मनाली में भीड़ वाली जगहें नहीं बल्कि अद्भुत नज़ारों से घिरा यह हज़ारों साल पुराना मंदिर है बेहद खास

Tripoto
Photo of मनाली में भीड़ वाली जगहें नहीं बल्कि अद्भुत नज़ारों से घिरा यह हज़ारों साल पुराना मंदिर है बेहद खास by We The Wanderfuls

हमारे देश के साथ ही पुरे विश्व पर्यटन में हिमाचल प्रदेश राज्य की एक खास पहचान है और इसे पर्यटकों का स्वर्ग कहना भी गलत नहीं होगा। चारों ओर खूबसूरत वादियां, अद्भुत शांति और साथ ही यहाँ की अनूठी और मनमोहक संस्कृति हर किसी को प्रकृति के इस खूबसूरत उपहार की तरफ खींच लाती है। इसी हिमाचल प्रदेश में स्थित बेहद लोकप्रिय हिल स्टेशन मनाली की गिनती देश के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में की जाती है। बात चाहे गर्मियों की छुट्टियों में परिवार के साथ शहर की भीड़-भाड़ से दूर जाने की हो, सर्दी के मौसम में दोस्तों के साथ बर्फिस्तान जैसी जगह समय बिताने की हो या फिर हनीमून के लिए कोई खास जगह सोचने की, मनाली का नाम इन सभी प्लान को बनाते वक़्त हर किसी के मन में एक बार जरूर आता है। शायद इसी वजह से खासकर के पीक सीजन के समय मनाली में पर्यटकों की बेहद भारी भीड़ भी हो जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मनाली में उन गिने-चुने लोकप्रिय पर्यटन स्थलों से हटकर कुछ जगहें भी मौजूद हैं जिन्हें आपको अपनी मनाली यात्रा में जरूर शामिल करना चाहिए। उन्हें में से एक जगह जो प्राकृतिक खूबसूरती के बीच तो स्थित है ही साथ ही पौराणिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण है, के बारे में हम आपको इस लेख में बताने वाले हैं। चलिए शुरू करते हैं...

Photo of Vashisht temple, Bashisht by We The Wanderfuls

वशिष्ठ मंदिर, मनाली

वशिष्ठ मंदिर मनाली में स्थित एक बेहद प्राचीन और धार्मिक तौर प्रमुख मंदिर है जो मनाली शहर से करीब 3 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। बताया जाता है कि यह मंदिर करीब 4000 वर्ष पुराना है और जिस जगह पर यह मंदिर स्थित है उस गाँव को भी वशिष्ठ नाम से जाना जाता है। यह गाँव वशिष्ठ मंदिर के साथ ही यहाँ मौजूद गर्म पानी के झरनों के लिए भी जाना जाता है। जैसा कि हम जानते हैं कि गुरु वशिष्ठ हिन्दू धर्म के सात प्रमुख ऋषियों में से एक हैं जिन्हें यह मंदिर समर्पित है जिसमें धोती पहने ऋषि वशिष्ठ की काले पत्थर की मूर्ति स्थापित है। मंदिर परिसर में वशिष्ठ मंदिर के साथ ही एक अन्य मंदिर भी स्थित है जिसमें भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी की मूर्तियां स्थापित हैं। पौराणिक और धार्मिक दृष्टि से तो वशिष्ठ मंदिर का महत्त्व है ही साथ ही लकड़ी पर की गयी खूबसूरत नक्काशी देखने के लिए भी मनाली आये हर पर्यटक को इस मंदिर में जरूर आना चाहिए। हिमाचली स्थापत्य शैली में बना इस मंदिर के निर्माण में लकड़ी और पत्थर का मुख्य तौर पर उपयोग किया गया है जिसकी छत पैगोडा शैली में निर्मित बताई जाती है।

वशिष्ठ मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

इस अद्भुत मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार हज़ारों वर्ष पहले एक समय ऋषि वशिष्ठ इस बात से बेहद दुखी थे कि उनकी संतानों को विश्वामित्र ने मार दिया और इसी वजह उन्होंने नदी में कूदकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी। लेकिन स्वयं नदी ने ही उनके प्राण लेने से मना कर दिया था और इसके बाद ऋषि वशिष्ठ ने यहाँ गाँव में एक नया जीवन शुरू कर दिया था। ऐसा बताया जाता है कि उस नदी का नाम विपाशा नदी था जिसे आज हम ब्यास नदी के नाम से जानते हैं।

