दक्षिण भारत की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक मुन्नार की प्राकृतिक सुंदरता को देखकर आपको यही लगेगी की आप धरती नही बल्कि स्वर्ग में है।ये जगह चारो तरफ प्राकृतिक सौंदर्य और चाय के बागान के लिए जाना जाता है।मुन्नार की इसी खूबसूरती को देखने लाखो पर्यटक यहां आते है।लेकिन अगर आप ऐसी किसी ऑफबीट जगह की तलाश में है जो खूबसूरत भी हो और कम भीड़ भाड़ वाली हो तो हम आपको मुन्नार से 50 किमी की दूरी पर स्थित एक ऐसी ही खूबसूरत जगह घूमने का सुझाव देंगे जिसे देख आपको ऐसा प्रतीत होगा जैसे आप कोई सपना देख रहे हैं।हम बात कर रहे मुन्नार के पास स्थित वाट्टावड़ा की ,तो आइए जानते है इस खूबसूरत जगह के विषय में।
वट्टावाड़ा
मुन्नार अपनी खूबसूरत ढलानों वाली घाटी के लिए विख्यात है। वाट्टावड़ा तमिलनाडू राज्य से सटे मुन्नार से लगभग 45 से 50 किमी की दूरी पर स्थित एक बहुत ही खूबसूरत स्थान है।जो खास तौर पर अपने सब्जी और फलों की खेती के लिए जाना जाता है। वाट्टावड़ा एक बहुत ही शांत गांव है।जहां की जलवायु सदैव ही अनुकूल रहती है।दिन भर हल्की धूप और शाम होते हल्की हल्की सर्दी और बादलों का चादर ओढ़े यहां की छोटी छोटी पहाड़ियां।ऐसा प्रतीत होता है मानो हम किसी परी लोक में पहुंच गए हैं।पश्चिमी घाट के अधिकांश ट्रेक इसी गांव से होकर गुजरते हैं।अगर आप एक प्रकृति प्रेमी है तो आपको यहां विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे और वनस्पतियां तथा विभिन्न प्रकार के जीव जंतु भी देखने को मिलेंगे।साथ ही यहां खूबसूरत और छोटा सा गांव अपने आगंतुओ के लिए विभिन्न प्रकार के एक्टिवीज भी करवाता है तो आप यहां अपनी छुट्टियां सुकून से बीता सकते है।
केरल की सब्जी राजधानी है वट्टावाड़ा
वाट्टावड़ा एक छोटा सा कृषि प्रधान गांव है जो कि केरल के सब्जी राजधानी के रूप में जाना जाता है।यह गांव अपने सीढ़ीनुमा और ढलाऊ खेतो में कुछ बेहतरीन सब्जियां उगाते है। वाट्टावड़ा पूरे केरल क्षेत्र में सब्जियां उगने में सबसे आगे है।केरल के विभिन्न क्षेत्रों में यही से सब्जियां भेजी जाती है।यह अपनी विभिन्न प्रकार की फसलों के लिए प्रसिद्ध है जो केरल के अन्य हिस्सों में नहीं देखी जाती है, जिसमें सेब, संतरे, स्ट्रॉबेरी, अमरूद, नाशपाती, ब्लैकबेरी, प्लम, करौदा, कनिस्टेल, आड़ू और जुनून फल आदि की किस्में शामिल हैं। वट्टावड़ा गेहूँ की खेती के लिए भी प्रसिद्ध था। प्रसिद्ध वट्टावडा लहसुन का उत्पादन यही होता है, जो अपने अद्वितीय औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है।
वट्टावाड़ा के मुख्य आकर्षण
अगर आप मुन्नार के वाट्टावड़ा घूमने का प्लान बना रहे तो आप वाट्टावड़ा के आस पास की कुछ खूबसूरत जगहों को एक्सप्लोर कर सकते है।
मत्तुपेट्टी बांध(ईको प्वाइंट)
जब आप मुन्नार से वाट्टावड़ा के लिए जायेंगे तो आपका सबसे पहला पड़ाव मत्तुपेट्टी बांध(ईको प्वाइंट) होगा जोकि मुन्नार से लगभग 11 किमी की दूरी पर स्थित है।यह एक कंक्रीट ग्रेविटी बांध है जो बिजली उत्पादन में मदद करता है।इस जगह की खूबसूरती इस कदर प्रचलित है कि पर्यटक यहां खींचे चले आते है।खुनसूरत झील ,चारो तरफ हरियाली ,घने जंगल और चाय के बागान और साथ में ऊंचे ऊंचे पहाड़ों से दिखता नीला आसमान किस जगह की खूबसूरती में चार चांद लगाता है।जब घाटी में आप अपना नाम पुकारते है वो वापस कर आपको सुनाई देता है।
टी म्यूजियम
दुनियां भर के म्यूजियम से बिल्कुल अलग हट कर है यहां का टी म्यूजियम।अगर आप भी एक टी लवर है तो आपको यहां जरूर जाना चाहिए जहां आपको चाय से संबंधित ऐसी ऐसी जानकारियां मिलेंगी जो आपको पता भी नही होगी।यहां पर आपको रोटरवेन (चाय प्रोसेसिंग की मशीन), एक सन 1905 का टी रोलर, दूसरी सदी की केतली जो टी इस्टेट में ही पाई गई थी और औपनिवेशिक काल की कुछ दिलचस्प जानकारियां और फोटोग्राफ भी देखने को मिलेंगी।संग्रहालय में मुन्नार का इतिहास और चाय बागानों के उत्थान की पूरी कहानी है जो आपको उस समय में ले जाएंगी जब मुन्नार केवल एक पहाड़ी इलाका हुआ करता था।
