"हम्पी जा कर क्या सिर्फ़ एक मंदिर से दूसरे मंदिर मे घूमना बहुत होगा?आख़िर मंदिरों की वास्तुकला में कोई कितना ही डूब सकता है | और मुझे तो लगता है कि इन मंदिरों की खंडहर हों की बात सिर्फ अफवाह है | क्या मैं सच में अपनी छुट्टियाँ मंदिरों के आस पास घूमने में ही बिताना चाहता हूँ?"
हम्पी जाने से पहले कुछ ऐसी ही उधेड़बुन मेरे मन मे चल रही थी | विचारों का द्वंद्व था | हम्पी को सोचकर लगता था एक पुराना शहर जो पहले भारत का शक्तिशाली नगर हुआ करता था, आज पत्थर और मलबे के ढेर के नीचे दफ़्न है| जहाँ चारों ओर खंडहर ही खंडहर हैं और दूर दूर तक केले के पेड़ों के बाग फैले हैं | लेकिन जब मैं इस विश्व धरोहर स्थल पर पहुँचा तो यहाँ के आकर्षणों ने मुझे आश्चर्यचकित कर दिया |
हम्पी के कई रूप हैं | ऐसे खंडहर जिन्हें दुनिया भुला चुकी है और इन खंडरों पर की गई जग विख्यात शिल्पकारी| हम्पी एक तीर्थयात्री के लिए सम्मानजनक तीर्थस्थल है, एक बैकपैकर के लिए घूमने के लिए सस्ती जगह है| इतिहासकारों को ये जगह एक पहेली लगती है| एक कलाकार की प्रेरणा, साधु-संतों के लिए अभयारण्य और लेखकों को नये विचार देने वाली हम्पी एक साथ लाखों तरह के चोगे पहन सकती है|
इतिहास
तुंगभद्रा नदी द्वारा सींचा हुआ और खुले हरे भरे उपजाऊ मैदानों पर बसा हुआ हम्पी किसी ज़माने मे शक्तिशाली और सम्रद्ध विजयनगर साम्राज्य की सबसे पुरानी राजधानी हुआ करती थी | विजयनगर साम्राज्य को भारतवर्ष का सबसे समृद्ध और महानतम हिंदू साम्राज्यों मे से एक है |
डोमिंगो पेस नाम के एक पुर्तगाली घोड़ों के व्यापारी ने हम्पी का दौरा तब किया जब ये शहर अपने पूर्ण स्वरूप मे फल फूल रहा था | हम्पी के बारे में पेस लिखते हैं" इस शहर के आकार को मैं शब्दों मे बयान नहीं कर सकता क्योंकि इसे किसी भी एक जगह खड़े होकर पूरी तरह से नहीं देखा जा सकता है | जब मैंने एक पहाड़ी पर चढ़ कर देखा तो भी मैं इसे पूरी तरह नहीं देख पाया| सिर्फ़ यहाँ के एक विशाल हिस्से तक ही मेरी नज़रें पहुँची क्योंकि ये संपन्न शहर कई पहाड़ियों के बीच फैला हुआ है | मगर मैंने जो भी देखा वो मुझे रोम जितना ही खूबसूरत और विशाल लगा| मैं देखता हूँ कि चारों ओर दूर दूर तक फैले हरे भरे वृक्षों के समूह, हर घर में बाग बगीचे और साफ पानी की नहरें जो इस शहर के बीच से होकर गुज़रती हैं| शहर मे कई जगह झीलें हैं और राजा के महल के करीब ताड़ के वृक्षों और अन्य कई फलदार वृक्षों के बागान हैं |
मुरीश क़्वार्टर के नीचे एक छोटी सी नदी बहती है और शहर के इस छोर पर फलदार वृक्षों के कई बागान हैं | यहाँ का अधिकांश भाग आम, सुपारी और कटहल के घने और फलों से लदे पेड़ों के समूह से भरे हुए हैं | इनके साथ ही यहाँ नींबू व नारंगी के पेड़ भी हैं जो संख्या में इतने ज़्यादा हैं कि एक बार तो ये जगह आपको जंगल जैसी लगेगी | बगीचों में सफेद रसदार अंगूरों की बेलें झूमती रहती हैं और इन सभी वृक्षों और बागों की सिंचाई के लिए दो विशालकाय पानी की टंकियों मे से आता है जो नगर की दीवार के बाहर स्थित हैं |
