उत्तराखंड के इस मंदिर का अद्भुत रहस्य, दर्शन करते ही दूर हो जाते हैं रोग

Tripoto
2nd Apr 2023
Photo of उत्तराखंड के इस मंदिर का अद्भुत रहस्य, दर्शन करते ही दूर हो जाते हैं रोग by Yadav Vishal
Day 1

उत्तराखंड भारत का वो खूबसूरत राज्य हैं जहां न केवल हिमालय की खूबसूरती दिखने को मिलती हैं बल्कि यहां कई सांस्कृतिक सभ्यता भी हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। उतराखंड को देवताओं की भूमि भी कहा जाता हैं।यह विशाल हिमालयी क्षेत्र प्रकृति की सुंदरता और देवताओं के प्रति समर्पण को प्रदर्शित करता है। वैसे तो इस राज्य में देखने को बहुत कुछ है पर एक ऐसा मंदिर हैं जिसका रहस्य चौकाने वाला हैं।इस राज्य में नैनीताल शहर के रामनगर तहसील से 15 किलोमीटर की दूरी पर एक ऐसा मंदिर स्थित हैं जहां ऐसी मान्यता हैं कि यहां दर्शन मात्र से ही रोग दूर हो जाते हैं। जी हां आपने सही पढ़ा इस मंदिर का नाम गिरिजा मंदिर हैं और यह मंदिर देवभूमि उत्तराखण्ड की सुंदर वादियों में नदी के बीचों-बीच स्थित हैं।

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गर्जिया देवी मंदिर

नैनीताल शहर के रामनगर तहसील से 15 किलोमीटर की दूरी पर सुंदरखाल गांव में स्थित हैं गर्जिया देवी धाम।यह मंदिर उत्तराखंड राज्य का प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है।गर्जिया देवी, जिसे गिरिजा देवी नाम से भी जाना जाता है। यह पवित्र मंदिर हरे-भरे जंगलों में बहती कोसी नदी के बीच में एक छोटे से टीले पर स्थित है।यह मंदिर माता पार्वती को समर्पित हैं।माता पार्वती के इस मंदिर को स्थानीय लोग गर्जिया माता के मंदिर के रूप में जानते हैं।भक्तों को माता के दरबार में पहुंचने के लिए 90 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। मान्यता हैं कि यहां माता की 4.5 फीट की मूर्ति स्थापित हैं।इसके साथ ही सरस्वती, गणेश जी तथा बटुक भैरव की संगमरमर की मूर्तियां मुख्य मूर्ति के साथ स्थापित हैं।गर्जिया देवी मंदिर से जुड़े इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं कि इस मंदिर में लक्ष्मीनारायण की एक मूर्ति स्थापित है, जिसे 10 वीं सदी का माना जाता है।

गर्जिया देवी मंदिर का इतिहास

गर्जिया देवी मंदिर माता पार्वती को समर्पित हैं। इसलिए पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गिरिजा देवी भगवान शिव की पत्नी और राजा गिरिराज हिमालय की पुत्री हैं। स्थाई लोगों का मानना हैं कि सन् 1940 में क्षेत्र भयंकर जंगलों से भरा पड़ा था और कोसी नदी के टीले पे सर्वप्रथम वन विभाग के तत्कालीन कर्मचारियों तथा कुछ स्थानीय निवासियों द्वारा माता रानी की मूर्ति को देखा गया था। उस समय ही यहां के लोगों को माता रानी के होने का एहसास हुआ।

एक अन्य मान्यता के अनुसार, माता का यह मंदिर जिस टीले पर बना हुआ है,कहा जाता हैं की यह टीला किसी पर्वत खंड का हिस्सा था।ऐसा माना जाता हैं कि यह टीला जब किसी पर्वत खंड से अलग हो कर बहते बहते इस जगह पे आ रहा था तब माता रानी इस टीले पर विराजमान थी और मंदिर को टीले के साथ बहता देख भगवान भैरव ने उसे रोकने के लिए ‘ठहरो, बहन ठहरो’ बोला था।और कहा जाता हैं कि भगवान भैरव के निवेदन को स्वीकार कर माता उनके साथ तब से यहीं पर निवास कर रही हैं।माता के इस पावन धाम के ठीक नीचे भगवान भैरव का मंदिर भी बना हुआ है।

