भारत की सबसे बड़ी ट्रैवल कम्युनिटी ट्रिपोटो का यह हमारा दूसरा माइंडफुल रिट्रीट पैकेज था। हमारी शुरुआत रिवालसर झील जो हिमाचल के मंडी जिले में मंडी से थोड़ी दूरी पर है। सुबह हम गुरुद्वारा साहिब में लंगर छकने के बाद 9 बजे के आस पास चल पड़े थे। हमे लगा था हम लंच टाइम से काफी पहले अपनी मंजिल पर पहुंच जाएंगे मगर हमें नहीं पता था कि ट्रैफिक की बहुत बड़ी समस्या मिलेगी।
रिवालसर से मंडी , मंडी से सुंदरनगर पार करके हम सुरंगों से गुजरते हुए पहुंच गए ओट। रास्ते में आने वाली सुरंग है सुरंग नंबर 11 और सुरंग नंबर 13।
अब ओट से एक रास्ता कुल्लू की ओर जाता है एक रास्ता बंजार जिभी। हमारी मंजिल जिभी से आगे महाभारत काल का प्राचीन गांव हडिंब।
ओट तक तो सड़क हाईवे है, 4 लेन मगर ओट से आगे का रास्ता खराब और सिंगल लेन है। यह रास्ता लगभग 42 किलोमीटर का है, जो सभी को फ्रस्ट्रेट कर देता है। इसकी सड़क और ट्रैफिक थकाने वाला है। एक बार तो लगता है कहां फस गए यहां।
ओट के आगे आता है बाला चौकी वहां पर भी बहुत ट्रैफिक था, छोटे छोटे गांव आते गए , कभी सड़क टूटी , कभी ट्रैफिक , कभी खतरनाक मोड़, कभी तंग बाज़ार आते गए, ऐसे करते करते हम सबसे तंग बाजार वाले और खतरनाक ट्रैफिक में फस गए, जो बंजार गांव में था, जहां से जिभी मात्र 10 किलोमीटर था जिस के लिए हमें 2 घंटे लग गए थे।
हमारी मंजिल थी हाडिंब गांव जहां हमने 1 बजे पहुंच जाना था मगर हम पहुंचे 5 बजे वो भी बहुत मुश्किलों को पार करते करते।
पहले जा के दृश्य देखा मन मंत्र मुग्ध हो गया था, एक नदी पर बने पुल को पार करके थोड़ी ऊंचाई चढ़ कर हम आए थे misty wild homestay में ।
देवदार के जंगल , शांत वातावरण , नदी के कल कल पानी का माधुर संगीत , आस पास की हीराली, सेब के पेड़, कहीं पहाड़ी पर दिखती हूई चरती भेड़े, गांव के स्कूल से पढ़ कर वापिस आते स्कूल के बच्चे, सभी मन को सकून देने और थकान दूर करने वाले था।
हमने सबसे पहले समान कमरे में रखा, कमरा देवदार की लकड़ी से बने थे, जिसकी छत बहुत सुंदर लग रही थी, नीचे फरश से लेकर छत, दीवारें, मेज़, कुर्सी सभी कुछ देवदार की लकड़ी से बना था।
समान रख कर हम ने होम स्टे में ही बाहर बैठ कर खाना खाया। हमारा कमरा थोड़ा उपर सीढ़ी चढ़ कर था, जिसके बाहर बहुत सुंदर बालकनी थी। 2 कमरे अगल बगल में थे, जिसकी बालकनी एक ही थी, बालकनी में पढ़ने के लिए किताबे, बैठ कर दृश्य देखने के लिए मेज़ कुर्सी।
बालकनी में ही जूते उतार कर कमरे में जाना होता था। बाहर बैठ कर तारों को देखने का अलग ही मजा था, साफ़ आसमान में तारों की अलग ही चमक थी। तारे बहुत करीब लग रहे थे, मानो जैसे तारों की ही छत हो।
शुद्ध हवा में सांस लेना, सभी ओर हरा रंग दिखना, शांतमयी रातें, थोड़ी ठंडी और ऐसे में अगर बोनफायर मिल जाएं सोने पे सुहागे जैसी बात हो जाती है।
