हमारे देश भारत को ऐसे ही अद्भुत नहीं कहा जाता। यहाँ ऐसी अनेक अद्भुत प्राकृतिक और पवित्र जगहें मौजूद हैं जो पौराणिक व् धार्मिक दृष्टि से तो बेहद महत्वपूर्ण है ही लेकिन साथ ही उन्हीं जगहों पर अगर आप सिर्फ प्राकृतिक नज़ारे देखने के मन से भी जाते हैं तो भी उन स्थानों पर उन शानदार प्राकृतिक नज़ारों की बस एक झलक ही आपको कुदरत का दीवाना बना देगी। और उन्हीं स्थानों में से कई स्थान अकेले उत्तराखंड राज्य जिसे देवभूमि भी कहा जाता है, वहाँ मौजूद हैं। आज हम हमारे इस लेख में उत्तराखंड के एक ऐसे ही बेहद पवित्र और पौराणिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण स्थान के बारे में बताने वाले हैं जहाँ तक पहुँचाने वाले रास्तों के साथ मंजिल के दृश्य भी आपके होश उड़ाने के लिए काफी रहेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं...
सतोपंथ झील, उत्तराखंड
उत्तराखंड में माणा गाँव के पास स्थित समुद्रतल से 4600 मीटर पर सतोपंथ झील स्थित है। आम तौर पर आपने गोलाकार या फिर चौकोर झील देखी होगी लेकिन यह झील त्रिकोणीय आकार की है और चारों ओर बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियों के बीच स्थित है। इसका आकार भी अपने आप में इसे बेहद खास बनता है जिससे जुड़ी मान्यता भी हम आपको आगे इसी लेख में बताने वाले हैं।
अगर प्राकृतिक नज़ारों की बात करें तो इस झील तक पहुँचने का रास्ता जितना दुर्गम है उतने ही खूबसूरत नज़ारों से भरा हुआ भी है। चारों ओर के अद्भुत दृश्यों के साथ गुजारा हुआ एक-एक पल आपकी यादों में हमेशा के लिए बस जाने वाला होता है और साथ ही कठिन मार्ग पर चलने की थकान भी इन दृश्यों को देखते हुए बिलकुल भी महसूस नहीं होगी।
सतोपंथ झील से जुड़ी मान्यताएं
जैसा कि इस झील के नाम से ही समझ आता है, सतोपंथ मतलब सत्य का रास्ता। इस झील से जुड़ी ऐसी मान्यताएं हैं कि इसी रास्ते से होकर पांडव स्वर्ग की ओर गए थे जिसमें से बताया जाता है कि सिर्फ युधिष्ठिर ही सशरीर स्वर्ग तक जा पाए थे। ऐसी मान्यता है कि इस झील के पास ही भीम ने अपना देह त्याग दिया था और इस झील से पहले ही द्रौपदी और अन्य पांडव नकुल, सहदेव और अर्जुन भी अपना जीवन खो चुके थे। बताया जाता है की इस झील से आगे स्वर्गरोहिणी पर्वत पर पांडवों में सिर्फ युधिष्ठिर ही एक कुत्ते के साथ जा पाए थे फिर स्वर्ग से आकाशीय वाहन युधिष्ठिर को लेने आया था और फिर वहीं से वो सशरीर स्वर्ग चले गए थे।
एक अन्य मान्यता के अनुसार बताया जाता है कि इस स्थान पर त्रिलोक के स्वामी अर्थात भगवान् ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने इस झील के तीनों कोनों पर खड़े होकर स्नान किया था और इसीलिए इस झील का आकार त्रिकोणीय है।
सतोपंथ झील के लिए ट्रेक