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कभी शेर करते थे गर्जिया देवी मंदिर की परिक्रमा

पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि एक बार यहां गिरी महाराज आए थे।जब वो यहां आए थे तो यहां अपने संग कुछ मूर्तियां लाए थे जिसे वो मंदिर के आस पास स्थापित करना चाहते थे जब वो ऐसा कर रहें थे तो उन्होने मंदिर के पास के जंगल से अचानक से शेर की गरजने की आवाज को सुना, गिरी महाराज ने माता का संकेत समझा और इन शेरों के गरजने के आधार पर उन्होंने इस मंदिर को गर्जिया देवी कहा। स्थाई लोग पहले इस मंदिर को उपटा देवी के नाम से संबोधित किया करते थे। कहा जाता हैं कि आज भी इस मंदिर के पास से शेर के गरजने की आवाज आती हैं।

माता के दर्शन करते ही दूर हो जाते हैं रोग

गिरिजा देवी के दर्शन मात्र से भक्त की परेशानियों का हल निकल जाता हैं। स्थाई लोगों का मानना हैं की माता के दर्शन मात्र से ही कई रोगों का निवारण भी हो जाता हैं। इसलिए हर रोज यहां लगभग पांच हजार से ज्यादा श्रद्धालु गर्जिया माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।एक अन्य मान्यता के अनुसार गिरिजा देवी के दर्शन मात्र से ही विवाह में आ रहे युवक युवतियों बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।आज भी युवक-युवतियां मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए गिरिजा देवी आकर प्रसाद चढ़ाते हैं और अपनी मनोकामना के लिए चुनरी बांधकर जाते हैं। जब मनोकामना पूरी हो जाती है तो पति-पत्नी जोड़े में आकर पूजन करते हैं।माना जाता है कि जब तक भैरव दर्शन न किए जाएं, तब तक गिरिजा देवी की कृपा प्राप्ति नहीं होती।यहां नारियल, लाल वस्त्र, सिंदूर, धूप, दीप आदि चढ़ाकर मां की पूजा की जाती है।

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कार्तिक पूर्णिमा में गर्जिया देवी मंदिर में उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़

गिरिजा देवी मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा के समय पर यहां कोसी नदी में स्नान के लिए श्रद्धालुओं को सैलाब उमड़ता है। कोसी नदी की कल कल करती धारा में श्रद्धालुओं स्नान करते हैं और माता से मनुकामना मागते हैं कार्तिक पूर्णिमा के समय।इसके अलावा गंगा दशहरा, नव दुर्गा, शिवरात्रि, उत्तरायणी, बसंत पंचमी में भी काफी संख्या में श्रद्धालु जमावड़ा देखने को मिलता हैं।

गर्जिया देवी मंदिर खुलने और बंद होने का समय

गर्जिया देवी मंदिर सुबह 07:00 बजे खुलती हैं और शाम 06:00 बजे तक खुली रहती हैं। उसके बाद मन्दिर का कपाट बंद कर दिया जाता हैं।

गिरिजा देवी मंदिर कैसे पहुंचे

वायु द्वारा- निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा है जो इस मंदिर से लगभग 92.3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ से भी आप स्थानीय सेवाओं का उपयोग करके आसानी से इस मंदिर तक पहुँच सकते हैं।

ट्रेन द्वारा-गिरिजा देवी मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन रामनगर रेलवे स्टेशन है जो लगभग 15.3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ से आप स्थानीय सेवाओं का उपयोग करके आसानी से इस मंदिर तक पहुँच सकते हैं।

सड़क मार्ग से-इस राज्य की सड़कें देश के विभिन्न राज्यों से अच्छी तरह से जुड़ी हुई हैं। दिल्ली से रामनगर की दूरी 252 किमी है। इस मंदिर तक आप सड़क मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं।

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