दौर दौर की बात होती है साहब। एक वौ दौर था जब साहिर लुधियानवी साहब के लिखे गानों को लड़कियाँ अपनी डायरी में लिखकर रखती थीं और आज का दौर है, गाने की औक़ात एक फ़िलर तक रह गई है।
लेकिन बाबू दौर कोई भी हो, शेर-ओ-शायरी चाहे कहीं भी हो, ज़िन्दा रहती है। ट्रैवल किया होगा तो ट्रक के पीछे लिखी शायरी भी पढ़ी होगी। हम बात कर रहे हैं उन ग़ुमनाम शायरों की, जिनकी शायरी को हर ट्रक वाले ने इज़्ज़त दी है।
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स्कूल के समय हम लिखते थे कवि इस कविता के माध्यम से क्या कहना चाहता है, आज हम लिखेंगे इस कविता के माध्यम से ट्रक वाला क्या कहना चाहता है।
1. धीरे चलोगे तो बार-बार मिलोगे,
तेज़ चलोगे तो हरिद्वार मिलोगे।
गाड़ी तेज़ चलाने से आप हरिद्वार नहीं पहुँचेंगे, बल्कि हरि के द्वार मतलब सीधा स्वर्ग डिलिवर हो जाएँगे। देख रहे हो ट्रक वाले भइया की चेतावनी, धीरे से दी है, ताकि जोर से लगे।
इसके साथ एक सख़्त हिदायत भी दी गई है। गाड़ी धीरे चलाने की, तेज़ गाड़ी चलाके दो मिनट पहले पहुँचने से अच्छा है थोड़ा धीमे चलाके सुरक्षा में रहकर मंज़िल ही पहुँचा जाए, अस्पताल नहीं।
2. ये नीम का पेड़ चन्दन से कम नहीं,
हमारा लखनऊ लन्दन से कम नहीं।
अपना बच्चा हर माँ को हमेशा से सुन्दर लगता है। फिर वो उसे और सुन्दर बनाने के लिए उसकी आँखें काजल से भर देती हैं। माथे पर काजल की बिन्दियाँ लगा देती हैं। हाथ में मेंहदी मल देती हैं, कमर में काले रंग का धागा बाँध देती हैं। अब वो बच्चा मदारी वाला बन्दर लगने लगता है। लेकिन क्या कहिए, जो है सो है।
अब माँ का प्यार है तो है, बच्चा गली मोहल्ले में लड़कर आएगा तो भी लाडला ही रहेगा। बस यही वाला प्यार ट्रक वाले भाईसाहब का अपने ट्रक से है। प्यार है तो जताएँगे ही।
3. हमारी चलती है, लोगों की जलती है।
गली मोहल्ले के छोटे बच्चे देखे होंगे आपने, उनका अपना ही भौंकाल होता है। किसी से डरते नहीं हैं वो, खुल के जीते हैं ज़िन्दगी और रहते ऐसे हैं जैसे दुनिया उनसे ही है। ये भाईसाहब अब ट्रक ड्राइवर बन गए हैं, लेकिन भौंकाल ख़त्म नहीं हुआ है।
4. सावधानी हटी, सब्जी पूड़ी बँटी।
वाहन चलाते समय सौंदर्य दर्शन ना करें वरना देव दर्शन हो सकते हैं।
इन अंकल को मेरे बारे में सारी बातें पता हैं। बस, उसी से बचने की सलाह दे रहे हैं। और बता भी रहे हैं कि कुछ उल्टा सीधा मत करना, लफड़ा हो जाएगा। उससे अच्छा है कि सीधा अपनी गाड़ी चलाओ और काम पर जाओ, ज़्यादा इधर उधर मुँह मत मारो।
5. लटक मत, पटक दूँगी।
ये रही हमारी दबंग ट्रक वाली मैडम की गाड़ी। इनको फ़्री में ट्रक का सफ़र करने वालों से बहुत दिक्कत है। वो बस इसमें चुपके से बैठ जाते हैं अपनी हाथ से गाड़ी पकड़ लेते हैं, फिर ट्रक जितना चलता जाता है, उसके पीछे पीछे हो लेते हैं।
मैडम से बच के रहो, पटक देंगी।
6. कुत्ता भी बिना वजह नहीं भौंकता।
अरे, सुन लो। जब ट्रैफ़िक हो तो गाड़ियाँ रुकेंगी ही। ज़्यादा इसमें सोचने वाली बात नहीं है। इसलिए बिना बात हॉर्न बजा कर कुछ होने वाला है नहीं।
इसी बात को थोड़ी अच्छी ज़बान में समझाने के लिए इन मनमोहक शब्दों का इस्तेमाल किया है गाड़ी वाले ने।
7. तुमको आगे निकलना है तो निकल जाओ,
पीछा हम भी किसी का किया नहीं करते।
क्या बात चाचा, क्या बात। दिल जीत लिया कह कर ये चार लाइनें। ये अपने दिनों में तो कमाल के शायर रहे होंगे। अब आलम ये है कि शायरी नहीं छूट रही, तो बस, ट्रक को ही कॉपी बना लिया है।
8. कीचड़ में पाँव डालोगे तो धोना ही पड़ेगा,
ड्राइवर से शादी करोगे तो रोना ही पड़ेगा।
ये एक शेर कम, उदासी में लिपटा हुआ मिसरा ज़्यादा है। अपनी बेचैनी को बहुत अच्छे तरीक़े से ढाला है शायर ने। उनकी ज़िन्दगी किसी हवा में तैरती फ़्लाइट वाली एयर होस्टेस से कम नहीं होती। लेकिन कम से कम एयर होस्टेस को पैसे तो अच्छे ख़ासे मिलते हैं। ट्रक वाली ज़िन्दगी में तो ये भी नसीब नहीं। बस चलते जाना है ख़ूब सारा सामान लेकर। बस अपनी ज़िन्दगी के दर्द को बयाँ करने का ठीक ठाक तरीक़ा ढूँढ़ लिया है हमारे ट्रक वाले भाईसाहब ने।
9. मैं बड़ा होकर ट्रक बनूँगा
ये है कुछ दमदार लाइन। बहुत सोच समझकर ट्रक वाले ने रखी है। वास्तव में ये ट्रक वाले भैया ट्रैवलर आदमी हैं और उनकी ख़्वाहिश है पूरी दुनिया देखने की। लेकिन अगले जन्म में क्या बनेंगे, क्या मालूम।
इसलिए सबसे अच्छा तरीक़ा है अपनी इस इच्छा को ज़िन्दा रखने का कि अगले जन्म में ट्रक बन जाओ, पूरी दुनिया घूम लोगे। क्यों, सही कहा ना।
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