मध्यप्रदेश की धार्मिक राजधानी है उज्जैन। यहाँ पर स्थित श्रीमहाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की की गणना द्वादश ज्योतिर्लिंग में होती है। श्रावण में मास में बाबा महाकाल की सवारी के दर्शन हेतु देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहाँ पधारते हैं।
यह प्राचीन और पवित्र नगरी परमपावन सरिता शिप्रा के तट पर बसी है। पौराणिक मान्यता के अनुसार यह नदी श्रीहरि विष्णु के शरीर से प्रकट हुई है। तथा अपनी धार्मिक विशेषताओं के कारण ही इस नदी को पापनाशिनी और मोक्षप्रदा की संज्ञा दी गई है।
शिप्रा नदी में स्नान का माहात्मय तो है ही, बल्कि इस महापवित्र नदी के नाम स्मरण से ही पाप विनष्ट हो जाते हैं, ऐसी मान्यता है। उज्जैन नगर के हृदय में स्थित इस नदी का सबसे प्रसिद्ध तीर्थकेंद्र और घाट है रामघाट।
इस घाट का पुनर्निर्माण कार्य राणोजी सिंधिया के समय रामचंद्र बाबा शेणवी ने किया था। इस दौरान यहाँ पर बिख़रे प्राचीन स्थापत्य के प्रस्तर खंडों का उपयोग भी इसमें किया गया था। यह स्थान विभिन्न पर्वों पर स्नान, दान, पिण्डदान आदि का पारम्परिक केंद्र है। अत: पर्वों पर यहां अनायास मेला लग जाता है। बारह वर्षों में एक बार उज्जियिनी नगरी में सिंहस्थ महापर्व का आयोजन होता है। सिंह राशि में गुरु होने पर वैशाख मास में यह मेला लगता है। विभिन्न अखाड़ों के साधु संतों के मुख्य स्नान भी इसी शिप्रा नदी के रामघाट और सामने दत्त अखाड़ा घाट पर सम्पन्न होते हैं। सोमवती अमावस्या, शनिश्चरी अमावस्या पर हज़ारों श्रद्धालु यहाँ स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं।
यदि आप इस श्रावण मास में बाबा महाकाल के दर्शन लाभ लेने की योजना बना रहे हैं तो रामघाट यहाँ से एकदम नज़दीक है। विक्रमटीला और हरसिद्धि मंदिर में दर्शन के उपरांत पैदल ही यहाँ पर आप पहुँच सकते हैं। शाम को यहाँ पर शिप्राजी की आरती भी होती है तथा शाम का दृश्य यहाँ सुंदर बन पड़ता है।