उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन को जाने के लिए कुछ ही महीनों पहले महाकाल कॉरिडोर का उद्घाटन किया गया था ।करीब एक किलोमीटर लम्बे इस कॉरिडोर को कई अत्याधुनिक सुविधाओंयुक्त बनाया गया हैं जो कि श्रद्धालुओं के लिए काफी उपयोगी चीजें हैं।दिसंबर 2022 की मेरी मध्य प्रदेश की एक छोटी सी ट्रिप के दौरान मेरा इस नये कॉरिडोर में जाने का कार्यक्रम बना।
तो इसीलिए आज मैं आपको इस कॉरिडोर के बारे में वो सब जानकारी देने की कोशिश करूँगा जिसकी वजह से यह कॉरिडोर काफी ख़ास हो गया हैं।
महाकाल कॉरिडोर में प्रवेश के लिए दो भव्य प्रवेश द्वार बनाये गए हैं जिनमें से एक हैं पिनाक द्वार और दूसरा हैं नंदी द्वार। नंदी द्वार से प्रवेश करते ही सबसे पहले गणेश जी की मूर्ति दिखाई देती हैं। कॉरिडोर के एक तरफ रूद्र सागर झील हैं एवं दूसरी तरफ महाकाल मंदिर ,भारत माता मंदिर आदि हैं। आप नंदी द्वार से प्रवेश कर चाहे तो पुराने रास्ते से भी बाहर निकल सकते हैं।
गणेश जी की मूर्ति के बाद सीधा कमल ताल दिखेगा जहाँ एक कृत्रिम ताल के बीचों बीच भगवान शिव की 25 फ़ीट ऊँची मूर्ति दिखाई देगी। इसके चारों तरफ कमल के फूल की मूर्तियां और पानी के फव्वारे भी उठते मिलेंगे।इस ताल के आसपास बैठने के लिए काफी कुर्सियां लगायी हुई हैं। इसी के पास में त्रिवेणी सनतान संग्राहलय बना हुआ हैं ,जहाँ सनातन धर्म से जुडी काफी पुरानी मूर्तियां ,नयी मूर्तियां ,तस्वीरें ,पेंटिंग्स ,किताबे आदि कुछ मिलती हैं। ढंग से घूमने के लिए इस संग्राहलय में भी करीब एक घंटे का समय चाहिए।
यहाँ से आगे बढ़ने पर सप्तऋषि की सात विशाल मूर्तियां और उनके बीच में शिव स्तम्भ के दर्शन होते हैं।यही से रुद्रसागर झील भी दिखना शुरू हो जाती हैं।बाएं हाथ की तरफ झील से पहले ठंडा पानी ,टॉयलेट की सभी सुविधाएं आदि हैं उनके आगे नवग्रह मंडल और त्रिपुरासुर से जुडी मूर्तियां मिलती हैं। उसके बाद आपको पुरे कॉरिडोर में बाए हाथ की तरफ झील के किनारे कई शिव कथाओं से जुडी मूर्तियां मिलेगी।वही दाए हाथ की तरफ इ-रिक्शा के लिए पथ और उसके साथ साथ दीवारों पर भी भगवान शिव के विवाह की पूरी कहानी उकेरी मिलेगी। ई रिक्श्वा की सुविधा सीनियर सिटीजन ,दिव्यांग जन और बच्चो के लिए मुफ्त हैं। बायीं तरफ की मूर्तियां और दाए तरफ की लम्बी दीवार के बीच ही यह कॉरिडोर बना है। इस कॉरिडोर में 108 स्तम्भ का भी निर्माण किया गया हैं जिसपर भगवान् शिव की अलग अलग मुद्राये तराशी गयी हैं।
इस एक किलोमीटर लम्बे पैदल कॉरिडोर की मनमोहकता और सुंदरता आपको एक जगह से आगे बढ़ने ही ना देगी। आप हर जगह मूर्तियों की खूबसूरती देखने रुकेंगे और सोचेंगे कि कुछ देर यही शान्ति से बैठे ,लेकिन जैसे ही आप आगे नजर घुमायेंगे ,आपको और भी आकर्षक मूर्तियां और कहानियां आगे बुलाएगी। कॉरिडोर में करीब 200 तरह की मूर्तियां लगायी गयी हैं जिन्हे इतनी बारीकी से तराशा गया हैं कि कई मूर्तियां तो अपने अंदर शिव भगवान् से जुडी कथाये समेटे हैं। हर मूर्ति के पास ,उस मूर्ति से जुडी कथा की पूरी जानकारी पढ़ने को मिलेगी ,वही QR कोड स्केन कर आप अपने मोबाइल पर ऑडियो फॉर्मेट में भी कथा सुन सकते हैं।
कमल कुंड के अलावा यहाँ ब्रम्हा -विष्णु-महेश ,हनुमान जी ,कृष्ण भगवान ,गंगा अवतरण कथा ,समुद्र मंथन ,रावण का कैलाश उठाना ,माता अनसुइ की कथा ,शिव बारात से जुडी भी मूर्तियां बनी हैं।यहाँ आपको ऐसी ऐसी कथाएं पढ़ने को मिलेगी जो कि ज्यादातर ने शायद ही सुनी हो। यहाँ आकर आप हर मूर्ति और भित्तिचित्रों को बारीकी से देखे और उसकी कहानी पढ़े। कॉरिडोर में बने बगीचे में कुछ देर बैठे ,हर तरफ गूंज रहे ओमकार के संगीत को महसूस करे ,झील को निहारे फिर त्रिवेणी सनातन म्यूजियम में कुछ घंटे ज्ञान के भण्डार को अपडेट कर ले। इन सब में ही आपका पूरा दिन बीत जाएगा। कॉरिडोर में ही लाकर रूम भी बने हैं ,आप अपने कीमती सामान वहां रख सकते हैं।
यह सब अभी प्रथम चरण का काम हैं। कॉरिडोर के दूसरे चरण का काम भी चल रहा हैं,जब प्रथम चरण में ही महाकाल दर्शन के अलावा इतना कुछ सिखने ,देखने और घूमने को मिला है तो सोचिये द्वितीय चरण के बाद क्या होगा।
एक और बात ,कॉरिडोर में डिजिटल कैमरे नहीं ले जा सकते हैं। शायद अब मोबाइल फोटोग्राफी भी बंद हो गयी हैं,हालांकि इसका मुझे पूरा श्योर नहीं हैं ।
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