यूनेस्को ने बंगाल की दुर्गा पूजा को उन सांस्कृति धरोहरों की सूची में जगह दी है, जो अमूर्त हैं यानी भावनाओं पर आधारित हैं। फ्रांस के पेरिस में आयोजित अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा पर यूनेस्को के 2003 के कन्वेंशन की अंतर सरकारी समिति के 16वें सत्र के दौरान कोलकाता की दुर्गा पूजा को यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया है।
समिति ने दुर्गा पूजा की उस पहल की प्रशंसा की है, जिसके जरिए हाशिए पर रहने वाले समूहों, व्यक्तियों के साथ-साथ महिलाओं को भागीदारी और सुरक्षा मिलती है। यूनेस्को ने मां दुर्गा की मूर्ति वाली तस्वीर शेयर करते हुए ट्वीट किया कि कोलकाता में दुर्गा पूजा को अभी-अभी अमूर्त विरासत सूची में शामिल किया गया है। भारत को शुभकामनाएं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में कोलकाता की दुर्गा पूजा को शामिल किए जाने पर खुशी जताई है। यूनेस्को के एक ट्वीट के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा; 'हर भारतीय के लिए बहुत गर्व और खुशी की बात है! दुर्गा पूजा हमारी सर्वोत्तम परंपराओं और लोकाचार को पेश करती है। और, कोलकाता की दुर्गा पूजा को देखना एक ऐसा अनुभव है, जो हर किसी के पास होना चाहिए।'
केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय मंत्री जी किशन रेड्डी ने एक ट्वीट में कहा कि यह हमारी समृद्ध विरासत, संस्कृति, रीति-रिवाजों और प्रथाओं के संगम की मान्यता है। इसके साथ ही स्त्री देवत्व और नारीत्व की भावना का उत्सव भी है।
दुर्गा पूजा न केवल स्त्री देवत्व का उत्सव है, बल्कि नृत्य, संगीत, शिल्प, अनुष्ठानों, प्रथाओं, पाक परंपराओं और सांस्कृतिक पहलुओं की एक उत्कृष्ट अभिव्यक्ति है। यह त्योहार जाति, पंथ और आर्थिक वर्गों की सीमाओं से परे होकर लोगों को एक साथ जोड़ता है।
कोलकाता की दुर्गा पूजा को शामिल होने के बाद, भारत की अब 14 अमूर्त सांस्कृतिक विरासत मानवता के आईसीएच की प्रतिष्ठित यूनेस्को प्रतिनिधि सूची में शामिल हो गए हैं। हाल के वर्षों में, जिन आईसीएच को शामिल किया गया है, उनमें कुंभ मेला (2017 में ), योग ( 2016 में ) शामिल हैं। भारत 2003 के यूनेस्को कन्वेंशन का एक हस्ताक्षरकर्ता है, जिसका उद्देश्य परंपराओं और सजीव अभिव्यक्ति के साथ-साथ अमूर्त विरासत की रक्षा करना है।
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का अर्थ है प्रथाओं, प्रतिनिधित्व, अभिव्यक्ति, ज्ञान, कौशल - साथ ही उपकरण , वस्तुओं, कलाकृतियों और उनसे जुड़े सांस्कृतिक स्थल, जिन्हें समुदाय, समूह और कुछ मामलों में व्यक्ति अपनी सांस्कृतिक विरासत के एक हिस्से के रूप में पहचाने जाते हैं। इसके अलावा, इसका महत्व केवल सांस्कृतिक अभिव्यक्ति में ही नहीं है, बल्कि ज्ञान और कौशल की समृद्धि है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित होती है।
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