सिर्फ कुल्लू-मनाली ही नहीं, बल्कि हिमाचल के ये पाँच गाँव भी मोह लेंगे आपका दिल, जाकर देखें ज़रूर

Tripoto
30th Oct 2021
Photo of सिर्फ कुल्लू-मनाली ही नहीं, बल्कि हिमाचल के ये पाँच गाँव भी मोह लेंगे आपका दिल, जाकर देखें ज़रूर by Smita Yadav

जब भी बात हिमाचल की आती है तो अक्सर लोग कुल्लू और मनाली के बारे में सोचते हैं। टूर एंड ट्रैवल एजेंट्स भी कुल्लू, मनाली, शिमला, रोहतांग जैसे पैकेज आपको देते हैं, लेकिन हिमाचल में इन शहरों के अलावा भी बहुत कुछ है। वैसे तो पूरा का पूरा हिमाचल प्रदेश बहुत ही खूबसूरत है और इनमें से पांच गांव की लिस्ट बनाना बहुत मुश्किल हैं लेकिन फिर भी हमने कोशिश की है कि आपको सबसे अनोखे गांवों के बारे में बताएं जहाँ जाकर आप निराश नहीं होंगी। इससे पहले भी हमने आपको हिमाचल के पुल्गा गांव के बारे में बताया है जहाँ कोई गाड़ी नहीं जा सकती है और यहाँ पहुंचने के लिए ट्रेकिंग करने की जरूरत होती है। अब हम आपको ऐसे ही अन्य गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जिनमें कुछ न कुछ खास ज़रूर है। तो आइए जानते हैं।

चिटकुल

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Day 1

हिमाचल प्रदेश की किन्नौर डिस्ट्रिक्ट में मौजूद चिटकुल गांव बहुत खास है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहाँ का मुख्य आकर्षण है भारत-चीन का बॉर्डर। यहाँ पर हमेशा ठंडक रहती है इसलिए बेहतर होगा कि यहाँ जाने से पहले आप गर्म कपड़े रख लें। बर्फ से ढंके हुए पहाड़ और खूबसूरत वादियां ये सब कुछ यहाँ मिलेगा। चिटकुल में बहुत से बौद्ध मंदिर मिलेंगे, लेकिन एकलौता देवी का मंदिर यहाँ के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। यहाँ के घर बहुत ही खूबसूरत हैं और यहाँ होटल, लॉज से लेकर होम स्टे तक सारी सुविधाएं आपको मिल जाएंगी। यहाँ 'हिंदुस्तान का आखिरी ढाबा' भी है। दरअसल, ये उस ढाबे का नाम है जो चिटकुल में मौजूद है। ये भी एक तरह का स्थानीय आकर्षण है।

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यहाँ बहुत ज्यादा सर्दियों में जाना अवॉइड करें क्योंकि उस वक्त ये पूरी तरह से बर्फ से ढंका रहता है और यहाँ मोबाइल नेटवर्क की समस्या भी हो सकती है।

कैसे पहुंचें चिटकुल

दिल्ली से चिटकुल की दूरी करीब 569 किलोमीटर है। हिमाचल के सांग्ला से ये 28 किलोमीटर दूर है। सांग्ला से चिटकुल के लिए हिमाचल टूरिज्म की बस उपलब्ध रहती है। यही चिटकुल पहुंचने का सबसे आसान तरीका है।

कोमिक गांव

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इस गांव की खासियत ये है कि ये दुनिया का सबसे ऊंचा गांव है जहाँ मोटरेबल रोड है। यहाँ पर आराम से 4 व्हीलर, 2 व्हीलर गाड़ियां जा सकती हैं। समुद्र तल से 15,027 फिट की ऊंचाई पर बसा ये गांव अपनी "त्सेमो गोम्पा बौद्ध मठ" के लिए प्रसिद्ध है। इस गांव में कई त्योहार मनाए जाते हैं। यहाँ टूरिस्ट भी आसानी से त्योहारों का मज़ा ले सकते हैं। अगर कोई ट्रेकिंग का शौकीन है तो इस गांव में उसे बहुत अच्छे ट्रेक्स करने की सुविधा मिल सकती है।