जैसा कि हमने बताया कि सतोपंथ झील का ट्रेक इतना आसान नहीं है लेकिन फिर भी यह मुश्किल भी नहीं है। एक औसत दर्जे का माना जाने वाला यह ट्रेक 12 साल से 60 साल तक के लोगों द्वारा आसानी से किया जा सकता है। हालाँकि ट्रेक काफी ऊंचाई पर स्थित है इसलिए जाने से पहले अपना फिटनेस टेस्ट जरूर करें और साथ ही आप ट्रैकिंग ग्रुप के साथ इस ट्रेक को पूरा कर सकते हैं जिससे आपको कोई परेशानी न हो।
ट्रेक की शुरुआत आप चाहें तो बद्रीनाथ जी के दर्शनों के बाद वहीं से कर सकते हैं या फिर भारत तिब्बत बॉर्डर पर मौजूद माणा गाँव तक टैक्सी वगैरह से भी जा सकते हैं। फिर वहां से परमिट वगैरह चेक करवाकर आप आगे बढ़ सकते हैं। बद्रीनाथ या फिर माणा से इस ट्रेक पर आने जाने में करीब 4-5 दिन का समय लगता है। जिसे आप नीचे बताये गए अनुसार 4-5 दिनों के ट्रेक में विभाजित कर सकते हैं-
पहला दिन: बद्रीनाथ-माणा-वसुंधरा झरना-लक्ष्मी वन
कुल ट्रेक कि दूरी: 9 किलोमीटर
अनुमानित समय: 5 घंटे
दूसरा दिन: लक्ष्मीवन से चक्रतीर्थ
ट्रेक कि दूरी: 7 किलोमीटर
अनुमानित समय: 4 घंटे
तीसरा दिन: चक्रतीर्थ-सतोपंथ-चक्रतीर्थ
ट्रेक कि कुल दूरी(दोनों तरफ): 10 किलोमीटर
अनुमानित समय: 8 घंटे
चौथा दिन: चक्रतीर्थ से बद्रीनाथ
ट्रेक कि कुल दूरी: 17 किलोमीटर
अनुमानित समय: 7 घंटे
जाने के लिए बेस्ट समय
जैसा कि हमने आपको बताया कि सतोपंथ झील समुद्रतल से करीब 4600 मीटर कि ऊंचाई पर स्थित है और इसी वजह से यहाँ अत्यधिक बर्फ़बारी होती है और इसीलिए सर्दियों के समय यहाँ अधिकतर इलाके बर्फ से ढके रहते हैं। इसके अलावा मानसून के समय भी यहाँ काफी अधिक बारिश होने कि वजह से यह क्षेत्र भूस्खलन के प्रति काफी संवेदनशील हो जाता है जिससे सभी रास्ते काफी मुश्किल भरे हो जाते हैं। इसलिए यहाँ जाने के लिए सबसे बेस्ट समय साल में मई-जून के महीने जब आपको बर्फ से ढके विशाल पर्वत जैसे नीलकंठ, स्वर्गारोहिणी और माउंट चौखंबा के अद्भुत दृश्य दिखाई देते हैं साथ ही रास्ते हरे घास के मैदान और रंग बिरंगे फूलों से सजे रहते हैं। इसके अलावा सितम्बर-अक्टूबर महीने भी जाने के लिए बेस्ट रहेंगे जब चारों ओर की घनी हरियाली और अलकनंदा नदी की खूबसूरती अपने चरम पर होती है।
स्वर्गारोहिणी ग्लेशियर
सतोपंथ झील से कुछ दूर आगे चलने पर स्वर्गारोहिणी ग्लेशियर नज़र आता है जिसके लिए कहा जाता है कि यह धरती पर एकमात्र स्थान है जहाँ स्वर्ग जाने की सीढ़ियां मौजूद हैं। बताया जाता है की यहाँ कुल 7 सीढ़ियां है जो स्वर्ग जाने के इस रास्ते को पूर्ण करती है लेकिन आम तौर पर तीन सीढ़ियां ही दिखाई देती है और बाकी की सीढ़ियां हमेशा बर्फ और घने कोहरे से ढकी रहती हैं।
तो हमारे पास पवित्र सतोपंथ झील से जुड़ी जो भी जानकारियां थी हमने आपसे इस लेख के द्वारा साझा करने की कोशिश की है। अगर आपको ये आर्टिकल अच्छा लगा तो प्लीज इसे लाइक जरूर करें और ऐसी ही अन्य जानकारियों के लिए आप हमें फॉलो भी कर सकते हैं।
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