हालाँकि हम्पी को आज भी यहाँ के विस्तृत इतिहास और विरासत की वजह से एक पुरातन पर्यटन स्थल के रूप मे जाना जाता है, फिर भी बहुत कम लोगों को यहाँ के अन्य आकर्षणों के बारे में पता है| यहाँ आठ कारण दिए गये हैं जिससे आपको पता लगेगा की हम्पी में यहाँ के खंडरों के अलावा भी घूमने और देखने को बहुत कुछ है |
दारोजी स्लॉथ भालू अभयारण्य
1. दारोजी स्लॉथ भालू अभयारण्य में स्लोथ भालू और अन्य वन्यजीव प्रजातियों को अपने प्राकृतिक परिवेश में विचरते देखें|
हम्पी से 15 किमी दूर स्थित, दारोजी स्लॉथ भालू अभयारण्य विशेष रूप से भारतीय स्लॉथ भालू के संरक्षण के लिए बनाया गया था।
इस अभयारण्य के भीतर एक वॉच टावर है जहाँ से इस पूरे वन्य परिवेश का बड़ा ही अद्भुत नज़ारा देखने को मिलता है| यहाँ से आप आस पास की चट्टानों से उतरते स्लोथ भालुओं को देख सकते हैं| आगंतुकों के आने के समय ही आस पास की चट्टानों पर शहद मल दिया जाता है | इसलिए आपको भालू दिखने की बहुत अच्छी संभावना है | स्लोथ भालू के साथ आप यहाँ तेंदुए, जंगली सूअर, लकड़बग्घे, सेहि, सियार, पैंगोलिन, स्टार कछुए, मॉनिटर छिपकली और नेवले भी देख सकते हैं।
घूमने का समय : दोपहर दो बजे से शाम छह बजे तक
प्रवेश शुल्क: ₹ 50 भारतीयों के लिए | ₹ 300 विदेशियों के लिए।
2. विरूपापुर की शांत फ़िज़ाओं में अपने हिप्पी व्यक्तित्व को खोने दीजिए
अपने शांत और सरल परिवेश के कारण विरुपापुर उन लोगों के लिए सबसे अच्छी जगह है जो लोग सोच और वेशभूषा से तो हिप्पी हैं ही, साथ ही कुछ दिन पुरातन मंदिरों और भव्य स्मारकों के बीच कुछ दिन बिताना चाहते हैं | विरुपपुार का दूसरा नाम हिप्पी द्वीप भी है ,हम्पी की हिप्पी दुनिया का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है |
कई प्रकार के मशहूर कैफ़े और ठहरने की सस्ती जगहों वाले इस शांत और सहज टापू पर दोपहर में नींद की मीठी झपकीयाँ लेनें और शाम संगीतमय रूप से व्यतीत करने के लिए बिल्कुल सही हैं | यहाँ पर आप ड्रम सर्कल में हिस्सा लेने, ड्रेडलौक बनाने, फिल्में देखने या दुनिया भर के बैकपैकर के साथ अपनी कहानियाँ और अनुभव बाँटने के लिए स्वतंत्र हैं |
3. हम्पी की परंपरा और आधुनिकता के बीच यहाँ के लज़ीज़ खाने का लुत्फ़ उठाइए
हम्पी के विश्व धरोहर घोषित होने के साथ ही यहाँ विदेशी सैलानियों का ताँता सा लग गया है| पूरे विश्व से आने वाले सैलानियों के कारण यहाँ के ख़ान पान में लाजवाब विविधता देखी जा सकती है|
इस शाही साम्राज्य में आप को दक्षिण भारतीय शाकाहारी व्यंजनों के साथ ही इटली और इज़राइल तक के मशहूर पकवान चखने को मिल ही जाएँगे | तुंगबद्रा नदी द्वारा दो भागों मे विभाजित इस शहर मे नदी के दोनो किनारों पर आपको ऐसे शानदार रेस्तराँ मिलेंगे की आप उंगलियाँ चाट जाएँ | इस शहर के उत्तरी भाग मे स्थित हिप्पी द्वीप मे तो आपको रेस्तराँ और खाने की अपार विविधता भी मिल जाएगी |