कैसे पहुंचें कोमिक

कोमिक गांव पहुंचने के लिए आपको काज़ा से प्राइवेट टैक्सी करनी होगी। अगर आप यहाँ पहली बार जाने का प्लान बना रही हैं तो मैं आपको बता दूं कि इस गांव में मौसम कभी भी खराब हो सकता है इसलिए पूरी तरह से तैयारी करने के बाद ही जाएं। साथ ही साथ, अगर आप पहली बार जा रही हैं और सांस की समस्या है तो पहले डॉक्टर से सलाह ले लें क्योंकि यहाँ कई बार ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।

लांगजा गांव

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जब भी प्राकृतिक सौंदर्य का जिक्र होता है आप लाहौल स्पीति का जिक्र जरूर करते हैं। स्पीति वैली का एक छोटा सा गांव है लांगजा। इस गांव की खासियत ये है कि यहाँ पर बौद्ध की 1000 साल पुरानी प्रतिमा है जो सोने की है। इस गांव में दूर-दूर से लोग इसे देखने आते हैं। यहाँ पर कई मॉनेस्ट्री है और साथ ही साथ अगर आप जियोलॉजी में इंट्रेस्ट रखती हैं तो इस गांव में बहुत कुछ मिलेगा। साथ ही साथ अगर आपको वाइल्ड लाइफ में दिलचस्पी है तो स्नो लेपर्ड, तिब्बतियन भेड़िया और कई तरह की विलुप्ती की कगार पर पहुंच चुकी प्रजातियां यहीं मिलेंगी।

कैसे पहुंचें लांगजा

आप दिल्ली से सीधे मनाली या काज़ा के लिए बस ले सकती हैं। इसके बाद यहाँ से प्राइवेट कैब के जरिए लांग्जा पहुंच सकती हैं। ये गांव दिल्ली से 745 किलोमीटर दूर है।

मलाना गांव

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हो सकता है कि इस गांव का नाम आपने पहले सुना हो। अक्सर हिमाचल के कसोल को तो टूरिस्ट लिस्ट में रखा जाता है, लेकिन मलाना को लोग दरकिनार कर देते हैं। मलाना गांव बहुत ही खूबसूरत है और इसकी खासियत है यहाँ के लोग और यहाँ के रीति रिवाज। मलाना को हिमाचल का ग्रीस भी कहा जाता है। यहाँ के लोग अपने रीति-रिवाजों को लेकर बहुत ही स्ट्रिक्ट हैं और यहाँ बच्चे भी इन्हें फॉलो करते दिख जाएंगे। इस गांव में कई प्राचीन मंदिर हैं। जामलू मंदिर बहुत फेमस है जिसे काठकुनी स्टाइल में लकड़ी पर नक्काशी कर बनाया गया है और यहाँ हिरण के सिर का इस्तेमाल भी हुआ है। इसके अलावा, यहाँ पर एक रुकमणी मंदिर भी है।

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कैसे पहुंचें मलाना

दिल्ली से भुंटार तक बस या अपनी गाड़ी से जाएं। इसके बाद कसोल के लिए बस या टैक्सी लें। कसोल के रास्ते में जारी नाम की एक जगह आएगी वहीं से मलाना के लिए टैक्सी ली जा सकती है। इसके अलावा आप दिल्ली से मनाली तक बस ले सकती हैं। वहाँ से प्राइवेट टैक्सी कर सीधे मलाना पहुंच सकती हैं।

काज़ा गांव

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स्पीति वैली का ही एक छोटा सा गांव है काज़ा। ये इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि यहाँ से आप स्पीति के किसी भी दूर दराज़ गांव में जाने के लिए बस की सुविधा ले सकते हैं। इसके अलावा, यहाँ पर शांति बहुत ज्यादा रहती है। अगर आपको स्पीति के खूबसूरत नजारे देखने हैं और शांति का अनुभव करना है तो इस जगह जरूर जाएं। आप यहाँ घंटों वादियों को निहारते हुए बिता सकते हैं।

कैसे पहुंचे काज़ा

काज़ा तक पहुंचना आसान है। ये गांव मनाली से 115 किलोमीटर दूर है। इसलिए आप दिल्ली से मनाली तक बस ले सकती हैं और उसके बाद प्राइवेट कैब कर काज़ा पहुंच सकती हैं। दूसरा रूट है शिमला से सीधे बस से काज़ा पहुंचा जाए।

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