जब महाराष्ट्र में ही मिले फूलों की घाटी के विहंगम नज़ारे तो उत्तराखण्ड क्यों जाना?

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Photo of जब महाराष्ट्र में ही मिले फूलों की घाटी के विहंगम नज़ारे तो उत्तराखण्ड क्यों जाना? by Deeksha

पहाड़ों की खूबसूरती के बारे में जितनी बात की जाए कम होगी। पहाड़ों में आकर एक अलग तरह का सुकून मिलता है। जिन घुमक्कड़ों को पहाड़ों से लगाव है उनके लिए हिमाचल और उत्तराखंड, ये दोनों राज्य बेहद खास हैं। उत्तराखंड की बात की जाए तो फूलों की घाटी देखना सभी की बकेट लिस्ट में शामिल होता है। दूर तक बिखरे रंग-बिरंगे फूलों को देखकर मन खुश हो जाता है। उत्तराखंड की वैली ऑफ फ्लावर यकीनन अपने आप में धरती पर स्वर्ग जैसी है। लेकिन क्या आप जानते हैं केवल उत्तराखंड ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र में भी उतनी ही खूबसूरत फूलों की घाटी मौजूद है? महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित कास पठार फूलों से सजी बेपनाह खूबसूरती वाली दुनिया की ओर ले जाएगा।

कास पठार

सतारा से 24 किमी., महाबलेश्वर से 37 और पंचगनी से लगभग 50 किमी. की दूरी पर स्थित कास पठार महाराष्ट्र की सबसे खूबसूरत जगहों में से है। कास असल में फूलों की घाटी है जो देखने में बेहद प्यारी लगती है। कास पठार महाराष्ट्र के सबसे ज़्यादा देखे जाने वाले टूरिस्ट स्थलों में से है। मानसून के समय में ये जगह पिकनिक मनाने वालों से भर जाती है। कास पठार 1200 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है जिससे इसकी खूबसूरती और बढ़ जाती है। फूलों की घाटी होने की वजह से इस जगह को 2012 में यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची में भी शामिल कर लिया है। बारिश के मौसम में ये जगह फूलों की रंगीन चादर से ढक जाती है। इसके अलावा यदि आपको पंछियों और जीव-जंतुओं में रुचि है तो भी ये जगह आपको खूब पसंद आएगी।

क्या देखें?

कास घाटी में आकर आपको लगेगा कि आप फूलों की दुनिया में आ गए हैं। ये घाटी इतनी खूबसूरत है कि आप हैरान रह जाएंगे। कास में देखने के लिए काफी जगहें हैं।

1. फूलों की घाटी

कास घाटी की पहचान यहाँ मिलने वाले तमाम तरह के फूलों से की जाती है जिनको देखने दूर दूर से लोग आते हैं। आपको शायद ये जानकर हैरानी होगी कि अकेले कास घाटी में लगभग 850 वैरायटी के फूल पाए जाते हैं। इन फूलों में गुलाबी रंग में सजे बालसम फूलों को देखना सबसे मोहक होता है। इसके अलावा कास घाटी में सफेद ऑर्किड, पीले सोंकी, स्मिथिया और सेरोपेजिया जैसे दुर्लभ फूल भी अच्छी मात्रा में मौजूद हैं। महाराष्ट्र की इस फूलों की घाटी को एक्सप्लोर करने का सबसे अच्छा तरीका है पैदल घूमें। घाटी में घूमने में लोगों को परेशानी ना हो इसके लिए पतले रास्ते बनाए गए हैं। यकीन मानिए कास घाटी आपको निराश होने का एक मौका नहीं देगी।

2. कास झील

कास झील जिसको कास तालाब के नाम से भी जाना जाता है महाराष्ट्र के जाने माने दर्शनीय स्थलों में से है। 1875 में बनी ये झील फूलों की घाटी के नजदीक स्थित है जिसके कारण इस झील को देखने लोगों की भीड़ आती रहती है। कास झील से ही पूरे सतारा शहर में पीने लायक पानी की सप्लाई की जाती है जिसके कारण ये झील और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। वैसे तो आप इस झील को देखने साल के किसी भी समय पर आ सकते हैं लेकिन यदि आप मानसून के सीजन में आएंगे तब ये झील आपको सबसे सुंदर लगेगी।

समय: सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक

एंट्री फीस: 100 रुपए

3. बामणोली

बामणोली सतारा पठार से लगभग 15 किमी. और सतारा शहर से 50 किमी. की दूरी पर स्थित एक बेहद खूबसूरत गाँव है। बामणोली की मुख्य पहचान यहाँ उपलब्ध बोटिंग की सुविधा से की जाती है जिसका मजा आपको भी उठाना चाहिए। बामणोली शिवसागर झील के किनारे पर बसा हुआ है। आपके पास बोटिंग करने में लिए कई विकल्प हैं। आप बोटिंग करते हुए शिवसागर झील का चक्कर लगा सकते हैं या टपोला की सैर करने जा सकते हैं। टपोला को महाराष्ट्र का छोटा कश्मीर कहा जाता है तो आप सोच सकते होंगे है जगह कितनी खूबसूरत होगी। इसके अलावा आप वासोटा किला ट्रेक और नागेश्वर शिव मंदिर के दर्शन करने का भी मन बना सकते हैं।

