बिहार में नालंदा जिले के राजगीर में है विश्व शांति स्तूप। राजगीर में वैसे तो कई पर्यटक और तीर्थ स्थल है, लेकिन यहां का प्रमुख आकर्षण है यह विश्व शांति स्तूप। यह स्तूप 400 मीटर ऊंची रत्नागिरी पहाड़ी पर स्थित है। संगमरमर के पत्थरों से बने इस विश्व शांति स्तूप में भगवान बुद्ध की चार स्वर्ण प्रतिमाएं है। ये चार स्वर्ण प्रतिमाएं जीवन के चार चरणों जन्म, ज्ञान, उपदेश और मृत्यु को दर्शाती है।
विश्व शांति स्तूप का गुंबद 72 फीट ऊंचा है और इसका व्यास 142 फीट है। इसी तरह के विश्व शांति स्तूप कई जगह बने हुए हैं। कई बार पास जाकर देखने पर कन्फ्यूजन होता है कि हम उसी जगह है या नहीं। असल में राजगीर की तरह ही वैशाली, पटना, गया, सारनाथ, दिल्ली और नेपाल के लुंबिनी में भी इसी तरह का स्तूप बना हुआ है। ज्यादातर स्तूप एक ही तरह के सफेद, गोलाकार और चारों ओर चार मूर्तियों से बने हुए हैं।
रत्नागिरी पहाड़ी पर होने के कारण विश्व शांति स्तूप तक रोपवे से जाना पड़ता है। इस डेढ़ किलोमीटर लंबे रोपवे में एक के पीछे एक करके कई कुर्सी लगे हुए हैं, लेकिन एक बॉक्स या कुर्सी पर सिर्फ एक ही व्यक्ति बैठ सकता है। जो पहाड़ी पर गुजरने के दौरान डर भी पैदा करता है। लोग इसका आनंद भी लेते हैं। रोपवे से ऊपर जाते हुए आप यहां की प्राकृतिक सुंदरता को करीब से निहार सकते हैं।
वैसे आप ऊपर तक पैदल चलते हुए या पहाड़ी पर एक तरह से ट्रेक करते हुए भी जा सकते हैं, लेकिन पैदल ऊपर जाने के बजाय पैदल नीचे आना बेहतर रहता है। विश्व शांति स्तूप के चारों तरफ बने प्रदक्षिणा पथ से आप राजगीर का सुंदर नजारा देख सकते हैं। चारों ओर बिखरी हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता आपको यहां कुछ और देर तक रुकने के लिए मजबूर कर देगी।
विश्व शांति स्तूप को जापान के प्रमुख बौद्ध समूह से जुड़े भिक्षु निशिदात्सु फूजी गुरुजी ने बनवाया था। इसका शिलान्यास राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने 1965 में किया था और इसका उद्घाटन राष्ट्रपति वीवी गिरि ने साल 1969 में किया। इस जगह के पास ही में भगवान बु्द्ध का प्रिय स्थल गृद्धकूट है। यहां आने वाले पर्यटक गृद्धकूट भी जरूर जाते हैं। भगवान बुद्ध ने यहां काफी समय बिताया था।
कैसे पहुंचे-
यहां सड़क मार्ग से पहुंचना सबसे आसान है। यहां से सड़क मार्ग से आप आसानी से नालंदा, गया और पटना पहुंच सकते हैं। पटना यहां से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर है। पटना से आपको स्टेट ट्रांसपोर्ट की कई बसें मिल जाएंगी। आप टैक्सी से भी यहां आ सकते हैं। रेलमार्ग से भी आप राजगीर पहुंच सकते हैं। हवाई मार्ग से आपको पहले पटना या गया आना होगा, फिर वहां से सड़क या रेल मार्ग से राजगीर आना होगा।
कब पहुंचे-
यहां गर्मी काफी पड़ती है इसलिए गर्मी में यहां आने से बचना चाहिए। यहां आने का सबसे अच्छा समय फरवरी से मार्च और सितंबर से नवंबर के बीच का है।
Also read: gandhi maidan patna, sonepur mela, patna museum