गर्म पानी के झरने

जैसा कि हमने आपको बताया कि यहाँ हज़ारों वर्षों पुराने इस मंदिर के अलावा गर्म पानी का प्राकृतिक स्रोत भी मौजूद है जिसे वशिष्ठ हॉट स्प्रिंग्स के नाम से जाना जाता है। प्राकृतिक रूप से गर्म होने के बाद भी आप यहाँ कुंड में पानी से उठती भाप को देख सकते है। बताया जाता है कि इस प्राकृतिक गर्म पानी का औषधीय महत्त्व भी है और साथ ही तीर्थ यात्री भी पुण्य अर्जित करने के लिए इस गर्म पानी के कुंड में स्नान लिया करते हैं। इसके अलावा सामान्य पर्यटक भी चर्म रोग के साथ ही कुछ अन्य बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए भी इस पानी से स्नान करते हैं। यहाँ पुरुषों और महिलाओं के स्नान के लिए अलग अलग कुंड बने हैं जहाँ इस पानी के औषधीय गुणों को देखते हुए हज़ारों लोग रोज स्नान किया करते हैं।

प्राकृतिक गर्म पानी से भरा कुंड

Photo of मनाली में भीड़ वाली जगहें नहीं बल्कि अद्भुत नज़ारों से घिरा यह हज़ारों साल पुराना मंदिर है बेहद खास by We The Wanderfuls

मंदिर खुलने का समय

आपको बता दें कि आप हफ्ते के सातों दिन सुबह 7 बजे से लेकर रात्रि 9 बजे तक मंदिर में दर्शन करने और गर्म पानी के कुंड में स्नान करने जा सकते हैं। हालाँकि दोपहर 1 बजे से लेकर 2 बजे तक मंदिर बंद रहता है। इसके अलावा आरती का समय सुबह 8 बजे और शाम को 7 बजे का रहता है।

वशिष्ठ मार्केट से मंदिर का दृश्य

Photo of मनाली में भीड़ वाली जगहें नहीं बल्कि अद्भुत नज़ारों से घिरा यह हज़ारों साल पुराना मंदिर है बेहद खास by We The Wanderfuls

वशिष्ठ मंदिर कैसे पहुंचे?

वशिष्ठ पहुँचने के लिए पहले आपको मनाली पहुंचना होगा जिसके लिए आप हवाई, रेल या फिर सड़क मार्ग में से किसी भी मार्ग को चुन सकते हैं। मनाली से निकटतम एयरपोर्ट भुंतर एयरपोर्ट है जो मनाली से करीब 50 किलोमीटर दूर है और रेल मार्ग से आने के लिए पठानकोट स्टेशन या फिर चंडीगढ़ स्टेशन तक आ सकते हैं। पठानकोट की मनाली से दुरी करीब 290 किलोमीटर है और चंडीगढ़ से मनाली करीब 280 किलोमीटर दूर है। साथ ही सड़क मार्ग से मनाली अच्छी तरह से पास के मुख्य शहरों से जुड़ा हुआ है जिससे आप आसानी से सड़क मार्ग से बस, टैक्सी या फिर खुद के वाहन से मनाली पहुँच सकते हैं।

मनाली पहुंचकर आप मनाली मॉल रोड से जब सोलंग वैली की तरफ जाते हैं तो करीब 2-3 किलोमीटर चलने के बाद दाईं तरफ एक सड़क गुजरती है जिस पर करीब 1 किलोमीटर चलने के बाद आप वशिष्ठ मंदिर पहुँच जाते हैं।

Photo of मनाली में भीड़ वाली जगहें नहीं बल्कि अद्भुत नज़ारों से घिरा यह हज़ारों साल पुराना मंदिर है बेहद खास by We The Wanderfuls

तो इसी के साथ अगर आप मनाली में इस बार कुछ नया अनुभव लेना चाहते हैं तो वशिष्ठ मंदिर को अपनी मनाली यात्रा में जरूर शामिल करें।

इससे जुड़ी जितनी भी जानकारी हमारे पास थी हमने आपसे इस लेख के माध्यम से साझा करने की कोशिश की है। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इस आर्टिकल को लाइक जरूर करें और साथ ही ऐसी ही अन्य जानकारियों के लिए आप हमें फॉलो भी कर सकते हैं।

अगर आप ऐसी ही कुछ और जानकारियों के बारे में जानना चाहते हैं तो आप हमारे यूट्यूब चैनल WE and IHANA पर या फिर हमारे इंस्टाग्राम अकाउंट @weandihana पर भी जा सकते हैं।

है।

क्या आपने हाल में कोई की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें

बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।

Further Reads