नदी के दक्षिणी छोर पर मंदिर ही मंदिर हैं इसलिए शहर के इस भाग मे माँसाहार निषेध है | लेकिन जैसे ही आप थोड़ा आगे बढ़ कर नदी पार कर के हिप्पी द्वीप में पहुँचते हैं तो वहाँ किसी तरह की कोई रोक टोक नही है | यहाँ आपको खाने पीने में लगभग सभी चीज़ों से लेकर ठंडी बियर तक सबकुछ उपलब्ध हो जाएगा | यहाँ आपको सिर्फ़ एक ही प्रकार की शराब मिल सकती है और वो है ठंडी बियर |
यहाँ आपको लाजवाब खाने के साथ साथ आस पास का सुंदर नज़ारा भी देखने को मिलता है | बहती नदी का विहंगम दृश्य जो मंदिरों और खंडरों से होता हुआ दूर तक फैली प्रकृति की सुंदरता का नज़ारा देता है | यहाँ के भीमकाय मेन्यू में भारतीय, इतावली, यूरोपियन और इज़राइली खाने की विविधता मिल जाएगी | यहाँ की मुख्य ख़ासियत फलाफल हम्मस है |
कहाँ है: विरुपपुर गादडे, अंजनाहल्ली, कर्नाटक 583234
संपर्क करें: 09449237326
समय: सुबह 8:30 बजे से रात को 10 बजे तक
नोट : यहाँ की सेवा धीमी है, लेकिन मुफ्त वाईफाई की सुविधा उपलब्ध है |
सुंदर और सजे हुए तंबू के अंदर बना ये आरामदायक और शांत कैफ़े मैंगो ट्री रेस्तराँ कहलाता है | ये रेस्तराँ आपको माँसाहार की कमी महसूस तक नही होने देगा| चखने लायक स्वादिष्ट भोजन में पिट्ज़ा, बर्गर, नूडल, शानदार थालीयाँ, सिज़्लर और इज़राइली व्यंजन शक्शुका में से मनपसंद चीज़ चुन सकते हैं |
4. हम्पी जैसी जगह में आप राइडिंग करते हुए कभी ऊब नहीं सकते
चाहे मोपेड लें, या स्कूटर, या साधारण साइकिल! किराए पर इन वाहनों मे से किसी एक को चुने और चट्टानों, मंदिरों, खंडरों आदि से निकलते हुए निकल जाइए हम्पी की सैर करने |
किराए पर वाहन देने वाली ज़्यादातर दुकानें आपको हम्पी बाज़ार क्षेत्र, विरुपपुर गादडे के आसपास मिल जाएँगी और कुछ दुकानें होस्पेट में भी मिल सकती हैं |आप किराए पर लिए हुए दुपहिए वाहन को रात भर अपने होटेल मे भी रख सकते हैं | आपको बस उन्हें एक वैध फोटो पहचान प्रमाण देना होगा।
पर्यटकों की भीड़ के अनुसार किराए में भी बदलाव होते रहते हैं | मोटे तौर पर एक अनुमान देने के लिए आप को वो दरें बता रहा हूँ जो मुझे बताई गई थी |
साइकिल (गियर के बिना): ₹30 प्रति दिन
साइकिल (गियर के साथ): ₹50 प्रति दिन
मोपेड: ₹200 प्रति दिन
स्कूटर: ₹250 प्रति दिन
मोटरबाइक: ₹300 प्रति दिन
5. हम्पी में अपनी बोल्डरिंग करने की आस को पूरी करें
आप साहसी कारनामें करने में दिलचस्पी रखते हैं तो बोल्डरिंग केवल आप के लिए बनी गतिविधि है | बोल्डरिंग रॉक क्लाइंबिंग का ही एक रूप है |
बोल्डरिंग से जुड़ी सभी गतिविधियाँ हम्पी बाज़ार के दूसरी ओर नदी के पार होती हैं | बोल्डरिंग करने का मुख्य स्थान है गोअन कॉर्नर| आप यहाँ एक पूरे दिन के लिए बोल्डरिंग में अपना हाथ आज़मा सकते हैं| चाहें तो बोल्डरिंग सीखने के लिए लगने वाले शिविरों मे भी अपना नाम लिखवा सकते हैं| ये शिविर दो से चार दिन के लिए लगते हैं |
हम्पी मे आपको कोई भी स्थानीय दुकान बोल्डरिंग से जुड़ी सामग्रियाँ बेचती नहीं दिखेंगी | तो अगर आप को केवल एक कंपनी के बनाए हुए बोल्डरिंग से जुड़े सामान काम में लेना पसंद है तो आप को सामान अपने साथ लाना होगा |
