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अब सोचो जब नेटफ्लिक्स और यूट्यूब नहीं था तो लोग मनोरंजन कैसे करते थे ?
आग के पास बैठे कहानी-किस्से सुनाकर या ढोल की थाप पर कमर हिलाकर | नाच-गाना तब से चला आ रहा है जबसे गुफ़ाओं की दीवारों पर जली लकड़ी से चित्रकारी की जाती थी |
देखते-देखते नाच-गाना सभ्यताओं का इतना ज़रूरी हिस्सा बन गया कि कई बार तो संस्कृतियों और सभ्यताओं को उनके ख़ास नाच यानी लोक नृत्यों के कारण ही जाना जाता है |
तो आइए जाने भारत के उत्तरी हिस्से के राज्यों के कुछ जाने-माने लोक नृत्यों के बारे में जाने :
हिमाचल प्रदेश
डांगी
ये नाच चम्बा इलाक़े से निकला है, जिसे ख़ास तौर पर औरतें एक घेरे में घूमते हुए गरबा की तरह करती हैं | जिस तरह से लगभग सभी लोक नृत्य किसी देवी देवता के गुणगान करने के लिए किए जाते हैं, वैसे ही डांगी भी फसल की कटाई के समय नैना देवी को समर्पित किया जाता है |
पंजाब
गिद्दा
पंजाब के जाने माने लोक नृत्य भांगड़ा के बारे में तो आपने सुना ही होगा, लेकिन आज हम गिद्दा की बात करेंगे | दोनों में फ़र्क ये है कि भांगड़ा में मर्द नाचते हैं और गिद्दा में औरतें | गिद्दा में औरतें खूब रंग बिरंगे कपड़े, गहने, माथे पर बड़ा सा टीका और सलवार कमीज़ पहनती हैं | अब क्यूंकी ये पंजाब का डांस है, तो हौले हौले तो करने का सवाल ही नहीं है | इसमें औरतें खूब उछलते कूदते, कमर लचका कर, तालियाँ बजाते हुए, जुमले गाती हुई नाचती हैं |
उत्तराखंड
चौफला
चौ का मतलब है 'चारों तरफ', और फला का मतलब है 'खुशी' | कहते हैं कि जब माँ पार्वती पहली बार शिव के साथ हिमालय की ओर गयी थी, तो चारों ओर फैली हरियाली से खुश होकर नाचने लगी | इसी नाच को चौफला कहा गया | इस नाच की ख़ासियत ये है कि इसमें किसी वाद्य यंत्र काम में नहीं लिया जाता है | बस हाथ की तालियों और पैरों की थाप से ही धुन पैदा की जाती है |
हरियाणा
लूर
हरियाणा के दादरी इलाक़े में लूर डांस ख़ास करके शादी-ब्याह के वक़्त किया जाता है | बड़ा दिलचस्प डांस है ये जिसमें दो परिवारों के पक्ष गाते हुए बतियाते हैं कि तुम्हारे यहाँ लड़की हुई है और हमारे यहाँ लड़का हुआ है, चलो दोनों की शादी करते हैं | गाने के दौरान ही शादी में आने वाली अड़चनों के बारे में भी बताया जाता है | आख़िरकार शादी तय होती है और वार पक्ष की ओर से वधू पक्ष को दिए जाने वाले तोहफे भी गाकर सुनाए जाते हैं | महिला सशक्तिकरण की इससे उम्दा मिसाल कहाँ मिलेगी |
राजस्थान
घूमर
भील कबीले में किया जाने वाला ये डांस बाद में राजस्थान के रजवाड़ों ने अपना लिया था | होली, तीज और शादी के मौके पर घर की औरतें घाघरा, चोली और घूँघट में घूमर करती हैं | इस डांस को तालियाँ बजाकर घूमते हुए करते हैं, इसलिए ही इसे घूमर कहते हैं |
कश्मीर
दुम्हल
कश्मीर के सबसे जाने माने लोक नृत्यों में से एक दुम्हल में औरतें रंग-बिरंगे चोगे ओढ़े नाचती हैं | अगर मर्द वत्तल जाती के नहीं हैं तो वो दुम्हल नहीं नाच सकते | अगर मर्द साथ नाच रहे हैं तो नाच की शुरुआत पहले मर्द करते हैं और फिर औरतें शामिल होती हैं | ढोल की थाप को संगीत माना जाता है | ये नाच ख़ास कश्मीर का होने के बावजूद पंजाब और हिमाचल में भी शौक से किया जाता है |
उत्तर प्रदेश
ख़याल
ये लोक नृत्य शैली उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाक़े से उपजी है, मगर इस कला के पनपने में आगरा का भी अहम किरदार रहा है | उत्तर प्रदेश के अलावा ख़याल राजस्थान में भी प्रचलित है, जहाँ इसे जयपुरी ख़याल के नाम से जानते हैं | ख़याल उर्दु / फ़ारसी शब्द है जिसका मतलब होता है कल्पना | बेटे के पैदा होने की खुशी में लोग बड़ी खुशी से ख़याल नाचते हैं | इसमें काग़ज़ और बाँस से मंदिर बनाया जाता है जिसे सिर पर उठा कर डांस करते हैं |
बिहार
झिझियन
अकाल के वक़्त भगवान इंद्र को खुश करने और बारिश की गुहार लगाने के लिए बिहार की महिलाएँ झिझियन नाचती हैं | बिहार के मिथिला इलाक़े से निकले इस लोक नृत्य में संगीत की जगह प्रार्थनाएँ होती हैं | नाच के दौरान एक गवैया, एक हारमोनियम बजाने वाला और एक ढील बजाने वाला साथ होता है और सिर्फ़ महिलाएँ ही इसमें नाचती हैं |
इन नृत्यों से जुड़ी कोई दिलचस्प कहानी अगर मैं यहाँ नहीं लिख पाया हूँ तो कमेंट्स में लिख कर मुझे ज़रूर बताएँ |