Tunganath chandrashila trek with river rafting at rishikesh

Tripoto
1st May 2022
Day 1

मैंने अपने 2 दोस्तों के साथ नोयडा से तुंगनाथ - चोपता का सफर रात 12 बजे शुरू किया । रास्ते मे खतौली में ढाबे पर चाय की चुस्की लेकर सुबह पौने 4 बजे त्रिवेणी घाट , ऋषिकेश रुके ।  माँ गंगा से साक्षात्कार के बाद हम लोग आगे बढ़े और सुबह 6 बजे देवप्रयाग में माँ अलकनंदा और माँ भागीरथी के संगम से रचित होती माँ गंगा के अद्धभुत स्वरूप को प्रणाम कर हम श्रीनगर ,  रुद्रप्रयाग होते हुए चोपता पहुंचे । परन्तु वहां जाकर हमे पता चला कि ये वो चोपता नही है जहां हमे जाना था । हमने GPS में तुंगनाथ चोपता की जगह सिर्फ चोपता लिखा जिस वजह से यह कन्फ्यूज़न हुआ । बहरहाल इस गलती की वजह से हमे लगभग 70 किलोमीटर और 3 घंटे करीब अधिक कार चलानी पड़ी और सुबह 11 बजे की जगह दोपहर 2 बजे के बाद हम बनियकुण्ड पहुंचे । ये जगह तुंगनाथ से 5 किलोमीटर पहले है और प्रकृति की गोद मे बसे एक बेहद छोटे गांव से ही वहां रुकने की व्यवस्था प्रारम्भ होती है । वहां हमने एक टेंट ले लिया रुकने के लिए । उस पूरे क्षेत्र में होटल या लॉज नही हैं । केवल अलग अलग तरह के टैंट में रुका जा सकता है ।

कुलदीप नेगी नामक व्यक्ति जो कि उस टैंट स्टे के मैनेजर थे उनके साथ अनुभव बहुत शानदार रहा । बेहतरीन पहाड़ी तरीके से बना खाना शानदार था । सभी स्टाफ मेम्बर बहुत अच्छे और सेवाभाव से पूर्ण थे । कुलदीप नेगी का नम्बर मैं यहां शेयर कर रहा हूँ । तुंगनाथ में रुकने के जगहों में ये सबसे बेहतरीन है ।

कुलदीप नेगी - 9458383954 ,  8178351222.

तो रात उस जगह पर बिताने के बाद अगली सुबह 7 बजे हम बाबा तुंगनाथ के दर्शन के लिए चले । करीब 7.30 बजे हमने तुंगनाथ-चंद्रशिला ट्रैक पर चलना शुरू किया । और धीरे धीरे रुकते चलते , प्रकृति के अद्धभुत दृश्यों के साक्षी बनते हम करीब 3 घण्टे में बाबा तुंगनाथ धाम पर थे । हालांकि मन्दिर के मुख्य कपाट उस समय बन्द थे तो हमने बाहर से ही माथा टेक कर अपनी उपस्थिति दर्ज की और फिर चंद्रशिला की चोटी तक पहुंचने के अपने लक्ष्य पर बढ़ चले । हालांकि यह मात्र 5 किलोमीटर का कुल ट्रैक है मगर मेरे लिए यह इसलिए चुनौती बन गया था क्योंकि मेरा वज़न 100 किलो है । बहरहाल, भगवान शिव को स्मरण करते हुए हम तीनों दोस्त औऱ सैकड़ों अन्य दर्शनार्थी वहां से ऊपर चले तो लगा कि इस जगह हम पहले क्यों नही आये । स्वर्ग में होने के एहसास को हर घड़ी बनते बिगड़ते बादलों ने बढ़ा दिया था । इस पल में दूर बर्फ से ढकी हिमालय की कोई चोटी नज़र आती थी तो अगले ही पल 6 कदम का रास्ता दिखना भी मुश्किल । पूरी यात्रा के समय मौसम के बहुत से रँग देखने को मिले लेकिन चंद्रशिला की चोटी से कोई 250 मीटर पहले अचानक शरीर को चीरने वली तेज हवा के साथ बारिश शुरू हो गई और अचानक बर्फ गिरने लगी । अधिकतर सहयात्री ऑक्सीजन का लेवल कम होने और मूसलाधार बारिश के कारण बीच से लौट गए । परन्तु हमने यह तय किया कि अब हम चंद्रशिला की चोटी को छू कर ही वापस लौटेंगे । पहाड़ के शीर्ष पर पहुंच कर जो अनुभव हुआ उसे शब्दो मे लिखना असंभव है

एक अनूठे अनुभव को अपनी यादों में सँजोये हम वापस अपने टेंट पर आए । दोपहर का खाना खाया और वापस ऋषिकेश के लिए चल दिये । हालांकि एक और रात वहां रुकने का कार्यक्रम था लेकिन बाकी साथियों ने सुझाव दिया कि रात को ऋषिकेश रुका जाए और अगली सुबह माँ गंगा की अविरल बहती धारा के बीच राफ्टिंग की जाए । रात को 10.30 बजे हम नीलकण्ठ रोड पर नक्षत्र नामक रिसोर्ट में पहुंचे और रात के खाने के बाद सो गए । सुबह रिसोर्ट के बगल में बहने वाली छोटी पहाड़ी नदी में मछलियों के साथ मस्ती भी एक अलग अनुभव था । करीब एक घंटे तक नदी में नहाने के बाद हम लोग नाश्ता करके ऋषिकेश शहर की तरफ बढ़ गए । 5 और अनजान साथियों के साथ हम तीनों ने राफ्टिंग का आनंद लिया और अंततः माँ गंगा को प्रणाम कर वापस घर आने की आज्ञा लेते हुए नोयडा के लिए अपना सफर शुरू किया । रास्ते मे रुकते , मस्ती करते शाम 8 बजे हम अभी अपने गंतव्य तक पहुंच गए ।

जो साथी आज तक इस सफर पर नही गए है उनसे ये कहते हुए की एक बार इस अनुभव को जरूर कीजिये मैं अपने इस लेख को यहां समाप्त करता हूँ ।

जल्दी ही आपसे वापस मिलूंगा अपनी अगली यात्रा के संस्मरण के साथ ।

जय श्री राम

Photo of Tunganath chandrashila trek with river rafting at rishikesh by अमित सिंघल
Photo of Tunganath chandrashila trek with river rafting at rishikesh by अमित सिंघल
Photo of Tunganath chandrashila trek with river rafting at rishikesh by अमित सिंघल

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