6. मतन्गा की पहाड़ी से एक अद्भुत सूर्यास्त का मज़ा लें
भले ही हम सबने सूरज को छिपते हुए हज़ारों बार देखा हो लेकिन मातांगा की पहाड़ियों से छिपते सूरज के बदलते रंग देखने के अनुभव को आप ज़िंदगी भर नही भुला पाएँगे | सुंदर सूर्यास्त के अलावा भी मातांगा की पहाड़ियों के ऊपर से देखने में हम्पी और आस पास के इलाक़ों का हवाई नज़ारा देखते ही बनता है | पहाड़ी के ऊपर से आपको अच्युताराय मंदिर के खंडहर, विरुपक्ष मंदिर और तुंगभद्रा नदी की एक झलक मिलती है।
7. हम्पी का पूरा मज़ा लेने के लिए यहाँ के होम स्टे में ठहरें
हम्पी की सुंदर जगहों के बारे में आपको जितना ज्ञान एक स्थानीय आदमी दे सकता है उतनी जानकारी कोई भी मार्गदर्शक पुस्तिका नहीं दे सकती | यहाँ की अनोखी जगहों के बारे मे जानने के लिए मुरली के होमस्टे में ठहरिए| यहाँ से आपको हम्पी का एक अलग पहलू देखने को मिलेगा|
मुरली होमस्टे हम्पी
चूँकि मुरली का पूरा परिवार इसी होम स्टे में रहता है, इसलिए ये स्थानीय परिवार आपको पर्यटन से जुड़े कीमती सुझाव देने को हमेशा तैयार है | अगर आप चाहें तो ये लोग आपके लिए रोमांचक गतिविधियों से भरी एक मार्गदर्शिका तैयार कर सकते हैं | और घर का बना गरमा गरम खाना तो आपको मिलेगा ही |
8. हम्पी की सड़कों पर थोड़ी खरीदारी कर ली जाए
विरुपक्षा मंदिर के सामने स्थित होने की वजह से हम्पी के बाज़ार को विरूपक्षा बाज़ार के नाम से भी जाना जाता है | एक कि.मी. से अधिक क्षेत्र में फैला ये हम्पी का मशहूर बाज़ार शायद उतना भव्य ना हो पर इसे भारतीय इतिहास में सबसे पुरानी संगठित खुदरा बाज़ार होने का गौरव प्राप्त है |
आप यहाँ से कई तरह के सामान खरीद सकते हैं जैसे : कढ़ाई वाले शॉल और वस्त्र, प्राचीन सिक्के, पारंपरिक परिधान, रंगीन बैग, आभूषण, पत्थर की मूर्तियाँ, नक्काशीदार कलाकृतियों और हम्पी के खंडहरों की प्रतिक्रितियाँ |
हम्पी के अन्य आकर्षण:
विरुपक्षा का मंदिर, पम्पा सरोवर, विजया विठ्ठला मंदिर, तुंगभद्र बांध, हनुमान मंदिर, हेमकुता हिल मंदिर परिसर, सासिवेकआलू गणेश मंदिर, लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर, रानी स्नान और पुरातत्व संग्रहालय।
हम्पी कैसे पहुँचे
हवाई जहाज़ द्वारा : हम्पी से निकटतम हवाई अड्डा बेंगलोर में है| बैंगलोर हवाई अड्डे से निकल कर आप हम्पी एक्सप्रेस मे बैठ सकते हैं या फिर एक निजी टॅक्सी किराए पर ले सकते हैं |
सड़क द्वारा: सड़क मार्ग द्वारा हम्पी जाने वाले सैलानी बंगलौर, हैदराबाद, हसन और मैसूर जैसे शहरों से निजी टॅक्सी किराए पर ले सकते हैं या स्थानीय बस पकड़ सकते हैं |
रेल द्वारा: लगभग 13 किमी दूर होस्पेट जंक्शन हम्पी से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है।
यात्रा करने का सबसे अच्छा समय: अक्टूबर से दिसंबर के महीने जब मौसम सुहावना हो जाता है|
अगर आप ने हाल ही मे हम्पी की यात्रा की है तो अपने किस्से, यादें, तस्वीरें और विडियो Tripoto पर अपने साथी मुसाफिरों के साथ बाँटें |
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