घूम तो सब रहे हैं, कोई ख्यालों में, तो कोई सोशल मीडिया पर तो कोई कुदरत की बनाई इस धरती पर । मैं भी इसी कड़ी का एक हिस्सा बनकर पिछले कुछ सालों से यहाँ-वहां भटक रहा हूँ जिस पर कुछ लोगो का बोलना हैं “जिन्दगी जी रहा है”, तो वहीं कुछ का टोकना है “जिन्दगी बर्बाद कर रहा है” । वैसे तो मै काफी घुमक्कड़ किस्म का आदमी हूँ ,अगर परिस्थितियों वश में होती तो मैं अपना करियर इसमें जरुर बनाता पर कोई बात नहीं। वैसे मेरे अंदर का वो कीड़ा कभी मरा ही नहीं। यही कारण रहा की मै अपने आप से जितना बन पड़ता हैं उतना घूमता हूं और अपनी घुमक्कड़ जिज्ञास को शांत कर लेता हूं।
तो बात 12 फरवरी की हैं।मंदसौर में मेरे जिगर यार अनिरुद्ध का आखिर दिन था ट्रांसफर होने के कारण वो हमें छोड़ के जा रहा था। फिर क्या था हम मुसाफ़िर लोग हैं जनाब हम किसी को अलविदा भी अपने तरीके से ही करते हैं। बातों बातों में हमने ओंकारेश्वर जाने का प्लान बनाया जैसे ही उसने घूमने का प्लान किया तो मेरे अंदर घुमक्कड़ जिज्ञासा जगने लगी सोचा की क्यों न ओंकारेश्वर धाम की यात्रा की जाए। बस फिर क्या था फोन में गूगल बाबा से जानकारी लेने लगे। रात होते होते यात्रा का विचार अपना साकार रूप लेने लगा। बगल में बैठे हमारे यू ट्यूबर दोस्त ऋषभ से ये विचार साझा किया तो उन्होंने बोला चलते हैं फिर क्या था हमने अपने बैग उठाएं और निकल पड़े एक नए ट्रिप की ओर।
ओंकारेश्वर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। यह नर्मदा नदी के तट पर मन्धाता नामक द्वीप पर स्थित है। यहां जाने के लिए हमने सुबह सुबह 6 बजे की बस ली इंदौर के लिए,फिर हमने इंदौर से डायरेक्ट बस ओंकारेश्वर मंदिर के लिए लिया।
मंदिर के गर्भ गृह में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक विराजमान है। यहां पर नर्मदा नदी ॐ के आकार में बहती है। इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।इस मंदिर के अंदर आपको सुंदर नक्काशी देखने के लिए मिलती है। इस मंदिर में जो पिलर बने हुए हैं, उनमें भी सुंदर नक्काशी की गई है।
ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग कथा
यह कहा जाता है कि राजा मंधान्ता ने यहा नर्मदा नदी के किनारे घोर तपस्या कर भगवान शिव जी को प्रसन्न किया और भगवान शिव जी के प्रकट होने पर उनको यहीं निवास करने का वरदान मांग लिया। तभी से भगवान शिव इस प्रसिद्ध तीर्थ नगरी में निवास करने लगे। इसीलिए इसे ओंकार -माधान्ता के रूप में पुकारा जाने लगा। कहा जाता है कि यहां 68 तीर्थ है। यहां 33 करोड़ देवी देवता अपने परिवार सहित यहां निवास करते हैं।
ओमकारेश्वर में देखने लायक वैसे तो कई स्थान है पर यहाँ दो मुख्य मन्दिर ममलेश्वर व ओमकारेश्वर तो है ही इसके अलावा नर्मदा पर बना हुआ बाँध भी पहाड़ी के ऊपर से देखना अच्छा अनुभव रहता है। नर्मदा नदी नाव से पार कर दूसरी ओर जाना व पुल से नर्मदा पार करना भी कम रोमांचक नहीं रहता है।नर्मदा नदी को इस क्षेत्र में माँ का दर्जा दिया गया है बताते है कि दुनिया में यह अकेली ऐसी नदी है जिसकी परिक्रमा की जाती है।
रात को दर्शन करने के बाद हम ने वहां के गालियों की सैर की,फिर अगली सुबह जीरो प्वाइंट देखने का मन बनाया।
जीरो प्वाइंट ओंकारेश्वर एक मुख्य जगहों में से एक है।जीरो प्वाइंट ओंकारेश्वर का हाइएस्ट प्वाइंट हैं। इस जगह से आप ओंकारेश्वर बांध का बैकवॉटर का सुंदर दृश्य देख सकते हैं। ओंकारेश्वर के बैकवॉटर में आपको सुंदर टापू देखने को मिलेगा।जीरो पॉइंट बरसात के समय बहुत सुंदर लगता है, क्योंकि चारों तरफ हरियाली भरा माहौल रहता है। जीरो प्वाइंट में कई रिसोर्ट बने हुए हैं, जहां पर आप ठहर सकते हैं और इस टापू के मजे ले सकते हैं।इसके अलावा आप यहां ओंकारेश्वर बांध,श्री गजानन महाराज मंदिर,केदारेश्वर मंदिर,नर्मदा कावेरी संगम ,गौरी सोमनाथ मंदिर,पाताली हनुमान मंदिर,कैलाश धाम और नक्षत्र गार्डन ,सिद्धनाथ मंदिर ,मांधाता पैलेस का भी लुप्त उठा सकते हैं।
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