हिमाचल के इस छोटे मगर ऐतिहासिक गांव का अपना प्राचीन मतव्व है, कहा जाता है माता हडिंबा अपने भाई हाड़िंब के साथ इसी जगह पर रहा करती थी। पाडव भीम ने हाड़िंब को मार कर माता हडिंबा से विवाह किया था, मनाली का हडिम्बा मंदिर भी इसी कारण बहुत प्रसिद्ध है। जहां हर घर में अपने देवी देवते का मंदिर है। गांव में पांडवों का मंदिर है, मगर मंदिर में टूरिस्ट नहीं जा सकते सिर्फ गांव वाले ही जा सकते है।
जहां हडिंबा का मंदिर वो जगह बहुत ही सुंदर है, नदी झरने जैसी दिखती है , एक लकड़ का फट्टा रखा है, जिस पर चढ़ कर नदी भी पार कर सकते है, मगर यह लकड का फट्टा काफी हिलता रहता है, पत्थरों में नदी का शोर बहुत सकून देता है। नदी का पानी इतना साफ़ था कि इस में पानी का तल दिखाई देता था।
यह मंदिर हमारे स्टे से कुछ ही दूरी पर था, शाम को हम चलते चलते यहां पर कुदरत की मिसाल को देखने आए थे।
हमारे साथ गांव का एक कुत्ता जो काले रंग का था, वो भी गया था। जब तक हम वहां रहे, वो कुत्ता भी हमारा इंतजार करता रहा।
पास में सीढ़ियां को चढ़ कर माता हडिंबा का मंदिर है। वहां पर भी वो कुत्ता हमारे साथ गया।
इसी नदी के पास एक पुरानी आटा पीसने की टूटी हुई चक्की भी है, जिस से कभी किसे समय आटा पीसा जाता था, यह चक्की सीमेंट की पाइप से बनी है, जो पानी से चला करती थी।
प्राकृतिक के नज़ारे को सकून से देखने के बाद हम वापिस आ गए थे।
हाड़िंब गांव में पांडव का मंदिर है, एक झरना है।
मानसून में तो बहुत सारे झरने बन जाते है। सर्दी में जहां काफी बर्फबारी होती है। गांव भी बहुत शांत और सुंदर है। गांव के लोग सादगी पसंद है। मगर आप गांव के घरों में नहीं जा सकते, वो लोग टूरिस्ट को अपने घर नहीं आने देते। क्योंकि इन लोगों के घरों में मंदिर है, इन का मानना है टूरिस्ट के घर आने से इन के देवता गुस्से हो सकते है। ऐसे में वो टूरिस्ट को आने नही देते।
शांतमई सुंदर गांव में एक मिडल स्कूल भी है, जिसका ग्राउंड उपर से दिखाई देता है। एक पानी का सोमा भी आता है। जिसका साफ पानी में तल दिखता है।
क्या देखे :
1. जिभी वाटरफॉल: रास्ते में हाडिम्ब गांव से पहले जिभी आता है, वहां पर जिभी वाटरफॉल देख सकते है।
2. हिडिंबा माता का मंदिर : जहां नदी के किनारे कुदरत की गोद में प्राचीन हिडिंबा माता का मंदिर देखा जा सकता है।
3. पांडव मंदिर : गांव में पांडव मंदिर बाहर से देख सकते है।
4. गांव के पास झरना : गांव के समीप एक कुदरती झरना देखा जा सकता है।
कहां ठहरे:
सबसे अच्छी जगह स्टे के लिए है : misty wild stay
जिस में 4 कमरे है। इस प्रॉपर्टी में ही आप को बोनफायर, खाना, लंच , डिनर, नाश्ता, स्नैक्स सब मिल जाएगा। जहां से जिभी मार्केट थोड़ी दूर है, इस लिए खाना प्रॉपर्टी से लेना ही बेहतर है। खाना स्वाद और ताज़ा मिलता है।
आप चाहे तो त्रिपोटो का पैकेज भी ले सकते है जो 7500 एक पर्सन का है जिस में एक दिन का ट्रेक, 2 नाइट्स , 3 दिन का पैकेज मिलता है जिस में 2 डिनर, 2 लंच, 2 ब्रेकफास्ट, स्नैक्स, बोनफायर आदि मिलता है।
पास में एक ओर प्रॉपर्टी भी है, वहा पर भी रुका जा सकता है।
जिभी में भी काफी ऑप्शन मिल सकते है रहने के लिए।