वैसे जीते जी स्वर्ग किसी ने नही देखा! सिर्फ इसकी कल्पना ही की जा सकती है । लेकिन उत्तराखंड मे एक स्वर्ग सरीखी जगह है जिसे स्वर्ग की संज्ञा दी जा सकती है उस जगह का नाम है फूलों की घाटी इस घाटी को प्रकृति पूरे वर्ष अपने आंचल में छुपा कर रखती है सिर्फ 6 महीने के लिए ही आप इसे देखने के लिए आ सकते हैं यकीन मानिए यह इतनी खूबसूरत है इतनी खूबसूरत है कि शब्दों में से बयां करना आसान नहीं । और तो और सरकार के द्वारा इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट भी घोषित किया गया है जिससे कि इस खूबसूरत जगह का संरक्षण हो सके और हमारे आने वाली पीढ़ी भी इसे देख सके।
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित फूलों की घाटी इस वर्ष 1 जून 2023 से प्रकृति प्रेमियों के लिए खुल रही है यकीन मानिए यहां पर आपको 600 से ज्यादा विभिन्न तरह-तरह के अनोखे फूल देखने को मिलेंगे जो शायद ही आपको कहीं और मिले । समुंदर तल से इस घाटी की ऊंचाई लगभग 3600 मीटर है अगर आप खुद को प्रकृति प्रेमी कहते हैं तथा आपको ट्रैकिंग का शौक भी है तो इससे उम्दा जगह आपके लिए कोई और दूसरी नहीं हो सकती वनस्पति विज्ञान में रुचि रखने वाले तथा शोधार्थी तो वर्ष भर इस घाटी के खुलने का इंतजार करते हैं क्योंकि यहां जो वनस्पति और फूलों की किस में मिलती है वह बहुत ही दुर्लभ है आसानी से कहीं और नहीं मिलती यहां तक पहुंचने का मार्ग भी बहुत दुर्गम है यही इस घाटी को और भी सुंदर बनाता है ।
कैसे पहुंचें?
सड़क, रेल मार्ग - पहले हरिद्वार या ऋषिकेश या देहरादून आये यहाँ से आगे जाने के लिए बस या टैक्सी आपको मिल जायेगी गोविंद घाट के लिए । यहा गोविंद घाट से आपको घँघरिया जाना होगा। घँघरिया इस यात्रा का बेस कैंप भी है। यहाँ से आपको लगभग 6 पैदल ट्रैक करना होगा।
वायु मार्ग- देहरादून सबसे नजदीकी एयर पोर्ट है वहा से आगे की यात्रा यथा संभव ही करनी होगी देहरादून से भी आपको बस या टैक्सी की मदद से गोविंद घाट आना होगा
नोट- आप फूलों की घाटी मे रात मे नही रुक सकते है आपको वापस घँघरिया ही आना होगा
रुकने के लिए सबसे अच्छा विकल्प है गुरुद्वारा ।आप गोविंद घाट और घंघरिया दोनो जगह गुरुद्वारे मे रुक सकते है ।
गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब जी भी फूलों की घाटी के नजदीक ही है ! ये सिख धर्म की आस्था का प्रतीक है
दशमेश पिता ( दशम गुरु ) गुरु गोबिंद जी ने यहा तप किया था इस कारण ये जगह बहुत पवित्र है
ये गुरुद्वारा समुद्र तल से लगभग 4000 मीटर की उचाई पर स्थित है। जोकि दुनिया का सबसे अधिक उचाई पर स्थित गुरुद्वारा है ! यहा आने के लिए भी आपको घँघरिया से पैदल ट्रैक करते हुए ही आना होगा ट्रैक की लंबाई लगभग 5 से 6 किलोमीटर है ! यात्रा मार्ग अति दुर्गम है लेकिन गुरु की सुमिरन करके आगे बढ़ेंगे तो सब कुछ आसान हो जायेगा!
दूर दराज से सिख धर्म मे आस्था रखने वाले श्रद्धालु प्रतिवर्ष यहां शीश नवाने आते हैं ।
आप दोनो जगह साथ साथ कर सकते है फूलों की घाटी तथा हेमकुंड साहेब गुरुद्वारा दोनो का बेस कैंप घँघरिया ही है
यही से दोनो जगहो के रास्ते अलग होते है!
नोट --- आपका शरीरिक स्वास्थ अच्छा होना चाहिए! तथा यात्रा मे किसी ऐशो आराम की कल्पना भी न करे! जाने से पहले अपने स्वास्थ को दुरुस्त जरूर करे। क्योंकि यात्रा थोड़ी दुर्गम हो सकती है।