मनाली में स्थित वशिष्ठ मंदिर महान ऋषि वशिष्ठ को समर्पित है । भारत के हिंदू धर्म के महान ऋषि वशिष्ठ जी राम भगवान के कुल गुरु थे । उनके नाम पर ही इस गांव का नाम वशिष्ठ पड़ा था । इसके बाद महान ऋषि वशिष्ठ की मूर्ति स्थापित कर वशिष्ठ मंदिर का निर्माण यहां पर कराया गया था ।
मनाली से वशिष्ठ की दूरी मात्र अढ़ाई किलोमीटर है। मुख्य मार्ग पर ब्यास नदी के बाएं तट पर चलते हुए मनाली से 1.6 किलोमीटर की दूरी तय करने पर दाईं ओर (पहाड़ी के साथ-साथ) एक नई सड़क जुड़ती है। यहां से वशिष्ठ मात्र एक किलोमीटर के अंतर पर स्थित है। पर्यटकों की लोकप्रिय कुल्लू घाटी में मनाली की परिक्रमा में ऋषि वशिष्ठ के नाम से जुड़े इस गांव में भगवान राम और ऋषि वशिष्ठ के दो लघु मंदिर हैं।
ऋषि वशिष्ठ की प्रतिमा (प्रस्तर) एक लघु प्रकोष्ठ में अवस्थित है। इस स्थान की अन्य विशेषताओं में यहां गर्म जल के प्राकृतिक स्रोत हैं। इनसे उठती भाप गंधक की गंध देती है। जहां तीर्थ यात्री इन जलाशयों में पुण्य अर्जित करने की सद्भावना से स्नान करते हैं, वहीं सामान्य लोग चर्म रोग की चिकित्सा के लिए भी इसे फलदायी मानते हैं। देशी-विदेशी पर्यटकों के दृष्टिगत इस खनिज जल के स्नान के लिए यहीं निकट में फुहारा घर भी बने हैं।
वशिष्ठ के इस स्थान पर प्राचीन देवालय और बावड़ी के कुछ ऐसे अवशेष भी ध्यान आकर्षित करते हैं जो मध्य युगीन मंदिर स्थापत्य की किन्हीं विशेषताओं का वरण किए हुए हैं। यहां स्थित देवालय का जैसा पुनरुद्धार हुआ है, वह भी अवलोकनीय है। यह निर्माण ‘काठकुणी’ शैली का परिचायक है। इस देशज शैली में बिना गारे की शुष्क चिनाई और देवदार की धरणियों का प्रयोग हुआ है।
जब भी मनाली आयें तो वशिष्ठ मन्दिर आना ना भूलिए।
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