मैदानी इलाकों की गर्मी से बचने के लिए पहाड़ों की ओर रुख करना सबसे बेहतर आइडिया होता है। गर्मी के समय में पहाड़ी जगहों पर पर्यटकों की भीड़ उमरती है। इसलिए मैंने इस साल ‘ऑफसीजन’ में पहाड़ों पर जाने का फैसला किया। उत्तराखंड के अंदररूनी क्षेत्रों की मेरी 700 कि.मी.की 7 दिनों की ये सड़क यात्रा बेहद दिलचस्प रही। यहाँ जाकर मुझे एहसास हुआ कि यहांँ ऑफसीजन में जाने जैसा और कोई बढ़िया सीज़न नहीं हो सकता।
पहला पड़ाव
दिल्ली से नैनीताल की दूरी, समय - 300 कि.मी., 7 घंटे।
मेरा पहला पड़ाव नैनीताल था जो कि उत्तराखंड के सबसे अधिक लोकप्रिय शहरों में से एक है। इसे झील शहर के नाम से भी जाना जाता है। आज भी मुझे अच्छे से याद है कि जब मैं गर्मी के दिनों में यहाँ आया था तो झील आधी सूखी हुई थी। हर जगह लोगों की भीड़-भाड़ देखने को मिल रही थी।
ऑफसीज़न की खासियत: ऑफसीज़न में यहाँ ना सिर्फ झीलें सुंदर दिखती हैं बल्कि पहाड़ियाँ तो मानो हरियाली के कंबल से ढ़क जाती है। जनवरी महीने की रात का आसमान तो जादुई था। दिन के वक्त तो सूरज चमकता था लेकिन शाम होते ही ठंड शुरू हो जाती थी। मेरी यह छुट्टी ऐसी थी जिसमें मैं पूरे दिन पढ़ाई करता था। साथ ही हॉट चॉकलेट के साथ जंगलों में घूमा करता था।
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दूसरा पड़ाव
नैनीताल से दूरी, समय - 56 कि.मी., 2 घंटा।
सीतलाखेत ऐसी जगह है जहाँ पर्यटक अक्सर आते नहीं हैं।
ऑफसीज़न की खासियत: दुनिया से दूर कहीं प्रकृति की गोद में आराम करने के लिए सीतलाखेत सबसे बढ़िया जगह है। सीतलाखेत स्थित सबसे जाना-माना रिजॉर्ट ‘अनंत रासा’ जहाँ गर्मियों के दिनों में हमेशा ही फुल बुकिंग रहती है। जबकि ऑफसीज़न में बुकिंग कम रहती है। आप अपने पूरे परिवार के साथ यहाँ जा सकते हैं।
कहाँ ठहरें
सीतलाखेत से दूरी, समय - 114 कि.मी., 3.5 घंटा।
कौसानी उत्तराखंड के भीतरी भाग में स्थित एक छोटा सा शहर है जो अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है।
ऑफसीज़न की खासियत: कौसानी में समय बिताने के लिए सर्दियों का मौसम ही सबसे बेस्ट है। यह हिमालय के 180 डिग्री व्यू तो देता ही है, ऑफसीज़न में यहाँ का नज़ारा हर दिन बहुत ही साफ दिखता है। रोज़ाना आपको कमरे से देखने पर ऐसा लगेगा मानों चमकता हिमालय आपको देखकर मुस्कुरा रहा हो। इस शहर की आबादी पहले से ही काफी कम है। सर्दियों के मौसम में तो आपको पर्यटकों की भीड़ यहाँ शायद ही देखने को मिलेंगी। यहाँ आप हिल स्टेशनों की तरह देवदार के पेड़ों की सरसराहट और सन्नाटे का अनुभव करेंगे।
कहाँ ठहरें
हिमालय की तरफ मुख किया हुआ शेवरॉन इको लॉज कौसानी में ठहरने के लिए बिल्कुल सही जगह है।
लागत: बाकी दिनों में यहाँ एक कमरे की कीमत ₹4,500 होती है। जबकि ऑफसीज़न में नाश्ते के साथ यह मात्र ₹2,100 होती है।
चौथा पड़ाव
कौसानी से दूरी, समय - 86 कि.मी., 3 घंटे।
उत्तराखंड के छिपे हुए रत्नों में से एक चौकोरी जो करीब 2010 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ से हिमालय शृंखला के लुभावने नज़ारे दिखते हैं। यहाँ की आबादी मुश्किल से 1000 होगी जो कि शांति के लिए बेस्ट है।
