उत्तराखंड के बेहद अनछुए और अनदेखे पहाड़, जहां पहुंचना है बहुत मुश्किल

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Photo of उत्तराखंड के बेहद अनछुए और अनदेखे पहाड़, जहां पहुंचना है बहुत मुश्किल by Rishabh Dev

पहाड़ों में जाना एक सुकून जैसा एहसास है। जब पहली बार पहाड़ की चोटी को देखते हैं तो किसी ना किसी तरह उस जगह पर पहुँचना चाहते हैं। कहते हैं पहाड़ तो हर जगह हैं लेकिन हिमालय जैसा विशाल कोई भी नहीं है। ठंडी और बर्फीली चोटी पर हम धीरे-धीरे पहुँचते हैं। आसपास का नजारा हमें आगे बढ़ने की हिम्मत देता रहता है। जब हम पहाड़ की सबसे ऊँची चोटी पर पहुँच जाते हैं। फिर हम वहाँ से खूबसूरत और मन मोहने वाला नजारा देखते हैं। उत्तराखंड में कई सारे अनछुए और अनदेखे पहाड़ हैं जहां पहुँचना बेहद मुश्किल है। हम आपको ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं।

उत्तराखंड के अनदेखे पहाड़:

1. पिंडारी ग्लेशियर

रोमांच से भरे ट्रेक में रुचि रखने वालों के लिए पिंडारी ग्लेशियर एकदम परफ़ेक्ट है। पिंडारी ग्लेशियर समुद्र तल से लगभग 11,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। क़रीब 5 किलोमीटर लंबा पिंडारी ग्लेशियर नंदा देवी, पनवालीद्वार और नंदाखाट जैसी गगनचुंबी चोटियों के बीच बसा हुआ है। लगभग 60 किलोमीटर लंबा ये ट्रेक उत्तराखंड के बागेश्वर में कपकोट से लगभग दूर खड़किया नाम की जगह से शुरू होता है। इस ट्रेक को पूरा करने में लगभग 6-7 दिन का समय लगता है। पिंडारी ग्लेशियर ट्रेक लंबा ज़रूर है लेकिन कठिन नहीं है। आपको एक बार पिंडारी ग्लेशियर देखने के लिए इस ट्रेक को ज़रूर करना चाहिए।

2. तपोवन

तपोवन भारत की सबसे सुंदर और मुश्किल जगहों में से एक है। इसे गौमुख-तपोवन के नाम से भी जाना जाता है। गौमुख ग्लेशियर भारत का दूसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर है। गौमुख ग्लेशियर 30 किमी. लंबा और 4 किमी. चौड़ा है। यहाँ से दिखने वाले खूबसूरत दृश्य शायद ही आपने कहीं देखे होंगे। यहाँ होने का एहसास ही अलग है। इस ट्रेक के दौरान आपको हिमालय की शिवलिंग, सुदर्शन, मेरू, भागीरथी सिस्टर्स और खर्चकुण्ड जैसी चोटियाँ देखने को मिलेंगी। 35 किमी. लंबा ये ट्रेक गंगोत्री से शुरू होता है। भोजबासा और गौमुख होते हुए आप तपोवन पहुँचते हैं। इस ट्रेक को पूरा करने में 6-7 दिन का समय लगता है।

3. रूपकुंड

रूपकुंड उत्तराखंड के चमोली में स्थित है। रूपकुंड में एक झील है जिसे कंकालों की झील भी कहा जाता है। रूपकुंड झील समुद्र तल से 5,029 मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक ग्लेशियर झील है। पहाड़ों से घिरी ये झील अपनी रहस्यमयी कहानियों के लिए जानी जाती है। रूपकुंड ग्लेशियर का ट्रेक थराली से शुरू होता है। थराली से आप देबाल, वाण-बेदनी बुग्याल होते हुए रूपकुंड पहुँचेंगे। रूपकुंड ट्रेक की कुल दूरी लगभग 15 किमी. है। इस ट्रेक को पूरा करने में लगभग 2-3 दिन का समय लगेगा। ट्रेक कठिन तो है लेकिन ऐसे रहस्यमयी जगहों पर पहुँचने के लिए कठिनाई तो उठानी ही पड़ती है।

4. रूद्रनाथ

उत्तराखंड के चमोली ज़िले के गोपेश्वर में स्थित रूद्रनाथ पंच केदार में से एक है। रूद्रनाथ मंदिर समुद्र तल से 3,600 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। रूद्रनाथ मंदिर गोपेश्वर से लगभग 25 किमी. की दूरी पर है। पंच केदार के अन्य मंदिरों की तुलना में रुद्रनाथ मंदिर तक पहुंचना सबसे कठिन है। हिमालय की चोटियाँ नंदा देवी, त्रिशूल और नंदा घुंती रुद्रनाथ की शोभा बढ़ाती हैं। गोपेश्वर के सगर गाँव से शुरू होने वाले ये ट्रेक वाक़ई में बेहद कठिन है। इस ट्रेक में आपको कई सारे बेहद सुंदर बुग्याल देखने को मिलेंगे।

5. पंचाचुली बेस कैंप

पंचाचुली बेस कैंप समुद्र तल से 4,260 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ से आपको पंचाचुली की पाँच चोटियाँ दिखाई देती हैं। पंचाचुली को चोटियों को हिमालय की मुकुट भी कहा जाता है। पंचाचुली दिल्ली से लगभग 673 किमी. और धारचूला से लगभग 70 किमी. की दूरी पर है। पंचाचुली चीन की सीमा पर स्थित दारमा घाटी में आता है। उत्तराखंड के धारचूला आने के बाद धारचूला से दुग्तू गाँव तक गाड़ी जाती है। वहाँ से पंचाचुली बेस कैंप तक पहुँचने के लिए 3 किमी. का ट्रेक करना पड़ता है। यक़ीन मानिए, ऐसा सुंदर नजारा कम जगहों पर ही देखने को मिलेगा।

6. पांवली कांठा

पांवली कांठा उत्तराखंड का सबसे बड़ा बुग्याल है और उत्तराखंड की सबसे अनछुई जगहों में से एक है। यहाँ से आपको हिमालय के बेहद सुंदर नज़ारों के लिए जाना जाता है। यहाँ से हिमालय पर्वतमाला के मनोरम दर्शनों के साथ-साथ यमुनोत्री-गंगोत्री-केदारनाथ-बदरीनाथ पर्वत शिखर भी दिखाई देते हैं। इसके अलावा बर्फ से ढंकी थलय सागर, मेरु, कीर्ति स्तम्भ, चोखंभा, नीलकंठ आदि पहाड़ियों के खूबसूरत नज़ारे दिखाई देते हैं। पांवली कांठा बुग्याल ट्रेक लगभग 11 किलोमीटर लंबा है। इस ट्रेक को पूरा करने में 5-6 घंटे का समय लगेगा। आपको एक बार इस शानदार जगह का ट्रेक ज़रूर करना चाहिए।

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