4. अजिंक्यतारा फोर्ट

कास गाँव से तकरीबन एक घंटे की दूरी पर स्थित अजिंक्यतारा फोर्ट महाराष्ट्र के इतिहास के सबसे मजबूत और महत्वपूर्ण जगहों में से है। अजिंक्यतारा फोर्ट को बाहर से देखकर ही मालूम चलता है कि मराठाओं को अपने आर्किटेक्चर और सेना को लेकर कितना गर्व था। इस किले की खास बात है कि यहाँ से आपको पूरे शहर का बढ़िया दृश्य दिखाई देता है जो आपको ज़रूर पसंद आएगा। यदि आप इस फोर्ट को देखने आने का मन बना रहे हैं तो आपको अपनी कास ट्रिप के आखिरी चरण में इस किले का दीदार करना चाहिए।

5. वजराई और थोसेघर वाटरफॉल

झरने किसी भी जगह को देखने लायक बना देते हैं। कास पहले से ही इतनी खूबसूरत जगह है तो सोचिए दो विशाल झरने इस जगह के सौंदर्य को कितना अधिक बढ़ा देते होंगे। वजराई और थोसेघर वाटरफॉल आपकी कास ट्रिप में जरूर शामिल होने चाहिए। हरे भरे लैंडस्केप के बीच से गिरता हुए ये दोनों झरने देखने में बेहद आकर्षक लगते हैं। वजराई वाटरफॉल कास पठार से मात्र 4 किमी. की दूरी पर है। थोसेघर वाटरफॉल को आप दूर से देख सकते हैं। क्योंकि इस झरने तक पहुँचना खतरे से खाली नहीं है इसलिए पर्यटकों की सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए इस झरने के पास जाने की अनुमति नहीं दी गई है।

कहाँ ठहरें?

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कास घाटी में ठहरने के लिए आपको ज़्यादा विकल्प नहीं मिलेंगे। यदि आप यहाँ रुकना चाहते हैं तो आपका सबसे सटीक और सही ऑप्शन है कि आप कास गाँव में अपने रहने की व्यवस्था करें। कास गाँव में आपको तमाम होमस्टे मिल जाएंगे जहाँ आप ठहर सकते हैं। इसके अलावा यदि चाहें तो सतारा से कास जाने वाले हाईवे पर बने होटलों में भी ठहर सकते हैं। यदि आप किसी कंपनी के साथ टूर पैकेज की बुकिंग कर रहे हैं तो आपको रहने के लिए टेंट की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है जो अपने आप में मजेदार अनुभव होता है।

कब बनाएँ प्लान?

कास पठार देखने जाने के लिए सबसे सही समय सितंबर है। क्योंकि ये जगह बारिश के मौसम में सबसे अधिक खूबसूरत होती है इसलिए सुझाव यही होगा कि आपको मानसून के समय कास आना चाहिए। बरसात में ये घाटी रंग-बिरंगे फूलों से गुलजार है जाती है और यकीन मनिये ये दृश्य वाकई मे देखने लायक होता है।

कैसे पहुँचें?

कास घाटी जाने के लिए आपको ज़्यादा परेशानी नहीं आएगी। ये घाटी महाराष्ट्र के सभी बड़े शहरों से अच्छी तरह से जुड़ी हुई है जिससे आपको साधन की कमी नहीं होगी।

फ्लाइट से: यदि आप फ्लाइट से कास आना चाहते हैं तो सबसे नजदीकी एयरपोर्ट पुणे है। पुणे एयरपोर्ट पर आकर आप बस या प्राइवेट टैक्सी लेकर कास आ सकते हैं।

ट्रेन से: ट्रेन से आने के लिए आपको सतारा रेलवे स्टेशन का टिकट लेना होगा। सतारा रेलवे स्टेशन कास से मात्र 30 किमी. की दूरी पर है। सतारा पहुँचकर आप बस या टैक्सी लेकर कास पठार पहुँच सकते हैं।

वाया रोड: यदि आप कास पठार देखने आना चाहते हैं तो सबसे सरल रास्ता वाया रोड है। यदि आप मुंबई या पुणे से कास की ओर आ रहे हैं तो आपकी 3 और 5 घंटों का समय लग सकता है। वहीं यदि आप बस लेकर कास आ रहे हैं तो ये दूरी तय करने में आपको ज़्यादा समय भी लग सकता है।

इन बातों का रखें ध्यान:

1. वन विभाग ने पठार को संग्रक्षित करने के लिए रोज 3,000 लोगों को फूलों की घाटी में आने की इजाजत दी है।

2. घाटी में आने के लिए हर व्यक्ति को एंट्री फीस के तौर पर 50 रुपए देने होते हैं। वहीं यदि आप वीकेंड या किसी सार्वजनिक छुट्टी के दिन घाटी घूमना चाहते हैं तो आपको 100 रूपए देने होते हैं।

3. कास घाटी सुबह 9 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक पर्यटकों के लिए खुली रहती है।

4. क्योंकि इस घाटी की खूबसूरती बरसात के मौसम में अपने चरम पर रहती है इसलिए अक्सर यहाँ मानसून में भीड़ हो जाती है। बरसात में यहाँ फिसलन भी होती है इसलिए आपको सावधानी बरतना बेहद ज़रूरी है।

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