं।

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