ज़िंदगी में सफ़र एक अहम हिस्सा हैं।अगर देखा जाए तो ये ज़िंदगी ख़ुद में ही एक सफ़र है। इस सफ़र में कई रंग की ख़ुशियां और परेशानी सांस लेती हैं।
घूमने वालों ने सफ़र के हवाले से अलग-अलग देशो और स्थानों के लिए यात्रा करते है। वहां की संस्कृति, भाषा को जानना, किसी भी घुमक्कड़ के लिए एक नये और सुखद अहसास से कम नहीं होता है।
जब एक घुमक्कड़ किसी जगह जाता हैं तो वो वहां हर जगह घूमना चाहता है और हर एक चीज को बहुत ही करीब से देखना चाहता है। पर कभी कभी कुछ चीज़े उसकी आंखो के नजरों से बच जाती हैं।
आज हम आपको यूपी के कुछ ऐसे जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जो बहुत से घुमक्कड़ों की नज़रों से बचा हुआ हैं।
महाराजा गंगाधर राव की छतरी
महाराजा गंगाधर राव की छतरी झाँसी शहर का एक प्रमुख ऐतिहासिक स्मारक है।इसका निर्माण रानी लक्ष्मीबाई द्वारा 21 नवंबर 1853 को किया गया था।महाराजा गंगाधर राव की छतरी 150 वर्ष पुरानी होने के बावजूद भी समय का सामना करते हुए खड़ी है। इतनी खूबसूरत होने के बावजूद भी ये काफी पर्यटको की नज़रों से बची हुई हैं।
पूर्वांचल का मरीन ड्राइव
यूपी के गोरखपुर में स्थित इस ताल का नाम रामगढ़ ताल हैं।गोरखपुर अक्सर लोग गोरखनाथ मंदिर के दर्शन करने आते हैं और वापस चले जाते हैं। बहुत कम लोग ही यहां के मरीन ड्राइव का आनंद उठा पाते हैं।शाम 7 बजे के बाद यहां फाउंटेन लाइट का म्यूजिकल शो भी चलता है। वैसे तो इसके प्रकृति सौंदर्य के आगे किसी और मनोरंजन की आवश्यकता ही नही है। पर फिर भी आप यहां नौका और ऊंट की सवारी का भी आनंद ले सकते है।
नर्मदेश्वर महादेव मंदिर (मेंढक मंदिर)
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले के ओयल में भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां मेंढक की पूजा की जाती है। इस जिले में बने एक अनोखे मंदिर में शिवजी मेंढक की पीठ पर विराजमान हैं।बेहद खूबसूरत और अदभुत मेंढक मंदिर को यूपी की पर्यटन विभाग ने भी चिह्नित कर रखा है।फिर भी ये काफी पर्यटकों की नज़रों से बचा हुआ हैं।
नागवासुकी मंदिर
संगम नगरी प्रयागराज के संगम तट से उत्तर दिशा की ओर दारागंज के उत्तरी कोने पर अति प्राचीन नागवासुकी मंदिर है।उत्तर प्रदेश का नागवासुकी मंदिर सर्प देवता को समर्प्रित मंदिर है। ये उसी सर्प का मंदिर हैं जिसे समुद्र मंथन में देवताओं व असुरों ने सुमेरु पर्वत में लपेटकर उनका प्रयोग रस्सा के तौर पर किया था। मंथन के चलते नागवासुकी के शरीर में काफी रगड़ हुई थी और जब मंथन समाप्त हुआ तो उनके शरीर में जलन होने लगी।तब नागवासुकी ने भगवान विष्णु से अपनी पीड़ा के बारे बताया।फिर भगवान विष्णु ने नागवासुकी को बताया कि वह प्रयाग चले जाएं वहां सरस्वती नदी का अमृत जल का पान करें और वही विश्राम करें, इससे उनकी सारी पीड़ा है खत्म हो जाएगी। संगम आने वाले बहुत से श्रद्धालुओं से ये मंदिर अभी भी बचा हुआ हैं।
चुनार फोर्ट