ऑफसीज़न की खासियत: चौकोरी पहुँचना किसी चुनौती से कम नहीं है। यहाँ की सड़कों का रखरखाव बढ़िया है और इसके दोनों तरफ खूबसूरत देवदार के वृक्ष भी लगे हुए हैं। सिंगल लेन वाली इस सड़क में कई जगह अंधा मोड़ है। जब दूसरी तरफ से ट्राफिक आ रही होती है तो ऐसे में बहुत ध्यान रखना पड़ता है। सीट के एक किनारे पर बैठे हुए मुझे इस बात की खुशी हुई कि ऑफसीज़न है इसलिए भीड़ कम है। वरना बाकी दिनों में तो कितने सारे डरावने पलों को सामना करना पड़ता।
यहाँ का तापमान 1-2 डिग्री सेल्सियस से कम था। रात के वक्त हम अपने कॉटेज के डायनिंग हॉल में बैठे थे तभी हमने एक तेंदुए को शिकार करते देखा। जो हमसे महज 100 मीटर की दूरी पर था। ऑफसीज़न में यहाँ के लिए यह बहुत ही सामान्य घटना है। अगर आप चाहते हैं कि आपकी यात्रा यादगार बने तो फिर सर्दियों का मौसम ही चौकोरी जाने के लिए सही है।
कहाँ ठहरें
चौकोरी पूरी तरह से शहर नहीं होने की वजह से यहाँ ठहरने के लिए अच्छे विकल्प बहुत कम है। यहाँ रुकने के लिए एकमात्र सरकारी केएमवीएन टूरिस्ट रेस्ट हाउस है।
लागत: ऑफसीज़न में इस रेस्ट हाउस में एक कमरे के लिए आपको सिर्फ ₹1,900 खर्च करना होंगे। इस किराए में नाश्ता शामिल नहीं है। यहाँ से आपको शानदार दृश्यों के साथ साफ का आनंद मिलेगा।
पाँचवा पड़ाव
लागत: सामान्य तौर पर यहाँ एक कमरे की कीमत लगभग ₹5,000 है। जबकि ऑफसीज़न में किराया नाश्ते के साथ ₹3,000 रहता है।
तीसरा पड़ाव
अपनी इस यात्रा के दौरान हम रास्ते में कसार देवी मंदिर में रुके। अल्मोड़ा के पास बसी यह सांस्कृतिक राजधानी जहाँ 19वीं-20वीं शताब्दी में बॉब डिलन और स्वामी विवेकानंद ने संगीत और फिलोसॉफी लिखने के लिए समय बिताया था।
ऑफसीज़न की खासियत: उत्तराखंड की बाकी जगहों की तरह ही कसार देवी मंदिर से नज़ारा काफी लुभावना है जिसमें आप हिमालय की खूबसूरती को भी देख सकते हैं। ऑफसीज़न में यहाँ आप सिर्फ विदेशियों को ही देख पाएँगे। यानी इस मौसम में यहाँ ज्यादा भीड़ नहीं होती है। इसकी एक खास वजह है कि बहुत सारे लोगों क इस बारे में जानकारी ही नहीं है। हम वहाँ सिर्फ एक शाम के लिए गए थे। अगर आप यहाँ जाते हैं तो डोलमा में तैयार विदेशी भोजन का आनंद ज़रूर लें और मुझे यकीन है कि इस स्वादिष्ट भोजन के लिए आप यहाँ फिर से वापस आएंगे।
कहाँ ठहरें
देवदार के जंगलों के बीच स्थित इम्पीरियल हाइट्स बिनसर ठहरने के लिए अच्छा स्थान है। होटल में तमाम सुविधाएँ हैं और आप एक लंबी छुट्टी पर इन पहाड़ी गाँवों की यात्रा कर खुद को तरोताज़ा कर सकते हैं।
लागत: आमतौर पर इसके एक कमरे का किराया ₹6,500- ₹7,500 (नाश्ते के साथ) है। जबकि ऑफ सीजन में यह कीमत ₹3,000 से भी कम हो जाती है।
यह यात्रा मेरे लिए एक शानदार अनुभव था, खासकर रोड ट्रिप। दिन-रात आसमान को बदलते हुए देखना, स्थानीय बच्चों का हमारी कार में बिल्कुल पास से झांकना, नदियों के साथ सरसों से भरे खेतों के पास से गुज़रना मानो जादुई अनुभव रहा हो। पहाड़ियों में बिताया गया समय आपकी किसी भी तरह की थकान को दूर कर आपको तरोताज़ा कर देता है। तो मेरी सलाह है कि आप जल्द से जल्द उत्तराखंड यात्रा पर जाने की योजना तैयार कर लें।
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