टॉप स्टेशन
टॉप स्टेशन मुन्नार की सबसे ऊंची जगहों में से एक है।यहां तक पहुंचने के रास्ते बहुत ही खूबसूरत है जहां पर आपको झरने,पहाड़,चाय के बागान और खूबसूरत वादियो के नजारे देखने को मिलेंगे।टॉप स्टेशन का एक दिलचस्प इतिहास भी है जो कि ब्रिटिश शासन से जुड़ा है।कहा जाता है कि इसे कुंडला वैली रेलवे के हिस्से के रूप में एक टर्मिनल रेलवे स्टेशन के रूप में बनाया गया था, जो भारत में पहली मोनोरेल प्रणाली थी, और बाद में इसे नैरो गेज रेलवे में बदल दिया गया। 1924 में केरल में आई बाढ़ ने पूरी रेलवे लाइन को नष्ट कर दिया, और केवल कुछ अवशेष बचे हैं, जो आज मुन्नार चाय संग्रहालय में देखे जा सकते हैं।
चिलनथियार झरना
पज़हथोट्टम व्यूपॉइंट से केवल 5.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह खूबसूरत झरना वाट्टावड़ा के मुख्य आकर्षणों में से एक है।यह एक आरक्षित वन के अंदर स्थित है।एक ऑफबीट लोकेशन होने के कारण यहां पर्यटकों की भीड़ भाड़ काफी कम होती है।यह स्थान सुकून और शांति से भरा हुआ है।झरने तक पहुंचने के लिए आपको ट्रेक करना होगा।
पम्पादुम शोला राष्ट्रीय उद्यान
पम्पादुम शोला राष्ट्रीय उद्यान, जिसे वट्टावाड़ा वन के नाम से भी जाना जाता है,टॉप स्टेशन से कुछ ही दूर पर स्थित है। वाट्टावाडा की यात्रा यहां गए बिना अधूरी है।जब आप इस पार्क में प्रवेश करते है तो आपको एक चेक मिलेगा जहां आपको अपना और अपने वाहन की पूरी जानकारी दर्ज करवानी पड़ती है।चेक पोस्ट पर वन रक्षक आपको यह भी सूचित करेंगे कि जानवरों की उपस्थिति के कारण आप राष्ट्रीय उद्यान में अपना वाहन नहीं रोक सकते।इस पार्क में सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे के बीच प्रवेश की अनुमति है, और कोई शुल्क नहीं है।
वट्टावडा ब्यूटी प्वाइंट
वट्टावडा ब्यूटी प्वाइंट पम्पादुम शोला नेशनल पार्क से लगभग 7 किमी की दूरी पर स्थित है ।यह एक ऐसा स्थान है जहां से आप पूरे वाट्टावड़ा का खूबसूरत और मनोरम दृश्य देख सकते है।इसी कारण इस स्थान का नाम ब्यूटी प्वाइंट पड़ा। यहां से आप पूरे गांव में स्थित ढलाऊदार खेतो को देख सकते है साथ ही पहाड़ो के सुंदर दृश्य भी देख सकते है।शाम के समय बादल पहाड़ी पर उतर आते है ऐसा प्रतीत होता है मानो आप बादलों के बीच खड़े है ।
वट्टावाड़ा जाने का सबसे अच्छा समय
वैसे तो आप वाट्टाबड़ा साल के किसी भी समय जा सकते हैं क्योंकि यहां की जलवायु साल भर काफी सुखद रहती है। लेकिन अगर आपको वाट्टाबड़ा की असली खूबसूरती देखनी है तो आपको यहां पर सितंबर से अप्रैल के बीच आना चाहिए।उस समय यहां की खूबसूरती अपने पूरे शबाब पर होती है।
कैसे पहुँचें?
हवाई मार्ग द्वारा
अगर आप वाट्टाबड़ा हवाई मार्ग से जाना चाहते है तो आपको बता दें कि यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा कोच्चि में है। यहां से आप मुन्नार के लिए टैक्सी और फिर वहां से वाट्टाबड़ा के दूसरी टैक्सी कर के पहुंच सकते है।
रेल द्वारा: वत्तावाड़ा से निकटतम रेलवे स्टेशन अलुवा है जो लगभग 160 किमी की दूरी पर है। अलुवा से, आप या तो कैब किराए पर ले सकते हैं या वट्टावडा के लिए बस पकड़ सकते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा: वट्टावाड़ा में एक अच्छा सड़क नेटवर्क है और यह मुन्नार और केरल के अन्य सभी शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इसलिए, आप सड़क मार्ग से यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।
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