क्या बनाता है बंगाल की दुर्गा पूजा को ख़ास ? UNESCO ने क्यों माना इसे वर्ल्ड हैरिटेज?

Tripoto
27th Sep 2023
Photo of क्या बनाता है बंगाल की दुर्गा पूजा को ख़ास ? UNESCO ने क्यों माना इसे वर्ल्ड हैरिटेज? by Smita Yadav
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दोस्तों, पश्चिम बंगाल के साथ-साथ ही देश के हर कोने-कोने में हर साल दुर्गा पूजा का त्यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। दुर्गा पूजा के दौरान पूरा बंगाल एक अलग ही रंग में नजर आता है। क्योंकि बंगाल में हर जगह मां दुर्गा की पूजा की गूंज सुनाई देती है। पहले दुर्गा पूजा षष्ठी से लेकर नवमी यानी कि सिर्फ चार दिनों तक ही मनाई जाती थी। लेकिन अब दुर्गा पूजा दस दिनों तक चलती है। बंगाल सरकार की ओर से हर साल दुर्गा पूजा कार्निवल का भी आयोजन किया जाता है। विदेशों में भी दुर्गा पूजा का आयोजन साल दर साल बढ़ता जा रहा है। यूनेस्को ने तो इसे वर्ल्ड हेरिटेज मान लिया हैं। तो आइए जानते हैं कि बंगाल में होने वाली दुर्गा पूजा क्यों हैं इतनी खास और यूनेस्को ने क्यों माना इस त्योहार को वर्ल्ड हैरिटेज?

दुर्गा पूजा

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दोस्तों, नवरात्रि या दुर्गापूजा नाम चाहे हम जो कुछ भी पुकारें लेकिन इन 9 दिनों में जो रौनक और चहल-पहल पूरे देश भर में दिखाई देती है वह माहौल मन को भक्तिमय बना देने के साथ ही साथ बहुत शांति भी देता है। इन सबमें बात करूं तो सबसे ज्यादा आकर्षक और खूबसूरत परंपरा अगर कही नजर आती है तो वह है पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा।पश्चिम बंगाल के दुर्गा पूजा का नाम आते ही आंखों के सामने भव्य पंडाल, पूजा की पवित्रता, रंगों की छटा, तेजस्वी चेहरों वाली देवियां, सिंदूर खेला, धुनुची नृत्य नजर आने लगते हैं।

कब हुई दुर्गा पूजा की शुरुआत

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दोस्तों, पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा को आयोजित करने के शुरुआत को लेकर कई सारी कहानियां हैं। जिनमें से कुछ इतिहासकारों का यह भी कहना है कि पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा का आयोजन वर्ष 1757 में प्लासी के युद्ध के बाद हुआ था। साथ ही ऐसा भी कहा जाता है कि प्लासी के युद्ध में अंग्रेजों की जीत पर भगवान को धन्यवाद देने के लिए पहली बार दुर्गा पूजा का आयोजन हुआ था। आपकी जानकारी के लिए बता दूं दोस्तों कि प्लासी के युद्ध में बंगाल के शासक नवाब सिराजुद्दौला की हार हुई थी। और युद्ध में जीत के बाद रॉबर्ट क्लाइव ईश्वर को धन्यवाद देना चाहता था। और उसी वर्ष पहली बार कोलकाता में भव्य दुर्गा पूजा का आयोजन हुआ। जो आज तक चलता आ रहा हैं।

सरकार ने किया था यूनेस्को में आवेदन

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दोस्तों, आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि बंगाल में ममता सरकार ने विश्व प्रसिद्ध दुर्गा पूजा को अंतरराष्ट्रीय उत्सव की मान्यता देने के लिए यूनेस्को से आवेदन किया था। जिसके बाद यह मान्यता मिली। आपको बता दूं कि अब तक दुनिया के छह देशों के उत्सवों को ही यूनेस्को से अंतरराष्ट्रीय उत्सव के तौर पर मान्यता मिली है। उनमें से एक हमारा देश भी हैं। यूनेस्को ने दुर्गापूजा को विरासत का दर्जा देते हुए कहा, "हम भारत और भारतीयों को बधाई देते हैं, हमें उम्मीद है कि दुर्गा पूजा को इंसानियत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किए जाने के बाद स्थानीय लोग इसे लेकर और ज्यादा उत्साहित होंगे। सांस्कृतिक विरासत केवल निशानियों और वस्तुओं का संकलन नहीं है। इसमें परंपराएं और हमारे पूर्वजों की भावनाएं भी शामिल हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को मिलती हैं"।

यूनेस्को की ओर से मिली मान्यता ने इस त्योहार की प्रतिष्ठा में चार चांद लगा दिए हैं। दुर्गा पूजा पंडालों के निर्माण के शिल्प कौशल को प्रदर्शित करने वाले रेड रोड कार्निवल ने दुनिया भर में लोगों को इसकी भव्यता को लेकर जागरूक किया है।

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