दोस्तों, वैसे तो हर साल मार्च में होली का त्यौहार देशभर में मनाया जाता है। सभी लोग होली को लेकर बहुत उत्सुक भी होते हैं। और हो भी क्यों न रंगों का जो त्यौहार हैं। दोस्तों, इस बार होली के मौके पर लोगों को लंबा वीकेंड भी मिल रहा है। जिससे आप लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ होली ट्रिप पर जाकर एन्जॉय कर सकते हैं। पूरें देश में बहुत सी जगह धूमधाम से होली का त्यौहार मनाया जाता हैं। लेकिन दोस्तों, क्या आप जानते है? कि कुछ ऐसी जगहें भी हैं जहाँ होली नहीं मनाई जाती है। जी हाँ, सही सुना अपने। आपको बता दूं कि इन जगहों पर होली का दिन भी दूसरे सामान्य दिनों की तरह रहता है। इन सभी जगहों पर होली न मनाने के कई कारण हैं तो आइए जानते है विस्तार से की होली न मानने की वजह आखिर हैं क्या?
1. रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड
दोस्तों वैसे तो पहाड़ों की होली बहुत ही मशहूर है लेकिन आपको यह सुनकर बहुत हैरानी होगी कि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के बहुत से गांवों में होली का त्योहार नहीं मनाया जाता है। इसमें क्विली, कुरझन जैसे गांव शामिल हैं। ऐसा कहा जाता है कि इन गांवों में लगभग 150 सालों से होली का त्योहार नहीं मनाया गया है। इसके पीछे एक वजह हैं। जिसमें यहाँ के लोगों की आस्था भी जुड़ी है। ऐसा बोला जाता हैं कि इस क्षेत्र की प्रमुख देवी त्रिपुर सुंदरी को शोर शराबा बिल्कुल भी नहीं पसंद है, इसलिए यहाँ के लोग होली के शोर से बचते हैं। और होली के त्योहार को नहीं मनाते हैं। और यहाँ सदियों से होली के त्योहार को नहीं मनाया जाता हैं।
2. दुर्गापुर, झारखंड
झारखंड में स्थित दुर्गापुर गांव के लोग भी होली नहीं मनाते हैं। ऐसा बोला जाता हैं कि इस गांव में भी लगभग 100 सालों से होली का त्योहार नहीं मनाया गया है। क्योंकि होली के त्योहार के दिन ही यहाँ के राजा के बेटे का निधन हो गया था। और राजा अपने बेटे की मौत के दुःख से उबर नहीं पाए और होली वाले दिन ही उनका भी निधन हो गया। राजा ने मरने से पहले यहाँ के लोगों को होली न मनाने के आदेश दिए थे, तब से अगर कोई होली मनाना चाहता है तो वो दूसरी जगह जाकर होली मनाता है। लेकिन यहाँ होली का त्योहार नहीं मनाया जाता।
3. रामेश्वर, गुजरात
गुजरात के बनासकांठा जिले के बसा गांव रामसन (रामेश्वर) में भी होली का त्योहार नहीं मनाया जाता है। ऐसा बोला जाता है कि इस गांव में लगभग 200 सालों से होली नहीं मनाई गई हैं ऐसा बोला जाता हैं कि इस गांव का नाम भी भगवान राम के नाम पर ही रखा गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस जगह को संतों का अभिशाप लगा हुआ है। क्योंकि यहाँ के राजा ने संतों के साथ बहुत ही बुरा दुर्व्यवहार किया था। इसलिए इस गांव को श्राप लगा और इस गांव में अब कोई भी होली नहीं मनाता है।
4. तमिलनाडु
दोस्तों, तमिलनाडु में रहने वाले अधिकतर लोग भी होली नहीं मनाते हैं। क्योंकि होली पूर्णिमा के दिन होती है और तमिल लोग मासी मागम मनाकर इसे बहुत सम्मान देते हैं। और ऐसा भी माना जाता है। कि ये एक बहुत पवित्र दिन होता है। इस दौरान आकाशीय जीव और पुराने पूर्वज, पवित्र नदियों, तालाबों और पानी में डुबकी लगाने के लिए धरती पर उतरते हैं।
5. हथखोह, बुंदेलखंड
बुंदेलखंड के सागर जिले के पास हथखोह गांव के लोग भी होली नहीं मनाते हैं। इतना ही नहीं दोस्तों, यहाँ इस गांव के लोग होलिका का दहन तक भी नहीं करते हैं। ऐसी मान्यता है कि सालों पहले गांव के लोगों को खुद यहाँ देवी ने दर्शन देकर होली न मनाने के लिए कहा था। और तभी से यह परंपरा चली आ रही है। और आज तक जारी हैं।
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