उत्तर प्रदेश में वाराणसी के पास एक शहर है मिर्जापुर। यहां से 35 किलोमीटर की दूरी पर गंगा तट पर स्थित है चुनार। गंगा तट पर स्थित चुनार गौरवशाली इतिहास का साक्षी रहा है।चुनारगढ़ के किले (चुनार का किला) का वर्णन सबसे पहले देवकी नंदन खत्री के प्रसिद्द उपन्यास चंद्रकांता में हुआ है।बताया जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई राजा भर्तृहरि के लिए इस किले को बनवाया था। किले के अंदर 52 खंभों की छतरी और सूर्य घड़ी भी बनी हुई है। जलवायु की दृष्टि से चुनार को आदर्श स्थान बताया जाता है।अभी भी बहुत घुमक्कड़ों की नजरों से बचा हुआ है ये किला।
टांडा वाटर फॉल
टांडा वाटर फॉल,मिर्ज़ापुर शहर से लगभग 14 किमी दूर दक्षिण में स्थित है। शहर के शोर शराबे से दूर शांतिपूर्ण वातावरण एवं प्रचुर सुंदरता के कारण ये प्राकृतिक धाराएं एवं जलाशय कुछ पर्यटक के आकर्षण का केंद्र है।टांडा वाटर फॉल ,इस क्षेत्र के अत्यंत रम्य पिकनिक स्थलों में से एक है।फिर भी बहुत से घुमक्कड़ों की नज़रों से अभी भी बचा हुआ हैं।
कतर्निया घाट
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में स्थित है, कतर्निया वन्यजीव अभयारण्य। जो यूपी के बेहद खूबसूरत जगहों में से एक है।दुधवा टाइगर रिजर्व से जुड़ा होने के कारण यहां आपको चीता देखने को भी आसनी से मिल जाएगा। कतर्निया वन्यजीव अभयारण्य 550 वर्ग किलोमीटर में फैला है।यहां करीब 30 टाइगर, 40-45 हाथी और 4 गैंडे हैं,200 से 250 गिद्ध, अजगर और कई दुर्लभ सांप देखने को मिल जाएंगे।
पारीछा बांध
यूपी के झांसी शहर के निकट बेतवा नदी पर बना पारीछा बांध एक विशाल बांध है। यू तो झांसी में देखने को बहुत कुछ है,पर आप पारीछा बांध के शानदार प्राकृतिक दृश्य का आनंद उठा सकते हैं।पारीछा बांध शहर के शोर शराबे से दूर है और काफ़ी पर्यटकों के नजरो से अभी बचा हुआ हैं। यह बांध झांसी में पेय जल एवं कृषि कार्यों हेतु जल का मुख्य स्रोत है।
गीता वाटिका
गोरखपुर शहर के असुरन-पिपराइच मार्ग पर स्थित गीता वाटिका राधा-कृष्ण भक्ति का प्रमुख केंद्र है।यहां का विशेष आकर्षण का केंद्र हरि नाम संकीर्तन है। जो 52 वर्षों से अनवरत जारी है।मंदिर में कुल छोटे-बड़े 16 गर्भगृह तथा 35 शिखर हैं। प्रधान शिखर की ऊंचाई 85 फीट है।
महामंकोल चाई थाई मोनेस्टरी
उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले में महामंकोल चाई थाई मोनेस्टरी स्थित है।यह जगह जितनी घूमने के लिए अच्छी है उतनी ही शांति वाली जगह है।भगवान बुद्ध का जुड़ाव श्रावस्ती से हमेशा ही रहा है।ध्यान लगाने वाले बुद्ध भिक्षु यहां आते हैं।
तो अगर आप अगली बार यूपी घूमने आए तो इन अंझुए जगहों पर घूमना ना भूलें क्योंकि किसी ने कहा है..
इसे भी अवश्य पढ़ें: श्रावस्ती
सैर कर दुनिया की गाफ़िल, ज़िन्दगानी फिर कहाँ।
ज़िन्दगानी गर रही, तो नौजवानी फिर कहाँ ॥
पढ़ने के लिए धन्यवाद। अपने सुंदर विचारों और रचनात्मक प्रतिक्रिया को साझा करें अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो।
अपनी यात्राओं के अनुभव को Tripoto मुसाफिरों के साथ बाँटने के लिए यहाँ क्लिक करें।
बांग्ला और गुजराती के सफ़रनामे पढ़ने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।