वाल्मीकि टाइगर रिजर्व बिहार का अकेला टाइगर रिजर्व है। पश्चिमी चंपारण जिले के वाल्मीकि नगर में स्थित यह टाइगर रिजर्व प्राकृतिक विविधता से भरा पड़ा है। करीब 800 वर्ग किलोमीटर में फैले इस वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में आकर आप प्रकृति की सुंदरता के बीच खोकर रह जाएंगे। मीलों तक फैले यहाँ की हरियाली को निहारते-निहारते आप थक जाएंगे लेकिन मन नहीं भरेगा। कुछ पल शांति से साथ गुजारने की चाह रखने वाले नवविवाहितों के हनीमून के लिए यह बजट में बेस्ट ऑप्शन है। महंगे भीड़भाड़ वाले पर्यटक स्थलों से कहीं बेहतर है यह वाल्मीकि टाइगर रिजर्व। यहाँ की खूबसूरती देखकर आप रोमांच और रोमांस दोनों का अनुभव करेंगे। कलकल बहती नदी के बीच यहाँ की हरियाली, पक्षियों की चहचहाहट और उछल-कूद मचाते जानवरों को देखकर मोहित हो जाएंगे। आपके लिए यहाँ का सफर हमेशा के लिए यादगार बन जाएगा।
रामायण मे वर्णित महर्षि वाल्मीकि का आश्रम इसी नेशनल पार्क में भारत नेपाल सीमा पर घने जंगलों मे स्थित है। उन्हीं के नाम पर इस पूरे क्षेत्र को वाल्मीकि नगर से जाना जाता है। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व अपने बाघों के लिए जाना जाता है। यहाँ के जंगल की जलवायु बाघों के रहने और उनके विकास के साथ प्रजनन के लिए सबसे उत्तम है। यहाँ सात प्रकार की वनस्पतियां, पेड़ों की 84 प्रजातियां, 32 प्रकार की झाड़ियां और जड़ी-बूटी और घासों की 81 प्रजातियां हैं। यहाँ आप बाघ, भालू, तेंदुआ, जंगली कुत्ता, बाइसन, हिरण और मृग की कई प्रजातियों को देख सकते हैं। यहाँ उड़ने वाली लोमड़ियों को भी देखा जा सकता है। यहाँ पक्षियों की 250 से अधिक प्रजातियां हैं। बाघों की संख्या के मामले में यह चौथे स्थान पर है।
यहाँ की खूबसूरती देखकर आप जिम कार्बेट, राजाजी पार्क और रणथंभौर को भूल जाएंगे। शहर के भीड़भाड़ और शोरगुल से दूर यहां आप बजट के भीतर कुछ दिन शांति से गुजार सकते हैं। सर्दी के मौसम में यह किसी हिल स्टेशन से ज्यादा आनंददायक स्थल है। जंगल के बीच से गुजरती गंडक नदी काफी आकर्षक दिखती है। यहां आप जंगल सफारी के साथ नौका विहार का भी मजा ले सकते हैं। यहां ठहरने की भी व्यवस्था है। आप यहां 700 रुपये से लेकर 1800 रुपये तक में कमरा बुक करा सकते हैं। यहां ट्री हट, इको हट, बंबू हट और फोरेस्ट रेस्ट हाउस हैं। जंगल में घूमने के लिए यहां जिप्सी की भी व्यवस्था है।
कैसे पहुंचे-
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व पश्चिमी चंपारण के जिला मुख्यालय बेतिया से करीब 70 किलोमीटर दूर है। यहां आप रेल और बस से आसानी से पहुंच सकते हैं। वाल्मीकिनगर एक छोटा सा रेलवे स्टेशन हैं। यहां पैसेंजर ट्रेन से पहुंच सकते हैं। यह गोरखपुर-नरकटियागंज-मुजफ्फरपुर रेल मार्ग पर है। बगहा और नरकटियागंज पहुंच कर आप यहां आ सकते हैं। हवाई जहाज के आने के लिए आपको पहले पटना या गोरखपुर आना होगा फिर वहां से रेल या बस से यहां पहुंचना होगा। फिर यहां से ऑटो लेकर जंगल कैंप जा सकते हैं।
कब पहुंचे-
यहां बरसात के समय को छोड़कर साल में कभी भी आ सकते हैं। बारिश के समय यहां बाढ़ का पानी भर जाता है। यहां आने का सबसे बेहतर समय अक्तूबर से अप्रैल के बीच का है।
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