मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में शिवभक्ती में डूबे एक कलाकार ने पेड़ की जटाओं और सूखी लकड़ियों से बाबा महाकाल की प्रतिमा का निर्माण किया है। करीब 10 फीट ऊंची यह विशाल शिव प्रतिमा लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है दूर-दूर से लोग इस प्रतिमा को देखने आ रहे हैं और प्रतिमा बनाने वाले कलाकार ऋषभ कश्यप की तारीफ कर रहे हैं।
लकड़ी व तिनकों से बनाई भोलेनाथ की आकृति
महाकाल की प्रतिमा बनाने वाले स्थानीय कलाकार ऋषभ ने बरगद के पेड़ की जटाओं और सूखी लकड़ियों से महाकाल की प्रतिमा बनाई है। सावन के महीने में घर-घर में शिव आराधना की जा रही है। शिव भक्ती में डूबे ऋषभ ने भी प्राकृतिक सामग्रियों से भगवान महाकाल की प्रतिमा बना अपनी आस्था व्यक्त की है। सिवनी शहर के लगभग 2000 साल पुराने प्रसिद्ध और प्राचीन मठ मंदिर में पेड़ों की बेला, डाली और लकड़ियों से बाबा महाकाल की सुंदर प्रतिमा का निर्माण किया है, प्रतिमा आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। जिसे देखने बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं।
प्रतिमा को बनाने में लगे 25 दिन
कलाकार ऋषभ ने बताया कि बचपन से बेकार चीजों को एकत्र कर कुछ अलग बनाने की कोशिश करता रहा। पढ़ाई के साथ-साथ इस क्षेत्र में रुचि बढ़ती गई। धीरे-धीरे अपनी बनाई कलाकृतियों को सोशल मीडिया पर वायरल करने लगा, जिसे खूब सराहना मिली। इससे मनोबल बढऩे लगा। दूसरे लोग साथ जुड़ते गए और नए-नए आइडिया मिलने लगे। उन्होंने बताया कि भगवान शिव की कलाकृति बनाने के लिए सबसे पहले एक गड्ढा खोदा। इसके बाद पेड़ से काटकर लाई गई टहनी को उसमें खड़ाकर मिट्टी से भर दिया। बीते दिनों आई आंधी में उसने सहयोगी के साथ लकडिय़ों को एकत्र किया था। उसको टहनी से जोडऩे के बाद उसमें जंगल से लाई गई बरगद की जड़, टोकनी और अन्य सामानों का उपयोग कर भोलेनाथ और नाग की आकृति तैयार कर दी। शिव की आकृति तैयार करने में 25 दिन का समय लगा है। मठ मंदिर आने वाले श्रद्धालु उसकी कलाकृति को खूब सराह रहे हैं। भगवान भोलेनाथ की आकृति को देखने के लिए शहर भर के लोग मठ मंदिर पहुंच रहे हैं।
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